Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:15 PM,
#27
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--27
गतांक से आगे ...........
अगर कुछ हो तो बताओ, नहीं तो फिर ढाबे पे खा आता हूं, मैंने अपने कपड़े उतारते हुए कहा।
हम किस मर्ज की दवा हैं, अभी बना देती हूं, पूनम ने चहकते हुए कहा।
मैंने रसोई में चैक किया, सब्जी रखी हुई थी।
ठीक है, पर जल्दी से बनाना, भूख लगी हुई है।
वो दोनों रसोई में घुस गई और मैं कपड़े चेंज करके दूध लेने के लिए चल दिया।
जब तक मैं वापिस आया उन दोनों ने खाना बना दिया था और बाहर छत पर टहल रही थी। मैं ये देखकर हैरान हुआ कि उनके साथ छत पर आंटी भी थी क्योंकि पिछले दो तीन दिन से आंटी घुटनों में दर्द की शिकायत कर रही थी।
हाय आंटी, मैंने उनको देखते ही कहा।
हाय बेटा, कैसे हो? आंटी ने पूछा।
‘बस आपकी मेहरबानी है’, मैंने सोनल की तरफ देखते हुए कहा।
सोनल मेरी बात का मतलब समझ गई और मुझे आंखें दिखाने लगी। शायद पूनम भी समझ गई थी, इसीलिए वो मंद मंद मुस्करा रही थी।
आंटी आपके घुटनों का दर्द सही हो गया, मैंने आंटी से मुखातिब होते हुए कहा।
कहा बेटा, उपर तो आ गई, अब लग रहा है, नीचे तो तुम्हें सहारा देकर उतारना पड़ेगा, बहुत दर्द हो रहा है, आंटी ने अपने घुटनों को मसलते हुए थोड़ा दर्द से कराहते हुए कहा।
दोस्तो आंटी कोई सैक्सी लेडिज नहीं है, वो तो एक 40-45 साल की औरत है, मोटी-मोटी चूचियां जो कि हमेशा ब्लाउज में से बाहर निकलने की कोशिश में रहती हैं, कमर (सॉरी कमरा ही कहना पड़ेगा) बहुत ही मोटी और पेट तो आप ये ही कह सकते हो पृथ्वी गोल है। कद भी 5 फुट से कुछ कम ही होगा, मेरे कंघों से भी नीचे आती हैं, परन्तु यारों क्या बताउं, चेहरा इतना खूबसूरत है कि अगर वो अपना वेट कम कर ले तो शायद सोनल उसके सामने पानी भरे। चेहरे पर बिल्कुल भी चर्बी नहीं है और मोटी मोटी हिरणी जैसी आंखें, एकदम सफेद आंखों के बीच में काली पुतली, लम्बा-लम्बा चेहरा, और सीधा नाक, शायद रसीले होंठ (अब कुछ अंकल ने छोड़ा होगा तो), चेहरे पर झुर्रियों का कोई भी नामों निशान नहीं, कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि अगर कोई उनको कोई केवल गर्दन से उपर देखें तो दिल दे बैठें। आंटी हमेशा साड़ी ही पहनती हैं, जिससे उनकी गोल पृथ्वी और कमर रूमी कमरा और साथ ही हमेशा ब्लाउज से बाहर निकलने को बेताब चूचियों बूढ़ों पर कयामत ढाती रहती होंगी।
मैं दूध अंदर रखकर आ बाहर आ गया।
आंटी: बेटा, अब नीचे छोड़ आ मुझे सहारा देकर।
मैं (आंटी की तरफ बढ़ते हुए): ओके, चलो आंटी।
मैंने आंटी की एक बांह पकड़ी और दूसरा हाथ उनकी गर्दन पर से दूसरी साइड में उनके कंधे पर रख दिया और उनको चेयर पर से उठाकर सीढ़ियों को तरफ चल दिया।
सोनल पहले ही सीढ़ियों में पहुंच गई और आंटी का एक हाथ पकड़कर अपने कंधे पर रख लिया।
जैसे ही आंटी एक सीढ़ी उतरी उनका बैलेंस बिगड़ा और उनका सारा बोझ सोनल के उपर, मैंने जल्दी से एक हाथ से सोनल को पकड़ा नहीं तो शायद वो तो लुढ़कती हुई नीचे वाली सीढ़ी पर ही रूकती।
मैं: आंटी ऐसे तो शायद प्रॉब्लम हो जायेगी, आप ऐसा करो मेरी पीठ पर बैठो, और मैं आंटी के आगे वाली सीढ़ी पर आकर खड़ा हो गया।
आंटी मेरी पीठ पर बैठ गई, काफी भारी थी, मैं संभलते हुए उतरने लगा और अपने एक हाथ से सोनल को पकड़ लिया जो अब मेरे से एक सीढ़ी आगे चल रही थी। आंटी में काफी वजन था इसलिए मैं बहुत ही धीरे धीरे नीचे उतर रहा था। बढ़ी मुश्किल से नीचे तक पहुंचा।
नीचे आकर मैंने आंटी को उतारा और राहत की सांस ली।
आंटी: काफी मजबूत जिस्म है बेटा, इतनी भारी आंटी को पीठ पर बैठाकर नीचे उतारना कोई बच्चों का खेल नहीं है।
मैं सिर्फ मुस्करा दिया और आंटी को अंदर लाकर उनके बेडरूम में बेड पर बैठा दिया। आंटी बैठकर अपनी साड़ी को घुटनों से उपर उठाकर अपने घुटनों को सहलाने लगी।
बेटा सोनल, वो रसोई में मालिश वाला तेल रखा है, उसको थोड़ा सा गर्म करके ला दे, आंटी ने सोनल की तरफ देखते हुए कहा।
सोनल बाहर निकलकर रसोई में चली गई और मैं आंटी के पास बेड पर बैठ गया।
ये दर्द तो मुझे किसी काम की नहीं छोड़ेगा, अभी से पहले जकड़ लिया, आंटी ने बड़बड़ाते हुए कहा।
कल किसी अच्छे डॉक्टर के पास चलेंगे, आजकल तो हर चीज का इलाज है आंटी, टेंशन मत लो, मैंने उनके घुटने को सहलाते हुए कहा।
‘ये लो मम्मी, थोड़ा ज्यादा गर्म हो गया, ठंडा करके लगाना’, एक कटोरी में गर्म तेल लेकर आते हुए सोनल ने कहा, और कटोरी को बेड पर रखकर मेरी तरफ आंखों से आने का इशारा करके बाहर निकल गई।
‘अच्छा आंटी जी, थोउ़ा ठंडा करके लगाना तेल’, मैंने उठते हुए कहा।
बेटा अब तुम आ ही गये हो तो, लगा दो, मेरा तो ये पेट परेशान करता है झुकने में, आंटी ने बेड पर लेटते हुए कहा।
ओके, मैंने कहा और तेल की कटोरी में उंगली डालकर तेल की गर्माहट चैक की और फिर थोड़ा सा उंगली पर लगाकर आंटी के घुटनों पर लगा दिया। तेल ज्यादा गर्म नहीं था तो मैंने कटोरी में से सीधा थोड़ा सा तेल आंटी के घुटनों पर डाला और मालिश करने लगा। मेरा हाथ बार बार आंटी की साड़ी से टकरा रहा था तो आंटी ने साड़ी को उपर कर लिया, परन्तु साड़ी कुछ ज्यादा ही उपर हो गई और उनकी गोरी मोटी मोटी जांघें मेरी आंखों के सामने नंगी चमकने लगी। मैंने जैसे ही उनकी जांघों की तरफ देखा तो मैं हैरान रह गया, आंटी ने अपनी साड़ी को और भी उपर कर लिया था, जिससे अब उनकी जांघें और साफ में पेंटी भी साफ झलक रही थी। जब मेरी नजर उनकी पेंटी पर गई तो मुझे एक 440 वोल्ट का झटका लगा, आंटी की पेंटी योनि के पास से गीली थी। मैंने आंटी के चेहरे की तरफ देखा, उनकी आंखें बंद थी।
जब मैं कुछ देर तक उपर नहीं पहुंचा तो सोनल वापिस नीचे आ गई, और मुझे आंटी की मालिश करते देखकर वहीं बैठ गई और दूसरे घुटने की मालिश करने लगी। आंटी को शायद सोनल के आने का पता नहीं चला था, इसलिए उन्होंने अभी भी अपनी साड़ी को वैसे ही जांघों तक सरका के अपने हाथों से पकड़ा हुआ था।
मैंने सोनल की तरफ देखा और फिर आंटी की गीली पेंटी की तरफ इशारा करते हुए कहा सोनल के कान में हलके से कहा, ‘एकदम गीली हो चुकी है’।
सोनल ने मेरी तरफ घूरकर देखा और मेरी कमर में जोर का घुसा मार दिया। घुस्से की आवाज सुनकर आंटी ने अपनी आंखें खोली और सोनल को देखकर उनका चेहरा सफेद हो गया।
पर फिर उन्होंने संभलते हुए कहा, ‘पहले तो भाग गई, अब क्यों आई हैं’?
उनकी आवाज में थोड़ी हड़बड़ाहट और झुंझलापन था। आंटी ने अपने हाथों से साड़ी को छोड़ दिया जिससे साड़ी थोउ़ी नीचे हो गई और उनकी पेंटी छुप गई।
मैं और सोनल आंटी की मालिश करते रहे। मेरी बार बार हंसी छूट रही थी, तो सोनल ने मुझको आंखों से डराकर चुप होने को कहा। पर थोड़ी देर बाद मेरी फिर से हंसी छूट जाती।
आंटी की मालिश करने के बाद बाहर आ गये।
मैं (बाहर आकर सोनल को छेड़ते हुए): तू आंटी को थोड़ा ख्याल रखा कर, महीने में एक दो उनका पानी निकाल दिया कर, तू अपनी मम्मी के लिए इतना भी नहीं कर सकती, कैसे बेचारी आंटी की पेंटी गीली हो रखी थी।
सोनल ने एक तेज मुक्का मेरी कमर में जमा दिया, मुक्का काफी जानदार था, और उपर से उसकी अंगूठी मेरी कमर में चुभ गई, इसलिए मुझे तेज कमर में दर्द हुआ।
मैंने रोनी सुरत बनाते हुए सोनल की तरफ देखा और अपना हाथ पिछे ले जाकर कमर को सहलाने लगा।
मुझे काफी दर्द हुआ है, इस बात का अंदाज सोनल को भी हो गया था, इसलिए उसने भी अपना हाथ मेरी कमर में रख दिया और सहलाने लगी।
सॉरी, ज्यादा जोर से लग गया, मैं तो आराम से मारना चाहती थी, सोनल ने मेरी कमर सहलाते हुए कहा।
जोर की बच्ची, तेरे मुक्कों से मुझे कुछ नहीं होने वाला, पर तेरी इस अंगूठी ने ऐसी चोट मारी है, बहुत दर्द हो रहा है।
क्या, ओह माई गोड, आई एम सॉरी, प्लीज, आई एम रियली सॉरी, प्लीज, प्लीज, प्लीज, सोनल मेरी तरफ मरा सा मुंह बनाते हुए कहने लगी।
सॉरी से दर्द थोड़े ही कम हो जायेगा, मैंने वैसे ही दर्द भरा चेहरा बनाये हुए उसकी तरफ देखते हुए कहा।
मुझे सच में बहुत दर्द हो रहा था, और दर्द से मेरा गला रूंध गया था, जिससे बोलने में दिक्कत हुई थी।
सोनल मेरी टी-शर्ट को उपर करके जहां उसने मुक्का मारा था वहां देखने लगी और फिर अचानक ही वो वहां पर बेतहाशा चूमने लगी। वो कभी अपने मुलायम नरम होंठ चोट वाली जगह पे फिराती तो कभी अपनी जीभ से सहलाने लगती।
कमाल ही हुआ ना, उसके इस तरह चूमने से मेरा दर्द कम होने लगा और मुझे मजा आने लगा।
थोड़ी ही देर में मेरा दर्द गायब हो गया, पर मैं ऐसे ही दर्द की एक्टिंग करता रहा और वो मुझे कमर में चूमती रही। उसकी हाथ भी उपर की तरफ मेरी कमर को सहला रहे थे। अचानक मुझे अपनी कमर में कुछ चुभता हुआ सा महसूस हुआ, मैं तुरंत समझ गया कि वो अपनी चूचियों को मेरी कमर में रगड़ रही है, पर मुझे कोई भी कपड़ा महसूस नहीं हो रहा था, सीधे जिस्म से जिस्म का स्पर्श महसूस हो रहा था।
हम उनके घर के हॉल में थे और आंटी के बेडरूम में से वहां दिखाई नहंी देता था और बाहर से तो कुछ दिखाई ही नहीं दे सकता था।
मैं समझ गया कि उसने अपने बूब्स बाहर निकाल लिये हैं और मेरी कमर में चोट वाली जगह पर सहला रही है। अब तो मैं और भी ज्यादा दर्द की एक्टिंग करने लगा ताकि वो इसी तरह सहलाती रहे, पर कहते हैं ना कि ज्यादा एक्टिंग नुकसान दायक ही होती है, और वही मेरे साथ भी हुआ। मेरे इस तरह ज्यादा कराहने से वो समझ गई कि अब मुझे दर्द नहीं हो रहा और मैं मजे लेने के लिए दर्द होने की एक्टिंग कर रहा हूं। उसने अपने उभार मेरी छाती में से हटा लिए।
मैंने सोचा शायद अब कुछ और मजेदार होने वाला है, पर जब कुछ देर तक उसके शरीर का कोई हिस्सा मेरे शरीर से टच नहीं हुआ तो मैंने पिछे मुड़कर देखा तो वो अपनी कमर में हाथ रखे खड़ी थी और मुस्करा रही थी। मैंने उसकी तरफ देखते ही फिर से आहहहह, आहहह बहुत दर्द हो रहा है, एक्टिंग करनी शुरू कर दी।
उसने मेरी बाजू पर एक घुस्सा जमा दिया, पर अबकी बार उसने अंगूठी को निकाल लिया था। मैं हंसने लगा और वो भी हंसने लगी। वो अंगूठी को अंदर रख आई और हम उपर आ गये। पूनम छत पर ही बैठी थी।
खाना ठंडा हो जायेगा, खा लो, पूनम ने कुर्सी पर से खड़े होते हुए कहा।
वो तो मैं तुरंत ही गर्म कर दूंगा, ठंडा होने की टेंशन मत लो, मैंने उसकी तरफ आंख मारते हुए कहा।
मेरी बात का मतलब समझते ही वो शरमा गई और अपनी नजरें नीचे झुका ली।

हम अंदर आ गये और पूनम ने तीन थालियों में खाना लगा दिया। बेड पर बैठकर हम खाना खाने लगे। मैंने रोटी का कौर तोड़कर सब्जी लगाई तो मेरी उंगली सब्जी में चली गई, सब्जी काफी गर्म थी, जिससे उंगली जल गई, पर मैंने किसी को आभास नहीं होने दिया और फुंक मार मारकर खाने लगा। जैसे ही सोनल ने सब्जी लगाने के लिए रोटी का कौर कटोरी में डाला, तो अब उंगली तो सब्जी में जानी ही थी, वो जोर से चिल्लाई, आहहहहहहहहहहहहह!
उसकी आहहहहहहहहह सुनकर मेरी हंसी छूट गई। उसके हाथ से रोटी का कौर सब्जी में ही गिर गया था, और वो अपनी उंगली को मुंह में लिए चूस रही थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और देखा तो उसकी उगंली पर फफोला हो गया था, जलने से। मैं उठा और फर्स्ट ऐड बॉक्स ले आया और उसकी उंगली पर दवाई लगा दी और फिर से खाना खाने बैठ गया। सोनल ने अपनी थाली मेरी तरफ सरका दी। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुंह बनाते हुए कहा।
सोनल: आप खिलाओं ना, मेरा हाथ जल रहा है।
मैं: तो मेरे हाथ क्या लोहे के हैं, जो जलेंगे नहीं।
मेरी बात सुनकर सोनल ने मुंह फुला लिया और एक तरफ होकर बैठ गई। मैंने पूनम की तरफ देखा वो मुस्करा रही थी। फिर मैंने एक कौर लेकर सब्जी लगाई और सोनल के मुंह के सामने कर दिया। सोनल खुश हो गई और खाने के लिए मुंह खोलकर आगे बढ़ा दिया, पर उसके मुंह में जाने से पहले ही मैंने वो कौर खुद ही खा लिया। पूनम की हंसी छूट गई और सोनल फिर से मुंह फुलाकर बैठ गई।
मैंने फिर से एक कौर तोड़ा और उसके मुंह के सामने कर दिया, उसने मेरी तरफ देखा, पर ऐसे ही मुंह फुलाए बैठी रही।
मैं: अच्छा तो चल, अबकी बार नहीं करूंगा, चल खा ले, पक्का नहीं करूंगा अब।
और सोनल ने मुंह खोलकर आगे बढ़ाया तो मैंने फिर से वैसे ही किया और खुद ही खा गया। अबकी बार तो सोनल गुस्सा हो गई और बेड पर से उठकर जाने लगी।
मैंने उसे पकड़ कर बैठाया और माफी मांगते हुए कहा कि अब बिल्कुल नहीं, चलो अब खा लो और एक कौर को सब्जी लगाकर उसके मुंह के सामने कर दिया। जैसे ही उसने मुंह खोला तो मैंने अबकी बार भी खुद ही खा लिया। सोनल ने मेरे कंधे पर एक मुक्का मारा और एक साइड में होकर बैठ गई और रोने की एक्टिंग करने लगी।
मैं: लो यार, मुक्का तो मुझे लगा है, और रो तुम रही हो, ये क्या बात हुई?
मुझसे बात मत करो, सोनल ने झल्लाते हुए कहा।
मैंने एक कौर पर सब्जी लगाई और अपनी जगह से उठकर सोनल के पास आया और उसके मुंह के सामने कौर कर दिया। सोनल ने एकबार मेरी तरफ देखा और फिर अपना मुंह खोला, पर आगे बढ़ाने से पहले अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ा और फिर अपना मुंह आगे बढ़ाकर कौर सीधा मुंह में। मेरी उंगली भी थोड़ी सी उसके मुंह में चली गई और उसने उंगली को हलका सा काट लिया।
मैं नहीं खिलाता तुझे, एक तो खाना खिलाओ, और उपर से उंगली भी काटवाओ, मैंने कहा।
ओके, ओके, अब नहीं काटूंगी, प्लीज खिलाओ न, बहुत स्वादिष्ट लग रहा है तुम्हारे हाथों से, सोनल ने चहकते हुए कहा।
फिर मैंने एक कौर तोड़कर उसको खिलाया और फिर एक खुद खा लिया, इस तरह से हमने खाना शुरू किया। पूनम ने भी खाना शुरू कर दिया। खाने के आखिर में एक रोटी मैंने पूनम को भी खिलाई और सोनल ने मुझे और पूनम को व पूनम ने मुझे व सोनल को खिलाई। दोनों के हाथ से खाना खाकर बहुत ही मजा आया।
क्रमशः.....................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:15 PM

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