RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--17
गतांक से आगे ...........
मैंने अनमने मन से गिलास पकड़ लिया। सोनल ने तान्या के कंधे पर हाथ रखे और मेरी और तान्या की सातलों पर बैठ गई। सोनल के ऐसे बैठने से तान्या थोड़ा साइड में हो गई और सोनल मुझसे सटकर तान्या की जगह पर बैठ गई और मेरे गले में अपना एक हाथ डाल दिया।
मैंने जैसे ही एक घूंट भरने के लिए गिलास को अपने चेहरे के पास किया उसमें से तीखी स्मैल आई। मैंने सोनल की तरफ देखा।
सोनल: पी जाओ मेरे जानू, फिर देखना क्या मजा आता है।
और उसकी सभी दोस्त हंसने लगी।
कंचन (मेरी जांघों पर हाथ फिराते हुए): हम भी पी रही हैं लड़की होकर, और तुम लड़के होकर नहीं पी पा रहे हो।
अब बात इज्जत की थी। मैंने गिलास को अपने होठों से लगाया और एक ही घूंट में आधा कर दिया। अबकी बार तो स्वाद बहुत ज्यादा कड़वा था। मुझे कुछ अजीब सा महसूस होने लगा था और मेरा सिर घूम रहा था।
मैंने सोनल की तरफ देखा, वो अपना गिलास खाली कर चुकी थी।
सोनल: कुछ नहीं, बस थोड़ी सी बीयर मिलाई थी कोक में, ज्यादा कुछ नहीं है।
सबके गिलास खाली हो चुके थे। सोनल उठी और म्यूजिक सिस्टम ऑन कर दिया और वापिस आकर मेरे पास बैठ गई। मैंने भी गिलास को दोबारा से अपने लबों से लगाया और पूरा का पूरा खाली कर दिया।
सोनल ने कामवाली को आवाज लगाई कि डरिंक खत्म हो गया है। तभी मुझे याद आया कि आंटी भी तो किचन में ही है।
मैंने सोनल की तरफ सवालिया नजरों से देखते हुए किचन की आंटी अपनी उंगली करते हुए कहा ‘आंटी’।
मेरी बात सुनकर सोनल बोली, आज मम्मी घर पर नहीं है, 11-12 बजे तक आयेंगी, वो मंदिर में कीर्तन चल रहा है, वहां गई है।
मेरी समझ में सब आ गया कि आंटी यहां पर है नहीं, तो आज तो खूब बीयर चल रही हैं, इसकी कोई सहेली आते वक्त लेकर आ गई होगी।
तभी काम वाली एक टरे में और गिलास लेकर आई, अबकि बार वो साथ में प्लेट में कुछ व्हाईट डिश भी लेकर आई थी।
सोनल ने एक गिलास उठाया और मेरे सामने कर दिया। मुझे सुरूर बनना शुरू हो गया था। पहले कभी बीयर पी नहीं थी तो एक गिलास में ही कुछ ज्यादा नशा हो गया था। काम वाली जब टरे रखने के लिए झुकी तो उसकी कमीज गले पर से नीचे लटक गई, जिससे उसके मम्मे थोड़ा बाहर को निकल आये। उसने दुप्पटा नहीं पहना हुआ था, शायद किचन में उतार कर रख दिया होगा।
मैंने गिलास की तरफ देखा तो मेरी नजर सीधी कामवाली पर पड़ी जो टरे में से गिलास टेबल पर रखी टरे में रख रही थी। मेरी नजर उसकी लटकती चूचियों पर जम गई। सोनल ने मेरे सामने चुटकी बजाई।
सोनल: कहां खो गये जनाब! यहां पर उससे खूबसूरत जवान लड़कियां बैठी हैं।
कामवाली सामान रखकर वापिस चली गई।
मैं सोनल की बात सुनकर झेंप गया और अपनी नजरें नीचे करके मुस्कराने लगा।
सोनल ने मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा और मुझे हिलाने लगी। मैंने उपर देखा तो उसने मेरे सामने गिलास कर रखा था। सोनल का हाथ एक जगह नहीं ठहर पा रहा था, शायद उसे नशा हो चुका था। मैंने गिलास को पकड़ने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया तो मेरा हाथ गिलास के पास से होता हुआ गुजर गया। मुझे दो दो गिलास नजर आने लगे थे। मैंने फिर से अपने हाथ को गिलास की तरफ बढ़ाया तो मेरा हाथ गिलास से टकरा गया जिससे गिलास में से डरिंक छलक कर मेरे और सोनल के उपर गिर गया।
मैंने सॉरी कहते हुए गिलास को पकड़ लिया। मैंने सामने बैठी सोनल की दोस्तों की तरफ देखा, तो वो सभी मुझे और सोनल को ही घूर रही थी और आपस में कुछ खुसूर फुसूर कर रही थी।
मेरी नजर
प्रिया (सोनल से): सोनल! एक मिनट आना।
सोनल: क्या हुआ।
प्रिया: आओ तो।
सोनल उठकर प्रिया के पास चली गई। निशा ने उसका हाथ पकड़कर सोफे पर खींच लिया और वो उनके पास बैठ गई। वो दोनों उसके कान में खूसूर फूसूर करने लगी।
मैंने टेबल पर देखा तो डिश की प्लेट आधी से ज्यादा खत्म हो चुकी थी। मैंने मन ही मन में सोचा ये कब खत्म हो गई। तभी कंचन ने एक चम्मच से थोड़ी सी डिश ली और खा ली।
ओह, तो इसने खत्म की है।
मैंने भी एक चम्मच से डिश उठाई और खा ली। ओह तेरे की ये तो अंडे की भुर्जी है। मैंने पहले भी खाई थी पर ज्यादा नहीं इसलिए देखने भर से पहचान न पाया।
निशा ने सोनल के कान में कुछ कहा तो सोनल एकदम से झल्ला पड़ी।
सोनल: दिमाग तो ठीक है तुम्हारा।
प्रिया ने सोनल को दिखाते हुए मेरी तरफ हाथ से ईशारा किया तो सोनल शांत हो गई और फिर अपना मुंह उनके पास लेजाकर खुसूर फूसूर करने लगी।
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैंने कंचन की तरफ देखा तो वो मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही थी। फिर मैंने तान्या की तरफ देखा तो वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही थी। मैंने उनपर से धयान हटाया और गिलास को अपने लबों पर लगाया एक छोटा सा सिप लिया।
तभी मुझे मेरे लिंग पर कोई हाथ महसूस हुआ। मैंने नीचे देखा तो तान्या का हाथ मेरी जींस के उपर से ही मेरी जांघों पर मेरे लिंग वाली जगह पर था। कंचन का हाथ भी मेरी जांघों के अंदर की साइड में था। वो अपनी उंगलियों को धीरे धीरे हरकत दे रही थी। मैंने सोनल की तरफ देखा, वो अभी भी निशा और प्रिया से खुसूर फूसूर कर रही थी। मैंने तान्या का हाथ पकड़ा और साइड में कर दिया और फिर कंचन का हाथ भी पकड़कर साइड में कर दिया।
तान्या बिल्कुल मुझसे सटकर बैठ गई और एक हाथ मेरी कमर में डालकर सहलाने लगी और दूसरा हाथ फिर से मेरी जांघों पर रखकर सहलाने लगी। उसकी चूचियों मेरे हाथ पर दबी हुई थी।
मेरे शरीर में चिंटिंया सी रेंगने लगी। मुझपर बीयर का असर धीरे धीरे बढ रहा था। कंचन ने फिर से अपना हाथ मेरी जांघों पर रख दिया पर कोई हरकत नहीं की।
धीरे धीरे मेरा लिंग अपने पूरे जोश में आ रहा था। उनकी हरकतों के कारण वो एकदम अकड़ कर जींस में दर्द करने लगा। मुझे अब बैठने में थोड़ी प्रॉब्लम हो रही थी। मैंने अपने हाथ से उसे एडजस्ट करने की कोशिश की पर कोई फायदा नहीं हुआ, मेरा लिंग और ज्यादा दर्द करने लगा। मेरी स्थिति को भांपकर तान्या और कंचन हंस पड़ी।
तभी सोनल अपनी जगह से उठी और किचन में चली गई।
निशा और प्रिया भी सोफे पर से खड़ी हो गई। मैंने गिलास को खाली किया और टेबल पर रखने के लिए झुका तो खुद को संभाल न सका और मेरा सिर टेबल पर जाकर लगा। टेबल पर रखे सारे गिलास गिर गये और सारी बीयर टेबल पर बिखर गई।
तान्या से जल्दी से मेरे कंघों को पकड़कर मुझे उठाने लगी। आवाज सुनकर सोनल बाहर आई, वो बाहर का नजारा देखकर हैरान रह गई।
सोनल: ओह, तो जनाब ने लगता है पहली बार पी है, जो इतनी जल्दी लुढक गये।
और सभी सहेलियां हंसने लगी। मैं थोड़ा झेंप गया।
थोड़ी देर में कामवाली बाहर आई और टेबल को उठा ले गई। सोनल ने दूसरी टेबल लाकर वहां पर रख दी।
सोनल रसोई में जाने लगी तो प्रिया ने पिछे से आवाज लगाई।
प्रिया: यार यहां पर गर्मी लग रही है, चलो उपर चलते हैं।
मैं: मुझे तो नहीं लग रही, और उपर कौनसा ए-सी- लगा है।
सोनल: हां, ये सही है, उपर खुली हवा में बैठकर पीते हैं।
कंचन और तान्या ने खड़े होते हुए मेरे एक एक गाल को अपने हाथों से मसल दिया। मैंने आह करते हुए उनके हाथों को अपने गालों से हटाया और खड़ा होने लगा।
जैसे ही मैं खड़ा हुआ, एकदम से मेरा सिर चकराया और मैं वापिस सोफे पर बैठ गया।
सभी लड़कियां मेरी तरफ देखकर खिलखिलाकर हंसने लगी।
तान्या: लो, जनाब तो फेल हो गये इतने में ही। फिल्म तो शुरू होने से पहले ही खत्म हो गई।
मैंने तान्या की बात सुनकर उपर तान्या की तरफ देखा।
मैं: कौन सी फिल्म, अब फिल्म भी देखोगी, इतनी देर तो हो गई है, आंटी भी आने वाली होगी।
सोनल: तभी तो उपर चल रहे हैं, ताकि मम्मी को कुछ पता ना चले।
सोनल मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़कर मुझे उठाया और मेरे हाथ को अपने सिर के पीछे से अपने दूसरे कंधे पर रखकर पकड़ लिया।
कंचन ने मौके का फायदा उठाया और मेरे दूसरी तरफ आकर मेरे दूसरे हाथ को उसी तरह कर लिया। कंचन ने अपना दूसरा हाथ मेरी कमर पर रख दिया।
वो उपर जाने लगी। मैंने अपना हाथ उन दोनों से छुड़ाया और अपना बैंलेस बनाने की कोशिश करने लगा। मैं आश्चर्य चकित था कि अभी बैठा था तो ज्यादा कुछ नशा ही नहीं हुआ था, एकदम खड़ा होते ही इतना नशा कैसे हो गया। मैंने अपना हाथ अपनी जांघों पर रखकर लिंग को थोड़ा एडजस्ट करने की कोशिश करने लगा।
निशा, प्रिया और कंचन सीढ़ियों में पहुंच चुकी थी। सोनल और तान्या मेरे पास ही खड़ी थी। मुझे ऐसे परेशान देखकर सोनल ने तान्या को कहा कि तुम चलो, मैं अभी आती हूं।
तान्या: कोई बात नहीं, साथ में ही चलते हैं।
सोनल मेरे पास आई और मेरी जींस के अंदर अपना हाथ डालने की कोशिश करने लगी, पर बैल्ट की वजह से नहीं गया।
सोनल ने तान्या की तरफ देखा तो तान्या खड़ी खड़ी मुस्करा रही थी।
सोनल ने मेरी बेल्ट खोली और सोफे पर रख दी। फिर मेरी जींस का बटन खोला और चेंज को भी खोल दिया। वो मेरे सामने खड़ी थी, जिससे तान्या को कुछ ना दिखे। पर तान्या हमारे साइड में आकर खडी हो गई। सोनल ने उसकी तरफ देखा।
तान्या: मैं क्या इसको खा जाउंगी, जो ऐसे देख रही है।
सोनल मुस्कराई और मेरी जींस के अंदर हाथ डालकर अंडरवियर के अंदर मेरे लिंग को उपर की तरफ कर दिया। मुझे अब थोड़ी राहत महसूस हुई।
सोनल (मेरी आंखों में देखते हुए): अब ठीक है।
मैंने अपने हाथ सोनल के चेहरे पर रखे और उसके होठों पर एक पप्पी दे दी।
मैं: अंअंअअ हां,,,,,, अअअअब ठीक है मेरी जाजाजाजाजाजाजननननननन।
बोलते हुए मेरी आवाज लड़खड़ा रही थी।
मैंने अपना हाथ सोनल की कमर में रख दिया और हम उपर की तरफ चल दिये।
तान्या हमारे पीछे पीछे आ रही थी। आधी सीढ़ीयों में आकर मुझे मेरी कमर में एक हाथ महसूस हुआ।
मैंने पीछे देखा तो तान्या ने अपना हाथ मेरी कमर में रखकर हमारे पीछे पीछे आ रही थी। मुझे पीछे देखता देख सोनल ने भी पीछे देखा और मुस्करा कर मेरी तरफ देखने लगी।
जैसे ही हम उपर आये, हवा का ठंडा झोंका हमसे टकराया और मेरा सुरूर और भी बढ़ गया।
मैंने अपना हाथ सोनल की कमर में से हटाया और छत पर टहलने लगा।
थोड़ी ही देर में कामवाली कुर्सिया और टेबल ले आई और रखकर नीचे चली गई।
सभी लड़कियां कुर्सियों पर बैठ गई, मैं पूनम की छत की तरफ टहलते हुए आ गया। उधर छत पर कोई नहीं था।
फिर मैं वापिस सबकी तरफ आया और सोनल के पास जाकर खड़ा हो गया।
मैं: तुमने पूनम को नहीं बुलाया पार्टी में।
सोनल: मैंने तो बुलाया था, वो उसके मामा जी के स्कूटर का कार के साथ एक्सीडेंट हो गया तो वो अपनी मम्मी पापा के साथ हॉस्पीटल में गई है, इसलिए वो आई नहीं।
मेरा नशा कुछ ढीला सा हो गया था, शायद मेरे शरीर ने एडजस्ट कर लिया था।
मैं सोनल के पास खाली पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। मेरे दूसरी साइड में निशा बैठी थी। मेरे बैठते ही निशा का हाथ सीधा मेरी जांघों के बीच आकर मेरे लिंग पर टिक गया और उसने अपनी मुट्ठी में मेरे लिंग को भर लिया। मेरे मुंह से आह निकल गई। मैंने तुरंत सोनल की तरफ देखा।
सोनल: क्या हुआ?
मैं: कुछ नहीं, ठंडी हवा का झोंका मस्त लग रहा है।
क्रमशः.....................
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