RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--26
गतांक से आगे ...........
हम कोमल के रूम पर पहुंचे, दरवाजा हलका खुला हुआ था। मैम ने दरवाजा खोला और अंदर आ गई। अंदर बेड पर एक बला की खुबसूरत, बड़ी बड़ी आंखें जिनमें चंचलता साफ झलक रही थी, गोल गोरे गोरे गाल, गुलाबी होंठ और चेहरे की शोभा बढ़ाता सीधा नाक। दरवाजा खुलते ही उसने दरवाजे की तरफ देखा और मैम को देखते ही वो बेड से उठी और भागकर दीदी दीदी करते हुए मैम के गले जा लगी।
वो जैसे ही बेड पर से उठी, ओढी हुई चददर एक तरफ लुढक गई और उसका गदराया जोबर कपड़ों में से झलकने लगा। उसने लहंगा और कुर्ती पहनी हुई थी, लहंगा घुटनों से थोड़ा उपर तक था। टाइट कुर्ती में से उसके उभार चमक रहे थे। शायद उसने ब्रा नहीं पहनी थी, या पहनी भी हो, उसके निप्पल कुर्ती में से झांक रहे थे, मधयम आकार के उसके उभार, जिन्हें देखकर लगता नहीं था कि अभी ये जवानी के असली सुख का आनंद ले चुकी होगी, एकदम सपाट पेट, जल्दी में उठने के कारण कुर्ती थोड़ी उपर हो गई थी और उसके सपाट पेट पर गहरी लम्बी नाभि। थोड़ा और नीचे आने पर उसके योनि पर कसा उसका लहंगा, और योनि से नीचे आकर खुला हुआ, घुटनों से उपर थोड़ी सी गदराई सातलों की झलक दिखाई दे रही थी। एकदम संगमरमरी, केले के तने जैसी मांसल और चिकनी जांघे।
मैं मैम के पिछे ही थोड़ा सा साइड में खड़ा था। उसने अपनी बांहें मैम की कमर में कस दी और जब गले लगी तो पिछे मुझसे उसकी नजरे मिलीं। उसने एक पल के लिए मुझे देखा और फिर अपनी नजरें झुका ली।
जिस अदा से उसने नजरें झुकाई मैं तो बस घायल ही हो गया।
उसने फिर से अपनी पलकें उठाकर मुझे देखा और वापिस अपनी पलकें झुका ली।
मैम: किम्मी, अब गले ही लगे रहेगी क्या, चल हट, और तैयार हो जा, चलते हैं।
वो मेरी तरफ घूरते हुए मैम से अलग हो गई और आंखों के इशारे से मैम से मेरे बारे में पूछने लगी।
मैम: ये, ये समीर है, कम्पनी में काम करता है, तुम्हारे जीजा जी को किसी काम से जाना था तो, मैं साथ ले आई।
कोमल ने नाक-भौंक सिकोड़ते हुए मेरी तरफ देखा और जैसे मुझे चिढ़ा रही हो, छोटा दिखा रही हो, अदा के साथ मुड़कर वापिस बेड की तरफ चल दी। उसकी इन अदाओं से मेरे चेहरे पर शैतानी मुस्कान तैर गई।
पिछे से उसके छोटे छोटे कुल्हों पर कसा लहंगा उसके एक एक कटाव को उजागर कर रहा था। एकदम गोल और कसे हुए नितम्ब, साइज में न ज्यादा बड़े और न ज्यादा छोटे।
मेरा पप्पू तो भगवान से दुवाएं मांगने लगा कि शायद इसके साथ बात बन जाये।
वो बेड के पास गई और अपना पहले से पैक किया हुआ बेग उठाया और खड़ी हो गई।
कोमल: ओके, चलो चलते हैं, सबकुछ पैक है।
मैं बाहर आ गया और पिछे पिछे मैम और कोमल भी बाहर आ गई। मैंने पिछे मुड कर कोमल की तरफ देखा तो उसने अपनी नाक उपर को चढा ली और चेहरे को एक झटका सा दिया।
बड़ी नखरैल है, जल्दी हाथ नहीं आयेगी, थोड़ी मेहनत लगेगी इसपे, मैंने मन ही मन सोचा।
मैं धीरे धीरे चलते हुए उनके पिछे हो गया और पिछे पिछे चलने लगा।
कोमल की कातिल मस्त चाल, पैरों के साथ रिद्म मिलाकर मटकते कुल्हे, ऐसा लग रहा था कि निमंत्रण दे रहो हों कि आओ और हमें मसल डालो।
काउंटर पर आकर मैम और उसने चैक आउट किया और हम बाहर आ गये। हमारे बाहर आने से पहले ही गाड़ी गेट के सामने पहुंच चुकी थी। मैं बहुत इम्प्रैस हुआ उनकी पार्किंग सर्विस से। गाड़ी पर कपड़ा लगाया गया था और गाड़ी एकदम चमक रही थी।
मैंने गाड़ी की चाबी ली और ड्राइवर सीट पर आकर बैठ गया। मैम और कोमल पिछे बैठ गई। मैंने गाड़ी स्टार्ट की और घर की तरफ चल पड़ा। आते समय शहर में ट्रेफिक कुछ ज्यादा ही हो गया था इसलिए वापिस आने में 40 मिनट से ज्यादा लग गये। हम 2 बजे वापिस घर पहुंचे। बॉस बैंक से वापिस आ चुके थे।
अंदर आने पर मैम और कोमल गाड़ी में से उतर गये और मैंने गाड़ी वापिस गैराज में खड़ी कर दी। कोमल और मैम अंदर चली गई थी, मैं ऑफिस में आ गया।
अपूर्वा: इतना टाइम कैसे लग गया?
मैं: अरे वो लाटसाहबनी जयपुर दर्शन पे गई हुई थी।
अपूर्वा: क्या, उसे पता नहीं था कि आज लेने आयेंगे।
मैं: अब मुझे क्या पता यार, और है भी बड़ी नखरैल सी, मुझे देखकर नाक-भौंह सिकोड़ रही थी।
अपूर्वा मुस्कराने लगी।
थोड़ी देर में काम वाली चाय लेकर आ गई। उसे देखते ही मुझे शनिवार वाली बात याद आ गई। वो मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही थी।
उसने हम दोनों को चाय दी और चली गई।
अपूर्वा: मैम नहीं आई आज चाय लेकर!
मैंने मन ही मन सोचा, अब क्यों आयेगी, साली की गरज निकल गई, अब तो कामवाली के हाथ से ही चाय पिनी पडेगी।
जाते वक्त कामवाली अपने कुल्हें मटकाती हुई मुझे मुड मुड कर देख रही थी जब तक वो बाहर नहीं निकल गई।
मैंने अपनी चेयर को अपूर्वा के पास कर लिया और हम चाय पीने लगे।
अपूर्वा लगातार मुझे घूरे जा रही थी।
ऐसे क्यों घूर रही हो, मैंने उससे पूछा।
क्यों, आपको कोई प्रॉब्लम है, मेरी मर्जी मैं जिसे चाहे घूरू, आंखें नचाते हुए अपूर्वा ने उतर दिया।
मैं चुप हो गया और चाय पीने लगा।
अचानक अपूर्वा बोली, शाम को मूवी देखने चले।
मैं उसके चेहरे की तरफ देखने लगा।
अपूर्वा: ऐसे क्या देख रहे हो, मूवी के लिए ही तो पूछा है, कोई परपोज थोडे ही किया है।
मैं मुस्करा दिया और कहा, ‘क्या पता अभी मूवी के लिए परपोज किया है, और मूवी देखने के बाद फिर शादी के लिए परपोज कर दो।’
जी नहीं, शादी के लिए अभी परपोज नहीं करूंगी।
मैं उसे छेड़ते हुए कहा, ‘इसका मतलब परपोज तो करोगी, पर बाद में’।
अपूर्वा का चेहरा शर्म से लाल हो गया और उसने अपनी पलकें झुका ली।
अच्छा कौन-सी देखोगी, मैंने कहा।
कौन-कौन सी लगी हुई हैं, अपूर्वा ने फिर से आंखें नचाते हुए कहा।
ये लो, कल्लो बात, ये भी नहीं पता कौन-कौन सी लगी हुई हैं, और मूवी देखने चले हैं, मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
तो क्या हुआ, जो भी बढ़िया सी लगी होगी, वो देख लेंगे, वो वैसे ही मचलते हुए बोली।
मैं: रास्कल----
और मेरी बात पूरी होने से पहले ही वो बोल पड़ी, नहीं वो फ्रेंडशिप वाली है ना जो इस शुक्रवार को लगी थी, वो देखते हैं, अच्छी मूवी बता रहे हैं, मेरी फ्रेंड देख के आई थी।
अच्छा, वो मुझसे फ्रेंडशिप करोगे, मैंने चटकारा लेते हुए कहा। वो तो बेकार सी मूवी है, मेरा फ्रेंड भी देखके आया था, मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
चलो फिर रास्कल ही देख आते हैं, वो तो बढिया ही होगी, उसने कहा।
वैसे ये मूवी देखने का भूत कहां से चढ़ गया तुम्हारे उपर, मैंने फिर से चटकारा लेते हुए कहा।
कहीं से नहीं, रहने दो, मुझे नहीं देखनी मूवी-वूवी, अपूर्वा ने नाराज होते हुए कहा और मुंह फेरकर काम करने लग गई।
ओह,,, बाबू तो नाराज हो गई, मैंने उसकी ठोड़ी को पकड़कर उसके चेहरे को अपनी तरफ करते हुए कहा।
उसने मेरा हाथ झटक दिया और मेरे से दूसरी तरफ मुंह कर लिया।
चलो ठीक है, शाम को रास्कल देखने चलते हैं, और चेयर पर से उठकर उसके चेहरे को अपनी तरफ किया।
परन्तु उसके चेहरे की तरफ देखते ही मुझे खुद पर बहुत ही गुस्सा आया, उसकी आंखों में आंसू छलक आये थे।
क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हों, मैंने उसके आंसू पौंछते हुए कहा।
कुछ नहीं, उसने अपना एक हाथ मेरे हाथ के उपर रख दिया और दूसरे गाल पर आये आंसूओं को पौंछने लगी।
नहीं बताओं, क्या हुआ यार, मुझे टेंशन हो गई है मुझे इतनी और तुम कह रही हो कुछ नहीं।
मेरी बात सुनते ही अपूर्वा ने मुझे बाहों में भर लिया और जोर से भींच लिया। वो चेयर पर ही बैठी थी जबकि मैं खडा था तो बस हमारे गाल ही एक दूसरे से मिले हुए थे।
थोड़ी देर वो ऐसे ही मुझे हग किये रही, फिर मैंने उसे पिछे हटाना चाहा, पर वो उं हूं करके वैसे ही मुझसे चिपकी रही।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे छोड़ा और नीचे देखने लगी।
चलो, अब बताओ क्या हुआ, तुम रो क्यों रही थी, मैंने उसके गालों को सहलाते हुए कहा।
‘आई-----’ उसके होंठ खुले, पर इतना कहने पर ही उसका गला रूंध गया और आगे के शब्द निकले ही नहीं और उसकी आंखों से फिर से आंसू बहने लगे।
मैं परेशान हो गया, पता नहीं क्या हुआ, जो ये रोये जा रही है।
अपूर्वा, मुझे बताओ ना क्या हुआ, ऐसे क्यों रो रही हो।
उसने अपने आंसू साफ किये और बोली, ‘वो सुबह मम्मी ने डांट दिया था, इसलिए, बस और कोई बात नहीं है।’
मैंने चेन की सांस ली, पागल, मम्मी तो डांटती ही रहती है, इसमें रोने की क्या बात है, मैंने उसके गालों पर बचे आंसूं को पोंछते हुए कहा।
उसने बस अपनी गर्दन हिलाकर हूं कहा और अपनी लम्बी लम्बी उंगलियां की-बोर्ड पर टिका दी।
मैंने उसके सिर पर हाथ रखा और हलके से मसल दिया, और ‘पागल, मम्मी के डांटने पर भी कोई रोता है’ कहते हुए अपनी चेयर पर आ गया।
उसने अपने बाल ठीक किये और फिर से काम में लग गई। मैंने छः बजे वाले शो के दो टिकट आइनोक्स, क्रिस्टल पाम के बुक करवा लिये और प्रिंट करके अपने पर्स में रख लिए।
कुछ देर बाद बॉस आ गये और हमसे दो चार बातें करके वहीं तीसरे सिस्टम पर बैठ गये और ऑन करके कुछ प्रोजेक्ट देखने लग गये।
साढ़े चार बजे मैम चाय लेकर आई, और तीनों को दे दी, उनके पिछे पिछे कोमल आ रही थी, उसके हाथ में नमकीन वाली ट्रे थी।
साइड से टेबल सेन्टर में रखके मैम ने नमकीन उसपर रख दी और एक चेयर पर बैठ गई। कोमल मैम की चेयर के साथ पिछे से हाथ रखके खड़ी हो गई। सभी ने चाय पी और थोड़ी थोड़ी नमकीन ली।
कोमल कभी मुझे घूर रही थी तो कभी अपूर्वा की तरफ देख रही थी।
चाय पीने के बाद मैम कप और ट्रे लेकर चली गई। मैं कुछ देर में आती हूं, कहकर कोमल वहीं रूक गई।
वो चेयर को अपूर्वा की चेयर के पास करके उसके पास जाकर बैठ गई। कोमल ने अपूर्वा की तरफ हाथ बढ़ाया और अपना परिचय भी दिया। अपूर्वा ने भी उससे हाथ मिलाया और अपना परिचय दिया।
फिर तो उनके बीच फुसफुस शुरू हो गई, मुझे बस फुसफुस ही सुनाई पड़ रही थी, वो क्या बातें कर रही हैं, कुछ नहीं सुन रहा था।
पांच बजे मैंने अपना सिस्टम ऑफ किया और बॉस से जाने की अनुमति मांगी।
मेरी आवाज सुनकर अपूर्वा ने टाइम देखा और उसने भी अपना सिस्टम ऑफ कर दिया। और खड़ी हो गई। कोमल भी खड़ी हो गई। हम बाहर आ गये। कोमल अंदर मैम के पास चली गई और मैं और अपूर्वा बाहर आंगन में गेट के पास आ गये।
तुम्हारी बाईक कहां है, अपूर्वा ने पूछा।
आज नहीं लाया, उसका पैट्रोल खत्म हो गया था, मैंने जवाब दिया।
क्या, इतना बुरा टाइम आ गया, कि पैट्रोल के भी पैसे नहीं है, अपूर्वा ने छेड़ते हुए कहा।
ओए, वो तो मैं डलवाना भूल गया, नहीं तो पैसों की कमी नहीं है मेरे पास, बात करती है, मैंने भी उसको उसी के लहजे में जवाब दिया।
चाबी, कहते हुए मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ा दिया।
उसने अपने पर्स में से चाबी निकाली और मुझे देते हुए कहा, ‘रोज-रोज की आदत पड़ गई लगता है, फ्री में गाड़ी चलाने की’।
अब हम तो ऐसे ही हैं, पानी नहीं मिले तो कोक पीकर काम चला लेते हैं, मैंने कहा।
अपूर्वा हंसने लगी।
कोमल दरवाजे में खड़ी खड़ी हमें ही घूर रही थी। मैंने स्कूटी को स्टार्ट किया और अपूर्वा पिछे बैठ गई।
हम बाहर सड़क पर आ गये और मैंने स्कूटी को दूसरी साइड में घुमा दिया।
उधर किधर जा रहे हो, रस्ता भूल गये क्या, अपूर्वा में मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
आज मन कर रहा है कि जयपुर का एक चक्कर लगा लेता हूं, मेरा कौन सा पैट्रोल जलेगा, मैंने उसे छेड़ते हुए कहा।
ये इसको संभालों, कहीं गिर गई तो फिर से रोना शुरू कर दोगी, मैंने फिर से उसे छेड़ते हुए कहा।
उसने टिकट ली और देखकर मेरी कमर में एक घूसा जमा दिया।
‘हाउ स्वीट, मुझे पहले क्यों नही बताया’ कहते हुए उसने मुझे पिछे से बाहों में भर लिया और उसके उभार मेरी कमर में दब गये।
मैंने जानबूझ कर ‘आउच’ की आवाज निकाली।
क्या हुआ, अपूर्वा ने हैरान होते हुए पूछा।
‘वो चुभ रहे हैं, कमर में’, मैंने पिछे इशारा करते हुए कहा। मैं बैक मिरर से उसे देख रहा था।
मेरी बात सुनकर उसका चेहरा लाल हो गया और थोड़ा पिछे होकर बैठ गई।
पर मैं कहा उसको पिछे होकर बैठने देने वाला था, मैंने स्कूटी में रेस दी और फिर एकदम से ब्रेक लगा दिये। उसके उभार वापिस मेरी कमर में दब गये और अबकी बार उसके मुंह से ‘आहह’ निकली।
क्या हुआ, चोट तो नहीं लगी, मैंने कहा।
बदमाश, कहते हुए उसने मेरे कंधे पर मुक्का मारा और अपना चेहरा मेरे कंधे से सटाकर पीछे पर टिका दिया और हाथों से मेरे पेट को कस लिया।
अभी शो में टाइम था तो मैं स्कूटी को धीरे धीरे चलाने लगा। उसकी गर्म गर्म सांस मुझे मेरे कंधे के पास महसूस हो रही थी।
आधे घंटे में हम बाईस गोदाम पहुंच गये, पर देखा तो सर्किल पर सीधे जाने का रास्ता बंद कर रखा था तो हम पिछे से घूमकर मॉल में आ गये। स्कूटी को पार्क करके हम मॉल में अंदर आ गये। अभी मूवी स्टार्ट होेने में 20 मिनट थे। मैंने प्रिंट आउट देकर टिकट ली और हम अंदर आ गये। अपूर्वा ने मेरे एक हाथ को पकड़ रखा था और अपना सिर मेरे कंधे पर रखा हुआ था।
हमारा रिस्ता फ्रेंडशिप से आगे बढ़ चुका था, पर अभी इसका पता हम दोनों (खासकर मुझे) नहीं लगा था।
चैंकिंग वगैरह क्लियर करके हमने खाने के लिए पॉपकॉर्नर लिये। तभी पिछला शो खत्म हो गया और थोड़ी देर में ही एंट्री शुरू हो गई। हम थोड़ी देर बाहर ही रूके रहे, क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा थी और मैं नहीं चाहता था कि भीड़ में कोई अपूर्वा से छेड़छाड़ करे। सबके बाद में हम अंदर आ गये और पिछे की सीट जो मैंने बुक की थी, पर जाकर बैठ गये। हॉल लगभग फुल था। शो स्टार्ट हो गया। पूरी मूवी के दौरान मेरा हाथ अपूर्वा के हाथ में रहा जो उसकी जांघों पर रखा था। इंटरवल में अपूर्वा ने कोक और समोसे के लिए ऑर्डर कर दिया था।
मूवी ठीक ठाक थी, पर अपूर्वा के साथ देखने में और ज्यादा मजा आया था। मूवी के बीच में कई बार अपूर्वा का फोन बजा पर उसने साइलेंस पर कर दिया।
हम बाहर आ गये, 9 बजने वाले थे। अपूर्वा ने मुझे घर छोड़ा और फिर अपने घर के लिए निकल गई।
मैं उपर आ गया, सोनल छत पर ही खड़ी थी और उसके साथ पूनम भी खड़ी थी।
तुम्हारी तो मौज है जी, रात को 9 बजे लड़कियां घर छोउ़कर जाती हैं, सोनल ने मुस्कराते हुए कहा।
और क्या, दो दो तो घर पे हैं, और एक ये बाहर, और क्या पता एक ही है या और भी हैं, पूनम ने उसका साथ देते हुए कहा।
मैंने उनकी बातों पर ज्यादा धयान नहीं दिया और रूम खोलकर अंदर आ गया। सोनल और पूनम बाहर ही खड़ी-खड़ी बतियां रही थी।
कुछ खाने को मिलेगा क्या, मैंने अंदर से ही सोनल को आवाज लगाई।
अच्छा जी, उस स्कूटी वाली ने नहीं खिलाया-पिलाया क्या, ऐसे ही रात के 9 बजे तक परेशान करती रही, सोनल की आवाज आई।
और वो दोनों अंदर आ गई।
क्रमशः.....................
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