RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--16 गतान्क से आगे.................... बबलू थोड़ी दूर ही चला होगा कि उसे विक्की वापस आता हुआ दिखाई दिया. उसके पीछे निशा भी बैठी थी. विक्की- कामीने साले कुत्ते...अकेला ही हीरो बनेगा. भाभी के सामने तूने मेरी फ़ज़ीहत करा दी ना. बबलू- अबे तू वापस क्यो आ गया. विक्की- तू ये बता कि उन चारो का क्या हुआ. बबलू- पता नही. चारो के 8 थे. पर एक भी नही मिला. पता नही पर आवाज़ तो आई थी. विक्की- अबे गन्दू...कैसी बहकी-बहकी बाते कर रहा है. बबलू- अब चल ना यहा से. विक्की- कहा जाएगा. मैं तो रूम के लिए आया था यहा पे कि भाभी मिल गयी. 9 बजे का टाइम था. अब तो 11 बजने वाले है. निशा- आप लोग मेरे घर चलिए. प्लीज़... विक्की- हाई हाई...साले पहले ही दिन तूने लड़की फँसा ली. बबलू- अबे ओ, मैने नही इसने खुद फँसाई थी.... निशा- अब चलो भी. तीनो किनेटिक पर सवार हो गये और चल पड़े. बबलू- और तूने पूरे दिन मे क्या तीर मारे ? तू गया था ना असिस्टेंट की नौकरी के लिए. क्या हुआ ? विक्की- अबे बताता हू. सुनेगा तो अपने लंड को फाँसी लगा कर लटक जाएगा तू. दोस्तो अब चलते है हमारे तीसरे दोस्त की कहानी पर देखते हैं इनके साथ क्या हुआ और क्या होगा......... विक्की भाई हम दोनो (आशु और बबलू) से थोड़ा अलग था. उसके जीने का अंदाज भी अलग था और सोच भी. पता नही हमारी दोस्ती कैसे हुई और इतने सालो तक मजबूत भी रही. विक्की का अपायंटमेंट 4 बजे का था. पूरा दिन पड़ा था. हम दोनो तो अपने-अपने काम के लिए निकल पड़े थे. पर बेचारा विक्की अकेला पड़ गया था. खाल बैठा क्या करता..इसलिए वो आक्सॅबीच पर घूमने निकल पड़ा. मुंबई के आक्सॅबीच की बात ही कुछ और है. समुद्रा मे दूर से आती बड़ी-बड़ी लहरे मन को बहुत शांति देती है. विक्की बीच पर टहलने लगा. टहलते हुए उसे अपनेकोलेज की फर्स्ट एअर की नीता की याद ताज़ा ही गयी. कॉलेज के दिन....फूल्लतू ऐश...कोई झमेला नही....केवल मस्ती.... पीजी डीएवी कॉलेज मे विक्की का पहला दिन था. हम तीनो को एक ही कॉलेज मे अड्मिशन नही मिल पाया था. पर हम तीनो अपनी सारी बाते शेर करते थे. अलीना नाम था उसका. पर सब उसे ली ही बुलाने लगे थे. लड़की नही कयामत थी. ऑस्ट्रेलिया से इंडिया आई थी. उसके पापा इंडियन फॉरिन सर्विस मे थे. कई साल तक ऑस्ट्रेलिया मे पोस्ट रहने के बाद इंडिया आए थे. ली वही जन्मी पाली बढ़ी थी...इंग्लीश मे ही बात करती थी... हर अंग जैसे किसी साँचे मे ढला था...होठ एक दम पतले...जैसे गुलाब की पंखुड़िया...छाती पर 2 टेन्निस बॉल्स...जब चलती तो दोनो टेन्निस बॉल्स कोर्ट मे उछलती रहती...टाँगे एक दम ककड़ी जैसी पतली...कूल्हे काफ़ी मांसल थे...उपर हमेशा स्लीव लेस ही पहनती...नीचे कभी घुटनो से नीचे कपड़े नही पहने...कुल मिलकर कॉलेज की सबसे हॉट लड़की बन गयी थी. फर्स्ट एअर फ्रेशर थी . जैसे ही ली ने कॉलेज मे पहला कदम रखा...पूरे कॉलेज को जैसे आग लग गयी थी. सारे लड़को की आँखे केवल उस पर ही रहती थी. जिस रास्ते से गुजर जाती लड़के आहे भरने लगते थे. प्यूरेकॉलेज मे शायद ही कोई लड़का ऐसा बचा था जिसने कभी ली को लाइन नही मारी हो. पर ली को कभी कोई फ़र्क नही पड़ा. ये सब तो ऑस्ट्रेलिया मे शायद रोज ही होता होगा. कभी किसी पर गुस्सा नही होती थी. काफ़ी खुले विचारो की थी पर कभी किसी लड़के को लाइन भी नही देती थी. फॉरिन मिनिस्ट्री की कार से उतार कर कॅट वॉक करती ह सीधे क्लास मे जाती थी. पूरे रास्ते मे ना जाने कितने दिल उसकी कातिल मुस्कान से हर रोज घायल हो जाते थे. क्लास के बाद सीधे कार मे बैठ कर वापस. किसी से ज़्यादा बात नही. लड़के तो लड़के लड़किया भी उस से बात करने की हिम्मत नही जुटा पाते थी. क्लास मे भी सब नज़रे चुरा कर उसकी झलक से अपनी आँखे सेक लेते थे. ली भी नज़रे घुमा कर देख लेती तो सब झेंप कर नज़रे घुमा लेते. एक हफ्ते बाद कॉलेज मे क्लासस प्रॉपर्ली शुरू हो चुकी थी. विक्की और ली की एक ही क्लास थी. उन्ही की क्लास मे एक और लड़की थी नीता. एक दम सीधी सादी और काफ़ी सुंदर भी थी. केवल सलवार-सूट ही पहनती थी. अगर वो भी वेस्टर्न ड्रेस पहन लेती तो ली पर भारी पड़ती. हमारा विक्की तो पहले दिन ही उसको देख कर मोहित हो गया था. विक्की नीता के कॉलेज आने से पहले ही गेट पर आ जाता था ताकि नीता के दीदार कर सके. क्लास मे भी सभी लड़के जहा ली पर लत्तु थे वही विक्की की नज़रे नीता पर टिकी रहती. एक दो बार दोनो की नज़रे भी टकराई पर दोनो मे आगे बढ़ने की हिम्मत ही नही थी. ली ने भी ये कई बार नोटीस किया था. जब वो सब लड़को को खुद को ताकते हुए पाती तो उसे अजब सी संतुष्टि मिलती थी. बस ये एक ही था विक्की जिसकी नज़रे-इनायत को वो तरस गयी थी. क्लास मे और भी तो स्मार्ट और अमीर लड़के थे. किसी को भी लाइन दे देती तो अपना सब कुछ ली पर लुटाने को तैयार बैठे थे. पर ली का ध्यान तो अब विक्की पर ही अटक गया था. बाकी लड़को को तो वो कभी भी लाइन दे सकती थी. पर वो कहते है ना - इंसान को हमेशा दूर के ढोल ही सुहावने लगते है और दूसरे की थाली मे ही घी ज़्यादा दिखता है. हर बीतते दिन के साथ विक्की की नीता के प्रति और ली की विक्की के प्रति सम्मोहन बढ़ता ही जा रहा था. ली से लाइन ना मिलते देख ज़्यादातर लड़को ने भी दूसरी टाइमपास पटा ली थी. पर ली को चैन कहा था. उसे तो बस विक्की ही चाहिए था. हर कीमत पर. पर बेचारी करे तो क्या करे. इसी उधेड़-बुन मे लगी रहती की कैसे इस पत्थर को पटाए. आख़िरकार एक दिन उसने विक्की से बात करने की शुरूवात कर ही दी. ली- हाई..व्हाट ईज़ यू नेम ? विक्की- आइ एम विक्की. ली- यू विल नोट अस्क माइ नामे ? विक्की- होल कॉलेज नोस युवर नेम....ली ? ली- ओह नो...माइ नेम ईज़ अलीना. विक्की- अलीना....ओके ली- विल यू हेल्प मी... विक्की- या...इट विल बी माइ प्लेषर. ली- आइ हॅव टू गेट माइ लाइब्ररी टिकेट्स....विल यू हेल्प मी इन गेटिंग देम...प्लीज़ विक्की- ओह शुवर...वाइ नोट...लेट्स गो देअर नाउ. ली- इट्स 2.30 ऑलरेडी आंड लाइब्ररी हास बिन ऑलरेडी क्लोस्ड. विक्की- डोंट वरी वी विल गेट इट ऑन मंडे. ली- देअर् ईज़ ए प्राब्लम. लाइब्रेरियन इस गोयिंग ऑन लीव फ्रॉम मंडे. आइ हॅव टू कलेक्ट देम टॉममोरोव. कॅन यू कम टॉममोरोव ...प्लीज़ विक्की- उम्म्म्मम.....ओ के..लेट्स मीट टॉममोरोव. ली- सो स्वीट ऑफ यू...ओ के...बाइ. अलीना के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी. उधर विक्की के शरीर मे भी आळीन से बात करने के बाद चींतिया सी रेंगने लगी थी. अजीब सा नशा था अलीना मे. विक्की ने उसको कभी हाथ ना आने वाला अंगूर समझ कर कभी ध्यान ही नही दिया था. पर वो अंगूर खुद चल कर विक्की के पास आया था. कुछ समय के लिए नीता उसके दिमाग़ से निकल चुकी थी. और ली अब अलीना बन चुकी थी. मार्केट मे भी आया तो पता नही कहा खोया हुआ था. एक से एक मस्त माल मार्केट मे आया हुआ था पर किसी को भी देख कर साला उछला ही नही. बबलू और मैं समझ गये थे कि कुछ तो हुआ है कॉलेज मे. आशु- अबे ओ..पेट खराब है क्या... विक्की- नही तो. बबलू- तो क्यो मरे हुए चूहे जैसा मूह बना रखा है. विक्की- बस ऐसे ही. आशु- कॉलेज मे ऱगिन्ग का तो चक्कर नही है. बबलू- हा बोल दे तू. हम चल कर फोड़ देंगे जिसने भी तुझे छुआ हो. विक्की- अबे सालो मैं क्या मर गया हू जो तुमको बुलाउन्गा. हमने बहुत पूछा पर विक्की ने कुछ नही बताया. पर हम कहा मानने वाले थे. उसका पीछा नही छोड़ा. कुछ हुआ होता तो ही तो बेचारा बताता ना. आशु- अगर तेरे दिमाग़ मे कुछ भी उल्टा सीधा चल रहा होतो कुछ भी करने से पहले हमे ज़रूर बता दियो नही तो साले तुझे छोड़ेंगे नही. विक्की- ओके भाई कुछ भी होगा ज़रूर बता दूँगा. सॅटर्डे को कॉलेज मे क्लासस नही लगती थी पर बाकी कॉलेज पूरा खुला होता था. आड्मिनिस्टारेशन का काम तो होता ही था. इसके अलावा लाइब्ररी भी खुली रहती थी. पर चूँकि ये कॉलेज के शुरुवती दिन ही थे. इसलिए लाइब्ररी मे इक्का-दुक्का स्टूडेंट्स ही जाते थे. विक्की सुबह 9.30 बजे कॉलेज मे पहुच गया. रोज गुलजार रहने वाला कॉलेज आज एकदम वीरान पड़ा था. काफ़ी देर तक गेट पर खड़े रहने के बाद विक्की लाइब्ररी की ओर चल दिया. अलीना लाइब्ररी मे भी नही थी. विक्की वही लाइब्ररी मे बैठ गया. पर एक घंटा इंतेजर करने के बाद भी अलीना का कुछ पता नही था. विक्की ने सोचा की शायद अलीना ने उसके साथ मज़ाक किया है. धीरे-धीरे उसका पारा चढ़ने लगा. हर बढ़ते मिनिट के साथ उसका गुस्सा भी बढ़ रहा था. जब उस से रहा नही गया तो वो उठा और लाइब्ररी से बाहर निकल गया. लाइब्ररी से बाहर निकला ही था कि सामने कॉंपाउंड मे अलीना भागती हुई दिखाई दी. विक्की उसे आवाज़ लगाई तो वो उसी ओर आने लगी. जैसे वो मूडी तो विक्की के कदम ठिठक गये और आँखे फटी रह गयी. अलीना ने तो गजब कर रखा था. नीचे ब्लू जीन्स पहने रखी थी जो जहा तहा से ब्लेड मार कर काट रखी थी और उपर वाइट कलर की संडो डाला हुआ था. संडो का गला इतना डीप था की भागते हुई अलीना का कभी एक बूब उछालता दिखाई देता तो कभी दूसरा. गले मे एक चैन थी जिसका पेंडेंट उसकी क्लीवेज मे कही गुम हो गया था. विक्की ने इधर उधर देखा. गनीमत थी कि आज सॅटर्डे था. नही तो कॉलेज मे.... ...पता नही क्या होता. अलीना- उन्ह उन्ह....हांफ हांफ....सॉरी...हंफ....आइ आम लेट. इतना भागने के कारण उसकी वो बुरी तरह हाँफ रही थी. पर विक्की की नज़रे तो वही टिकी हुई थी जहा हर मर्द की अपने आप पहुच जाती है. अलीना की संडो वेस्ट मे से उसके निप्पलो का उभार साफ पता चल रहा था. अलीना ने संडो के नीचे ब्रा नही पहनी थी. एक तो अलीना की उन्चुयि जवानी उपर से उसकी कातिल हरकते...... हाए....ऐसा कातिल नज़ारा देख कर विक्की का दिल तो उछल कर अलीना के कदमो मे गिरने को बेकरार हो चला था. जो कुछ हो रहा था विक्की उसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही था. पर इसी को तो कहते है जवानी दीवानी. ....पता नही अलीना ऐसे कपड़े पहन कर क्यो आई है... उसने मुझे खाली कॉलेज मे अकेले क्यो बुलाया है.... कही अलीना मुझे लाइन तो नही दे रही...आख़िर क्या चाहती है वो मुझसे... क्या है उसके मन मे... यही सब ख़याल विक्की को उत्तेजित कर रहे थे.. अलीना- आर यू अंग्री...आइ आम सॉरी...प्लीज़ फर्गिव मी.. प्लीज़्ज़ज्ज्ज. विक्की- म..माफी क्यो माँग रही हो. आइ मीन. वाइ आर यू अपॉलोगीसिंग ? अलीना- इट वाज़ माइ ओन इंटेरेस्ट आंड आइ वेस्टेड युवर टाइम....सॉरी विक्की- फर्गेट इट...बट डॉन’ट योउ नो एनी हिन्दी... अलीना- नही नही...मुझे हिन्दी तो आती है बस इंग्लीश बोलने की आदत पड़ चुकी है. विक्की- ये हिन्दुस्तान है. यहा पर तो हिन्दी ही बोलनी चाहिए ना. अलीना- ओके बाबा.. हिन्दी ही बोलूँगी. पर क्या तुम मुझसे अब भी नाराज़ हो क्या ? विक्की- तुम्हे देख कर सब नाराज़गी दूर हो गयी...हा एक और बात...तुम बहुत सुंदर हो अलीना. अलीना- ओह... सो स्वीट ऑफ यू. यह सुन कर अलीना खुशी से चहकने लगी और विक्की के गले मे बाँहे डाल कर उसके गाल पर किस कर दिया. अलीना के निपल विक्की के छाती मे गढ़ गये थे. ये क्या हुआ....विक्की के तो होश ही उड़ गये. दिल की जगह नगाड़ा बजने लगा था. लंड तो पहले ही पिंजरे मे उछल कूद मचा रहा था पर अब आज़ाद होने को छटपटा रहा था. पहली बार किसी लड़की ने उसे किस किया था. बावला सा हो गया था. अलीना तो किस करके अलग हो चुकी थी पर बेचारा विक्की उसकी तान मे अब भी झूम रहा था. जब अलीना के चुंबन मे इतना सुख था तो आगे कितना आनंद मिलेगा.... हाए...विक्की अपने सपने से बाहर आना नही चाहता था. उसकी किस्मत मे तो अभी काफ़ी कुछ लिखा था.... क्रमशः....................
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