RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--15
गतांक से आगे ...........
मैंने वीडियो चालू कर दी और चेयर पर आराम से पीठ लगाकर बैठ गया और वीडियो देखने लगा।
वीडियो में एक खूबसूरत लड़की का चेहरा दिखाई देता है जो गाड़ी में बैठी हुई थी।
लड़की: मैं मना कर रही हूं ना फोटो मत लो।
लड़का: कुछ नहीं होता, मैं देखने के बाद डिलीट कर दूंगा।
लड़की: अगर लीक हो गई ना तो फिर देख लेना, मैं तो बरबाद होउंगी, तुझे कहीं का नहीं छोड़ूंगी।
ये सुनते ही लड़का भड़क गया और लड़की बालों को पकड़कर खींच लिया और उसके मुंह को अपने पेट की जीप से बाहर निकाले लिंग पर टिका दिया।
लड़की ने अपना मुंह खोला और जीभ बाहर निकाल कर उसके लिंग को चाटने लगी।
मैं वीडियो देखने में मस्त हो गया।
तभी मुझे ऐसा लगा कि बाथरूम के साइड वाला दरवाजा खुला है, मैंने थोड़ा सा सिर घुमाकर देखा तो दरवाजा बंद ही था, शायद हवा से हिला हो।
मैंने वापिस वीडियो पर धयान दिया, लड़के ने लड़की के सिर को अपने लिंग पर दबा दिया था और उसका पूरा लिंग लड़की के मुंह में चला गया था। लड़की के मुंह से घूं घूंघूघूघू की आवाज आ रही थी और वो अपने हाथों को चला रही थी, खुद को छुड़ाने के लिए। पर लड़के की पकड़ मजबूत थी।
लड़के ने उसके सिर को थोड़ा सा ढीला छोउ़ा, लडकी ने अपना सिर उपर को उठाया पर जैसे ही लिंग सुपाड़े तक बाहर आया लड़के ने वापिस से उसके सिर को दबा दिया और उसका लिंग फिर से लड़की के मुंह में पूरा चला गया। लड़की घूंघूघू करके अपने पैर पटकने लगी। तभी लड़के के मुंह से आह निकली और उसका शरीर अकड़ गया। उसने अपने हाथ को पूरी ताकत से लड़की के सिर को दबा दिया। कुछ सैकण्ड बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया और उसके हाथ की पकड़ ढीली हो गई। हाथ की पकड़ ढीली होते ही लड़की ने अपने सिर को छुड़ाकर तेजी के साथ उपर को उठी। वो बुरी तरह से हांफ रही थी और उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे। लड़की खांस रही थी और अपने हाथ से अपने गले को सहला रही थी। उसके मुंह से लड़के का जूस बाहर टपक रहा था। जब वो खांसती तो कुछ ज्यादा जूस बाहर की तरह आकर गिर जाता।
थोड़ी देर में लड़की की सांसे नॉर्मल हुई। उसने एक थप्पड लड़के के गाल पर रसीद कर दिया और कार का दरवाजा खोलने लगी। लड़के ने तुरन्त हरकत की और उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया।
लड़की: छोड़ो मुझे।
लड़का: डार्लिंग, अभी चोदता हूं, टेंशन क्यों लेती है।
लड़की: बकवास मत करो, मेरा हाथ छोड़ो और मुझे जाने दो।
लड़का: अभी कैसे जाने दू, अभी तो बहुत कुछ बाकी है।
लड़की: मुझे कुछ नहीं करना, छोउ़ो मुझे।
तभी मुझे मेरे सिर के उपर गरम गरम सांस महसूस हुई।
मैंने तुरन्त पीछे घुमकर देखा तो शुकन्तला खड़ी हुई थी। उसका एक हाथ उसके बूब्स पर था और दूसरा हाथ उसकी योनि को सहला रहा था और उसकी नजरे मॉनीटर पर जमी हुई थी।
मेरे पीछे देखते ही वो एकदम हड़बड़ा कर पीछे को हो गई।
मैं उसे देखते ही एकबार तो घबरा गया, पर जब उसकी सिचुएशन देखी तो मुस्कराए बिना न रह सका।
मुझे मुस्कराता देखकर वो भी मुस्कराई और बाहर जाने लगी।
मैं: शुकन्तला, वो प्यास लगी है, पानी लाना।
शुकन्तला: जी, अभी लाती हूं और यह कहकर बाहर चली गई।
मेरे मन में शुकन्तला के साथ मजे करने का प्लान बनने लगा। मैं प्लान बनाने लगा कि कैसे शुकन्तला के साथ मजे करूं।
थोड़ी देर बाद शुकन्तला पानी लेकर आई और टेबल पर रखकर वापिस चली गई।
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे कैसे चुदाई के लिए तैयार करूं। मैंने पानी पीया और सोचने लगा। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया।
मैं उठा और बाहर की तरफ चल दिया। मैंने पहले रूम के पास आकर देखा कि शुकन्तला बाहर नहीं है, शायद अंदर ही होगी। मैंने दरवाजा को हलका सा धकाया तो वो खुल गया। मैं अंदर आ गया।
दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर शुकन्तला रसोई से निकल कर बाहर आई और मुझे वहां देखकर चौंक गई।
शुकन्तला: क्या हुआ साहब जी, आप यहां।
मैं: अरे वो चाय पीने का मन कर रहा था, तो सोचा कि तुम्हें बोल देता हूं।
शुकन्तला: अभी बनाती हूं, साहब जी। और वापिस रसोई में चली गई।
मैं भी उसके पीछे पीछे रसोई में आ गया। मैंने रसोई में अंदर आते हुए उसके जिस्म का नुमायना करना शुरू कर दिया। उसने अपने पूरे शरीर को साड़ी से ढंक रखा था इसलिए ज्यादा कुछ समझ तो नहीं आ रहा था। पर फिर भी वो एक भरपूर जवान जिस्म की मालकिन मालूम हो रही थी। शुकन्तला कोई 19 20 साल की जवानी से भरपूर लड़की थी।
शुकन्तला (मुझे रसोई में देखकर गले से थूक गटकते हुए): साहब जी आप यहां क्यों आ गये, मैं अभी बनाकर लेकर आती हूं, आप चलिये ना, मैं अभी ऑफिस में बनाकर लाती हूं।
मैं: कोई बात नहीं, मैं भी सीख लूूं कि चाय कैसे बनाते हैं, कभी बनानी पड़ गई तो।
शुकन्तला (खुश होते हुए): आपको चाय बनानी नहीं आती, बहुत आसान है।
मैं शुकन्तला के पास आकर खड़ा हो गया। शुकन्तला मुझसे थोड़ा हटकर खडी हो गई और चाय के लिए पतीला उठाकर गैस पर रख दिया और उसमें पानी डाल दिया। पानी के थोड़ा गर्म होने पर उसने चाय की पती का डिब्बा उपर से उतारा और एक चम्मच चाय की पती उसमें डाल दी।
मैं (बहाने से): कितनी चाय डालते हैं, इसमें। (और थोड़ा शुकन्तला की तरफ सरक कर पतीले की तरफ झुककर पतीले में देखने लगा। मेरा दायां हाथ शुकन्तला के शरीर से टच हो गया। शुकन्तला के शरीर ने एक झुरझुरी सी ली पर वो वहीं खड़ी रही। उसे हटते न देखकर मेरी थोड़ी सी हिम्मत बढ गई।
शुकन्तला ने अब चीनी का डिब्बा भी उतारा और बगैर मेरी तरफ देखे ही पूछा: कितनी चीनी लोगे साहब जी।
मैं (थेाड़ा और उससे सटते हुए): जितनी नॉर्मल डालते हैं और अपना हाथ पीछे की तरफ करके उसके कुल्हों से सटा दिया। और थोड़ा उसकी तरफ झुकते हुए उसे चीनी डालते हुए देखने लगा।
मेरे हाथ को अपने कुल्हों से टच होता महसूस करके शुकन्तला के माथे पर पसीने की कुछ बूंद झलक आई। उसने थूक को गटका और अदरक उठा कर उसको थोड़ा सा बेलन से पीटा और चाय में डाल दिया।
मैंने अपने हाथ को थोड़ी सी हरकत दी और उसके कुल्हों पर थोड़ा सा घिस दिया। मेरी इस हरकत से वो थोड़ा आगे को सरक गई जिससे वो स्लैब से एकदम सट गई। उसने अपने हाथ स्लैब पर रख दिए। और गहरी गहरी सांसे लेने लगी।
मैंने अपने हाथ को थोड़ा सा दबाव देकर उसके कुल्हों पर एक जगह स्थिर कर दिया।
अचानक उसके शरीर ने हरकत की और उसने अपने कुल्हें थोड़े से पिछे को कर दिये। मैंने अपने हाथ को उसी जगह पर मैनेज किए रखा जिससे मेरा हाथ उसके कुल्हें में गड सा गया। मैं सरककर और ज्यादा उसकी तरफ हो गया और अब मेरी जांघे उसकी जांघों पर साइड में से टच होने लगी। मेरा लिंग तनकर थोड़ा सा बाहर को उभार बनाए हुए था। मुझे लिंग में थोउा सा दर्द महसूस हो रहा था।
मैंने अपने हाथ वैसे ही उसके कुल्हें में दबाये हुए सीधा किया और उसके कुल्हे पर अपनी हथेली की ग्रिप बना दी।
शुकन्तला वैसे ही खड़ी थी और अपने कुल्हों को थोड़ा थोड़ा पीछे की तरफ धकेल रही थी। मैंने उसके एक कुल्हे को अपनी हथेली में भर लिया और भींचने लगा। शुकन्तला के मुंह से आह निकली और वो एकदम से साइड में हट गई।
शुकन्तला: ये ठीक नहीं है बाबू जी, आप बाहर जाओ, मैं चाय लेकर आती हूं।
मैं: क्यों, मजा नहीं आ रहा क्या।
शुकन्तला: आ रहा है, पर मैं शादी से पहले कुछ भी गलत नहीं करूंगी।
मैंने मन में सोचा इसको तैयार करने में थोड़ा टाइम लगेगा। खीर थोड़ी ठण्डी करके खानी पड़ेगी नहीं तो हो सकता है, खाने को ही ना मिले।
फिर भी मैं उसके पास गया और उसकी कमर को पकड़कर अपनी तरफ खींचा और खुद से सटा दिया।
शुकन्तला: छोड़ो ना बाबू जी, क्या कर रहे हो। मैं ये सब नहीं करूंगी।
मैं: ओके, कोई बात नहीं, ये सब कौन करने को कह रहा है, बस थोउ़े उपर से ही मजे कर लेते हैं।
शुकन्तला: नहीं, मैं कुछ नहीं करूंगी। हटो, चाय जल रही है। ( और मुझे पीछे की तरफ धक्का देकर चाय में दूध डालने लगी।
मैं उसके पीछे आकर उसके कुल्हों से सटकर खडा हो गया। शुकन्तला ने पीछे देखा।
शुकन्तला: हटो ना, अब मान भी जाओ। प्लीज, मैं आपके हाथ जोउ़ती हूं।
मैं: मजा तो तुझे भी आ रहा है, पर कोई बात नहीं, फिर कभी देखूंगा, आज मेरा भी ज्यादा मूड नहीं है। ये कहकर मैं रसोई से बाहर आ गया और ऑफिस में आकर बैठ गया।
थोड़ी ही देर में शुकन्तला चाय लेकर आई और मुझे देकर चली गई।
मैंने चाय पी और सिस्टम को शटडाउन करके घर चलने के लिए बाहर आ गया। मैंने शुकन्तला को आवाज लगाई कि मैं जा रहा हूं।
शुकन्तला: क्यों, क्या हुआ। नाराज हो गये क्या।
मैं: अरे नहीं, आज कुछ काम है, इसलिए जा रहा हूं।
शुकन्तला: ठीक है, साहब जी, मैंने तो सोचा कि कहीं मुझसे नाराज हो गये हो।
मैंने अपनी बाईक स्टार्ट की और घर के लिए चल पड़ा। 11 बजे मैं घर पहुंचा। मैंने देखा कि
मैंने देखा कि सोनल की स्कूटी वहीं पर खड़ी थी। मैं बाईक खड़ी करके अपने रूम में आ गया और बैड पर लेट गया। रात को नींद पूरी न होने के कारण मुझे थोडी ही देर में नींद आने लगी। मैं उठा और कपड़े चेंज करके शॉर्ट और टी-शर्ट पहन ली। और वापिस आकर बेड पर लेट गया सोने के लिए। थोड़ी ही देर में मैं सो गया।
उठो---- उठो---- भी---- क्या कुंभकर्ण की तरह सो रहे हो।
मैंने हल्के से आंखें खोल तो सोनल बैड के पास खड़ी मुझे उठा रही थी।
मैं (आंखे मलते हुए): क्या हुआ, क्यों उठा रही हो, इतनी अच्छी तो नींद आई हुई थी।
सोनल: अच्छा एक बार उठो, फिर वापिस सो जाना।
मैं (बैठते हुए): क्यों क्या हुआ यार।
सोनल मेरे साथ बैठ गई और अपने हाथ में पकड़े मिठाई के डिब्बे में से एक रसगुल्ला निकाल कर मेरे मुंह में ठूंस दिया।
ऊऊहहहहहहहहह क्यययययययययययया है ये, मैंने अपने हाथ से टपकते हुए रस को पौंछते हुए कहा।
सोनल: पहले एक और (और एक और रसगुल्ला मेरे मुंह में ठूंस दिया)।
अभी मैंने पहला तो खाया भी नहीं था, इसलिए मेरा मुंह एकदम भर गया। सोनल ने मेरी थोड़ी और होंठों पर लगे हुए रस को अपनी जीभ से चाट कर साफ कर दिया। मैंने मुश्किल से रसगुल्लों को खाया।
मैं: अब बताओ, ये रसगुल्ले किसलिये।
सोनल: मेरा माइक्रोसॉफ्रट में सलेक्शन हो गया।
मैं: वॉव, क्या बात है, तुम तो बड़ी छुपी रूस्तम निकली, बताया भी नहीं तुमने कि माइक्रोसॉफ्रट में एप्लाई किया हुआ है।
मैं: काँग्रेचुलेशन! और मैंने उसके होठों की एक पप्पी ले ली।
मैं (एक रसगुल्ला उठाते कर सोनल के मुंह के पास ले जाकर): तो अब इसी बात पे एक एक और हो जाये।
सोनल ने अपना मुंह खोला और मैंने पूरा उसके मुंह में ठूंस दिया।
सोनल: उंहूूहू, आराम से भी तो खिला सकते हो।
उसके होठों से टपकते हुए रस को मैंने अपने होठों से पी लिया और उसके नीचले होठ को अपने होठों के बीच में भरकर चूसने लगा। रसगुल्ले के रस में भीगे उसके होठों को चूसने में बहुत मजा आ रहा था।
क्रमशः.....................
|