Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:15 PM,
#28
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--28
गतांक से आगे ...........
खाना खाने के बाद मैंने बर्तनों को उठाकर रसोई में रख दिया। तभी पूनम का सैल बजने लगा।
मर गई, मम्मी का फोन है, मैं अभी आई, पूनम ने उठते हुए कहा और कॉल पिक करके बाहर चली गई।
पूनम के जाते ही सोनल ने मुझे बेड पर धक्का दिया और मेरे उपर लेट कर मेरी आंखों में आंखें उालकर प्यार से देखने लगी। उसके उभार मेरी छाती में पिचक गये थे। वो लेटे हुए अपने पैरों को मेरे पैरों पे रगड़ रही थी और अपने हाथों से मेरे गालों को सहला रही थी। मैंने अपने हाथ उसकी कमर में लपेट दिए और सहलाने लगा। धीरे धीरे मैं उसके कुल्हों की तरफ बढ़ गया और उसके कुल्हों को पकड़कर भींच दिया। सोनल के मुंह से एक आह निकली और वो पागलों की तरह कभी मेरे होठों को तो कभी मेरे गालों को चूमने लगी।

मैंने भी उसके कुल्हों को जोर जोर से मसलना शुरू कर दिया। मैनें उसकी कुर्ती को उपर सरका दिया और सलवार के उपर से उसके कुल्हों को मसलने लगा। सलवार कुछ ऐसी थी कि ऐसा लग रहा था कि मैंरे हाथ उसके नंगे कुल्हों पर हैं।
सोनल जोर जोर से मेरे होंठों को चूसने लगी जैसे कि आज इनका सारा रस निचोड के ही रहेगी। मैंने उसके सलवार के नाड़े के हाथ हाथ रखे और सीधे सलवार के अंदर घुसा दिये, उसके ठंडे ठंडे कुल्हों का स्पर्श बहुत ही आनंदकारी था, मैं उसके कुल्हों को मसलने लगा और अपनी उंगली से उसकी खाई को सहलाने लगा। मैंने अपनी एक उंगली उसके पिछे के छेद पर टिका दी और सहलाने लगा। सोनल का शरीर में एक आनंद की लहर दौड़ गई और उसका शरीर ऐंठने लगा। वो मेरे होंठों को चूसते हुए अपने उभारों को मेरी छाती पर रगड़ने लगी। मेरे गालों को उसने अपनी हथेलियों में पकडा हुआ था और सहला रही थी। धीरे धीरे उसकी जांघें मेरी जांघों पर मचलने लगी और वो मेरे उपर लेटी हुई सिसकारियां लेने लगी। उसने अपने चेहरे को उपर उठाया और मेरी आंखों में देखा और फिर से चेहरे को नीचे किया और मेरी कानों के नीचे वाले हिस्से को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगी। मुझे एकदम करंट सा लगा और मेरे हाथों की हरकत उसके कुल्हों पर बढ़ गई। उसके हाथ मेरे बालों से खेल रहे थे। शॉर्ट के अंदर मेरा लिंग तनकर उसकी योनि के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। अचानक वो उठी और मेरी शॉर्ट को नीचे सरका दिया और फिर अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर उसे भी पेंटी के साथ घुटनों से नीचे सरका दिया और अपनी कुर्ती को भी निकाल दिया। कुर्ती के निकालते हुए उसके दूधियां उभार मेरे सामने प्रकट हो गये, उसने ब्रा नहीं पहनी थी, एकदम तने हुए निप्पल और धीरे धीरे फड़कती हुई चूचियां, बहुत ही दिलकश लग रही थी। मैंने तुरंत अपने हाथों को हरकत दी और उसके जोबन का मर्दन करने लगा। सोनल ने मेरे हाथ एक तरफ झटक दिए और मेरी टी-शर्ट को उतारने लगी। मैंने अपनी कमर को उपर उठा दिया और फिर सिर को उपर उठाकर टी-शर्ट को निकालने में मदद की।
टी-शर्ट उतारते ही सोनल वापिस मेरे उपर लेट गई। मेरे लिंग उसके पेट में धंस गया। उसने अपने हाथ को नीचे लेजाकर मेरे लिंग को अपनी योनि की फांकों के बीच में इस तरह सैट किया कि मेरे लिंग का सुपाड़ा उसकी योनि के दाने को रगड़ने लगा और मेरी लिंग की जड़ में उसकी योनि का नीचे वाला भाग टच हो रहा था।
उसने अपने हाथ मेरे बालों को सहलाने में व्यस्त कर दिये और अपने होठों को मेरे होठों का रसपान करने में, और अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ने लगी। इस तरह रगड़ने से मुझे भी काफी मजा आ रहा था और मैंने भी नीचे से अपने कुल्हों को हरकत देनी शुरू कर दी। सोनल की योनि से निकलता रस मेरे लिंग पर गिरकर उसे भिगो रहा था। सोनल अपनी योनि को मेरे लिंग पर रगड़ रही थी और अपनी चूचियों को मेरी छाती पर। उसके कडे निप्पल मेरी छाती में चुभ रहे थे और गुदगुदी कर रहे थे।
मेरे हाथ सोनल की कमर और कुल्हों का मर्दन कर रहे थे। सोनल ने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल और मेरी जीभ पे फिराने लगी। मैंने भी अपनी जीभ को बाहर की तरफ धकेल दिया, सोनल तो जैसे यही चाहती हो, उसने अपने होंठ खोले और मेरी जीभ को दबोच लिया और चूसने लगी। जब वो चूसती तो मेरा रस उसके मुंह में चला जाता और जब वो चूसना बंद करती तो उसका और मेरा मिला जुला रस वापिस मेरे मुंह में आ जाता।
जीभ को मुंह से बाहर निकले निकले काफी देर हो गई थी, जिससे मेरी जीभ की जड़ में दर्द होने लगा था, इसलिए मैंने अपनी जीभ को वापिस अंदर कर दिया। सोनल ने मेरी तरफ खा जाने वाली नजरों से देखा और फिर मेरे होंठों को चूसने लगी।
अचानक मैंने अपने कुल्हों को कुछ ज्यादा उपर उठा दिया जिससे सोनल के कुल्हें भी उपर उठ गई और मेरा लिंग उसकी योनि की फांकों और फैलाता हुआ दब गया। फिर मैं एकदम से नीचे हो गया जिससे एक पल के लिए मेरा लिंग उसकी योनि से दूर हो गया और जैसे ही वो नीचे को आई तो मेरा लिंग सीधा उसकी योनि के द्वार पर टकराया और उसकी योनि द्वार को खोलता हुआ अंदर घुस गया। सोनल और मेरे मुंह से एक मादक आह निकली और मैंने अपने कुल्हों को थोड़ा सा उपर उठाकर अपने लिंग को पूरा उसकी योनि में घुसा दिया। सोनल अपने कुल्हों को उठाकर मेरे लिंग का मर्दन करने लगी।
अब उसके होंठ मेरे होंठों पर तो थे पर वो उन्हें चूस नहीं रही थी, उसका सारा धयान मेरे लिंग को ज्यादा से ज्यादा मर्दन करने पर था। उसके हाथ मेरे बालों में रूके हुए थे। मैंने भी नीचे से कुल्हें उठाकर उसका साथ देना शुरू कर दिया। नीचे से मेरे धक्कों के कारण लिंग उसकी योनि के आखिरी छोर तक जाकर उसके गर्भाश्य से टकरा रहा था। हरेक टक्कर में सोनल का शरीर ऐंठ जाता और उसके मुंह से मादक सिसकारी निकलकर मेरे होंठें के बीच गुम हो जाती।
अचानक सोनल ने जोर जोर से अपनी जांघों को उछालना शुरू कर दिया और उसका शरीर अकड़ गया। उसके होंठ मेरे होंठों पर भींच गये और उसके हाथ मेरे सिर पर खिंच गये। उसकी योनि ने मेरे लिंग को भिंच लिया जैसे उसका रस निचोउ़ने की कोशिश कर रही हो, सोनल का गर्म गर्म रस मेरे लिंग को भिगोता हुआ मेरी जांघों पर गिरने लगा। सोनल का शरीर कुछ ढीला होता जा रहा था, पर उसकी योनि उसी तरह से मेरे लिंग को कसे हुए थी। मेरा लिंग उस कसाव को सहन नहीं कर पाया और सोनल की योनि में अपने रस की पिचकारियां छोड़नी शुरू कर दी। मेरे रस को महसूस करते ही सोनल का शरीर फिर से अकड़ गया और उसकी योनि का कसाव बढ़ गया। मुझे लगा कि जैसे मेरा लिंग बहुत ही टाइट योनि के अंदर फंसा हुआ है। मेरे लिंग ने कुछ ज्यादा ही रस उगल दिया था।
धीरे धीरे सोनल शांत होती हुई मेरे उपर लेट गई और मैं भी झडने के बाद अपनी आंखें बंद करके लेट गया। आज मैंने कोई मेहनत नहीं की थी, परन्तु फिर भी ऐसा लग रहा था कि मैं बहुत जयादा थक गया हूं।
हमारे पैरों की लड़ाई में सलवार और शॉर्ट कब पैरों से अलग हुई पता ही नहीं चला। सोनल वैसे ही मेरे उपर लेटे हुए मेरे बालों को सहलाती रही और इसी तरह लेटे हुए हम नींद के आगोश में समा गए।

ठनननननन ठनननन टनननन टिनननननन टूननननननन ठननननन टननटनन टननठनननठननन की आवाज सुनकर मेरी आंख खुली, सोनल बेड पर नहीं थी।
मैं (लेटे लेटे ही आंख मलते हुए): क्या हुआ, ये क्या गिरा दिया।
सोनल (रसोई में से): उंहहह, गिलास गिर गया।
मैं: उंहहहूहहूहहहहहहहह, एक गिलास पानी मुझे भी देना।
फिर फ्रिज खुलने की आवाज आई और गिलास में पानी डलने की ओर फिर वापिस से फ्रिज बंद होने की।
लीजिए जी, सोनल ने पानी का गिलास मेरी तरफ बढ़ा दिया।
मेरी नजरें उसके नंगे योवन पर ही गढ़ी हुई थी, मैंने गिलास लिया और पानी पीते हुए उसके पहले से मोटे नजर आ रहे उभारों को देखने लगा। सोनल ने एक अंगड़ाई ली और उसके हाथों के साथ साथ उसके उभार भी उपर की तरफ चल दिये।
इतना सैक्सी सीन देखकर मेरे लिंग ने अंगड़ाई ली और उछल कर मेरे पेट से जा टकराया। सोनल ने जैसे ही अंगड़ाई लेकर नीचे को हाथ लाई, तो उसका चेहरा भी नीचे हुआ और उसकी नजर मेरे लिंग पर पड़ी।
वो बेड पर बैठ गई और लिंग को हाथ में पकड़ लिया।
सोनल: इस बदमाश को अब भी चैन नहीं है, कैसे घूर-घूर कर देख रहा है मुझे।
सोनल का ठंडा हाथ मेरे लिंग पर पड़ते ही मेरे शरीर में झुरझरी दौड़ गई और मेरा लिंग और भी ज्यादा अकड़ गया। सोनल ने सुपाड़े पर से चमड़ी को हटाना चाहा, परन्तु हमारे रस से वो चिपक सी गई थी, जिससे मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ और मेरे मुंह से आह निकल गई। मैंने पानी पीकर गिलास साइड में रख दिया।
जैसे ही मैंने गिलास को रखा सोनल ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे उठाने लगी। मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा तो उसने मुझे आंखों से उठने का ऑर्डर थमा दिया।
जैसे ही मैंने उठने के लिए नीचे की तरफ अपना कदम बढ़ाया, मेरी जांघों पर जमी पपड़ी के कारण खाल में खिंचाव हुआ और दर्द का आभास हुआ।
मैंने मुंह से एक आहह निकाली और वैसे ही रूक गया। सोनल ने मेरा हाथ छोउ़ा और बेड पर झुककर मेरे पिछे वाले छेद में उंगली डालने लगी। मैं तुरत उठकर खड़ा हो गया।
सोनल: शाबाश, पहले उठ जाते तो, मेरे को परेशान तो नहीं होना पड़ता।
मैं मुस्करा दिया और सोनल मुझे खींचते हुए बाथरूम में ले गई। बाथरूम में जाते ही उसने शॉवर ऑन कर दिया और हम शॉवर के नीचे खडे होकर नहाने लगे। सोनल ने रगउ़ रगड़ कर मेरी जांघों और लिंग को साफ किया और फिर मेरे पूरे शरीर पर मल मल कर साबुन लगाने लगी। साबुन लगाकर उसने मुझे वापिस शॉवर के नीचे खड़ा कर दिया और शरीर पर से साबुन साफ करने लगी। मुझे नहलाने के बाद उसने मेरी तरफ साबुन कर दिया। मैंने साबुन लिया और उसके बूब्स पर मलने लगा। उसके बूब्स पर साबुन मलने में बहुत ही मजा आ रहा था, इसलिए मैं लगातार उसके बूब्स पर ही साबुन लगाये जा रहा था।
और भी जगह हैं मेरे बदन में साबुन लगाने के लिए, सोनल ने मेरे हाथ को नीचे धकाते हुए कहा।
मेरा हाथ फिसल कर उसके मुलायम पेट पर आ गया, मैं उसके पेट पर साबुन लगाने लगा। और धीरे धीरे उसकी योनि तक आ गया। मैंने उसकी योनि पर साबुन लगाया और फिर साबुन को दूसरे हाथ में पकड़ा और उसकी योनि को मसलने लगा। सोनल ने मेरे कंधे पर अपने हाथ रख दिये और मुझे नीचे दबाने लगी। मैं नीचे बैठ गया और सोनल को शॉवर के नीचे कर दिया। शॉवर के नीचे आने से उसकी योनि पर लगा साबुन साफ हो गया और मेरा हाथ वहां पर घर्षण के साथ फिरने लगा। सोनल की योनि ने पानी निकालना शुरू कर दिया था। सोनल मेरे सिर पर पिछे से दबाव बना रही थी, ताकि मैं अपना मुंह उसकी योनि पर लगा दूं, मैंने भी उसको निराश नहीं किया और उसकी नाभि पर अपने होंठ टिका दिये।
मेरे होंठ लगते ही उसके शरीर में तरंग सी उठी और उसके मुंह के द्वारा आहहहहहह की आवाज के रूप में बाहर निकली। मैं उसकी नाभि में जीभ फिराने लगा, सोनल का पेट फुदकने लगा। मैंने अपने होंठ उसके नाभि के चारों तरफ टिका दिये और अपनी जीभ उसकी नाभि में डालकर अंदर की तरफ हवा खींचने लगा, सोनल पागल हो गई और मेरे सिर को नीचे दबाने लगी। उसके दबाने के कारण मैं धीरे धीरे नीचे आता गया और अपने होंठ सोनल की योनि से टपकते रस के द्वार पर टिका दिया और एक जोर की सुकिंग की। मेरी सुकिंग के साथ ही सोनल का रस और जोर से बहने लगा और वो मेरे सिर को अपनी योनि पर दबाने लगी। मैंने अपनी जीभ निकाली और उसकी योनि में घुसा दी। सोनल तो एकदम से पागल हो गई और उसके हाथों का दबाव मेरे सिर पर बढ़ गया, उसका शरीर अकड़ गया और पैर कांपने लगे। वो इतना मजा बर्दाश्त न कर सकी और अपने पेट को मेरे सिर पर रखते हुए नीचे को झुक गई और जोर जोर की सांसे लेने लगी। उसके लब मेरी पीठ से जुड़ गये और वो बुरी तरह से अपने लबों को मेरी पीठ पर रगड़ने लगी।
उसने मेरी कमर को अपने हाथों से कस के पकड़ा हुआ था। उसकी योनि से निकलता रस सीधा मेरे मुंह में पहुंच रहा था। बहुत ही जायकेदार स्वाद था। मैं उसकी योनि से रस खींचता रहा और वो अपना रस बहाती रही। मेरे द्वारा खींचे जाने से बहुत सारा रस निकल रहा था, और जब सोनल की बर्दाश्त के बाहर हो गया तो वो उठी और मेरे सिर को पिछे धकेल कर खुद भी पिछे हो गई।
उसकी टांगे कांप रही थी, उसने नल को पकड़ लिया और दीवार के सहारे खडे होकर हांफने लगी। कुछ देर बाद उसकी सांसे नोर्मल हुई तो उसने अपनी आंखें खोली और मेरी तरफ देखा। मैं शॉवर के नीचे फर्श आराम से बैठा हुआ था और उसे ही देख रहा था।
सोनल ने मेरी तरफ बहुत ही प्यार से देखा, उसकी आंखे आंधी खुली थी और आधी बंद। उसका पेट अभी भी उछल रहा था और उसकी टांगे कांप रही थी। उसने अपने कांपते होंठों को जैसे ही खोला तो वो लरजकर वापिस बंद हो गए।
उसकी ऐसी हालत देखकर मैं खड़ा हुआ और उसके अपनी बाहों में भर लिया। सोनल तुरंत ही किसी बेल की तरफ मुझसे लिपट गई और मेरे गले और गालों को बेहताशा चूमने लगी।
मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे और सोनल के हाथ मेरी पीठ पर घूम रहे थे और वो कभी मेरे गालों किस करती, चाटती और कभी मेरे गले को। और बीच बीच में बड़बड़ाती जा रही थी।

मुझे तो लगा, मेरी जान ही निकल जायेगी, ओहहहह आहहह इतना मजा, मैं ब्यान नहीं कर सकती, पुच पुच,,, लव यू,,,,, आहहहह,, ओहहहह, आई लव यू,, आहहहहहह, लव यू,,,,,,
वो थोड़ा पिछे हटी और मेरे एक पल के लिए मेरे लबों पर अपने लब रखे और उन्हें चूसा ओर फिर नीचे होते हुए मेरी चिन को चूमने लगी, फिर वो नीचे हुई और मेरे निप्पल पर अपनी जीभ फिराने लगी, पैर कांपने की बारी अब मेरी थी, मेरे शरीर में आनंद की तरंगे उठने लगी, अचानक सोनल ने मेरे निप्पल को दांतों के बीच दबा के हलके से चुभला दिया। मेरा तो निकलने को ही हो गया। उसके हाथ मेरे कंधों पर टिके थे। फिर वो नीचे हुई और मेरे पेट को चाटने और चूमने लगी। उसके हाथ मेरी छाती पर मेरे निप्पल्स को छेड़ रहे थे।
फिर वो नीचे घुटने टेक कर बैठ गई और मेरी तरफ देखा, मैंने उसकी तरफ देखा और अपनी आंखें बंद कर ली।
सोनल ने मेरे पेट के नीचे वाले भाग पर अपने होंठ रखे और गोल गोल घुमाते हुए चूमने लगी और साथ साथ अपनी जीभ फिराने लगी। मैं तो बस हवा में उड़ रहा हूं, ऐसा लग रहा था। मेरा लिंग उसके गालों और ठोडी पर रगड़ रहा था। अचानक उसने अपना चेहरा मेरी जांघों में घुसा दिया और अपनी जीभ से मेरी गोलियों के नीचे के हिस्से पर फिराने लगी। अब मेरी टांगे जवाब दे गई थी, इतनी सेंसेशन मैंने अब तक महसूस नहीं की थी। वो मेरी गोलियों पर अपनी जीभ फिरा रही थी और कभी अपने होंठ लगाकर उन्हें अन्दर की तरफ खींचने की कोशिश कर रही थी।
अचानक उसने अपने होंठ खोले और मेरी दोनों गोलियों को मुंह में भर लिया और उन पर जीभ फिराने लगी। मेरा लिंग उसकी आंखों पर टकरा रहा था। वो मेरी गोलियों को जोर जोर से चूसने लगी। मुझे हल्का हल्का दर्द भी हो रहा था और मजे की तो बस पूछो मत, इतना ज्यादा मजा आ रहा था, कि मुझे लग रहा था कि मैं अब निकला कि तब निकला। मेरी आंखें जोरों से बंद थी और मुंह से मजे की सिसकारियां निकल रही थी।
पर मेरे निकलने से पहले ही सोनल ने गोलियों को बाहर निकाल दिया और मेरी जांघों को अपने हाथों से सहलाने लगी।
क्रमशः.....................
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