RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--30
गतांक से आगे ...........
उठते हुए उसने अपना एक हाथ मेरी जांघों पर रख दिया और दूसरा हाथ मेरे कंधे पर रखकर सहारा लेकर उठी तो उसके बूब्स मेरे कंधे पर दब गये, एकदम नर्म नर्म बूब्स थे।
उसके खड़े होने के बाद मैं भी उठ गया, वो वायें कहते हुए चली गई। उसके जाने के बाद मैं कुछ देर पार्क में टहला और फिर वापिस रूम पर आ गया।
मैंने नाश्ता बनाया और ऑफिस के लिए तैयार हो गया, अभी आठ ही बजे थे तो मैंने सोचा चलो कुछ देर आंटी के पास चलते हैं। ये सोचकर मैं नीचे आ गया।
दरवाजा खुला था, मैं अंदर आ गया, आंटी किचन में थी,
गुड मॉर्निंग आंटी, मैंने आंटी से कहा।
गुड मॉर्निंग बेटा, आंटी ने कहा।
अब दर्द कैसा है, मैं दोपहर को आ जाउंगा, फिर डॉक्टर के पास चलेंगे, मैंने कहा।
अभी तो आराम है बेटा, पर डॉक्टर को तो दिखाना ही पडेगा, आंटी ने रोटी सेकते हुए कहा।
गुड मॉर्निंग, मेरे पिछे से आवाज आई। मैंने पिछे पलटकर देखा तो मैं देखता ही रह गया।
कितनी ही बार मैं इसे पूरी तरह नंगी देख चुका था, और भोग चुका था, पर आज जब वो नहाकर बाथरूम से बाहर आई तो उसने शरीर पर बस एक तौलिया लपेटा हुआ था, जो उपर से उसके आधे उभारों के दर्शन करा रहा था और नीचे से बस उसकी योनि को ही ढांप रहा था, बाकि उससे नीचे उसकी मांसल जांघें जिनपर पानी की हल्की हल्की बूंदे चमक रही थी, साफ दिखाई दे रही थी। मेरी नजर तो बस हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।
गुड मॉर्निंग, मैंने उसे हाथ से ओ बनाते हुए मस्त लगने का इशारा किया और उसके गुड मॉर्निंग का जवाब दे दिया।
सोनल अपने रूम में चली गई और मैं आंटी से बातें करने लगा। कुछ देर बाद सोनल कपड़े पहनकर बाहर आई।
उसने व्हाइट कलर की स्लीवलैस कुर्ती पहनी हुई थी जो थोड़ी थोड़ी चमक भी रही थी, कुर्ती उसके उभारों पर इस तरह से थी जैसे दो कपड़ों को तिरछे करके एक दूसरे के उपर रख दिया जाता है, और उनके बीच में जो गेप बन जाता है, उसमें से उसकी कातिल क्लीवेज दिखाई दे रही थी। नीचे कुर्ती उसके कुल्हों से बस थोड़ी सी नीचे थी, जो कि उसके कुल्हों पर कसी हुई थी और शेप को उजागर कर रही थी। कुर्ती पर बूब्स के पास तिरछी किनारों पर ब्लैक कलर की डिजाइन और सेम वही डिजाइन नीचे की किनारियों पर भी था। नीचे उसने ब्लैक कलर की सलवार पहनी हुई थी।
मेरा तो लिंग एकदम उछाल मारकर जींस को फाड़ने को हो गया, बहुत ही होट लग रही थी, पता नहीं कॉलेज के लड़कों का क्या हाल होगा आज तो, मैंने मन ही मन सोचा।
मेरी नजर उसपर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी, सोनल चलते हुए मेरे पास आई और मेरे गालों पर उंगली फिराती हुई रसोई में चली गई।
उसकी इस कातिल अदा ने तो मेरा कल्त ही कर दिया बस। और वोही बात जो सभी लड़कियों में पाई जाती है, जैसे ही वो मेरे पास से गुजरी उसके बदन से उठती महक मेरी नथूनों में भर गई।
जैसे ही वो अंदर जाने लगी मैंने उसके कुल्हों पर एक थप्पड मार दिया। उसने कातिल अदा से पिछे चेहरा घुमाकर मेरी तरफ घूरते हुए देखा और फिर सीधे किचन में घुस गई।
ओ-के आंटी अब मैं चलता हूं, कहकर मैं बाहर की तरफ आने लगा।
तभी मुझे धयान आया की बाइक में पटरोल तो है ही नहीं।
सोनल स्कूटी की चाबी देना, बाइक में तेल ही नहीं है, मैंने वापिस मुड़ते हुए कहा।
मैं रसोई के दरवाजे तक पहुंच गया था, तब सोनल रसोई से बाहर आ रही थी, जैसे ही वो बाहर निकली मैंने उसके कुल्हों पर चुटकी काट ली।
आह----- सोनल के मुंह से निकला।
क्या हुआ बेटी, अंदर से आंटी की आवाज आई।
कुछ नहीं मम्मी, कहते हुए सोनल ने मुझे एक मुक्का मारा और अपने रूम की तरफ चल दी। उसने चाबी लाकर मुझे दी और मेरे कान में कहा, दो मिनट रूकना, मैं भी आ रही हूं।
चाबी लेकर मैं नीचे आ गया और एक प्लास्टिक वाली दो लीटर की बोतल लेकर पैटरोल लेने के लिए चल पड़ा। पम्प पर कुछ भीड़ थी, इसलिए बीस मिनट लग गए वापिस आने में। जब मैंने स्कूटी अंदर खडी की तो सोनल नीचे ही आ रही थी।
कहां गये थे, सोनल ने नीचे आते ही मुझसे पूछा।
मैंने पैटरोल की बोतल उसके चेहरे के सामने कर दी। सोनल थोड़ी सी पिछे हो गई।
आज मेरे साथ चलो ना, अब कहा पैटरोल के हाथ करोगे, इसको रख दो, शाम को आकर डाल लेना।
अच्छा, अभी तो तुम्हारे साथ चल पडूंगा, पर शाम को फिर बस से आना पडेगा। फिर मैंने कुछ सोचा।
चलो ठीक है, मैंने सोचते हुए कहा।
मेरी हां सुनकर सोनल ने मेरे गले में बाहें डाली और मेरे होंठों पर एक किस्सससी ले ली।
ठीक है, ठीक है, अब इतना प्यार दिखाने की जरूरत नहीं है, चलो अब। मैंने पैटरोल की बोतल को वहीं पर रखा और पिछे वाली सीट पर बैठ गया।
आप चलाओ ना, सोनल ने मुंह बनाते हुए कहा।
नहीं, तुम चलाओ, मैं पिछे बैठकर मजा लूंगा।
सोनल अनमने मन से आगे बैठ गई और स्कूटी स्टार्ट की और बाहर आ गये। मेरे नजर सामने वाले मकान पर पड़ी तो वहां पर टू-लेट का बोर्ड लगा हुआ था, शायद अभी अभी लगाया था।
मैंने सोनल से पूछा, ये सामने वाले घर में टू-लेट लगा है। पहले इन्होंने किराये पर दे रखा था क्या।
सोनल: नहीं, पहले ये खुद ही इस्तेमाल करते थे, उपर वाले पोर्शन के लिए टू-लेट लगाया है।
वो मकान हमारे मकान के सामने था, बीच में गली थी। उसमें एक अंकल-आंटी रहते हैं, बाकी बच्चों को तो मैंने एक दो बार ही देखा है उस घर में। शायद दो लड़कियां हैं उनकी और दो लड़के। चारों बाहर ही रहते हैं। कभी कभार ही आते होंगे।
सोनल ने स्कूटी को मंजिल की तरफ बढ़ा दिया। मैं आराम से पिछे बैठा था। सोनल बार बार पिछे की तरफ होकर मेरी छाती में अपनी कमर मार रही थी।
क्या है, आराम से नहीं बैठ सकती, मैंने सोनल से कहा।
पर वो कहां मानने वाली थी, बार बार वैसे ही मेरी छाती में कमर से वार करती रही।
हम मेन रोड पर आ गये थे। अब कोई टेंशन नहीं थी। मैंने अपने हाथ उसके पेट पर कस दिये और आगे होकर उसकी कमर से अपनी छाती चिपका दी और उसके कंधे पर ठोडी रखकर आराम से बैठ गया। फिर मैंने अपने गाल को उसके कंधे पर रख दिया और उसकी गर्दन पर अपने होंठ फिराने लगा। उसे गुदगुदी हो रही थी शायद, वो बार बार अपनी गर्दन को हटाने की कोशिश कर रही थी।
मैंने अपने हाथ की उंगलियों को थोड़ा सा उपर की तरफ किया जो सीधी उसके उभारों से जा टकराई। उसकी उस कुर्ती में ऐसा लग रहा था कि मैं सीधे उसके नंगे उभार से हाथ टच कर रहा हूं। मैंने अपने हाथों से थोड़ा सा टटोला तो मुझे लगा कि उसने नीचे ब्रा वगैरह कुछ नहीं पहनी है। मैंने ब्रा की स्टरेप को ढूंढने की कोशिश की पर नहीं मिली, फिर मैंने हाथों को नीचे किया और उसकी कुर्ती को उपर उठाकर देखा तो समीज भी नहीं था।
पर मुझे यकीन नहीं हो रहा था। मैं उसके कान में फुसफुसाया, तुमने ब्रा नहीं पहनी। उसने शर्माते हुए नहीं में गर्दन हिला दी।
समीज भी नहीं पहना, मैंने फिर से उसके कान में कहा।
नहीं, उसने थोड़ा सा शर्माते हुए कहा।
मैंने अपने हाथ सीधे उसके उभारों पर रख कर दबा दिये, उसके मुंह से हलकी सिसकारी निकली, और साथ ही निकला, हटाओ कोई देख लेगा।
मैंने थोड़ा सा उसके उभारों को दबाकर वापिस अपने हाथ उसके पेट पर रख दिये। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने ब्रा नहीं पहनी है, क्योंकि उसके उभार एकदम शेप में थे।
हम्मम,, लगता है हमेशा ही गीली रहती है तो तुम जो बगैर ब्रा के भी तुम्हारी चूचियां सीधी तनी हुई हैं।
ऐसी ही हैं मेरी चूचियां, औरों की तरह नहीं हैं लटकी हुई, मैं गरम नहीं होती तब भी ये नहीं लटकती। हमेशा तनी हुई रहती हैं।
मैंने उसे जोर से बाहों में भीच लिया।
ओह शिटटटटअअअअअअअअ मर गये, सोनल ने ब्रेक लगाते हुए कहा।
क्या हुआ, मैंने पूछा।
सामने देखों, मामू खडे हैं, उसने कहा। तब तक एक पुलिस वाला हमारी तरफ ही भागता हुआ, सीटी बजाता हुआ आ रहा था।
दरअसल वो मोड मुड़ते ही थोडी सी दूरी पर खड़े थे, जिससे दूर से दिखे नहीं, पर अब कुछ नहीं हो सकता था। दोनों में से किसी ने भी हेलमेट नहीं पहना था।
चलो साइड में लगाओ, पुलिस वाले ने आते ही चाबी निकाल ली और साइड में इशारा करते हुए कहा।
मैं नीचे उतर गया और सोनल ने स्कूटी साइड में खडी कर दी।
हेलमेट क्यों नहीं है, चलो लाइसेंस दिखाओ, पुलिस वाले ने कहा।
सोनल का चेहरा तो एकदम देखने लायक हो गया था। घबराओ मत, मैंने सोनल से कहा।
मैंने अपना लाइसेंस निकाल के दिखाया, पुलिस वो का धयान पूरी तरह से हमारी तरफ नहीं था। वो बार बार इधर उधर देख रहा था।
कागज दिखाओ, लाइसेंस देखते हुए पुलिस वाले ने कहा।
जी वो चाबी, वो कागज लॉक में रखे हैं, सोनल ने पुलिस वाले से कहा।
हेलमेट क्यों नहीं लगाया, चालान कटेगा, पुलिस वाले ने कहा।
तो सर मना कौन कर रहा है, काट दो, मैंने बीच में ही कहा।
पुलिस वाला मुझे घूरकर देखने लगा। स्कूटी ये चला रही थी, ना तुम अपना लाइसेंस दिखाओ।
सोनल ने स्कूटी पर से अपना बैग उठाया और चैन खोलकर लाइसेंस ढूंढने लगी।
जी ये लीजिए, लाइसेंस निकाल कर सोनल ने पुलिस वाले से कहा।
हम्मममम----- चलो ठीक है, आगे से हेलमेल पहनकर चलना, चलो अब 50 रूपये निकालो और चलते बनो।
उसने सोनल का लाइसेंस वापिस कर दिया।
आप चालान काटिये, मैंने उससे कहा।
चालान पांच सौ का कटेगा, 50 में काम चल रहा है, चलो जल्दी दो।
सोनल बैग में से पर्स निकाला, और पैसे निकालने लगी।
क्या कर रही हो, पागल हो क्या, सोनल से कहा।
आप चालान काटिए कोई दिक्कत नहीं, आप पांच सौ क्या, हजार का काटिए, मैंने पुलिस वाले से कहा।
दे दो ना पैसे, अब कहां चालान भरते फिरेंगे, सोनल ने मुझसे कहा।
आप चालान काटिए, मैंने फिर से कहा।
वो मुझे घूरते हुए देखने लगा और फिर अपने दूसरे साथी को आवाज लगाकर हमारी तरफ इशारा किया।
जाओ, उधर जाकर कटवाओ, उसने नाराज होते हुए कहा।
मैंने आगे खडी पुलिस की गाड़ी के पास जाकर चालान कटवाया। अपना लाइसेंस लिया और चल पडे।
सोनल थोड़ी नाराज सी लग रही थी। उसने पूरे रास्ते बात नहीं की। ऑफिस पहुंचकर उसने मुझे उतारा और बगैर कुछ बोले ही चली गई। मैं अंदर आ गया, अपूर्वा की स्कूटी खडी थी, मैंने टाइम देखा तो मैं पंद्रह मिनट लेट हो गया था। जैसे ही मैं अंदर घुसा सामने से बोस बाहर आये।
गुड मॉर्निग सर, मैंने सर को कहा।
गुड मॉनिंग, लेट कैसे हो गये, सर ने कहा।
सर वो बाइक में पेैटरोल खत्म हो गया था, तो उस चक्कर में लेट हो गया।
आज हम बाहर जा रहे हैं, घूमने फिरने, तो तुम चाहो तो छुट्टी कर लो, बॉस ने कहा।
ठीक है सर, एक काम भी है, तो मैं बारह बजे निकल जाउंगा, मैंने कहा।
मैं ऑफिस में आ गया।
वॉव, लगता है आज तो किसी का कत्ल करने का इरादा है, मैंने ऑफिस में घुसते ही कहा।
गुलाबी तंग कुर्ती, बहुत ही महीन सी थी, ब्रा की स्ट्रैप साफ झलक रही थी, नीचे महीन व्हाइट पजामी, जिसमें से पेंटी लाइन साफ दिखाई दे रही थी, कुल्हों की शेप को इस तरह उजागर कर रही थी, मानों कुछ पहना ही ना हो, कुर्ती कुछ उपर उठ गई थी, जिस वजह से पजामी के थोड़ी उपर तक कमर दिख रही थी।
क्रमशः.....................
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