RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--14 गतान्क से आगे.................... बबलू- मेडम आपके तो खून निकल रहा है. बॅंडेज लगानी पड़ेगी. मेडम- अब यहा पर बॅंडेज लगा कर पार्टी मे थोड़े ही जाउन्गी. तुम प्लीज़ अपनी जीभ से थोड़ा चाट दो. खून रुक जाएगा. बबलू की तो जैसे मन की मुराद पूरी हो गयी थी. चारा खुद घोड़े को बुला रहा था. उत्तेजना के मारे उसकी आँखे मूंद गयी. वो घुटने के बल बैठ गया और चोट वाली जगह पर मूह ले जा कर अपनी जीभ निकाल ली और चोट को जीभ से चाटने लगा. मेडम की चोट को चाटते-चाटते बबलू फिसल कर मेडम के निपल पर जा पहुचा. और अपनी जीभ से मेडम के निपल को ही चाटने लगा था. थोड़ी देर बाद बबलू ने पीछे हटना चाहा तो मेडम ने उसके सिर को पकड़ लिया और दबा दिया. जिससे बबलू के होठ निपल पर लग गये. मेडम- चॅटो ना प्लीज़. बड़ी राहत मिल रही है..... हा ऐसे ही इसको चूस्ते रहो. दर-असल बबलू द्वारा निपल के साथ अंजाने मे हुई छेड़खानी से मेडम की भावनाए भड़क उठी थी. बबलू तो आँखे मुन्दे चोट के नाम पर निपल को चाते जा रहा था पर मेडम की उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी. उन्होने अपने पेटिकट का नाडा खोल दिया और पॅंटी मे हाथ डाल कर अपनी चूत को मसल्ने लगी. मेडम ने अपनी चूत मे उंगली डाली और चिड़िया को सहलाने लगी. मेडम की हर हरकत आग मे घी डालने का काम कर रही थी. उपर बबलू उनके एक ही निपल को चोट समझ कर चूसे जा रहा था. नीचे मेडम की चूत मे आग लगी हुई थी और उसको बुझाने का एक ही उपाए था जो उनके सामने लटक रहा था. उन्होने लपक कर बबलू के 10 इंच के काले नाग को पकड़ लिया. बबलू का काला स्याह लंड मेडम की गोरी उंगलियो मे कुछ ज़्यादा ही काला लग रहा था. लंड के पकड़े जाते ही बबलू चोंक उठा और उसकी आँखे खुल गयी. उसके होंठो मे मेडम का निपल था. उसने तुरंत मूह पीछे हटाया और खड़ा हो गया. उसका लंड अब भी मेडम के हाथ मे था. मेडम का हुलिया बदल चुका था. उनका पेटिकॉट उतर कर घुटनो तक आ गया था और एक हाथ मे लंड था तो दूसरा हाथ पॅंटी मे था. मेडम की आँखे बंद थी. बबलू सारा माजरा समझ गया. उसने टांग मार कर दरवाजा बंद कर दिया और फिर से नीचे घुटनो पर बैठ गया और दोनो हाथो मे मेडम का एक मम्मा पकड़ कर अपने होठ निपल पर चिपका दिए. कहने की आवश्यकता नही कि ये दूसरा मुम्मा था. ईईईस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स.....हहाआआआआआआआआ अपने दूसरे निपल पर मेडम बबलू के होंठो को बर्दाश्त नही कर पाई और ज़ोर की सिसकारी मूह से निकल गयी. बबलू ने दूसरे हाथ से मेडम के दूसरे मम्मे को पकड़ लिया और उस से खेलने लगा. मेडम के एक माममे के लिए बबलू के दोनो हाथ भी कम थे. मेडम- क...क.क्या कर रहे हो....मत करो...ना ..इश्स...हा...प्लीज़...मत ....हा.. बबलू ने दूसरा सहला कर मेडम के हाथ के साथ ही उनकी पॅंटी मे डाल दिया. फिर उनके हाथ के साथ ही अपनी उंगलिया फिसला कर उनकी उंगलियो तक पहुच गया. मेडम- इसस्स....ममियीयीयियी.........नही............प्लीज़.......ऐसा..करो............प्लीज़....मत कर....मर ......आ.......जाउन्गी.... मेडम की सिसकारिया जारी थी. बबलू की उंगलिया मेडम की उंगलियो के साथ ही चिड़िया तक पहुच चुकी थी. मेडम की पॅंटी मे पहले ही प्रेम रस का दरिया उफान रहा था. फिर बबलू ने भी पूरी निर्दयता के साथ मेडम की चिड़िया को कुचल दिया. मेडम- उई मुम्मि.......हाए..... मेडम की रसभरी चूत ने फिर से एक बौछार कर दी और बबलू का हाथ मेडम के रस से सराबोर हो गया. मेडम की छाती ढोँकनी की तरह उपर नीचे हो रही थी. बबलू मेडम की हालत को समझ गया था. उसने देर ना करते हुए मेडम को नीचे कालीन पर लिटा दिया और पॅंटी को शरीर से अलग कर दिया. मेडम इसी पल के इंतेजार मे बहाल हुए जा रही थी. बबलू का कुंड भी अब फटने ही वाला था. मेडम ने खुद ही टाँगे खोल दी और फिर बबलू ने निशाना लगाया और... ...घापप्प गरम लोहे सा लंड फिसलता हुआ मेडम की रसीली चूत मे चला गया और अंदरूनी दीवार से जा टकराया. मेडम फिर चीख उठी. पर ये चीख उत्तेजना की नही दर्द से भरी ती. बबलू के लंड ने सीधे मेडम की बच्चेदानी पर चोट की थी. मेडम की साँसे तेज़ी से चल रही थी. पर हमारा शेर रुका नही. मेडम की चूत कुँवारी नही थी और उसने शुरू से ही तेज धक्के लगाना शुरू कर दिया. बबलू का लंड मेरी तरह ज़्यादा मोटा नही था पर इतना लंबा था की चूत से 1-2 इंच बाहर ही रह जाता था. थोड़ी देर मे मेडम दर्द भूल कर अपनी चुदाई का मज़ा लेने लगी थी. प्लीज़...तेज...और ...तेज....और...और...अंदर ...तक...प्लीज़....तेज....तेज....कर...ओ...ना...तेज... बबलू के दोनो हाथ मेडम के मम्मो को बुरी तरह मसले जा रहे थे पर इससे उनके आकार पर कोई फ़र्क नही पड़ रहा था. पता नही शायद रब्बर के थे. 10 मिनिट के बाद मेडम की सिसकारिया अब चीखों मे बदल गयी थी. और मेडम की शालीनता भी गायब हो गयी थी. वो अब लोकल मुंबइया लॅंग्वेज मे चीख रही थी. स्याला....तुझे सुबह से देख रही थी....साले मेरे मम्मो को घुरे जा रहा था...साले...अब क्या हुआ तुझे...सब दम निकल गया क्या....साले थोड़ा ज़ोर लगा के चोद ना....मर्द का बच्चा नही है क्या....कामीने... मेडम की हर ललकार पर बबलू धक्को की रफ़्तार बढ़ा देता. पर 15 मिनिट तक फुल स्पीड मे चोदने के बाद भी मेडम की चूत की आग शांत नही हुई थी. बबलू का लंड भी सुबह की जोरदार चुदाइयो के कारण सूखा हुआ था और इतनी जल्दी रस बरसाने को तैय्यार नही था. मुक़ुआबला बराबरी का था. एक तरफ मेडम का खेली खाई चूत थी तो दूसरी तरफ बबलू का जोशीला लंड. कोई भी पीछे हटने को तैय्यार नही था. आख़िर मे बबलू ने एक बार फिर पूरे ज़ोर से पूरा लंड मेडम की चूत मे पेल दिया. आहह मेरी माआआआ. मेरी चूत.....साले फाड़ दी तूने...बस..अब और नही...प्लीज़....निकाल...ले...प्लीज़...और मत...पेल.. पर बबलू को तो हाल बुरा था. मेडम ने उसके लंड को फिर से लटका दिया था. उनका खुद का तो कम तमाम हो गया था पर बबलू का लंड अब भी आकड़ा हुआ था. उसने मेडम की चूत से लंड को बाहर निकाला और मेडम को पलट दिया. कालीन पर मेडम की चूत के नीचे एक तालाब सा बना हुआ था. मेडम की चूत पता नही कितनी बार झड़ी थी. बबलू ने मेडम की चूत की माँ ही चोद दी और उनकी टाँगो को तोड़ा खोल दिया. बबलू के सामने दो मलाईदर पहाड़ खड़े थे. बुटीक मे जीने मे चढ़ते वक्त का नज़ारा बबलू की आँखो मे घूम रहा था. मेडम के हिप्स उनके बूब्स से कही भी कमतर नही थे. दोनो पहाड़ो के बीच मे एक कतव्दर घाटी थी और घाटी के बीच मे एक बंद मूह वाला ज्वालामुखी सा दिखाई दे रहा था. खास बात ये थी कि पहाड़ समेत पूरा इलाक़ा एक दम गोरा-चिटा था. कोई तिल आदि का निशान भी नही था. कसाव के तो क्या कहने. मेडम- मेरी टाँगे क्यो खोल दी. अब मेरी आस को फाड़ने का इरादा है क्या ? बबलू- मेडम पीछे से भी सेक्स हो सकता है ? पर यहा तो कोई भी छेद नही है. मेडम- ये जो लेट्रीन वाला छेद है ना, लोग उसी..... (मेडम कहते कहते अचानक चुप हो गयी...शायद उन्हे अपनी भूलका एहसास हो गया था.) बबलू- ठीक है फिर तो मज़े आ गये ! (बबलू चहकते हुए बोला) मेडम- नही-नही...मैने कभी पीछे से नही करवाया है. मेरे हज़्बेंड भी इसके पीछे पड़े रहते है. बबलू- मेडम मैं आपका हज़्बेंड नही हू. फिर पता नही कब मौका मिले आपके इस मखमली जिस्म की सेवा करने का. और फिर मेरा लंड तो भी बुरी तरह आकड़ा हुआ है. बिना इसे शांत किए मैं बाहर कैसे जाउन्गा? मेडम- चलो ठीक है...पर ज़रा आराम से करना. और पहले उंगली से इसे....... बबलू- वो आप मुझ पर छोड़ दीजिए. बबलू से अब बर्दाश्त नही हो रहा था. मेडम की बात काट कर उसने लंड पकड़ा और मेडम की गंद के मुहाने पर रख कर पहले की तरह पूरे ज़ोर से धक्का मार दिया. आआआआआररर्ररगगगगगगगघह आआआआआररर्र्र्रररगगगगगघह एक साथ दो चीखे उभरी. जैसे बबलू ने अपना लंड किसी बंद दरवाजे मे दे मारा हो. बेचारा लंड पकड़ कर एक तरफ लुढ़क गया. लंड का गुलाबी सूपड़ा एक सूम लाल होकर सुन्न पड़ गया था. उधर मेडम को भी चक्कर आने लगे थे. दर्द के मारे दोहरी हुई जा रही थी. बेचारी की कुँवारी गंद को बबलू ने अपने मूसल से प्रहार करके कुचल दिया था. पूरा इलाक़ा त्रहिमाम कर रहा था. मेडम- ईडियट पहले कभी किसी के साथ अनल किया भी है. ऐसे किसी की अनस मे कभी पेनिस घुसता है ? बबलू- सॉरी मेडम. मैने तो आज पहली बार किसी औरत को छुआ है. मुझे क्या पता इस बारे मे. मेडम- जब मैं बता रही थी तो बड़े तीस-मार-खा बन रहे थे. बबलू- सॉरी मेडम. मेडम- ओके. चलो दिखाओ क्या हाल कर लिया तुमने अपने पेनिस का. लंड तो एक दम टॉप की माफिक तना हुआ था पर बबलू हॉर्नी नही था. लंड का हुलिया भी ठीक था बस सूपड़ा थोड़ा रेडिश हो गया था. दर्द भी नही था. पर बबलू के मन मे कुछ और ही था. बबलू- मेडम बहोत दर्द हो रहा है. प्लीज़ कुछ करिए ना. मेडम- ऑल मेला बेबी. इधर आ जा. मेला बैबी. क्या हुआ... बबलू- मेडम थोड़ा आराम से पकड़ना प्लीज़. देखिए अभी तक लाल है. मेडम ने लंड को बीच मे से पकड़ लिया और बबलू के टट्टो को चाटने लगी. टट्टो के उपर मेडम की जीभ फिरने से बबलू का उत्तेजना तंतरा फिर से काम करने लगा था. मेडम ने उसके मर्म-स्थान को छेड़ दिया था. बबलू की टाँगे एक दम खुल गयी थी और मेडम भी उसके टट्टो से थोड़ा उपर उठ कर उसके लंड पर जीभ फिराने लगी. धीरे-धीरे मेडम ने पूरा लंड अपने थूक से सराबोर कर दिया. केवल सूपड़ा ही बचा था. मेडम- मेरी वेजाइना मे डालोगे या मैं इसे चूस लू. बबलू- मेडम आपकी चुसाई मे बड़ा मज़ा आ रहा है. प्लीज़ आप करती रहिए ना. मेडम ने सूपड़ा मूह मे लिया और चूसने लगी. बबलू काफ़ी उत्तेजित हो चुका था. बीच-बीच मे मेडम के मूह मे ही धक्के लगा देता. पर जो लंड मेडम की चूत को फाड़ कर आया था वो मेडम के नरम और गरम मूह मे ज़्यादा देर टिक नही पाया. थोड़ी ही देर मे उसका लंड मेडम के मूह मे पिघल गया. मेडम उसके रस की हर एक बूँद का टेस्ट लेते हुए सारा सीमेन (वीर्य) गटक लिया. इसके बाद बबलू का शरीर जवाब दे गया. बेचारे बबलू के लंड ने पहले ही दिन घंटो तक काम किया था और पता नही कितना रस उगला था. मेडम काफ़ी संतुष्टि दिखाई दे रही थी. अचानक उन्हे पार्टी की याद आई. वो तुरंत उठी और बाथरूम मे नहाने के लिए घुस गयी. बेचारे बबलू के शरीर मे बिल्कुल जान नही थी. नही तो मेडम के साथ जक्यूज़ी मे भी नहा लेता. बेचारा.. मेडम- उठो. सो गये क्या ? ये ब्लाउस तो पहना दो. बबलू ने 15-20 मिनिट की झपकी ले ली थी और वो काफ़ी तरो-ताज़ा महसूस कर रहा था. वो चुप-चाप उठा. और मेडम की ब्लाउस पहनने मे मदद करने लगा. मेडम ने सारी पहले ही पहन रखी थी. ब्लाउस की डोरी बँध जाने के बाद मेडम बोली- ये लो मेरा कार्ड. जब कोई ज़रूरत हो या मिलने का मन करे तो मेरे सेल पर फोन कर लेना. बबलू- जी मेडम इतना कह कर बबलू कोठी से बाहर निकला. बबलू के चेहरे पर आत्मा-विश्वास सॉफ दिखाई दे रहा था. रात के 8 बजने वाले थे. बबलू ने किनेटिक स्टार्ट की और भगा ली. उधर निशा को मन ही मन चिंता हो रही थी कि कही उसने ग़लत आदमी पर भरोसा तो नही कर लिया. उसे बबलू पर भी गुस्सा आ रहा था. 15 मिनिट का ही तो काम था और अब 3 घंटे होने आए थे. बेचारी बार-बार बाहर निकल कर उसकी राह देख रही थी. 8 बजे बुटीक भी बंद हो गया. पर निशा बाहर खड़ी रही. उसका दिल बबलू को ग़लत मानने के लिए राज़ी नही हो रहा था. इसीलिए शायद उसने सबके मना करने पर भी बबलू का इंतेजार करने का फ़ैसला कर लिया था. रात घिरने के साथ ही सारा इलाक़ा सुनसान होता जा रहा था और निशा के मन मे डर समता जा रहा था. निशा वाहा अकेली खड़ी थी. जब भी कोई वेहिकल वाहा से गुज़रता तो उसके दिल की धड़कने तेज हो जाती. उसके निकल जाने के बाद ही उसकी जान मे जान आती. पॉश इलाक़ो मे यही दिक्कत रहती है. रात को सड़क पर कोई आदमी ढूँढने से भी नही मिलता. ऐसे ही 15 मिनिट बीत गये. अचानक एक बड़ी सी बीएमडब्ल्यू वाहा पर रुकी और ड्राइवर विंडो का ग्लास नीचे हुआ. उसमे से एक लड़के ने सी बाहर निकाला और बोला- हाई बेब. वॉट’स अप....वाना हॅव फन... निशा की तो घिग्घी ही बँध गयी. हालाँकि उसका पूरा तन पूरी तरह ढका हुआ था पर उस लड़के की नज़रो मे वो खुद को नंगा महसूस कर रही थी. उसके हाथ कपड़ो को खीच कर लंबा करने की कोशिश करने लगे. उससे कोई जवाब ना पाकर लड़के की हिम्मत और बढ़ गयी. क्रमशः..........................................
|