Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:16 PM,
#32
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--32
गतांक से आगे ...........
उसके साथ साथ मैं भी बाहर आ गया, और बस का इंतजार करने लगा। 2 मिनट में ही बस आ गई और मैं उसमें बैठ गया। बस में पूरी सीटिंग पूरी थी, तो मुझे खड़ा ही होना पड़ा। रस्ते में चार-पांच लडके और बैठे और आज ऐसे ही सूखा सूखा ही घर पहुंच गया।
सुबह क्या सोचा था, पर वैसा कुछ भी नहीं हुआ।
घर पहुंचा तो देखा सोनल की स्कूटी उधर ही खडी थी।
ये आज इतनी जल्दी कैसे आ गई, मैंने मन ही मन सोचा।
मैंने बोतल में से पैटरोल बाइक में डाला और उपर चल दिया। जब मैं पहली मंजिल पर पहुंचा, जिस पर सोनल और आंटी रहती हैं, तो मुझे अंदर से थोड़ी अजीब सी आवाज सुनाई दी, जैसी सैक्स के समय निकाली जाती हैं, मैंने थोड़ा धयान से सुना तो आंटी सिसकारियां ले रही थी, दरवाजा हल्का सा खुला था।
मैंने धीरे से दरवाजा खोला ताकि कोई भी आवाज न हो और सिर अंदर करके देखा कि हॉल में ही तो नहीं हैं। पर हॉल में कोई दिखाई नहीं दिया। मैं दबे पावों से अंदर आ गया। आवाज सोनल के बेडरूम में से आ रही थी। बेडरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था। मैं दीवार के साथ छुपते हुए थोड़ा सा सिर निकाल कर अंदर देखा तो आश्चर्य का ठिकाना न रहा।
वॉव, इतनी जल्दी, कल ही तो सुझाव दिया था, मैंने मन ही मन सोचा।
सामने बेड पर आंटी पूरी नंगी लेटी हुई थी, उनकी टांगे हवा में उठी हुई थी और मजे के कारण आंखें बंद थी। उनकी मोटी मोटी चूचियां तनी हुई थी और सोनल के हाथ उन्हें मसलने में लगे हुए थे। सोनल का मुंह उनकी टांगों के बीच में घुसा हुआ था।
वॉव बहुत खूब, मैंने मन ही मन कहा और दबे पांव वापिस बाहर आ गया। मेरा दिमाग चकरा सा गया था, कि एक मां बेटी में ऐसा रिश्ता भी हो सकता है। यही सोचते सोचते मैं उपर आ गया और रूम में आकर बेड पर लेट गया।
आधे घंटे बाद मैंने आंटी के पास फोन किया कि आंटी मैं आ गया हूं, डॉक्टर के चलते हैं।
ठीक है बेटा, मैं अभी तैयार हो जाती हूं, फिर चलते हैं, आंटी ने जवाब दिया।
मैंने फोन रख दिया और चलने के लिए बाहर आ गया और रूम को लॉक कर दिया। मेरी नजर पूनम वाली छत पर पड़ी तो वहां पर अंकल (पूनम के पिता जी) और उनके साथ एक लड़की कुछ सामान रख रहे थे। लड़की को मैं नहीं जानता था। मैं नीचे आ गया और दरवाजा नोक किया।
कौन है, अंदर से सोनल की आवाज आई।
मैंने दरवाजा नोक किया तो वो थोड़ा सा खुल गया और मैं उसे खोलते हुए अंदर आ गया।
मुझे देखते ही सोनल के चेहरे पर मुस्कान आ गई, परन्तु अगले ही पल उसने अपना नाक सिकोड़ा और गर्दन झटकते हुए रसोई में चली गई।
चले आंटी, मैंने सामने बैठी आंटी से कहा। आंटी के चेहरे पर एक अलग किस्म की संतुष्टि सी झलक रही थी।
चलो बेटा, आंटी ने उठते हुए कहा।
मैं आंटी को सहारा देने के लिए उनकी तरफ बढ़ा और उनका हाथ पकड़कर अपनी गर्दन के पिछे से लेकर अपने कंधे पर रख लिया।
सोनल बेटा, कुछ मदद करना, नीचे उतरने में, आंटी ने सोनल को आवाज देते हुए कहा।
मेरा एक हाथ मेरे कंधे पर रखे आंटी के हाथ को पकड़े हुए था और दूसरा हाथ आंटी की कमर के पिछे से जाकर उनके दूसरे साइड से कमर को पकड़े हुए था।
सोनल ने आकर दूसरी साइड से आंटी का हाथ पकड़ लिया और हम बाहर आ गये। सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए सोनल आगे हो गई और आंटी का हाथ अपने कंधे पर रख लिया। धीरे धीरे हम नीचे उतर आये। मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और आंटी पिछे बैठ गई। मैंने सोनल की तरफ देखा, तो उसने अपना मुंह घुमा लिया और उपर चली गई।
मैं आंटी को लेकर डॉक्टर के पास आ गया।
डॉक्टर ने आंटी का चेकअप किया और कुछ दवाईयां लिख दी। वापिस आते हुए मैंने स्टोर पर से दवाईयां ली और हम घर आ गये।
मैंने बाईक अंदर खडी की और आंटी को सहारा देकर उपर ले जाने लगा।
आंटी ने सोनल की कोई आवाज दी पर या तो उसने सुनी नहीं या फिर वो जानबूझ कर नहीं आई।
जैसे तैसे मैं सहारा देकर आंटी को उपर ले आया। आंटी को मैंने सोफे पर बैठा दिया और उपर अपने रूम में आ गया।
उपर आकर मैंने देखा कि पूनम के पापा अभी भी छत पर ही हैं। मैं उनकी तरफ चला गया।
नमस्ते अंकल जी, मैंने मुंडेर के पास खड़े होकर कहा।

मेरी आवाज सुनकर अंकल ने मेरी तरफ देखा, नमस्ते बेटा, कैसे हो, अंकल ने कहा।
ठीक हूं अंकल, आप सुनाओ, इतनी धूप में छत पर क्या कर रहे हो, मैंने कहा।
तभी वो लडकी हाथ में कुछ टूटा-फूटा सामान लिए उपर आई, मैंने उसकी तरफ देखा, काफी सुंदर थी, पर उसकी तरफ ज्यादा धयान नहीं दिया, क्योंकि अंकल मेरी तरफ ही देख रहे थे।
कुछ नहीं बेटा, ये कुछ टूटा-फूटा सामान इक्कठा हो गया था, नीचे तो सोचा इसे उपर रख देते हैं, नीचे जगह घेर रहा था, अंकल ने कहा।
मैंने फिर से एक नजर उस लड़की की तरफ डाली, वो मेरी तरफ ही देख रही थी। मैं कुछ देर और वहां खड़ा रहा, अंकल अपने काम में लग गये थे और वो लड=की सामान रखकर वापिस नीचे चली गई थी। जब धूप ज्यादा लगने लगी तो मैं रूम में आ गया। मैंने टाइम देखा तो तीन बज चुके थे।
मैं बाथरूम में घुस गया और फ्रेश होकर व्हाईट शर्ट और ब्लू डेनिम पहन ली और फ्रीज में कुछ खाने के लिए देखने लगा।
वॉव, रसगुल्ले अभी रखे ही हैं, सामने फ्रीज में रसगुल्लों का डिब्बा रखा देखकर मैंने खुद से कहा।
मैंने रसगुल्लों का डिब्बा बाहर निकाला और उसमें से चार-पांच रसगुल्ले एक कटोरी में रखे और डिब्बा वापिस रख दिया, अभी उसमे पांच-छः रसगुल्ले और रखे थे।
मैं बेड पर आकर बैठ गया और रसगुल्ले खाने लगा।
मेरे फोन की मैसेज टोन बजी तो मैंने उठाकर मैसेज ओपन किया, सोनल का मैसेज था।
हमारे बीच में अब तक जो भी हुआ, उसे एक बढ़िया सपना समझकर भूल जाना।
मेरी कुछ समझ में नहीं क्या, ये कहना क्या चाहती है तो मैंने उसे कॉल किया पर उसने कॉल नहीं उठाया।
कुछ देर बाद उसका एक मैसेज और आया, ‘मुझे ऐसे लडके बिल्कुल पसंद नहीं हैं, जैसा आज सुबह तुमने किया था’, इसलिए मैं नहीं चाहती कि अब हमारे बीच कुछ भी रहे, और हां, मुझे कॉल करने की भी जरूरत नहीं है’।
मैंने मैसेज पढा ही था कि एक और मैसेज आ गया ‘अगर कुछ पूछना चाहते हो तो मैसेज से पूछ सकते हो, पर कॉल करने की या मुझसे बात करने की कोशिश मत करना’,।
मैंने मैसेज पढ़ा और फोन को बेड पर फेंक दिया और रसगुल्ले खाने लगा।
उसके मैसेज पढ़कर मेरा दिमाग खराब हो गया था, इसलिए जल्दी जल्दी सारे रसगुल्ले खा लिये और फ्रीज में से बाकी बचे रसगुल्ले भी निकाले और उन्हें भी खा गया।
तभी मेरा फोन बजने लगा। मैंने उठाकर देखा तो अपूर्वा की कॉल थी। मैंने कॉल रिसीव की।
हाय बेबी, निकल ली क्या घर से, मैंने फोन उठाते ही कहा।
आपके दर पर पहुंच भी गई हूं, जरा बाहर निकल कर देखो, अपूर्वा ने कहा।
मैं तुंरत बाहर आया, पर बाहर कोई नहीं था, मैं मुंडेर के पास गया और नीचे गली में देखा तो अपूर्वा दरवाजे के सामने स्कूटी पर बैठी थी। वो उपर की तरफ ही देख रही थी। उसने मुझे हाथ हिलाकर हाय कहा, तो मैंने भी उसका जवाब दिया।
दो सैकिण्ड अभी आ रहा हूं, मैंने रूम को लॉक लगाते हुए कहा।
मैंने फोन कट किया और नीचे आ गया। अपनी बाइक स्टार्ट की और बाहर आ गया।
समवन इज लुकिंग वेरी हैंडसम, अपूर्वा ने अपने हाथ से ओ बनाते हुए कहा।
समवन इज लुकिंग सो ब्यूटीफुल, मैं बाइक उसकी स्कूटी के साइड में ले आया था, उसके गालों को भिंचते हुए मैंने कहा।
आई------ दर्द होता है, अपूर्वा ने अपना गाल मसलते हुए कहा।
ओ-के- अब चलो, कहते हुए मैंने अपनी बाइक स्टार्ट की और हम चल पड़े। सुबह वाली घटना के कारण मैंने हेलमेट ले लिया था, अपूर्वा टोपी वाला हेलमेट पहने हुए थी।

धीरे धीरे डराइव करते हुए हम दस मिनट में ई-पी-(एंटरटेनमेन्ट पैराडाइज) पहुंच गये। हमने स्कूटी और बाइक पार्क की और टिकट काउण्टर पर आ गये। मूवी लिस्ट देखकर अपूर्वा ने ‘जो उूबा सो पार’ मूवी सलेक्ट की। टिकट की लाइन लम्बी थी और भीड़ भी ज्यादा थी, इसलिए मैंने अपूर्वा को वहीं खडे होने को कहा और मैं टिकट लेने के लिए लाइन में लग गया। टिकट लेने में ही आधा घण्टा लग गया।
मैं टिकट लेकर आया तो अपूर्वा के पास तीन लडकियां खड़ी हुई थी, उनकी पीठ मेरी तरफ थी तो मैं उनका चेहरा तो नहीं देख पा रहा था, पर अपूर्वा उनसे हंस हंसकर बात कर रही थी।
बड़ी मुश्किल से मिली हैं, मैंने उनके पास आकर कहा।
मेरी आवाज सुनकर उन तीनों ने मेरी तरफ देखा, तो खुशी और आश्चर्य के मिले जुले भाव मेरे चेहरे पर आ गये, और साथ ही नवरीत के चेहरे पर भी।
हाय, आप यहां, मेरा मतलब आप भी मूवी देखने आई हैं, मैंने थोड़ा हड़बड़ाते हुए कहा।
नहीं जी मैं तो बस उंट की सवारी करने आई थी, नवरीत ने फन पार्क में खड़े उंट की तरफ इशारा करते हुए कहा।
तभी बीच में अपूर्वा बोल पड़ी, वॉव, आप दोनों एक दूसरे को जानते हैं, और मैं खामखां परिचय करवाने की तैयारी किए बैठी थी।
मैंने बाकी की दो लड़कियों की तरफ इशारा किया, तो नवरीत ने उनका परिचय करवाया।
ये मेरी फ्रेंड्स हैं, मेरे पड़ोस में ही रहती हैं, ये रिया और ये सुमन।
हाय, मैंने दोनों की तरफ एक एक हाथ बढ़ा दिया।
मुझे दोनों हाथ बढ़े देखकर सभी हंसने लगी और उन दोनों ने हाथ मिलाया।
और ये हैं मिस्टर समीर, मैं बस इतना ही जानती हूं, ज्यादा परिचय करना हो तो आप खुद ही कर लेना, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
आप दोनों एक दूसरे को कैसे जानते हो, पहले मुझे ये बताओ, मैंने अपूर्वा और नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।
हम दोनों तो बहनें हैं, नवरीत अपूर्वा के बगल में जाकर खड़ी हो गई उसकी कमर में अपना हाथ डाल दिया।
दरअसल वो पहले हम गुरदासपुर में रहते थे, पंजाब में, रीत के पापा और मेरे पास बहुत ही अच्छे दोस्त हैं, अपूर्वा ने नवरीत को अपनी तरफ भींचते हुए कहा।
और जब अंकल की टरांसफर जयपुर हुई तो पापा भी जयपुर आ गये, नवरीत ने आगे बताया।
ओह तो बहुत ही गहरी दोस्ती है, दोनों अंकलों में, मैंने कनक्लूजन निकालते हुए कहा।
गहरी, सगे भाईयों से बढ़कर प्यार है दोनों में, और इतना ही हमारी दोनों मम्मीयों में, नवरीत ने कहा।
जब अंकल का टरांसफर हो गया और उन्होंने ये बात पापा को बताई तो पापा ने तभी कह दिया कि अकेले अकेले थोड़े ही जाने दूंगा, जहां तुम वहां हम, नवरीत ने अपनी फैमिली की दोस्ती की गहराई को और बयान किया।
वॉव, आजकल ऐसी दोस्ती कहां देखने को मिलती है, मैंने कहा।
मिलती क्यों नहीं, हमारे पापाओं की देख लो, नवरीत ने हंसते हुए कहा।
मेरा मतलब उन जैसी और नहीं देखने को मिलती, मैंने कहा।
हे हे----- उन जैसी तो कहीं मिल भी नहीं सकती आपको, नवरीत ने फिर से कहा।
आप रीत दी से पार नहीं पा सकते, बातों में कभी भी नहीं जीतने देती किसी को, अपूर्वा ने मुस्कराते हुए कहा।
जी आप कुछ अपने बारे में भी बताइये, मैंने रिया और सुमन की तरफ मुखातिब होते हुए कहा।

चलो, चलो, शो का टाइम हो गया, नवरीत ने बीच में ही बात काटते हुए कहा।
आपने कौन-सी मूवी की टिकट ली हैं, मैंने नवरीत से पूछा।
जिसकी आपने ली हैं, नवरीत ने टिकटें दिखाते हुए कहा।
हम अंदर आ गये।
मैं कुछ स्नैक्स ले आती हूं, भूख भी लगी हुई है, नवरीत ने स्नैक्स की स्टॉल की तरफ बढ़ते हुए कहा।
मैं भी उसके साथ चल पड़ा, अब स्नैक्स तो मुझे भी खाने थे ना। नवरीत ने पांच सॉफ्रटड्रिंक और तीन समोसे और तीन पॉपकॉर्न लिए।
मैंने पेयमेन्ट की और हम आ गये। समोसे और पॉपकॉर्न उसने रिया और सुमन को पकड़ा दिये। तब तक एंट्री स्टार्ट हो गई थी। अंदर आकर हमने अपनी सीटें ढूंढी। रिया और सुमन सबसे अंदर वाली सीट पर जाकर बैठ गई। उनके दूसरी साइड में एक लड़का और उससे आगे दो लड़कियां बैठी थी। हमारी रो सबसे उपर से दूसरी थी। अभी सबसे उपर वाली रो पूरी खाली पड़ी थी। हमारी रो में हमारी सीटें लगभग बीच में ही थी। हमारी और नवरीत की रो तो एक ही थी पर सीटें थोड़े गैप पर थी। बीच में चार सीटों पर एक अंकल, आंटी और दो बच्चे थे, शायद पूरी फैमिली ही होगी। अपूर्वा अपनी सीट पर बैठ गई। नवरीत भी अपनी सीट के पास पहुंच गई थी। नवरीत के कुछ देर इधर उधर देखा।
अंकल जी, अगर आप बच्चों को उधर वाली सीट पर बैठा लेते तो, वो उधर आपके साथ वाली दोनों सीटें हमारी हैं, हम पांच हैं, तो एक साथ बैठ जाते, अगर आप बच्चों को उधर वाली सीट पर बैठा लेते तो, नवरीत ने अंकल से कहा।
ऐसे कैसे बैठा लें, टिकट हमने खरीदी हैं इन सीटों की, बीच में ही आंटी बोल पड़ी।
गयी भैंस पानी में, बड़बड़ाते हुए मैं भी अपनी सीट पर बैठ गया और नवरीत को भी बैठने का इशारा किया।
बेटा, आप लोग इधर आ जाओ, अंकल वाली सीट पर, अंकल उधर बैठ जायेंगे, अंकल ने अपने बच्चों से मेरी तरफ इशारा करते हुए कहा।
अपूर्वा खुश हो गई और तुंरत उठकर रिया के साथ वाली सीट पर बैठ गई। सुमन सबसे बाद वाली सीट पर बैठी थी। उसके बाद बैठे लड़के ने सीट बदल ली थी और अब उसके बाद वाली सीट पर लड़की बैठी थी और वो लड़का लड़के के बाद बैठा था।
क्रमशः..................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:16 PM

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