Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:13 PM,
#20
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--20
गतांक से आगे ...........
गली के आखिरी कोने पर रहने वाली आंटी अपनी मस्त जवान बेटी के साथ पार्क की तरफ जा रही थी तो मैंने भी सोचा चलो पार्क में चलते हैं। पर मुझे सिर में हलका दर्द महसूस हो रहा था इसलिए पार्क में जाने का प्रोग्राम केंसिल कर दिया। मैं वापिस आकर अंदर बेड पर लेट गया। रात की नींद पूरी नहीं हुई थी तो थोड़ी ही देर में मेरी आंख लग गई और गहरी नींद में चला गया।
उठठठठठठठठो जब देखो सोते ही रहते हो।
मैं सोते सोते ही उउउउहूुुहूहूहू करके वापिस सो गया।
मुझे बहुत जोर की नींद आई हुई थी और आंखें भी नहीं खुल रही थी। तभी मेरे मुंह पर एक दम ठंडे पानी के छिंटे आकर गिरे।
पानी गिरते ही मुझे लगा कि शायद बारिश आ गई और मैं एकदम से उठ कर बैठ गया और आंखें मसलने लगा। उठकर देखा कि मैं तो अंदर सो रहा हूं। मेरे कानों में किसी के हंसने की आवाज पड़ी।
मैंने आंखों को खोलते हुए सामने देखा तो सोनल और तान्या खड़ी खड़ी हंस रही थी। सोनल ने अपने हाथ में गिलास पकउ़ रखा था। मैं फिर से आंखें बंद करके लेटने लगा तो सोनल ने मेरे चेहरे पर सीधा गिलास से पानी गिराना शुरू कर दिया। मैं वापिस बैठ गया और आधी खुली आंखों से उनकी तरफ देखने लगा।
तान्या मेरे पास आकर बैठ गई।
सोनल: अब उठ भी जाओ। 4 बज गये हैं, सुबह आई थी तब भी सो रहे थे।
सोनल की बात सुनकर मैंने वैसे ही अधखुली आंखों से घड़ी की तरफ देखा तो चार बजने वाले थे। फिर मैंने साइड से अपना मोबाइल उठाकर उसमें टाइम देखा तो उसमें भी चार बजने वाले थे।
मैंने वापिस सोनल की तरफ देखा, वो खड़ी खड़ी हंस रही थी।
मुझे जोरों की नींद आई हुई थी और बिल्कुल भी उठने का मन नहीं कर रहा था। मैं फिर से लेटने लग गया, पर सोनल ने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और ऐसा करने से मैं पलटी खाते हुए बैड पर लुढक गया। मेरा सिर सीधा बेड पर बैठी तान्या की गोद में चला गया। मैं वैसे ही लेट गया। तान्या ने अपने हाथ मेरे सिर रख दिये और मेरे बालों और गालों को सहलाने लगी। मैं भी उसके कोमल स्पर्श का आनंद लेते हुए सोने की कोशिश करने लगा।
अचानक तान्या ने अपने होंठे मेरे कानों के पास किए और ऐसी बात कही कि मेरी नींद एकदम पूरी तरह से गायब हो गई।
तान्या (बहुत ही धीमी आवाज में): मेरे घरवालों को रात के बारें में सब पता चल गया है, और वो बहुत गुस्सा हो रखे हैं।
उसकी बात सुनते ही मैं एक ही झटके में उठकर बैठ गया और आश्चर्य से कहा।
मैं: क्या? कैसे पता चल गया।
तान्या: वो कंचन जब अपने घर पर गई तो उसके भैया को पता चल गया कि उसने पी रखी है, तो उसने अपने मम्मी पापा को बता दिया। फिर उसके मम्मी पापा मेरे घर पे आए और मेरे मम्मी पापा को ताने देने लगे कि तुम्हारी लड़की के साथ रहती है, उसने ही बिगाड़ दिया इसको। जिससे मेरे मम्मी पापा को भी पता चल गया कि मैंने भी पी थी। अब वो बहुत गुस्से में हैं। सुबह जब मैं घर गई तो बहुत भला-बुरा सुनाया।
मैं (राहत की सांस लेते हुए): ओह! गोड! तुने तो मुझे डरा ही दिया था।
सोनल: क्यों! तुम क्यों डर गए थे, कोई तुम्हारे घर वालों को थोड़े ही पता चला है।
मैं: अरे यार, मैंने सोचा कि रात के बारे में पता चल गया।
सोनल: तो रात के बारे में ही पता चला है, दिन के बारे में नहीं।
मैं: अरे मेरे कहने का मतलब है कि, जो रात को हम तीनों ने किया था, उसके बारे में।
मेरी बात सुनकर तान्या के गाल एकदम लाल हो गये और उसने अपना सिर नीचे झुका लिया।
सोनल: चलो चलो, अब जल्दी से उठ कर फ्रेश हो जाओ। फिर मेरे को फ्रेंड के घर छोउ़ के आना। मेरी स्कूटी स्टार्ट नहीं हो रही है।
मैं तान्या के गालों को भींचता हुआ उठ गया और सीधा बाथरूम में घुस गया। मैं नहा-धोकर बाहर आया। वो दोनों अभी भी वहीं पर बैठी थी। मैंने टॉवल लपेट रखा था, तान्या मुझे घूर घूर कर देखे जा रही थी। मैंने उसकी तरफ आंख मारी और अलमारी में से कपड़े निकाल के पहन लिए। मुझे जोरो की भूख लगी थी।
मैं: कुछ खाने को मिलेगा, या ऐसे ही चलूं।
सोनल: ठीक है, चलो रस्ते में खा लेंगे।
मैंने कहा ठीक है और रूम को लॉक लगाकर हम नीचे आ गये।
मैंने अपनी बाईक निकाली। सोनल मेरे पीछे बैठ गई और तान्या उसके पीछे।
सोनल मुझे रास्ता बताती गई और हम उसकी दोस्त के घर पहुंच गये। पास में ही था, मालवीया नगर में ही, मॉडल टाउन में। वहां पर काफी चहल पहल थी। शायद कोई फंक्शन था। मैंने घर के सामने ले जाकर रोक दी। सोनल और तान्या उतर गई। तभी अंदर से एक बहुत ही खूबसूरत लड़की लगभग भागती हुई बाहर आई और सोनल के गले लग गई। मैं तो उसको देखता ही रह गया। अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही होगा, यही कोई उन्नीस के आसपास होगी। उसके उभार सोनल के उभारों से टकरा गए, मानों खुले मैदान में आने की चुनौती दे रहे हों। मेरा तो एकदम तन गया उनको गले मिलते देखकर। सच कहूं तो, पहली बार दो लड़कियों को इस तरह गले मिलते देखा था, बहुत ही गर्म और शानदार नजारा था। सोनल के हाथ उसकी कमर में थे और उसके हाथ सोनल के गले में। साइड से उस लड़की के मस्त गदराये हुए कुल्हों का नजरा एकदम शानदार नजर आ रहा था। उसके कुल्हे कोई पहाड़ जैसे तो नहीं थे, पर बहुत ही शानदार शेप में थे, उसकी कुर्ती उसके कुल्हों से बस थोड़ा सा नीचे तक थी जो गले मिलते हुए उपर को होकर उसकी जींस में से उसके मस्त कुल्हों का ललचाने वाला दृश्य दिखा रही थी। सोनल से मिलते हुए उसकी नजर मेरे उपर पडी। उसने सोनल के कान के पास अपने रसीले होंठ लाकर कुछ फुसफुस की। सोनल ने मेरी तरफ देखा और मुस्करा दी। मैं अभी भी बाईक पर ही बैठा था। सोनल ने भी उसके कान में कुछ कहा और मेरी तरफ बढ़ गई। मेरे पास आकर उसने मेरी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया।
लड़की: हाय! मैं नवरीत अहलुवालिया।

मैंने भी अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया।
मैं: समीर!
उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। बहुत ही मुलायम और कोमल हाथ था। मैं उसका हाथ पकडे पकड़े ही उसके चेहरे की तरफ देखता रहा। एकदम तीखे नयन नक्श, दूध जैसा गोरा रंग, चेहरे पर कोई भी दाग नहीं, बिल्कुल बेदाग। थोड़ी थोड़ी हल्की नीली नीली आंखें। मैं तो उसके चेहरे में गुम सा हो गया। जब मैंने कुछ देर तक उसका हाथ नहीं छोउ़ा तो उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे चेहरे के सामने चुटकी बजाई।
नवरीत: हैल्लो! कहां खो गये जनाब।
मैं जैसे नींद से जागा हों, जैसे समां में मधुर संगीत बज रहा हो, ऐसी उसकी आवाज। बहुत ही मीठी और प्यारी।
मैंने अनमने मन से उसका हाथ छोउ़ दिया। वो मंद मंद मुस्करा रही थी। फिर तान्या ने उससे हाय कहा। वो तान्या की तरफ मुड गई और उसका भी गले लगकर जोरदार स्वागत किया।
फिर उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कराते हुए उन दोनों का हाथ पकड़कर अंदर खींच ले गई।
जाते जाते सोनल ने बायें कहा और उसके साथ अंदर चली गई।
मैं ठगा सा वहीं खड़ा उनको अंदर जाते देखता रहा, पर वो तो अंदर जाते ही गुम हो गई।
नवरीत मेरे दिमाग पर पूरी तरह छा गई थी। मैंने अपनी पूरी जिंदगी में आज तक इतनी खूबसूरत और प्यारी लड़की नहीं देखी थी।
उसके शरीर के कसाव से लग रहा था कि अभी कोरी, अनछुई ही है।
तभी वो सोनल के साथ जल्दी-जल्दी बाहर आई और मुझे वहीं खड़ा देखकर खुश होते हुए बोली।
नवरीत: अरे आप अभी तक यहीं हैं, गये नहीं (और ये कहकर हंसने लगी)।
उसकी बात सुनकर मैं बुरी तरह झेंप गया और हेलमेट पहनने लगा। पर बीच में ही सोनल बोल पड़ी।
सोनल: अरे रूको, तो। वो नवरीत कह रही है कि चाय पीकर जाना।
मैं (नवरीत की तरफ हाथ करते हुए): ये! इसे तो टेंशन हो रही है कि मैं अभी तक यहां क्यों खड़ा हूं, चाय के लिए क्या पूछेगी।
मेरी बात सुनकर नवरीत संजीदा हो गई और मेरे पास आकर बोली।
नवरीत: सॉरी, वो तो बस ऐसे ही मजाक कर रही थी, प्लीज आईये ना, चाय तो पीकर जाइये।
मैं तो बस उसके खुलते और बंद होते गुलाब के पंखुड़ियों जैसे लबों को ही देख रहा था। उसने इतने प्यार और अपनेपन से कहा, फिर मैं कैसे ना कर सकता था।
मैंने हेलमेट को बाइक पर रखा और बाईक को साइड में खड़ा कर दिया।
वो दोनों अंदर चल दी और उनके पीछे पीछे मैं।
नवरीत: सोनल ने पहले नहीं बताया कि आप इनके यहीं पर रहते हैं, नहीं तो मैं पहले ही कह देती, आप खामखां इतनी देर बाहर ही खड़े रहे।
पूरी कोठी को बहुत ही शानदार तरीके से सजाया हुआ था। अंदर लड़कियों और लेड़िजों की काफी चहल पहल थी।
वो मुझे उपर ले आई, उपर कोई नहीं था। हम कमरे में आ गये। तान्या अंदर ही बैठी थी।

मुझे बैठाकर नवरीत और सोनल बाहर चली गई। मैंने तान्या की तरफ देखा, वो पैर के अंगूठे से अपनी सैंडिल को कुरेद रही थी।
मैं: इस बेचारे को किस बात की सजा दे रही हो, खता तो मैंने की है।
मेरी बात सुनकर तान्या का चेहरा एकदम लाल हो गया, उसने हल्के से पलके उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर वापिस हया से अपनी पलकें झुका ली।
मैं: इतना सब पता चलने के बाद भी तुम्हारे घर वालों ने तुम्हें बाहर जाने से रोका नहीं।
तान्या ने मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखा और मेरी बात को समझते हुए कहा।
तान्या: अरे पापा तो इतना गुस्सा हो गये थे कि मुझे लगा कि अब मेरा घर से निकलना बंद। पर मेरी प्यारी प्यारी मॉम भी तो है। मॉम ने पापा को झिडक दिया कि अभी मस्ती नहीं करेगी तो क्या मेरी तरह बूढी होकर करेगी। आप तो खामखां मेरी बच्ची के पिछे पड़े हो। कौन नहीं पीता आजकल। और फिर पीने में बुराई ही क्या है, आप भी तो पीते हो।
तान्या: पता है, जब मम्मी ने मेरी साइड ली ना तो मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर तो पापा कुछ कह ही नहीं पाए।
मैं: वॉव। अगर मेरे घर वालों को पता चल गया ना कि मैंने पीनी शुरू कर दी है तो उसी दिन कह देंगे कि बेटे इब तू म्हारा कोन्या रह्या, तेर मैं दारू का रोग लाग्गया, इब तै तू आपना न्याराए ठिकाना टो ले। इब तै तू दारू का हो गया।
मेरी बात सुनकर तान्या हंसने लगी।
तान्या: सब सिर के उपर से गया, कुछ भी समझ में नहीं आया क्या कहा आपने।
मैं: मेरा मतलब घर वालें कहेंगे कि, बेटा, अब तू हमारा नहीं रहा, अपना अलग ठिकाना जमा ले।
मेरी बात सुनकर तान्या मुसकराने लगी।
तान्या: ऐसा कुछ नहीं है जी, मम्मी पापा हर गलती को माफ कर देते हैं।
तभी नवरीत और सोनल हाथों में थाली लेकर अंदर दाखिल हुई। थाली देखते ही मेरी भूख एकदम बढ़ गई। सोनल ने थाली बेड पर रखी और साइड में रखी टेबल को मेरे सोफे के सामने कर दिया। नवरीत ने अपने हाथों में पकड़ी थाली टेबल पर रख दी और सोनल भी अपनी थाली को बेड पर से उठा लाई और टेबल पर रख दी।
मैं अभी आई कहते हुए नवरीत वापिस बाहर चली गई।
पूड़ियों की महक ने भूख को और भी बढ़ा दिया। सोनल मेरे पास आकर सोफे पर बैठ गई।
मैं: थैंक्स! याद रखने के लिए।
सोनल: अब ज्यादा थैंक्स-वैंक्स करने की जरूरत नहीं है, नही ंतो आगे से भूखे ही रहना पडेगा।
मैं: ओके बाबा! सॉरी।
सोनल आंखें दिखाते हुए मुझे घूरने लगी।
मैंने अपने कान को पकड़ा और खाने की तरफ धयान लगा दिया। एक थाली में चार कटोरियों में सब्जी थी, देखने से तो दो प्रकार की ही लग रही थी, दो कटोरियों में हलवा था और दो कटोरियों में खीर। दूसरी थाली में काफी सारी पूडियां रखी हुई थी। शायद सभी साथ में ही खाने वाले थे।
तभी नवरीत हाथ में जग और गिलास पकडे हुए अंदर आ गई। उसने जग और गिलास को टेबल पर रखा।
नवरीत: अरे आपने अभी तक खाना शुरू नहीं किया।
मैं: बस आपका ही इंतजार कर रहा था।
नवरीत: मेरा क्यों, खाना तो आपको खाना है।
मैं: आप ही तो कहकर गई थी कि अभी आइ्र्र।
मेरी बात सुनकर सभी हंसने लगे।
मैं: अरे यार तान्या, तुम अभी तक वहंी बैठी हो, अब क्या नीचे से गाने वाली बुलानी पडेगी, आओ जल्दी से, मुझे बहुत भूख लगी है।
तान्या: मुझे भूख नहीं है तो मैं क्यों आउं। आप खा लो।
मैं: अरे ये इतना सारा खाना लेकर आई हैं, तो मैं अकेला थोड़े ही खाउंगा।
नवरीत ने दो चेयर टेबल के पास रख दी और तान्या का हाथ पकड़कर उठा कर चेयर पर बिठा दिया और खुद दूसरी चेयर पर बैठ गई।
सोनल ने पूडी उठाई और एक कौर तोड़कर सब्जी लगाकर मेरे होठों से लगा दी। मैंने नवरीत की तरफ देखा, वो हमें देखकर मुस्करा रही थी। मैंने मुंह खोला और खाने का कौर मेरे मुंह के अंदर। फिर मैंने भी पूड़ी से एक कोर तोड़ा और सोनल को खिला दिया। सोनल को खिलाने के बाद मैंने दूसरा कौर तोड़ा और नवरीत के सामने कर दिया। शायद नवरीत यह एक्सपेक्ट नहीं कर रही थी, इसलिए थोड़ी हैरान हुई, पर फिर अपना मुंह खोल दिया और मेरे हाथ को पकड़कर अपना मुंह आगे करके कौर खा लिया। मैंने थोड़ी हिम्मत करते हुए अपनी उंगलियों को उसके होठों पर ज्यादा दबा दिया। उसने भी मेरी उंगलियों को अपने होठों में भींच लिया। पर तुरन्त ही अपने हाथ से मेरे हाथ को पिछे कर दिया। मैंने अपनी उंगलियां अपने होठों में दबा ली, जैसे उसके होठों का रस पी रहा हो। वो मेरी तरफ देखकर मुस्कराई और नीचे चेहरा कर लिया। फिर मैंने तान्या को भी एक कौर खिलाया। और फिर सभी खाने लगे। उन तीनों ने तो थोड़ा थोड़ा ही खाया। मेरा पेट भर गया था।
क्रमशः.....................
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RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही - by sexstories - 06-09-2018, 02:13 PM

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