Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:17 PM,
#37
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--37
गतांक से आगे ...........
ये क्या है, ये कोई रोटियां हैं, एकदम ठण्डी पड़ी हैं, उसने एक रोटी को लटका कर दिखाते हुए कहा।
इतनी देर से रखी हैं तो ठण्डी हो गई, मैंने कहा।
हमने खाना स्टार्ट किया। अपूर्वा कम खा रही थी, मैंने दो रोटियां खा ली पर उसने आधी भी नहीं खाई थी।
ये क्या, मैं ज्यादा लाया था कि तुम भी खाओगी साथ में पर तुम तो खा ही नहीं रही, मैंने कहा।
खा तो रही हूं, और आपने ही तो कहा था कि चाहे कम खा लेना, पर साथ तो दो, उसने मुंह बनाते हुए कहा।
मैंने एक रोटी का कौर तोड़ा और सब्जी लगा कर उसकी तरफ बढ़ा दिया। वो पहले मुस्कराई और फिर अपना मुंह खोल दिया। मैंने रोटी उसे खिला दी, पर उसने जानबुझ कर मेरी उंगली को भी काट लिया और फिर हंसते हुए उठ गई।
बस, अब और नहीं खाउंगी, नहीं तो शाम को फिर भूख नही लगेगी, कहते हुए वो वासबेसिन की तरफ बढ़ गई।
अब जब वो उठ ही गई थी तो मैं भी क्या कर सकता था, मैंने खाना समाप्त किया और फिर कचरे को डस्टबिन में डाल दिया और हाथ धोकर वापिस अपने काम में मशगूल हो गया।
साढे तीन बजे कोमल चाय लेकर आई।
क्या हुआ, लगता है तुम्हारे आने के बाद तुम्हारी दीदी ने कामवाली को छुट्टी दे दी है, मैंने हंसते हुए कहा।
चुपचाप चाय ले लो, नहीं तो ये भी नहीं मिलेगी, कोमल ने घुर्राते हुए कहा।
ओ-के- जी, लाओ,,,,, खामखां में चाय भी क्यों छोडूं, बाकी तो पता नहीं मिलेगा या नहीं, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
पता नहीं उसे क्या सूझी, उसने मेरे पैर पर अपना पैर दे मारा। वो तो शुक्र है कि मैंने जूते पहन रखे थे, वरना काफी जोर से मारा था। पर ये उसे ही भारी पड़ा। बदले में मैंने उसके कुल्हें पर चुटकी काट ली, क्या नरम कुल्हें थे, एकदम मखमल जैसे। पतली पजामी में से जब मैंने उन्हें छुआ तो मेरा पप्पू ने सलामी पेश की।

अपूर्वा अभी हमारी तरफ नहीं घूमी थी, तो उसे कुछ मालूम नहीं चल रहा था और इसीलिए कोमल मेरी पिटाई कर रही थी।
लो हो गया पूरा, अब आराम से चाय पिउंगी, अपूर्वा ने अपनी चेयर को घुमाते हुए कहा।
वॉव, इतनी जल्दी पूरा कर दिया तुमने, मेरा तो अभी भी इतना बचा है कि तीन चार दिन और लग जायेंगे, मैंने खिलखिलाती हुई अपूर्वा से कहा।
अपने सिर में हाथ रख कर देखो, अपूर्वा ने खिलखिलाते हुए मेरे बालों की तरफ इशारा किया।
मैंने तुरंत अपने सिर पर हाथ रखा तो मेरे हाथ में छोटे छोटे दाने आये। कोमल की बच्ची रूक तेरी तो, कहते हुए मैं उठने लगा।
उसने मेरे बालों में नमकीन डाल दी थी। कोमल अपूर्वा के साइड में जाकर खड़ी हो गई और मुस्कराने लगी। मैं जैसे ही उसकी तरफ बढ़ा अपूर्वा बीच में आ गई।
उधर कहां जा रहे हो जनाब, आपकी चेयर उधर है, अपूर्वा ने मेरी चेयर की तरफ इशारा करते हुए कहा।
तुझे तो मैं बाद में देखूंगा, कहते हुए मैं वापिस अपनी चेयर पर बैठ गया।
बहुत देखें हैं बाद में देखने वाले, कहते हुए उसने अपूर्वा की तरफ हाथ बढ़ा दिया और दोनों ने ताली मारी।
मैं मुस्करा दिया कि धीरे धीरे लाइन पर आ रही है, जल्दी ही अलाइनमेंट भी हो जायेगा।
हमने चाय पीनी शुरू की।
शाम को मूवी देखने चले, चाय पीते हुए मैंने अपूर्वा से पूछा।
कच्चच--- अपूर्वा ने ना में अपने मुंह से आवाज निकाली।
क्यों, कोई काम है क्या, मैंने फिर से अपूर्वा से पूछा।
बस मन नहीं है, उसने ढीला ढाला उतर दिया और चाय पीने लगी।
मेरा चेहरा लटक गया।
आपका मन हो तो आपके साथ ही चलते हैं, मैंने कोमल की तरफ देखते हुए कहा।
मैं, उंहहह,,, वो भी तुम्हारे साथ, नाह,,,, मुझे देखनी होगी तो मैं खुद ही देख आउंगी, कोमल ने लगभग मेरा मजाक उड़ाते हुए कहा।
मत जाओ, मैं अकेला चला जाउंगा, मैंने मुंह बनाते हुए कहा और अपनी चाय खत्म करके काम करने लगा।
पांच बजे मैंने अपना सिस्टम बंद किया और अपूर्वा की तरफ मुड़ा तो उसका सिस्टम बंद था और वो मोनीटर के सामने टेबल पर सिर रखकर सो रही थी।
नींद पूरी हो गई हो तो चलते हैं जी, चलने का टाइम हो गया, मैंने अपूर्वा से कहा।
बज गए पांच, उसने अपना चेहरा उठाते हुए कहा।
वो अपनी चेयर पर से उठी और बाहर की तरफ चल दी। मैं भी बाहर आ गया।
आज पूरे दिन में मैंने नोटिस किया कि अपूर्वा मुझसे पहले की तरफ बिहेव नहीं कर रही थी, पर मैंने ज्यादा धयान नहीं दिया।
हम बॉस को गुड इवनिंग बोलकर अपने अपने घर के लिए चल पड़ें।
घर आकर मैंने बाइक खड़ी की, सोनल की स्कूटी वहीं पर खड़ी थी, मतलब वो आज भी कॉलेज नहीं गई थी या फिर जल्दी आ गई थी।
मैं सीधा उपर आ गया। जैसे ही मैं छत पर पहुंचा तो सोनल और पूनम मुंडेर के पास खड़ी थी।

मैं सीधा उपर आ गया। जैसे ही मैं छत पर पहुंचा तो सोनल और पूनम मुंडेर के पास खड़ी थी।

आवाज सुनकर वो मेरी तरफ मुड़ी और मुझे देखते ही सोनल ने अपनी नाक सिकोड़ी और वापिस गली में देखने लगी।
गुड इवनिंग, पूनम ने मुझे देखकर कहा।
मैंने अपने रूम का लॉक खोला और फिर से सीढ़ियों के पास आकर खडा हो गया।
मैंने आंखों के इशारे से उसे जाने के लिए कहा तो वो मेरी तरफ सवालियों निगाहों से देखने लगी।
मैंने थोड़ा रिक्वैस्ट करने वाला चेहरा बनाकर हाथ जोड़कर उसे जाने के लिए कहा तो उसने आंख मारी दी।
ओह तेरे की, मर गई आज तो, पूनम ने अचानक ही कहा।
क्या हुआ, सोनल ने थोड़े आश्चर्य से पूछा।
मम्मी ने काम बताया था और मैं भूल ही गई, जाते हुए पूनम ने कहा।
मैं अभी भी सीढ़ियों के पास ही खड़ा था।
पूनम के जाते ही सोनल भी नीचे जाने के लिए बढ़ी। मैं थोड़ा सरकर सीढ़ियों के रस्ते के बीच में आ गया।
हटो, मुझे नीचे जाना है, सोनल ने मेरे सामने आकर खड़े होते हुए कहा।
पर मैं मुस्कराता हुआ खड़ा रहा। जब उसने देखा कि मैं नहीं हट रहा हूं तो उसने फिर से कहा।
क्या बेवकूफी है ये, हटो, मुझे नीचे जाने दो, उसने फिर से कहा।
पर मैं ऐसे ही खड़ा रहा। जब उसने देखा कि मैं नहीं हटूंगा, तो उसने वो मुझे एक तरफ धकाते हुए निकलने का प्रयास करने लगी।
पर मैंने उसे पकड़ा मेरा एक हाथ सीधा उसके कुल्हों पर और दूसरा उसकी गर्दन के नीचे और उसे गोद में उठा लिया।
छोउ़ो, क्या कर रहे हो, छोड़ो मुझे, क्या बदतमीजी है ये, सोनल ने दबी दबी आवाज में कहा, ताकि कोई और ना सुन ले।
मैंने उसके होंठों पर एक किस करनी चाही पर उसने अपना मुंह हटा लिया और मेरे होंठ उसके गालों पर जाकर टिक गये।
मैं उसे उठाये उठाये ही रूम की तरफ चल दिया। सोनल ने अपने पैर पटकने शुरू कर दिये। और मेरी छाती और कंधों पर मुक्के मारने लगी।
छोड़ो मुझे, नहीं तो देख लियो, अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिये, छोड़ो, कहते हुए उसके मुक्के तेज हो गये।
पर आज मैं उसे छोउ़ने के मूड में नहीं था, एक तो अपूर्वा की दी हुई टिस अभी तक थी और उपर से दो दिन से इसने भी परेशान कर रखा था।
मैं रूम में आ गया और दरवाजा बंद करके अंदर की कुंडी लगाने लगा, पर उसने दरवाजे को अपनी तरफ खींच लिया, जिससे मैं कुंडी नहीं लगा पा रहा था।
मैं ऐसे ही बेड की तरफ चलने लगा, पर उसने दरवाजे के हैंडल को पकड़ लिया था, जिससे दरवाजा खुल गया और मैं आगे नहीं बढ़ पाया।
छोड़ो ना अब इस दरवाजे को, नहीं तो टूट जायेगा, मैंने उससे कहा।
तुम मुझे छोड़ो नहीं तो देख लेना, बहुत बुरा हाल करूंगी, उसने गुस्सा होते हुए कहा।
उसने दरवाजा नहीं छोड़ा तो मैं परेशान हो गया, फिर मेरे दिमाग की घंटी बजी और मैंने उसे गुदगुदी करनी शुरू कर दी। जैसे ही उसने मुझे रोकने के लिए दरवाजा छोड़ा मैंने पैर से दरवाजा बंद कर दिया और उसे बेड पर लाकर पटक दिया।
वो तुरंत उठकर भागने लगी, पर मैंने उसे पकड़ कर फिर से बेड पर पटका और उसके उपर आ गया।
छोडो मुझे, उंहहहहहहह,,,, उसने मेरी छाती में मुक्के मारते हुए मुझे पिछे धकाने की कोशिश करने लगी।
मुझे जाने दो, नहीं तो मैं चिल्लाउंगी, उसने कहा।
मैंने अपने हाथ उसके उभारों पर रख दिये और उन्हें मसलने लगा।
आउउउउचचचच, मैं सच में चिला दूंगी, नहीं तो जाने दो मुझे, उसने मुझे गुस्से से भरी धमकी दी।
मैंने अपनी शर्ट निकालनी शुरू कर दी।
वो मेरे चंगुल से निकलने के लिए मचल रही थी और मुझे धक्का दे रही थी।
मम्म्मम---------------------- उसने जोर से चिल्लाने के लिए मुंह खोला ही था कि मैंने अपना हाथ इसके मुंह पर रख दिया।
उसके मुंह से उंहहहह उंहहह उंहहहहह की आवाज निकलने लगी।
वो अपने हाथों से मेरा हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी, पर सफल नहीं हो पा रही थी।
मैंने अपनी शर्ट को ऐसे ही छोउ़ा और उसके उपर लेट गया और अपना हाथ हटाया। मेरा हाथ हटते ही उसने चिल्लाने की कोशिश की पर मैंने तुरंत अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये, उसकी आवाज मेरे मुंह में गुम हो गई।
मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उपर की तरफ बेड पर रख दिये। फिर मैंने अपने पैरों की सहायता से अपने जुते निकाले और उसके पैरों को भी अपने पैरों से दबोच लिया। और अपनी जांघों को धीरे धीरे उपर नीचे करने लगा।

मैं उसके होंठों को चूसे जा रहा था और वो बार बार अपना चेहरा इधर उधर कर ही थी।
अचानक उसने मेरे होंठों पर अपने दांत गड़ा दिये और काटने लगी। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। पर मैं पिछे नहीं हटा और दर्द सहता रहा। मेरे होंठों से खून निकलने लगा जो उसके मुंह में जाने लगा। जब उसे महसूस हुआ कि मेरे होंठों से खून निकल रहा था तो वो उसने अपने दांत हटा लिये। उसके दांत मेरे होंठों में काफी गहरे गढ़ गये थे, और अब जब उसने अपने दांत हटाये तो खून ज्यादा बहने लगा जो उसके होंठों पर गिरने लगा। उसने अपने होंठ बंद कर लिये ताकि खून उसके मुंह में ना जाये। खून उसके मुंह पर से बहने लगा। ज्यादा तो नहीं निकल रहा था, पर बार बार टपक रहा था।
पर मैंने परवाह ना की और उसके होंठों पर अपने होंठ टिका दिये। उसने अपने होंठों को भींच रखा था। मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके मुंह में ठूंसने लगा। थोड़ी मेहनत के बाद मेरी जीभ कामयाब हो गये और उसके होंठ खुल गये। मैं उसके उपर वो होंठ को अपने होंठों के भींच लिया। अब मेरा नीचे वाला होंठ उसके होंठों के बीच में था जिससे उससे निकल रहा खून सीधे उसके मुंह में जा रहा था।
उसकी आंखें बंद थी, पर मेरी खुली थी। उसके होंठ को चूसते हुए मुझे भी खून का स्वाद महसूस हो रहा था। मैं बुरी तरह से उसके उपर वाले होंठ को चूसने लगा।
उसने अपने हाथों को ढीला छोड़ दिया था, जिससे मैंने उसके हाथों को छोड़ा और अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी कमर को थोड़ा सा उपर उठाकर अपनी जींस के हुक खोलने लगा।
हाथ फ्री होते ही उसने मेरी कमर में मुक्के मारने शुरू कर दिये। पर अब उसके मुक्कों में वो बात न थी।
उसने मेरे नीचे वाले होंठ को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने हुक खोलकर जींस को जांघ से नीचे सरका दिया, साथ में अंडरवियर भी नीचे हो गया।
उसके मेरे होंठ पर जीभ फिराने से मैं थोड़ा निश्चिंत हो गया था। जिससे उसने मौके का फायदा उठाया और मुझे बेड पर नीचे लुढकाते हुए उठ कर भागने लगी।
मैंने तुरंत एक्शन लिया और बेड से नीचे उतरने से पहले ही उसे पकड़कर अपने उपर खींच लिया।
अब मैं नीचे था और वो मेरे उपर पड़ी छुटने की कोशिश कर रही थी।
छोड़ो मुझे,, मम्म्म, जैसे ही उसने फिर से चिल्लाने की कोशिश की मैंने उसके मुंह को बंद किया और उसे वापिस बेड पर नीचे गिरा दिया और उसके उपर लेटकर अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये।
दूसरे हाथ को मैं नीचे की तरफ ले गया और उसकी पजामी को नीचे सरकाने लगा। वो छटपटाने लगी और बेड पर अपने पैर पटकने लगी।
मैंने अपने पैरों से उसके पैरों को जकड़ा और उसकी पजामी को जांघों से नीचे सरका दिया, पर वो कुल्हों के नीचे दबी हुई थी, जिससे ज्यादा नीचे नहीं हो पा रही थी।
मैंने एक पलटी खाई जिससे वो मेरे उपर आ गई और उसके कुछ समझने से पहले ही उसकी पजामी को कुल्हों से नीचे किया और फिर वापिस उसे अपने नीचे कर लिया।
मेरा लिंग उसकी जांघों पर ठोकर मार रहा था, पर अभी भी उसकी योनि और मेरे लिंग के बीच में पेंटी की दीवार खड़ी थी।
मैं पेंटी के उपर से उसकी योनि पर अपना लिंग दबाने लगा जिससे उसके मुंह से आहें निकलने लगी जो सीधे मेरे मुंह में जाकर गुम हो रही थी।
अब उसका शरीर ढीला पड़ गया था और उसने छूटने का प्रयास करना बंद कर दिया था। पर फिर भी मैंने चांस नही लिया, क्या पता पहले की तरह चाल चली हो उसने इस बार भी।
मैंने उसकी टी-शर्ट को उपर उठा दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी, मेरा तो एक काम आसान ही कर दिया था उसने।

मैंने अपना हाथ उसके उभारों पर रख दिया और हौल्ले हौल्ले सहलाने लगा। अब उसके पैर मेरे पैरों की जकड़न में ही मचलने लगे और मेरे पैरों से घिसने लगे।
क्रमशः.....................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:17 PM

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