Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
06-09-2018, 02:11 PM,
#7
RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--7
गतांक से आगे ...........
सोनल: हंस लो, हंस लो, शाम को देखूंगी घर आकर।
मैं (सोनल की चिड़ाते हुए): क्यों अभी क्या आंखों पर पट्टी बंधी हैं।
तभी बॉस गाड़ी से बाहर आ गये।
मैंने और अपूर्वा ने बॉस को गुड मॉर्निग की और सोनल ने भी गुड मॉर्निग सर कहा।
बॉस: गुड मॉर्निग। ये कौन अपूर्वा की सिस्टर है क्या।
अपूर्वा: नहीं बॉस, वो समीर की फ्रेंड है।
बॉस: ओह! मैंने सोचा कि अपूर्वा की सिस्टम होगी।
सोनल (बहुत धीरे से ताकि बॉस का ना सुनाई दे): काश! होती तो मजा आ जाता।
बॉस: ओके, आओ अब बाहर ही खड़े रहोगे।
मैं: ओके बॉस, अभी आते हैं।
मैं: बाये सोनू जानू, अब तो यहां से भागना ही पडेगा।
सोनल: हां, अब तो यहां से फूट लेती हूं, (और वो अपूर्वा के पास आई और उसके गले लग गई)।
अपूर्वा ने भी उसे अच्छी तरह से हग किया और फिर सोनल मुझे बाय बोलकर अपनी स्कूटी स्टार्ट करके चल दी।
मैं और अपूर्वा अंदर आ गये, बॉस पहले ही अंदर आ चुके थे। हम अंदर आकर सीधे ऑफिस में आ गये और अपने-अपने सिस्टम ऑन कर लिये।
मैं (अपूर्वा की तरफ देखते हुए): सॉरी!
अपूर्वा: किसलिए!
मैं: वो मेरे लिए तुम्हें सुबह सब काम जल्दी जल्दी करने पड़े, और फिर भी मैं किसी और के साथ ही आ गया।
अपूर्वा: अब ज्यादा सेंटी होने की जरूरत नहीं है। पर मुझे गुस्सा तो बहुत आया, कि मैं तो सुबह से परेशान हो रही हूं और जनाब हैं कि एक फोन भी नहीं किया।
मैं (कान पकड़ते हुए): सॉरी यार!
अपूर्वा मेरे पास आई और मेरे हाथों को मेरे कानों पर से हटाकर दोनों हाथों पर एक एक चूमी ली और कहा -
अपूर्वा: इट्स ओके यार! चलता है।
मैं: वैसे आज तुम एकदम कमाल की लग रही है। मन कर रहा है तुम्हें बाहों में भरकर चूम लूं।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा शरमा गई और अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाकर मंद मंद मुस्कराने लगी।
मैंने अपूर्वा के चेहरे को अपने हाथों में थामा और उसके फोरहेड (माथे) पर अपेन होठों की एक प्यारी सी चूमी दी। अपूर्वा की आंखे बंद थी और वो मंद मंद मुस्करा रही थी।
तभी बॉस बाहर से फोन पर बाते करते हुए आते हुए सुनाई दिए, मैं अपनी चेयर पर आकर बैठ गया और अपूर्वा अपनी चेयर पर जाकर बैठ गई।
बॉस अंदर आते हुए: समीर! वो जो यूनिवर्सिटी का प्रोजेक्ट चल रहा है, उसके लिए वो सोनिया जी आयेंगी, वो यूनिवर्सिटी में मैंनेजमेंट में हैं, वो उस प्रोजेक्ट के बारे में कुछ समझायेंगी, वो समझ लेना उनसे। मैं बैंक जा रहा हूं, आज पैसे जमा करवा हीं दूंगा अगर कुछ समझौता हुआ तो।
और अपूर्वा तुम वो (ये कहते हुए बॉस अपूर्वा की तरफ घूम गये) मिश्रा एंड संस का जो बिलिंग सॉफ्रटवेयर तैयार करना है, उसकी रूपरेखा तैयार कर लेना, फिर ऑफिस चलते ही, अपनी टीम के साथ उस पर जुट जाना, वो जल्दी ही पूरा करके देना है।
अपूर्वा: ओके बॉस!
बॉस: खूबसूरत लग रही है ये ड्रेस तुम पर, एकदम परी के जैसी लग रही हो।
अपूर्वा: थेंक्स बॉस!
बॉस ये कहकर बाहर चले गए और हम अपने-अपने कामों में लग गए।
मैं बार बार अपूर्वा को देख रहा था, पर वो तो अपने काम में इतनी मग्न हो गई थी कि जैसे यहां पर और कोई है ही नहीं।
मुझे बाहर से किसी के कदमों की आहट सुनाई दी तो मैं भी अपने काम में लग गया। तभी मैंम अंदर दाखिल हुई और हमें गुड मॉर्निग कहा।
गुड मॉनिंग मैम, मैंने और अपूर्वा ने एक साथ कहा।
मैम की नजर मुझपर ही थी और वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई। उन्होंने अपनी जांघों को मेरे कंधे से सटा दिया और मेरे बालों में हाथ फिराने लगी।
अब धीरे धीरे मुझे भी समझ में आने लगा था कि मैम मुझसे कुछ चाहती है, पर फिर भी मैं अपना काम करता रहा और मैंने मैम की तरफ ज्यादा धयान नहीं दिया। थोडी देर बाद मैम अपूर्वा की तरफ गई और अपूर्वा को देखकर बोली:
मैम: वॉव अपूर्वा ! आज तो तुम एकदम परी लग रही हो।
मैम की बात सुनकर अपूर्वा शरमा गई।
मैम (अपूर्वा को शरमाते देखकर): सच कह रही हूं। बहुत ही खूबसूरत लग रही हो।
अपूर्वा: मैं आज सुबह से ही जो भी मुझे देख रहा है, वो ही सीधा यही कहता है कि एकदम परी लग रही हो। अब मैं इतनी भी सुंदर नहीं हूं।
मैम: किसने कह दिया तुम्हें कि तुम सुंदर नहीं हो।
मैम: समीर, क्या अपूर्वा सुंदर नहीं है।
मैं: मैम, अब इसको इतनी बार तो बता चुका हूं कि तुम बहुत ही ज्यादा सुंदर हो, पर ये मानती ही नहीं है। और मैम इसे पता तो है कि ये बहुत सुंदर है, पर ये हमारे मजे लेने के लिये कह रही है।
मेरी बात सुनकर हम तीनों हंस दिये।
मैम: ठीक है, मैं चाय लेकर आती हूं। (ये कहकर मैम बाहर चली गई)।
थोड़ी देर बाद मैम चाय लेकर आ गई और दो कप में मुझे और अपूर्वा को दी और एक कप खुद लेकर वहीं चेयर पर बैठ गई।
मैं और अपूर्वा मैम की तरफ ही मुंह करके बैठे थे।
मैम: समीर, घर पे कौन कौन है, तुम्हारे।
मैं: मैम यहां पर तो अकेला ही रहता हूं।
मैम: क्या। फिर घरवाले कहां रहते हैं।
मैं: गांव में।
मैम: तुम यहा के रहने वाले नहीं हो क्या?
मैं: नहीं मैम, मैं हरियाणा का रहने वाला हूं, रोहतक से।
मैम: ओह, तो ये बात है (और मैम कुछ सोचने लगी)।
मैम: यहां पर कहां रहते हो।
मैं: मालवीय नगर में।
मैम: हूं, बढ़िया एरिया है, एकदम शांत, साफ-सुथरा। तुम्हारे सर को कहती रहती हूं कि उधर ही ले लो एक घर, पर सुनते ही नहीं हैं।
अपूर्वा: मैम बापू नगर भी बढ़िया एरिया ही है, एकदम साथ सुथरा, और शहर की सभी लोकेशन पे फिट बैठता है।
मैम: वो तो है, पर यहां पर शोर बहुत ज्यादा रहता है।
अपूर्वा ने चाय खत्म की और बाथरूम चली गई।
अपूर्वा के जाते ही मैम ने अपनी चेयर मेरे पास की और मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी जांघों पर रखकर उपर से अपना हाथ रख दिया। मैम की इस हरकत से मैं बैचेन हो गया। अपूर्वा किसी भी वक्त वापिस आ सकती थी।
मैम: समीर, मैं तुम्हें कैसे लगती हूं।
मैं: मैम आप बहुत अच्छी हैं।
मैम: मेरा मतलब सुंदर लगती हूं या नहीं।
मैं: हां, मैम आप बहुत सुंदर हो। (मैंने अपने हाथ को वापिस खींचना चाहा, पर मैम ने मेरे हाथ को अपने हाथ से कसकर पकड़ लिया)।
मैम: जब मैं तुम्हें सुंदर लगती हूं तो फिर हाथ क्यों छुड़ा रहे हो।
मैं: नहीं मैम, मेरे कहने का मतलब वो नहीं था, आप सुंदर हो, पर आप मेरी मैम हो।
मैम: तो क्या हुआ, मैम ही तो हूं, कोई मां थोड़े ही हूं।
मैं: मैम, प्लीज हाथ छोडों, अपूर्वा ने देख लिया तो प्रोब्लम हो जायेगी।
मैम: ओह! तो बच्चू अपूर्वा से चक्कर चल रहा है तेरा। (और मैम ने अपना दूसरा हाथ मेरे गालों पर रख दिया।

तभी बाथरूम से फलश के चलने की आवाज आई। मैम वापिस मुझसे दूर होकर बैठ गई और अपनी चाय खत्म की। मेरी चाय भी खत्म हो चुकी थी। मैंने खाली कप मैम को पकड़ा दिया। मैम ने मेरा हाथ पकड़ लिया, तभी बाथरूम का दरवाजा खुला तो मैम ने मेरा हाथ छोड़कर कप मुझसे ले लिया। और वापिस वहीं पर आराम से बैठ गई। अपूर्वा वापिस आकर अपनी चेयर पर बैठ गई। मैम थोड़ी देर में कप उठाकर बाहर चली गई। मैं और अपूर्वा अपने काम में बिजी हो गए।
लगभग 2 बजे के आसपास सोनिया मैम आ गई। सोनिया मैम कोई 40-45 साल की औरत थी, उन्होंने साड़ी पहनी हुई थी। उनका रंग भी थोड़ा सांवला था, पर नयन नक्श काफी तीखे थे। साड़ी में से उनका बाहर को निकला हुआ पेट झलक रहा था। पेट बाहर को निकला होने के कारण उनके बूब्स का सही साइज मालूम नहीं हो पा रहा था। सोनिया मैम आकर चेयर पर बैठ गई। मैम (बॉस की वाइफ) हमारे लिए चाय बना लाई।
सोनिया मैम: सर जी नहीं हैं क्या?
अपूर्वा: वो किसी काम से बैंक गये हुए हैं, समीर जी को प्रोजेक्ट के बारे में समझने को कह गये हैं।
सोनिया मैम (मेरी तरफ मुखातिब होते हुए): आप हैं समीर जी।
मैं: जी सोनिया मैम जी।
सोनिया मैम (चाय पीते हुए): ओके, पहले चाय खत्म करते हैं, फिर काम के बारे में बातें करते हैं।
मैं: ओके मैम।
और फिर हम सभी चाय पीने लग गए। मैम चाय देकर वापिस चली गई थी।
चाय पीने के बाद सोनिया मैम में प्रोजेक्ट के बारे में इंस्टरक्शन दिये और एक घण्टे बाद चली गई।
4 बजे के आसपास बॉस भी बैंक से आ गये।
ळमने बॉस से पूछा कि क्या हुआ तो बॉस ने कहा कि अभी कुछ टाइम लग रहा है, वो नेगोसियेट करने में आना कानी कर रहे हैं, तो हो सकता है 4-5 दिन और लग जाये। बॉस की बात सुनकर अपूर्वा का चेहरा मुरझा गया।
मैं: कोई बात नहीं बॉस, आराम से मामला सुलझाओ। जितने कम में हो सके मामला सैट करना।
बॉस: कोशिश तो यही है कि कम से कम देने पड़े।
बॉस: अच्छा वो सोनिया मैडम आई थी क्या।
मैं: हां बॉस वो अभी एक घण्टा पहले ही गई हैं।
बॉस: सब अच्छी तरह से समझ लिया ना। ये सरकारी आदमी ऐसे ही होते हैं, बाद में कहने लगेगे कि हमने तो आपको समझा दिया था क्या करना है, अब आप ने काम नहीं किया।
बॉस: खामखां में टेंडर कैंसिल कर देंगे।
मैं: नहीं बॉस, बढ़िया तरह समझ लिया। कोई दिक्कत नहीं आयेगी।
बॉस बाहर चले गये। साढ़े चार बजे मैंने अपूर्वा को कहा कि मैं अपनी बाइक में पंक्चर लगवा लेता हूं, तब तक तुम अकेली बैठी काम करो। और मैं बाइक में पंक्चर लगवाने चला गया।
पंक्चर वाला पास में ही था कोई 100-150 मीटर पर। मैंने वहां पर पंक्चर लगवाया, तब तक पांच बज गये थे। पंक्चर लगवाकर मैं वापिस ऑफिस आ गया। अपूर्वा अपनी स्कूटी निकाल ही रही थी। मैं अंदर से अपना हेलमेट उठा कर लाया और बॉस को गुड इवनिंग बोलकर बाहर आ गया।
अपूर्वा बाहर अपनी स्कूटी को स्टैंड लगा कर उस पर बैठी थी।
मैं: चलना नहीं क्या, तुम तो ऐसे बैठ गई जैसे किसी का इंतजार चल रहा हो।
अपूर्वा: हां जी, आपका ही इंतजार हो रहा था।
मैं: ओहो, स्टैंड लगाकर।
अपूर्वा: आज कहीं घूमने चले।
मैं: अब।
अपूर्वा: और क्या, पांच ही तो बजे हैं, कुछ देर पार्क में बैठते हैं ना।
मैं: और तुम्हारी मम्मी की डांट कौन खायेगा फिर।
अपूर्वा: कुछ नहीं, कह दूंगी कि फ्रेंड के साथ घूमने चली गई थी।
मैं: अच्छा जी, चलो तो।
और हम नेहरू गार्डन में आ गये। हमने गाड़ियां गार्डन के बाहर पार्क की और अंदर की तरफ चल दिये। अचानक अपूर्वा ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
(अरे मेरा मतलब ये नहीं है कि बांह को पकड़ लिया, जैसे लड़का लड़की हाथ में हाथ डालकर घूमते हैं, वैसे मेरे हाथों की उंगलियों में अपने हाथों की उंगलियां फंसा ली, आप भी कुछ भी सोच लेते हैं)।
क्रमशः.....................
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