RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--16
गतांक से आगे ...........
मैंने उसके होंठों को छोड़ा और अपनी उंगली उसके मुंह में दे दी। सोनल ने मेरी उंगली पर लगा सारा रस चाट लिया और मिठाई के डिब्बे को साइड में रख दिया और अपनी उंगली मेरे मुंह में दे दी। हमने एकदूसरे की उंगलियों को चाटकर साफ किया और हमारे लब फिर से एक दूसरे में गुम हो गये।
सोनल मेरे उपर वाले होंठ को चुसने लगी और में उसके नीचे वाले होंठ को। मुझे तो पहले से ही शुकन्तला ने गरम किया हुआ था, मैंने अपने हाथ उसके बूब्स पर रख दिये। सोनल भी कहां पीछे रहने वालों में थी, उसने अपना हाथ मेरी शॉर्ट के अंदर डाला और अंडरवियर के उपर से ही मेरे लिंग को पकड़ लिया। मेरे मुंह से एक सिसकारी निकली जो हमारे होठों के चुम्बन में ही कहीं गुम हो गई। मैंने सोनल के निप्पल को (जो कि तनकर कड़क हो गये थे) अपनी उंगलियों के बीच में लिया और मसलने लगा। सोनल मचलने लगी और उसने अपना दूसरा हाथ मेरे सिर पर रख दिया और मेरे बालों को सहलाने लगी। मैंने उसके कमीज को पकड़ा और उपर उठाने लगा। पिछे से वो सोनल के नीचे दबा हुआ था, इसलिए उपर नहीं उठ पा रहा था। मेरी उलझन समझ कर उसने अपने कुल्हों केा थोड़ा सा उपर उठाया और मैंने सूट को उसके मम्मों से उपर कर दिया और ब्रा के उपर से ही उसके मम्मों को सहलाने लगा। जब मुझे ब्रा के उपर से जयादा मजा नहीं आया तो मैं अपने हाथ पीछे ले गया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिये। मैंने उसकी ब्रा को भी सूट के साथ उपर पहुंचा दिया। अब सोनल के नंगे बूब्स मेरे हाथों में थे। उसके बूब्स सख्त हो चुके थे और उसके निप्पल एकदम कडक। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों बूब्स को मसलना शुरू कर दिया। सोनल की सिसकारी मेरी मुंह में ही घुट रही थी।
मैंने सोनल के दोनों होठों को अपेन होठों के बीच लिया और चुसने लगा। ऐसे चूसते हुए ही मैंने अपनी जीभ उसके होठों के बीच डाल दी जिसे सोनल चूसने लगी। मुझे किस करने में बहुत ही मजा आ रहा था। रसगुल्ले की मिठास से मजा दुगुना हो गया था।
मैंने मिठाई के डिब्बे को उठाकर थोड़ा दूर रख दिया और धीरे धीरे सोनल को बेड पर लिटाते हुए खुद भी उसके उपर लेट गया।
तभी नीचे से आंटी की आवाज सुनाई दी: सोनल बेटी, पूनम आई हुई है, मिलने।
आंटी की आवाज के बाद हमें सीढ़ियों में कदमों की आवाज सुनाई दी। मैं जल्दी से सोनल के उपर से उठ गया और सोनल से जल्दी में उसकी ब्रा के हुक नहीं लग पा रहे थे। मैंने अपने हाथ पीछे किये और हुक लगाने लगा, पर लग ही नहीं पा रहे थे।
तभी दरवाजा खुला, देखा तो दरवाजे पर पूनम थी। मैं अभी भी सोनल के हुक लगाने की कोशिश कर रहा था।
पूनम: ओह, तो ये बात हैं, मैं तो तुझे बधाई देने आई थी, मुझे क्या बता अभी कोई और तुझे बधाई दे रहा है।
मैंने सोनल का हुक लगाया और उसके सूट को नीचे कर दिया।
सोनल: पूनम की बच्ची! तू भी ना, कबाब में हड्डी बनने के लिए आ जाती है।
और सोनल झंझलाते हुए बेड पर से उठी और पूनम के साथ नीचे चली गई। मैंने टाइम देखा, अभी 3 ही बजे थे। मैंने सोचा थोड़ा और सो लेता हूं, पर नींद नहीं आई तो मैंने लेपटॉप पर मूवी लगा ली और मूवी देखने लगा।
तभी मुझे धयान आया कि ऑफिस के कम्प्यूटर से मैंने वो एमएमएस तो डिलीट किया ही नहीं।
फिर सोचा कोई नहीं, कल जाकर डिलीट कर दूंगा, अब कौन देखेगा। बॉस तो बाहर गये हुए हैं और अपना धयान मूवी देखने में लगा दिया।
दोस्तों, अभी इतना ही अपडेट दे पाउंगा। मैं कुछ दिन के लिए बाहर जा रहा हूं, इसलिए अब चार पांच दिन अपडेट नहीं दे पाउंगा। उसके बाद फिर से अबकी तरह रेगुलर अपडेट मिलेंगे।
आप कमेन्ट्स देते रहिए, मैं मोबाईल द्वारा रिप्लाई करने की कोशिश करूंगा।
मूवी खत्म होने के बाद मैंने लैपटॉप को ऑफ किया। टाइम देखा तो छः बजने वाले थे। मैं बाहर छत पर आ गया और टहलने लगा। ठण्डी हवा चल रही थी तो मैंने सोचा क्यों न पार्क में चला जाए। और मैं रूम का दरवाजा बंद करके नीचे आ गया पार्क में जाने के लिए। सोनल कहीं जाने के लिए अपनी स्कूटी निकाल रही थी।
मैं: कहां की तैयारी हो रही है?
सोनल: बस इधर ही जा रही हूं, बाजार तक। आप कहां चल दिए। अच्छा, सुनो, मैंने आज पार्टी रखी है तो खाना मत बनाना।
मैं: वॉव पार्टी, फिर क्यों खाना बनाउंगा।
सोनल अपनी स्कूटी निकालकर बाजार चली गई और मैं पार्क के लिए चल दिया।
जैसे ही मैं पार्क में घुसा सामने से वहीं लड़की (अरे वहीं यार जो पार्क में अपने कॉर्टून डॉगी के साथ आती है) आती हुई दिखाई दी।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कराया और वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्कराई और उसका डॉगी मेरी तरफ देखकर भोंका।
डॉगी के भोंकते ही वो खिलखिलाकर हंस पड़ी।
मैं: इस तेरे डॉगी को मेरे से क्या प्रॉब्लम है (और मैं उसके पास जाकर खड़ा हो गया, उसका डॉगी मेरे चारों तरफ चक्कर लगाने लगा)।
लड़की: वो तो अब इसी से पूछना पड़ेगा।
मैं: हाय! मेरा नाम समीर है।
लड़की: हाय! मेरा नाम मोनी है।
मैं: ओह, नाईस नेम, मोनी-सोनी।
मोनी (हंसते हुए): सोनी मेरी बउ़ी बहन का नाम है।
मैं: ओह तो सोनी-मोनी दोनों ही हैं (और हंसने लगा)।
मोनी भी हंसने लगी। उसका डॉगी मेरे चारों तरफ घूम घूमकर मुझे सूंघ रहा था, पता नहीं क्या ढूंढने की कोशिश कर रहा था।
मोनी: कल नहीं आये पार्क में।
मैं: अरे यार! वो थोड़ा काम हो गया था। (अब आप तो जानते ही हैं, क्या काम हो गया था, सोनल की बच्ची ने छोउ़ा ही नहीं)
मैं: अंकल आंटी कैसे हैं?
मोनी (थोड़ा आश्चर्य से): अंकल-आंटी? तुम जानते हो।
मैं: अरे वो कल सुबह ही तो मिले थे, तुम उनको बुलाने आई थी।
मोनी: अरे हां। मम्मी-पापा ठीक हैं। वैसे कल क्या बातें हो रही थी आपकी और पापा की।
मैं: कुछ नहीं, बस ऐसे ही कैजुअल बातें, जो अब आपके और मेरे बीच हो रही हैं।
उसका डॉगी मेरे जूतों को चाटने लगा।
मैं: चलें!
मोनी (आश्चर्य से): कहा?
मैं: अरे मेरा मतलब जॉगिंग करें।
मोनी: ओह!!! हां, क्यों नहीं।
और हमने जॉगिंग स्टार्ट कर दी। उसका डॉगी बार बार मेरे आगे आ जाता था, जिससे मैं थोड़ा पीछे रह हो जाता।
पीछे से उसके कातिल मस्त कुल्हें दौड़ते हुए तेजी से उपर नीचे हो रहे थे और बहुत दिलकश लग रहे थे।
मैंने मोनी की तरफ देखा, वो बार बार मेरी तरफ ही देख रही थी और हंस रही थी। वो हंसती हुई बहुत ही प्यारी लग रही थी, उसके गुलाबी होंठों से झांकते मोती की तरह चमकते सफेद दांत उसकी सुंदरता में कई चांद लगा रहे थे।
मैं: क्यों हंस रही हो।
मोनी: बस ऐसे ही। आपको पता है, हंसने से खून बढ़ता है।
मैं: अच्छा जी! मुझे तो मालूम ही नहीं था। फिर तो मैं भी हंसता हूं (और अपने दांत निकालकर हंसने लगा)।
मोनी (मेरी खीज निकालते हुए): हें हें हें,,,, ऐसे भी कोई हंसता है, कितना बनावटी लग रहा है।
मैं: तो और कैसे हंसू।
मोनी: मेरे कहने का मतलब है कि खुशी में जो हंसी आती है उससे, बनावटी से नहीं।
मैं: अब खुशी तो कहां से लाउं, मोनी से काम नहीं चलेगा क्या।
मोनी (मेरे कंधे पर मुक्का मारते हुए): नहीं चलेगा, खुशी ही चाहियेगी।
थोडी देर और जॉगिग करने के बाद वो चली गई और अपने घर आ गया।
घर पर कुछ चहल-पहल बढ़ गई थी, चार पांच स्कूटी नीचे खड़ी हुई थी। मैं उपर अपने रूम में आ गया।
साढ़े आठ बजे सोनल मेरे रूम में आई। मैं पानी पीने के लिए खड़ा ही हुआ था। सोनल ने आते ही मेरे होठों पर एक पप्पी दी और मेरे गले में अपनी बाहें डाल दी।
सोनल: कितने पसीने आये हुए हैं। जल्दी से नहाकर नीचे आ जाओ, मेरी दोस्त भी आ गई हैं, फिर पार्टी शुरू करते हैं।
मैं: ओके! माई पार्टी गर्ल। अभी आता हूं। (और उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ रख दिये)।
मैं बहुत ही प्यार से उसके होंठों का रस पी रहा था। मैंने अपने हाथ उसकी कमर में ले जाकर उसके कुल्हों पर रख दिए और उन्हें मसलने लगा। थोउ़ी देर बाद मैंने अपने हाथ उसकी कमर में रखें और उसके भिंच लिया। उसके बूब्स मेरी छाती में दबकर पिचक गये। मैं अपने हाथ नीचे ले गया और अपना हाथ सोनल की जींस के अंदर डालने की कोशिश करने लगा।
सोनल ने मेरा हाथ पकउ़ लिया और जींस के उपर से ही अपने कुल्हों पर रख दिया। हमारे लब लगातार एक दूसरे के लबों का रस चूसने में मशरूफ थे। सोनल की गर्म सांसे मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी। जल्दी ही हमारी सांसे उखड़ने लगी और हम दोनों अलग हो गये।
सोनल: ओके!!!!! अबबबब मैं चलतीीीी हहहहूं, तैयारररररर होकररर जल्दी नीचे आ जाओ।
और ये कहकर सोनल नीचे चली गई। मैं नहाने के लिए बाथरूम में घुस गया।
नहाकर मैं नीचे चला गया। सोनल की सभी दोस्त एक से बढ़कर एक थी। मेरे अन्दर आते ही सोनल मेरे पास आई और मेरी कमर में हाथ डालकर अपनी सभी दोस्तों से मेरा परिचय करवाया। पांचों की पांचों मदमस्त हुस्न की मालिक थी। जब मैंने उनसे हाथ मिलाया तो उनके नरम और मुलायम हाथों को छूते ही मेरे शरीर में सिहरन दौड़ गई। आंटी शायद किचन में कुछ तैयार कर रही थी।
सोनल ऐसा बिहेव कर रही थी कि जैसे मैं उसका बॉयफ्रेंड हूं। तभी किचन से किसी ने सोनल को आवाज लगाई और सोनल ‘अभी आती हूं’ कहकर किचन में चली गई। शायद आंटी ने बुलाया होगा।
मैं सोफे पर बैठ गया। सोनल की दोस्त कंचन भी मेरे पास ही आकर सौफे पर मुझसे सट कर बैठ गई।
उसके बैठते ही सोनल की दो दोस्त रूपाली और तान्या भी उसी सोफे पर आकर बैठ गई। तान्या मेरे दूसरी तरफ मुझसे सटकर बैठी थी, जबकि रूपाली कंचन के पास बैठ गई। बाकि की दो दोस्त निशा और प्रिया साथ वाले सोफे पर बैठ गई।
हम सभी आपस में बातें करने लगे। कंचन बातों ही बातों में बार बार अपना हाथ मेरी जांघों पर रख रही थी। उसकी इस हरकत से मेरी जींस टाइट होने लगी थी। कंचन ने एक जोक मारा और मेरी जांघों पर अपना एक हाथ कसकर रख दिया और दूसरे हाथ को तान्या की तरफ ले जाकर उसके हाथ से ताली मारी।
जोक कुछ अटपटा सा था, मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि क्या निष्कर्ष निकला, पर सभी हंस रहे थे तो मैं हंस दिया (गधे वाले सिचुएशन से बचने के लिए, आप लोगों को तो पता ही होगा, गधे की कहानी, चलो जिसको नहीं पता है, वो पढ़ लें, बता देता हूं, एक बार जंगल में सभा लगी हुई थी, कि शेर ने एक जोक सुनाया, जोक इतना फाउू था कि सारे जानवर हंस हंसकर लोट पोट हो रहे थे, पर गधा आराम से खड़ा था और उन सभी को आश्चर्य से देख रहा था। अगले दिन बंदर ने देखा कि गधा हंस हंसकर लोट पोट हो रहा है, और पेट को पकड़कर जोर जोर से हंसा जा रहा है। बंदर ने पूछा भाई क्या, हुआ इतने क्यों हंस रहे हो। गधे ने कहा कि वो कल वाला जोक मुझे अब समझ में आया है।)।
तभी सोनल एक टरे में कुछ सॉफट डरिंक ले आई और हम सभी को दिये और खुद भी एक लेकर बैठ गई। मैंने डरिंक पिया तो मुझे उसमें कुछ अजीब सी स्मैल आया और स्वाद भी कुछ अलग ही था।
तभी अंदर से काम वाली और डरिंक और स्नैक्स लेकर आई और टेबल पर रखकर वापिस चली गई। सोनल की सभी दोस्त गटागट डरिंक पी गई और दूसरा गिलास उठा लिया। मेरा तो अभी पहला ही आधा हुआ था। मैंने स्नैक्स लेने के लिए टेबल की तरफ देखा तो टेबल पर तो टेबल ही थी, सारे स्नैक्स खत्म हो चुके थे।
सोनल और उसकी दोस्त आपस में बातें कर रही थी और जोर जोर से हंस रही थी, वो बातों में मारवाड़ी का यूज कर रही थी, जिससे मुझे उनकी बातें पूरी समझ में नहीं आ रही थी और मैं चुपचाप बैठकर डरिंक पी रहा था। तान्या ने भी अपना डरिंक खत्म किया और डरिंक उठाने के लिए मेरी जांघों पर एक हाथ रखकर आगे को होकर दूसरा गिलास उठा लिया।
मैंने सोनल से पूछा कि ये कौन सा डरिंक है तो सोनल ने कहा कि कोक है।
मैं: पर कोक का स्वाद तो ऐसा नहीं होता।
मेरी बात सुनकर सोनल की सभी दोस्त हंस पडी और मुझे खा जाने वाली नजरों से देखने लगी।
सभी इस दूसरे डरिंक को धीरे धीरे छोटे छोट सिप लेकर पी रही थी। आखिरकार मैंने भी आधे बचे गिलास को एक घूंट में ही पी लिया।
सोनल अपनी जगह से उठी और टेबल पर से एक गिलास उठाया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई और गिलास मेरे सामने कर दिया। मैंने सोनल के चेहरे की तरफ देखा, उसकी आंखें थोड़ी लाल हो गई थी।
मैं: नहीं, मुझे इसका टैस्ट अच्छा नहीं लग रहा, मैं और नहीं लूूंगा।
सोनल: ये अच्छा है, इसे पियो, पीने के बाद तो फिर और भी मांगोगे।
क्रमशः.....................
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