Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:15 PM,
#29
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--29
गतांक से आगे ...........
अचानक उसने एकदम से मेरे पूरे लिंग को मुंह में ले लिया और अपनी जीभ को उस पर लपेट दिया। मैं उसके मुंह की गर्मी को बर्दाश्त न कर सका और मेरे लिंग ने पिचकारियां मारनी शुरू कर दी। मेरा लिंग उसके गले में अटका हुआ था, मेरे हाथ उसके सिर पर कस गये थे और लिंग को ओर अंदर घुसाने की कोशिश में उसके सिर को जांघों की तरफ दबा रहे थे। सोनल अपने सिर को पिछे हटाने के लिए जोर लगा रही थी, पर मैं तो ओर ही दुनिया में पहुंचा हुआ था, मेरी जांघें आगे की ओर जोर लगाकर लिंग को ओर ज्यादा उसके मुंह में धकेलने की कोशिश कर रही थी। मेरा रस सीधा उसके गले में गिर रहा था। मजे के मारे मेरी आंखें बंद थी।
सोनल ने अपने हाथों को मेरे पेट पर रखा और मुझे पिछे धक्का देने लगी। मेरा रस भी निकल गया था जिस कारण मेरे हाथों की पकड़ ढीली हो गई थी। सोनल ने मेरे लिंग को मुंह से निकाला और खांसने लगी। मेरा रस उसके मुंह से निकल कर बह रहा था और वो अपने गले पर हाथ रखकर खांसे जा रही थी।
उसकी ऐसी हालत देखकर मैं उसके गले को सहलाने लगा। थोड़ी देर में उसकी सांसे नोर्मल हुई तो उसने मेरी छाती में दनादन घुस्से मारने शुरू कर दिए और रोने लगी।
मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके गालों को सहलाने लगी। उसके गालों पर से लुढ़कते आसुंओं को मैंने अपने लबों से चूसना शुरू कर दिया। सोनल ने अपना चेहरा मेरी छाती से चिपका दिया और एक हाथ मेरी कमर में डाल दिया और दूसरे हाथ से अभी भी मेरी छाती में मुक्के मारे जा रही थी।

मुझे अब आपसे कभी बात नहीं करनी, उसने रोते रोते कहा।
मैं उसकी हालत को समझ सकता था, इसलिए मैंने उसे कुछ कहा नहीं, बस कभी उसके गालों को तो कभी गले को, कभी कमर को सहलाता रहा।
जब वो थोड़ा नोर्मल हुई तो मैंने उसे शॉवर के नीचे ले आया और उसके छाती और ठोडी पर गिरा अपना रस साफ करने लगा।
सॉरी, मुझे माफ कर देना, प्लीज, मेरा खुद पर कंट्रोल नहीं रहा, प्लीज, मैंने उसके कान के पास अपने होंठ करके कहा।
तुम्हें तो मजा आ रहा था, पर मेरी तो जान निकलने वाली थी, ऐसा लग रहा था कि आज मैं नहीं बचूंगी, सोनल ने कहते हुए फिर मेरी छाती में एक मुक्का मार दिया।
नहाने के बाद मैंने शॉवर बंद किया और खुद को टॉवल से साफ किया और उसके शरीर पर टॉवल लपेट कर अपनी बांहों में उठा लिया और कमरे में आकर बेड पर लेटा दिया।
बेड पर लेटते ही सोनल ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर दिया।
क्या हुआ बेबी, नाराज हो, प्लीज आज के बाद कभी नहीं होगा, अब तो मान जाओ, मैं कान पकउ़ता हूं, मैंने उसके यों मुंह फेरने पर सॉरी बोलते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर सोनल मेरी तरफ पलटी, ‘पहले उठक बैठक लगाओ,।
मैंने छोटी छोटी दो तीन उठक बैठक लगा दी।
ऐसे नहीं, पूरी उठक बैठक लगाओ, और जब तक मैं ना कहूं, लगाते रहो, उसके चेहरे पर मुस्कान तैर रही थी।
मैंने फिर से सही तरह से उठक बैठक लगानी शुरू कर दी। दस-बारह उठक बैठक के बाद ही मेरे पैर कांपने लगे। मैंने याचक की तरह उसकी तरफ देखा तो, उसे भी दया आ गई और वो उठी और मुझे बाहों में भर लिया।
वो बेड पर थी और मैं बेड के किनारे खड़ा था। जब वो उठी तो टॉवल नीचे गिर गया था, जिस कारण उसके नंगे उभार मेरी नंगी छाती में दब गये थे। मुझे बांहों में भरे हुए ही वो बेड पर लुढक गई, और मैं उसके पर लुढक गया।
उसने मेरे लबों को अपने लबों से दबोच लिया और प्यारी प्यारी किस्स्सी करने लगी।
टनननननन टननन, तभी पांच बजे का अलार्म बजना शुरू हो गया। मैंने हाथ मारकर अलार्म बंद किया और वापिस सोनल को किस करने लगा। थोड़ी देर किस करने के बाद सोनल ने धक्का देकर मुझे साइड में लुढ़का दिया और खुद उठ गई।
मम्मी उठने वाली होगी, अब मैं चलती हूं, बेड पर से उतरते हुए सोनल ने कहा।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, प्लीज एक बार और करते हैं ना, मैंने कहा।
नहीं, अब बिल्कुल भी नहीं, मम्मी उठ गई तो प्रॉब्लम हो जायेगी, सोनल ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा।
और अपना हाथ छुड़ाकर कपड़े पहनने लगी। मैंने भी ज्यादा नहीं कहा।
सोनल कपड़े पहनकर बेड पर झुकी और पहले मेरे होंठों पर एक किस की और जैसे ही उठने लगी तो उसकी नजर मेरे झटके खाते हुए लिंग पर पड़ी तो उसने मुस्करा कर एक किस मेरे लिंग पर दी और बायें कहते हुए चली गई। मैं थोड़ी देर और लेटा रहा और फिर उठकर कपड़े पहने और बाहर छत पर आकर टहलने लगा।
मैंने नीचे गली में देखा, पड़ोस वाले अंकल आंटी घूमने के लिए पार्क में जा रहे थे, तो मैं भी पार्क में घूमने के लिए चल पड़ा।

हाय! काफी दिनों बाद दिखाई दिये, पार्क में घुसते ही स्वीट सी आवाज मेरे कानों में घुल गई।
मैंने आवाज की दिशा में देखा, मोनी थी, परन्तु आज उसका डॉगी उसके साथ नहीं था।
हाय, बस कुछ बिजी था तो आने का टाइम नहीं मिला, मैंने उसके सवाल का जवाब देते हुए कहा।
मोनी घास पर टहल रही थी। मैं जाकर उससे थोड़ी दूरी पर घास पर बैठ गया, कुछ देर टहलने के बाद मोनी भी मेरे पास आकर बैठ गई।
उसके बदन से उठती खूशबू मेरी नाथूनों में भर गई और मैं मदहोश हो गया।
वॉव, यार आज तक ये समझ में नहीं आया कि ये लड़कियां ऐसा क्या लगाती हैं, कि इतना बदन हमेशा ही महकता रहता है, मैंने मोनी की तरफ देखते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर मोनी मुस्करा दी।
कुछ नहीं, आज तो मैंने बस हलकी सी क्रीम ही लगाई थी, परफयूम भी नहीं लगाया, मोनी ने मुस्कराते हुए कहा।
तुम्हें मुझसे से कोई खूशबू आ रही है, मैंने मोनी की तरफ सरकते हुए कहा।
मोनी ने मेरे पास अपना चेहरा किया और सूंघ कर कहा, नहीं।
मैंने सुबह क्रीम, डियो, दोनों चीज लगाई थी, फिर भी महक नहीं आ रही और तुमने सिर्फ क्रीम ही लगाई थी, फिर भी ऐसे महक रही हो।
ये तो हमारे बदन की नेचुरल महक है, इसी से तो लड़के पागल हो जाते हैं लड़कियों के पिछे, मोनी ने मेरी तरफ आंख मारते हुए कहा।
शायद मुझे अपने मम्मी पापा के साथ देखकर वो मुझसे कुछ ज्यादा ही खुल गई थी, इसलिए इतनी खुलकर बात कर रही थी।
हूं, पर ------,,, फिर मैं कुछ सोचकर चुप हो गया।
क्या, पर----, मोनी ने पूछा।
कुछ नहीं, बस वैसे ही, मैंने बात टालते हुए कहा।
सोनी जी के कैसे हाल-चाल हैं, मैंने कहा।
तुम्हें सोनी के बारे में कैसे पता, मोनी ने थोड़े आश्चर्य से कहा।
यहीच, यहीच तो प्रॉब्लम है तुम लड़कियों की, कि तुम्हारा दिमाग घुटनों में होता है, मैंने चुटकी लेते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं है, और आप है ना, ऐसे बेइज्जती ना करो लड़कियों की, आजकल लड़कियां लड़कों से आगे हैं।
वो तो होंगी ही, लड़कों को पिछे ज्यादा मजा जो आता है, इसलिए वो आगे जाने देते हैं, मैंने कहते हुए उसकी तरफ आंख मार दी।
मतलब क्या है आपका, आप है ना मुझसे ज्यादा दो-अर्थी बात मत करो, मैं सब समझती हूं आपकी बात का मतलब, सोनी ने मुंह बनाते हुए कहा।
अब समझाने के लिए ही तो मैंने बात कही है, अच्छा हुआ आप समझ गई नहीं तो मुझे समझाना पड़ता तो मुश्किल होती, मैंने हंसते हुए कहा।
देखो, मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं, आप है ना तमीज से बात करो, मोनी ने फिरसे मुंह बनाकर कहा।
लो जी, हर बार तो आपको आप कहकर ही बोला हूं, और कुछ गलत भी नहीं कहा है, फिर भी आप खामखां नाराज हो रही हैं, मैंने हंसते हुए कहा।
छोड़ो, आप ये बताओ की सोनी को कैसे जानते हो, मोनी ने बात बदलते हुए कहा।
लो भूल गई, आपने ही तो बताया था कि आप दो बहनें हो, सोनी और मोनी, मैंने अपने पैरों को सीधे करते हुए कहा।
और मैं अपने पैरों को सीधा करके हाथ पिछे टिका कर बैठ गया। हाथ पिछे करते वक्त मेरे हाथ मोनी के कुल्हों से टकरा गये और मैंने उसके कुल्हों से सटाकर ही अपना हाथ रख दिया। मेरी उंगलियां थोड़ी सी उसके कुल्हों के नीचे घुस गई थी।
मैंने मोनी की तरफ देखा, उसका चेहरा थोड़ा सा लाल हो गया था, पर उसने खुद को हटाया नहीं।
आपके घर में कौन कौन है, मोनी ने शरमाते हुए पूछा। (शरमा वो मेरे हाथ के कारण रही थी)।
जी हम तो अकेले ही रहते हैं, अब कोई है नहीं आप जैसा साथ रहने के लिए, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
क्यों, मम्मी-पापा नहीं रहते साथ में, मोनी ने कहा।
मम्मी-पापा गांव में रहते हैं, यहां पर मैं अकेला ही रहता हूं, मैंने कहा।
मोनी मेरी बात सुनकर मुस्कराने लगी, आप कहा रहते हैं, मोनी ने कहा।
यही पास में, वो गली में मुडकर जो कोने वाला मकान है, उसी में सबसे उपर वाली मंजिल पर रहता हूं, कभी आइयेगा, मैंने कहा।
जरूर, आप बुलायेगें तो जरूर आउंगी, मोनी ने कहा।
अचानक मेरे हाथ पर शायद चींटी ने काटा होगा, जिससे मैंने हाथ को एकदम से उठाकर सामने लाया। झटके से उठाने के कारण मेरा हाथ मोनी के कुल्हों से घर्षण करता हुआ उपर को हुआ तो उसके बूब्स से साइड से छू गया। मैं हाथ को देखने लगा।
क्या हुआ, मोनी ने पूछा।
सॉरी, शायद चींटी ने काट लिया, मैंने उसे सॉरी बोलते हुए कहा।
सॉरी क्यों, मोनी ने कहा।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, वो ऐसे बिहेव कर रही थी कि जैसे मेरा हाथ उसके शरीर से टच हुआ ही ना हो।
बस ऐसे ही, मैंने बात टालते हुए कहा और फिर से अपना हाथ उसके शरीर से रगड़ते हुए पिछे ले जाकर गया और अपनी कोहनी को घास पर टिका दिया और अपना हाथ उसके दूसरी तरफ लेजाकर उसके कुल्हे पर सैट कर दिया। इस तरह से मेरी दो उंगलियां तो उसके कुल्हों के नीचे थी और बाकी की दो उसके कुल्हें पर साइड से रखी हुई थी, जैसे तरबूज को एक हाथ से पकड़ते हैं उस प्रकार। और मेरा अंगूठा उसके पिछे की तरफ उसके कुल्हों के बीच की गहराई में टच हो रहा था।

मैंने अपना हाथ इस तरह से रख तो लिया था, पर मेरे दिल की धड़कन एकदम बढ़ गई थी और मुझे उम्मीद भी थी कि मेरे गालों पर एक चांटा आने वाला है, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
इसके उलटे मोनी ने भी अपने पैरों को आगे की तरफ इस फैला दिया, उसका एक पैर मेरे पैर पर आकर टिक गया, जिसे मेरी जांघें साइड से उसकी जांघों से सट गई। उसने अपने हाथ भी पिछे घास पर टिका दिये और बैठ गई।
उसके इस तरह बैठने से एक फायदा ये हुआ कि अब वो मेरे से बिल्कुल सटकर बैठी थी, परन्तु इससे ज्यादा नुकसान ही हुआ, क्योंकि मेरा हाथ उसके कुल्हों के नीचे दब गया था और नीचे की जमीन में पड़ी छोटी छोटी कंकर उंगलियों में चुभ रही थी।
मोनी का चेहरा लाल हो गया था और वो सामने की तरफ देख रही थी। मेरे चेहरे पर दर्द की शिकन साफ महसूस की जा सकती थी, पर वो तो तब उसे पता चलता जब वो मेरी तरफ देखती, वो तो बस सामने ही देखे जा रही थी और मंद मंद मुस्करा रही थी।
आप क्या करते हैं, मेरा मतलब किस चीज की तैयारी कर रहे हैं, उसने सामने देखते हुए ही कहा।
अब तक तो आपको समझ जाना चाहिए था कि मैं किस चीज की तैयारी कर रहा हूं, मैंने कहते हुए अपनी उंगलियों को थोड़ा सा उसके कुल्हों पर दबा दिया।
मेरी द्वारा कुल्हों को दबाये जाने पर वो समझ शायद वो समझ गई कि मैं क्या कहना चाहता हूं, और उसके गाल धीरे धीरे फड़कने लगे और साथ ही उसकी एक आंख भी।
मेरा मतलब वो नहीं था, उसने कहते हुए अपना पैर उठाकर मेरे पैर पर अपनी ऐडी से वार किया।
आउच, तो क्या था, अब मुझे क्या पता क्या मतलब था आपका, जो मेरी समझ में आया मैंने बता दिया, मैंने अपना दूसरा पैर उसके पैर के उपर जो कि मेरे पैर पर रखा हुआ था, रखते हुए कहा।
मेरी उंगलियों में अब ज्यादा दर्द होने लगा था तो मैंने उसके कुल्हें को मुट्ठी में भर लिया, सोनी के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली, जिसे वो दबा गई।
मेरे पैर को उसके पैर के उपर रखने से उसकी पैर घुटनों से थोड़े से उपर तक मेरे पैर के उपर था। उसके कुल्हों को मुट्ठी में भरने से उसका उस पैर का दबाव मेरे नीचे वाले पैर पर बढ़ गया।
बताओ ना क्या करते हो, मोनी ने हकलाते हुए सा कहा।
अब पहले मतलब समझा दो कि किस के बारे में पूछ रही हो, नहीं तो फिर कहोगी कि मेरा ये मतलब नहीं था, मैंने अपने पैर को उसके पैर पर थोड़ा सा दबाते हुए कहा।
मेरा मतलब है कि आप काम क्या करते हो, किसी चीज की कोचिंग कर रहे हो या, फिर अभी पढ़ रहे हो, या जॉब करते हो, अब की बार उसने अच्छी तरह से समझाते हुए कहा।
ओह तो आप ये पूछना चाहती थी, पहले ही ऐसे कहना चाहिए था ना, मैंने कहा।
तो अब बता दो, अब तो समझा दिया कि क्या पूछना चाहती हूं, मोनी ने कहा।
मैं जॉब करता हूं, आई-टी- फील्ड मैं, तुम क्या कर रही हो, मैंने कहा।
आई-टी- फील्ड में, सॉफ्रटवेयर इंजीनियर हो, मोनी ने अबकी बार मेरी तरफ देखते हुए कहा।
मैंने उसकी तरफ आंख मारी, नहीं, वेब डेवलपर हूं।
वॉव, वेब डेवलपर, फिर तो एक मेरी भी वेबसाइड बनाना, बढ़िया सी, मोनी ने चहकते हुए कहा।
आप क्या करती हो, मैंने पूछा।
मैं तो एम-टेक कर रही हूं, इलेक्ट्रोनिक्स से, जेएनयू से, उसने कहा।
वाह, बहुत खूब, इलेक्ट्रोनिक्स से, मैंने कहा।
आप मेरी वेबसाइड बनाओगे ना, प्लीज, मोनी ने कहा।
किस चीज की वेबसाइट बनवानी है तुम्हें, मैंने कहा।
हम्मममम--- अभी सोचा नहीं है, पर आप तो बना देना बस, मैं सोचकर बता दूंगी, उसने अपने होंठों पर उंगली रखते हुए कहा।
ठीक है जी, आप बता देना, मैंने अपना घर तो आपको बता ही दिया है, आ जाना कभी भी, जब आप सोच लो कि किस चीज की बनवानी है।
तभी उसका मोबाइल बजने लगा।
ओ-के, अब मैं चलती हूं, नहीं तो कॉलेज के लिए लेट हो जाउंगी, कहकर वो अपने कुल्हों को मेरे हाथ पर मसलते हुए उठ गई।
क्रमशः.....................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:15 PM

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