RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--4
गतांक से आगे ...........
तभी बाहर से सोनल अंदर आते हुए, किससे बात हो रही है छुप छुपके।
अपूर्वा: ये कौन है? तुम्हारी गर्लफ्रेंड है क्या?
मैं: नहीं यार! अपनी ऐसी किस्तम कहां, वो तो मकान मालिक की बेटी है सोनल।
अपूर्वा: फिर तेरे रूम में कया कर रही है?
मैं: बस ऐसे ही आ गई, देखने के लिए कि मैं क्या कर रहा हूं, कोई उलटा सीधा काम तो नहीं कर रहा हूं।
सोनल: कौन है फोन पर जो इतनी पूछताछ हो रही है।
मैं: लो खुद ही बात कर लो। और ये कहकर मैंने फोन सोनल को दे दिया।
सोनल: हैल्लो!
अपूर्वा: हैल्लो! जी मैं अपूर्वा बोल रही हूं।
सोनल: मैं सोनल बोल रही हूं। तुम क्या समीर की गर्लफ्रेंड हो। (चटकारा लेते हुए)
अपूर्वा (शरमाते हुए): नहीं, नहीं, वो हम साथ में काम करते हैं।
सोनल: तो गर्लफ्रेंड साथ में काम नहीं कर सकती क्या?
अपूर्वा: आप भी ना। और सुनाओं आप क्या करती हो।
सोनल: मैं तो एमटेक कर रही हूं, आप क्या काम करती हों।
अपूर्वा: मैं सॉफटवेयर इंजीनियर हूं।
सोनल: वाह! तब तो एक सॉफटवेयर मेरे लिये भी बनाना।
तभी अपूर्वा की मॉम की दोबारा आवाज आई,
अपूर्वा की मॉम: बेटा, तेरे पापा बुला रहे हैं, जल्दी आजा। कितनी देर से इंतजार कर रहे हैं।
अपूर्वाः ओके! मैं बाद में बात करती हूं, पापा बुला रहे हैं।
सोनल: ओके! बाय।
अपूर्वा: बाये।
सोनल (मेरी तरफ देखते हुए): अरे आपके दर पर आई हूं, चाय वगैरह कुछ पूछेंगे या नहीं।
मैं: चाय! मैं तो सोच रहा था कि आप ही बना कर पिलाओगी, मेरे पास तो दूध है नहीं।
सोनल: तो मैंने कौनसा दूध की फेक्ट्री लगा रखी है।
मैं: लगा तो रखी है, अब प्रॉडक्शन नहीं होता तो वो अलग बात है।
सोनल: क्या मतलब है आपका! मैंने कहा फैक्टरी लगा रखी है?
मैं: लो जी, दो दो फैक्टरियां है, मेमसाब की और इन्हें पता ही नहीं।
सोनल (मेरी कमर में मुक्का मारते हुए): बकवास ना करो! नहीं तो मैं आगे से नहीं आउंगी। ऐसी गंदी गंदी बातें करोगे तो।
मैं: अरे यार, मैंने अब कौनसी गंदी बातें कर दी। अच्छा ठीक है तुम बैठो मैं दूध लेकर आ रहा हूं।
यह कहकर मैं डेयरी पर दूध लेने के लिए आ गया। डेयरी पर जाकर मैंने एक किलो दूध लिया और पैसे देकर आ गया। जब मैं रूम पर पहुंचा तो सोनल बैड पर बैठी थी और उसकी सांसे बहुत तेज चल रही थी और चेहरा एकदम लाल हो रखा था।
मैं: क्या हुआ, परेशान लग रही हो।
सोनल (गहरी सांस लेते हुए): क--- क--- कुछ नहीं, बस थोड़ी गर्मी लग रही है।
मैं: अरे याार मौसम इतना अच्छा हो रखा है, पंखा चल रहा है, तो भी गर्मी लग रही है। मुझे तो नहीं लग रही है।
सोनल (थोड़ा गुस्सा होते हुए)ः तो इसमें भी मेरी गलती है, अब मुझे लग रही है तो लग रही है।
मैं: अब गलती तो तुम्हारी ही है। (मेरी बात सुनकर वो कुछ चौंक सी गई)
सोनल: म---- मेरी क्-- क्या गलती है।
मैं: अब अंदर की गर्मी नहीं निकलेगी तो गर्मी तो लगेगी ही। (मैंने चाय बनने के लिए गैस पर रख दी।)
सोनल: क-- कैसी गर्मी? क्या कहना चाहते हो?
मैं: अरे अब कोई बॉयफ्रेंड वगैरह होता तो तुम्हारी गर्मी भी निकल जाती, और बेचारे उसकी भी।
सोनल (एकदम से चिल्लाते हुए): ज्यादा बकवास करने की जरूरत नहीं है। समझ गए ना। समझते क्या हो अपने आप को। तुम्हारे रूम में बैठी हूं तो इसका मतलब ये नहीं है कि कुछ भी बकते रहोगे। और उठकर जाने लगी। (उसके ऐसे चिल्लाने से मैं थोड़ा घबरा-सा गया कि कुछ ज्यादा ही कह दिया मैंने)
मैं: अरे सॉरी यार, तुम तो ऐसे गुस्सा हो रही हो, जैसे मैं तुम्हारा रेप करने की कोशिश कर रहा हों।
सोनल (वैसे ही चिल्लाते हुए): अपनी हद में रहो। नहीं तो अभी के अभी रूम खाली करवा दूंगी। ये इतनी गंदी गंदी फिल्में रखते हो लैप्पी में, इन्हें देखकर ही इतना दिमाग खराब हो रखा है तेरा।
उसकी ये बात सुनकर मैंने अपने लेपटॉप की तरफ देखा, वा बेड पर ही रखा था और लगता रहा था जैसे वैसे ही उसको फोल्ड किया हुआ था, शटडाउन नहीं था, क्योंकि लाइटें जल रही थी। (मैं समझ गया कि इसने मेरे लैप्पी में पोर्न देखी हैं, वैसे तो मैं ज्यादा पोर्न नहीं देखता, पर ये एक दोस्त ने ई-मेल की थी दिल्ली से, कि बिल्कुल नई आईटम है, कॉलेज की, देखके मजा आ जायेगा। तो वो मैंने डाउनलोड करके डेस्कटॉप पर ही डाल रखी थी, क्योंकि नॉर्मली मेरे लैप्पी को मैं ही यूज करता हूं और कोई नहीं। मेरे लैप्पी में बस वही एक ही पोर्न पड़ी थी, और लगता है, वहीं इसने देखी है)
मैं: ओह! तो इसलिए मैडम को इतनी गर्मी लग रही थी।
सोनल: मैं बता देती हूं, मुझसे पंगा नहीं लेना, नहीं तो अंजाम बहुत बुरा होगा।
मैं: ओके मैडम जी! सॉरी, कान पकड़ता हूं। गलती हो गई, आगे से कुछ नहीं कहूंगा (और अपने मुंह पर उंगली रख ली)।
उसकी इतनी तेज आवाज सुनकर आंटी भी उपर आ गई और पूछने लगी कि क्या हुआ। मैंने अपनी आंखों के इशारे से कहा कि इसी से पूछ लो। सोनल को चुपचाप खड़े देखकर मैंने कहा।
मैं (सोनल से): अब बताओ आंटी को चुप क्यों खड़ी हो। (मुझे बाकी किसी चीज की टेंशन नहीं थी) बस इसी बात का डर था कि कहीं ये पोर्न वाली बात ना बता दे, क्योंकि वो पोर्न एक कॉलेज की लड़की की थी, जो चुपके से लड़की की नॉलेज के बिना क्लास में बनाई गई थी। नॉर्मल पॉर्न होती तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं थी, क्योंकि आजकल तो पार्लियामेंट में भी पोर्न देखी जाती है, फिर मैं तो अपने घर पर ही देखता हूं।)
आंटी (सोनल से): क्या हुआ बेटा! ऐसे क्यों चिल्ला चिल्ला कर बातें कर रही थी।
सोनल: कुछ नहीं मॉम! वो बस मजाक कर रहे थे।
आंटी: अरे तो मजाक में ऐसे चिल्लाते हैं क्या।
सोनल: मॉम!
आंटीः मॉम की बच्ची! तू नहीं सुधरेगी, मैं तो पता नहीं कि क्या हो गया जो इतनी चिल्ला कर बातें कर रही हैं।
कहकर आंटी अंदर आई। चाय बन गई थी, बनाई तो दो कप ही थी, पर तीन कप में डालकर मैंने एक कप आंटी को दिया और दूसरा सोनल को और खुद लेकर पीने लगा।
आंटी अंदर आकर बैड पर बैठ गई। सोनल पास में रखी चेयर पर बैठ गई और आंटी के साथ बैड पर ही बैठ गया।
आंटी (चाय पीते हुए): बेटा तू ज्यादा परेशान न किया कर समीर को।
सोनल: मॉम! कभी कभी तो हम मिलते हैं।, तब भी परेशान ना करूं तो फिर मिलने का क्या फायदा।
आंटी: तो क्या परेशान करने के लिए ही मिला जाता है किसी से।
सोनल: कहीं नहीं इनको काट लिया मैंने कहीं से, बस मजाक ही तो कर रही थी।
आंटी (चाय खत्म करते हुए): ओके बेटा! मैं चलती हूं, सब्जी बननी रख रखी है, कहीं जल ना जाये। और ये कहकर आंटी चली गई।
मैंने भी चाय खत्म की और मेरे और आंटी के कप को रसोई में रख दिया। सोनल अभी भी चाय को हाथ में पकड़े बैठी थी और मेरी तरफ घूर रही थी।
मैं: अब क्या कच्चा खाने का मन है, कैसे घूर रही है। जंगली बिलाई।
सोनल: नहीं सोच रही हूं पका कर खा लूं। और हंसने लगी।
सोनल ने भी चाय खत्म की और कप को रसोई में रख कर मेरे पास खड़ी होकर मुझे घूरने लगी। मैं बैड पर बैठा था।
मैं: क्या हुआ! मैंने सॉरी बोला ना यार। अब बच्चे की जान लोगी क्या।
सोनल: चेहरे से तो बड़े सीधे-साधे, भोले-भाले दिखते हो, पर हो नहीं।
मैं: चेहरे से तो तू भी एकदम गुंडी टाइप की दिखती है। पर सच्चाई क्या है पता नहीं।
सोनल: अच्छा मैं तेरे को गुंडी दिखती हूं।
मैं: अरे मैंने कब कहा कि गुंडी दिखती हो, मैंने कहा कि चेहरे से दिखती हो।
सोनल: हां मतलब तो वही हुआ ना, अब मैं दिखाती हूं तेरे को मैं कितनी बड़ी गुंडी हूं।
मैं: जरूरत ही नहीं है। चेहरे से दिख रहा है।
सोनल (थोड़ी गुस्से वाली और रोनी सूरत बनाते हुए): मैं है ना आपकी बढ़िया वाली धुलाई कर दूंगी, नहीं तो बाज आ जाओ अपनी हरकतो से।
मैं: ओके सॉरी बाबा! अब कुछ नहीं।
सोनल: अच्छे बच्चे की तरह कान पकड़ो।
मैं: ओके लो पकड़ लिए। अब खुश।
सोनल: हां खुश।
मैं: चलो, मैंने तो सोचा था कि मैं तो गया आज। पता नहीं ऐसा क्या कह दिया मैंने जो इतनी भड़क गई।
सोनल: बकवास ना करो। वो तो बस मैं आपको अच्छा आदमी मानती हूं, इसलिए मॉम से कुछ नहीं कहा, नहीं तो और कोई होता तो अब तक तो सामान के साथ घर से फाहर फेंक देती।
मैं: हां जी, अब घर तुम्हारा है तो कुछ भी कर सकती हो।
सोनल: सॉरी!
मैं: किसलिए।
सोनल: सॉरी! आजतक किसी ने मुझसे ऐसी बाते नहीं की थी तो मैं एकदम गुस्सा हो गई और इतना भल्ला-बुरा कह दिया। वो आपके लैप्पी में वो विडियो देखकर पहले ही दिमाग खराब हो गया था और फिर आपने ऐसी बाते कहीं तो, एक दम बहुत गुस्सा आ गया।
मैं: ओके! सॉरी तो मैं बोलता हूं जो तुम्हें गुस्सा दिलाया।
सोनल: ओके! सेक हैंड।
मैं: ओके (और मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया सोनल ने भी अपना हाथ आगे बढ़ाया और हमने हाथ मिलाया)।
सोनल को हाथ को टच करते ही मेरे शरीर में गुदगुदी सी हुई। उसका हाथ एकदम फूल की तरह कोमल था। हाथ मिलाते हुए सोनल थोड़ा आगे आ गई और फिर वैसे ही हाथ मिलाते हुए मेरे गले लग गई। गले लगने से मेरा हाथ जो उससे मिलाया हुआ था, उसके नाथि के नीचे स्पर्श होने लगा। सोनल ने अपना दूसरा हाथ मेरी पीथ पर रख दिया और मुझे पूरी तरह से सटकर गले लग गई। उसके एकदम गले लगने से मैं हैरान रह गया। कहां तो अभी छोटी सी बात पर इतना गुस्सा हो रही थी, और कहां अब गले लग गई है। परन्तु उससे गले लगकर मुझे मजा बहुत आ रहा था। उसका बायां बूब मेरे दायें हाथ से दबा हुआ था। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया और उसने भी मेरा हाथ छोड़कर दूसरे हाथ को भी मेरी गर्दन में लपेट दिया। मेरे शरीर में हलकी हलकी चिंटिंया रेंग रही थी। सच में बहुत मजा आ रहा था। मैंने अपना दायां हाथ जो अभी भी उसके मेरे बीच में था को धीरे-धीरे उपर किया और उसके बूब्स को टच करते हुए बाहर निकालकर उसके कंधे को पकड़ा। सोनल अभी भी ऐसे ही मुझसे लिपटी हुई थी। उसकी सांसे काफी तेजी से चल रही थी। मैंने अपने दोनों हाथों को उसके कंधे पर रख दिया। मैं उसे अपनी बांहों में लेने में थोड़ा घबरा रहा था कि कहीं फिर से गुस्सा ना हो जाए।
जब काफी देर तक भी सोनल मेरे गले लगी रही तो मैंने अपने हाथों को उसकी कमर में डाल दिया और उसे थोड़ा टाइट पकड़ कर अपने साथ चिपका कर उसकी बॉडी को फिल करने लगा। सोनल ने मेरे कंधे पर अपने चेहरे को थोड़ा रगड़ा और वापिस कंधे पर सिर रख दिया। मैंने अपने हाथों से धीरे धीरे सोनल की कमर को सहलाना चालू कर दिया। मैं अपने हाथ उसकी कमर में बहुत ही धीरे से चला रहा था, ताकि अगर उसके मन में ऐसा कुछ ना हो तो वो ये ना समझे कि मैं उसके साथ मजे कर रहा हूं।
धीरे धीरे सोनल का शरीर गरम होने लगा। मुझे मेरे कंधे पर उसका गरम चेहरा महसूस हो रहा था। सोनल को गरम होते देख मेरे पप्पू ने भी शॉर्ट के अंदर हलचल मचानी शुरू कर दी। और कुछ ही सेकंड में एकदम तन कर खड़ा हो गया। सोनल की जांघें और मेरी जांधे एकदम एक दूसरे से सटी हुई थी, तो शायद मेरे पप्पू के हलचल करने से उसे वो अपनी जांघों पर महसूस हो रहा होगा। सोनल ने अपने हाथों को थोड़ा ढीला किया और अपना चेहरा मेरे सामने करते हुए मेरी आंखों में देखने लगी। मैंने भी अपने हाथों को वापिस उसके कंधे पर रख दिया।
क्रमशः.....................
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