Chudai ki Kahani अंजानी डगर
06-03-2018, 08:57 PM,
#14
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--13 गतान्क से आगे.................... दोस्तो किस्मत बबलू पर मेहरबान थी. रश्मि और निशा तो पहले ही उसकी हो चुकी थी. और पता नही आगे कितनी चूत उसके लंड पर प्रेम रस बरसाने वाली थी. बबलू उस तालाब मे डुबकिया लगा रहा था जिसमे एक से एक मस्त मछली भरी थी अब ये उस पर था की किस मछली को दाना डाले और किस को छोड़ दे बेचारी मल्लिका मेडम की साँसे अटकी हुई थीबबलू डरते डरते मल्लिका मेडम की बड़ी बड़ी चूचियो को हथेलियो मे भर कर अंदर की और दबाने लगा. उसके हाथो और मेडम के मम्मो के बीच अब केवल एक पतला सा ब्लाउस का कपड़ा था. मम्मो के हर कटाव को बबलू महसूस कर सकता था क्योकि मेडम ने ब्लाउस के टाइट हाइन की वजह से ब्रा नही पहनी थी. बबलू दबाए जा रहा था और मेडम के मक्खन जैसे मम्मे उसके हाथो का दबाव पाकर दब्ते जा रहे थे. अपने मम्मो पर पराए मर्द का दबाव पड़ने से मल्लिका मेडम के शरीर मे चींतिया सी रेंगने लगी, जिसका प्रभाव ब्लाउस मे उभर चुके निप्पलो पर साफ दिख रहा था. बबलू मेडम के बूब्स को सामने खड़ा होकर ही दबा रहा था और उसकी नज़रे मेडम की गहरी होती जा रही क्लीवेज मे गढ़ी हुई थी. दरअसल बबलू के हाथ कॉर्सेट का काम कर रहे थे और दबाव पड़ने से मेडम के माममे ब्लाउस के उपर से बाहर निकल कर मेडम की जबरदस्त क्लीवेज बना रहे थे. ये मदहोशी भरा नज़ारा देख कर बबलू के होठ सूखने लगे. उसने अपने होंठो पर जीभ फेर कर उन्हे गीला किया. सख़्त हो चुके निप्पलो पर मल्लिका मेडम को ये दबाव अजीब सा सुख दे रहा था. उनकी आँखे धीरे धीरे मूंद रही थी. पर निशा सारा माजरा समझ चुकी थी. निशा- मेडम आप...हुक खोलिए. मल्लिका- आ...अरे तुम ग़लत दबा रहे हो. ऐसे तो और मुश्किल होगी. मुझे तो आगे कुछ नही दिख रहा है. हुक कैसे खोलू. मल्लिका मेडम की गहराइयो मे तैरने के बाद भी बबलू का हलक सूखा हुआ था. वो कुछ नही बोल पाया. निशा- मेडम मिरर उधर है. मल्लिका- हा. उधर ही चलते है. पर बबलू तो जैसे जड़ हो गया था और उसके हाथ अभी भी मल्लिका मेडम के बूब्स को जकड़े हुए थे. निशा ने बबलू की हथेलियो को मेडम के मम्मो से हटाया और उसका हाथ पकड़ कर मिरर के आगे खड़ा कर दिया. फिर मल्लिका मेडम खुद बबलू की ओर पीठ करके खड़ी हो गयी और मिरर मे से उसको देखने लगी.. मल्लिका- अब तुम पीछे से ही दबाओ. यहा से हुक सही दिखाई दे रहे है. बबलू खोया हुआ सा उठा और अपने हाथ मेडम की बगल मे घुसा दिए और फिर से मेडम के तने हुए मम्मो को पकड़ लिया. अबकी बार मेडम के खड़े हुए निपल बबलू की हथेलियो से दब गये. बबलू ने जैसे मेडम की गिटार का कोई तार छेड़ दिया हो. इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स- मल्लिका मेडम अपनी सीत्कार को रोक नही पाई- क..क्या कर रहे हो...ढंग से दबाओ ना. ऐसे तो मैं.... मेडम पर भी सुरूर चढ़ रहा था. बबलू ने दबाव और बढ़ा दिया. मेडम फिर से सिसक उठी पर बोली कुछ नही. मेडम की सिसकारिया बबलू की उत्तेजना को और बढ़ा रही थी. उसका लंड अब पत्थर बन चुका था. उसने मेडम के मम्मो का मसाज सा शुरू कर दिया और बबलू को रोकने बजाए मेडम खुद भी बहकति जा रही थी. दोनो के जिस्म अब पूरी तरह गरम हो चुके थे. बात कुछ आगे बढ़ती इससे पहले ही निशा बोल उठी - मेडम आप हुक खोल लेंगी या मैं खोल दू. निशा की बात सुन कर मेडम वास्तविक दुनिया मे लौट आई. उनका गोरा चेहरा शरम से लाल हो चुका था. मेडम को बबलू ने इतना उत्तेजित कर दिया था कि उनको जगह और समय का ध्यान ही नही रहा. बबलू के हाथ भी रुक गये और मेडम के मम्मे बेचारे दबे रह गये. मेडम के मम्मे पूरी तरह दबे हुए थे. उन्होने जल्दी से हुक खोलदीए और बबलू ने अपने हाथ हटा लिए. बबलू के हाथ हटते ही जैसे 2 कबूतर पिंजरे से आज़ाद हो गये. मेडम के मम्मे आज़ाद होकर फुदकाने का सीन बबलू ने मिरर मे देख लिया था और मेडम ने भी बबलू का खुला हुआ मूह देख लिया था. पर वो चुप ही रही और गहरी सांस ली. निशा टांग नही अड़ाती तो आज बबलू एक बार फिर बिन ब्याहे सुहाग रात मना चुका होता. ( चाहे ये दुल्हन कुँवारी नही थी ). निशा वाहा पर कबाब मे हड्डी का काम करने के लिए ही तो खड़ी थी. उसने बबलू की पॅंट का तंबू और मेडम की सिसकारिया सुन ली थी. उसे पता था कि बबलू का लंड कितनी जल्दी फुफ्कारने लगता है. इसीलिए वो रश्मि के साथ नही गयी थी. खैर मल्लिका मेडम का ब्लाउस तो आख़िरकार उतर गया था और वो दूधिया रंग के मम्मो को अपनी छाती पर मेडल्स की तरह टाँगे खड़ी थी. उनके गुलाबी निपल अब तक कड़े थे. निशा- मेडम आपने ब्रा भी नही पहनी. बबलू – एक कड़क आवाज़ सुनाई दी. जी....जी – बबलू हड़बड़ा कर बोला. मल्लिका मेडम रेड ब्लाउस पहने खड़ी थी और मस्टेरज़ी गुस्से से चिल्ला रहे थे. दोस्तो अपना बबलू खड़ा खड़ा सपना देख रहा था म्‍मास्टर जी की आवाज़ ने उसे धरातल पर ला दिया था मस्टेरज़ी- अबे मेडम को क्यो देखे जा रहा है ? बबलू- म...म..मैं वो... मस्टेरज़ी- अबे मल्लिका मेडम कितनी देर से खड़ी है और तू दिन मे कौन से सपने देख रहा है नमकूल. बबलू- ज..जी मेडम का ब्लाउस टाइट था और वो ब्लाउस चेंज करने गयी थी. और मैं.... मस्टेरज़ी- रश्मि कहा गयी और ये निशा यहा क्या कर रही है. साले तूने नाप लेने की प्रॅक्टीस भी की थी ? बबलू- जी मस्टेरज़ी मैने पूरी प्रॅक्टीस कर ली थी. बबलू अब तक संभाल चुका था. मस्टेरज़ी- चल अभी पता चल जाएगा कि तूने कितनी प्रॅक्टीस की है. मेडम के ब्लाउस का नाप लेना शुरू कर. बबलू- जी. मस्टेरज़ी- मेडम इसकी ग़लती के लिए मैं शर्मिंदा हू. बेचारा नया-नया है. नीचे मुझे रश्मि ने बताया कि आप आई है तो मैं भागा-भागा उपर चला आया. आप प्लीज़ इसको नाप दे दीजिए. बबलू मल्लिका मेडम का नाप लेने लगा. सबसे पहले उसने मेडम की ब्रेस्ट का नाप लेने के लिए मल्लिका मेडम के हाथ उपर किए और नाप लिया - 32 मल्लिका- अरे नही मेरी ब्रेस्ट का साइज़ तो 38 है. ब्लाउस टाइट है इसलिए कम आ रहा होगा. मस्टेरज़ी- मेडम आपने ये टाइट वाला ब्लाउस पहना ही क्यो है. इससे नाप कैसे सही मिलेगा. आप अंदर जाइए और चेंज करके ब्रा पहन लीजिए. मेडम- इस लड़के ने ही तो कहा था....चलो कोई बात नही. पर ब्लाउस मुझे आज ही चाहिए. मेडम पैर पटकते अंदर चली गयी और चेंज करके बाहर आई. बबलू की नज़र गेट पर ही टिकी हुई थी. मेडम ने बाहर निकलते ही कहर ढा दिया था. मेडम के हर बढ़ते कदम के साथ उनके ब्रा के कप्स मे सजे हुए बूब्स फुदकते और बबलू का दिल बैठ जाता. मेडम की क्लीवेज की गहराई वाकई मे जानलेवा थी. एक बार फिर बबलू अपने ख़यालो की दुनिया मे डूबने लगा था. पर मस्टेरज़ी की आवाज़ ने उसे वापस ला कर पटक दिया. मस्टेरज़ी- अब ठीक से नाप लियो. कोई ग़लती मत करियो. यह कह कर मस्टेरज़ी ऑर्डर बुक लेकर बैठ गये. बबलू के हाथ कांप रहे थे. निशा और रश्मि की जवानी मल्लिका मेडम के हुस्न के आगे फीकी पड़ गयी थी. मल्लिका मेडम का अंग-अंग शायद काफ़ी फ़ुर्सत मे गढ़ा गया था. उनके बूब्स एक दम तने हुए थे और ब्रा पर ज़रा भी दबाव नही डाल रहे थे. बबलू ने फिर से मेडम के हाथ उठवाए. मेडम की बगल से मनमोहक सेंट की खुश्बू आ रही थी. उनकी कांख एक दम गोरी और बाल रहित थी. बबलू ने हाथ बढ़ाए और इंचिटपे को उनकी ब्रेस्ट पर लपेट दिया – 38 – बबलू बोला. मल्लिका मेडम ने राहत की सांस ली. जैसे कोई इम्तिहान पास कर लिया हो. मस्टेरज़ी- मेडम आपका पहले का नाप तो 32 ही लिखा है. नही नही 2 महीने मे साइज़ कैसे बढ़ जाएगा. शायद पहले वाले लड़के ने ही ग़लत लिख लिया होगा. मेडम- नही नही मास्टर जी. पहले का साइज़ 32 ही था. मैने ब्रेस्ट इम्प्लान्ट का ऑपरेशन करवाया है. पूरे 2 लाख खर्च हुए है. मस्टेरज़ी का मूह खुला का खुला ही रह गया था. ऐसा भी होता है ! बबलू- कमर 28. मेडम ब्लाउस की लेंग्थ तो उतनी ही रहेगी. नेक कितना डीप रहेगा. मल्लिका- ये ब्रा जितना ही डीप रखना. पहले बहुत कम डीप था. मैं तो बहुत डीप पहनती हू. बबलू ने इंचिटपे था सिरा मेडम के कंधे पर रखा और उसे खींच कर मेडम के क्लीवेज की लाइन के सिरे से लगा दिया. फिर धीरे धीरे नीचे आने लगा. 8 9 10 11 मेडम 11 इंच तक आएगा. मल्लिका- और डीप नही हो सकता. बबलू- फिर आपकी ब्रा दिखेगी. मल्लिका- चलो बॅक से ज़्यादा डीप रखना. बबलू- मेडम 14 इंच मे 11 इंच से ज़्यादा क्या डीप होगा. मस्टेरज़ी- मेडम बॅकलेस बना दे. मल्लिका- हा वही ठीक रहेगा. मस्टेरज़ी- ये नाप तो हो गया. और सेवा बताइए. मल्लिका- और कुछ नही बस 6 बजे से पहले मेरे पास भिजवा देना मुझे फिर पार्लर भी जाना है. मस्टेरज़ी- आप चिंता ना करे. अब ये मेरी ज़िम्मेदारी है. मल्लिका- थॅंक यू मस्टेरज़ी. यह कह मल्लिका मेडम निशा के साथ नीचे चली गयी और मस्टेरज़ी ब्लाउस को उधेड़ने लगे. और बबलू मल्लिका मेडम के सम्मोहन मे खोया गया. वॉल क्लॉक मे 5 बज चुके थे. मस्टेरज़ी- बबलू. बबलू अपने ख़यालो से बाहर आया- जी मस्टेरज़ी. मस्टेरज़ी- ये ब्लाउस तैयार हो गया है. पर बेटा मुझे अपने दोस्त के बेटे की शादी मे जाना है. तू नीचे से मल्लिका मेडम का अड्रेस लेले और 6 बजे से पहले इसे पहुचा देना. बबलू- मस्टेरज़ी मैं तो मुंबई मे नया हू. मैं कैसे जाउन्गा. और मुझे अभी अपना रहने का ठिकाना भी तो खोजना है अभी. मस्टेरज़ी- जगह के लिए तू निशा से बात कर ले. वो कोई ना कोई बंदोबस्त कर देगी. बस तू ये टाइम पर पहुचा ज़रूर देना. बबलू- जी जैसा आप कहे. बबलू ने ब्लाउस लिया और नीचे निशा के पास पहुच गया. निशा- चले ? बबलू- कहा चले ? निशा- जहा तुम ले चलो. बबलू- मुझे तो ये ब्लाउस डेलिवरी करने जाना है. मल्लिका मेडम का अड्रेस दे दो. निशा- क्यो तुम अपना प्रॉमिस भूल गये क्या ? बबलू- कौन सा प्रॉमिस ? निशा- अच्छा बच्चू. अब वो भी मुझे ही याद दिलाना पड़ेगा क्या ? बबलू- अच्छा वो. अभी तो मुझे काम से जाना है. फिर कभी पूरा कर दूँगा. निशा- फिर कभी क्या ? मुझे तो आज ही करना है. बबलू- आज तो मुश्किल है. मस्टेरज़ी कह रहे थे कि तुम रूम का अरेंज्मेंट करा दोगि.... निशा- रूम देखना है तो अभी चलना होगा. नही तो रात हो जाएगी. बबलू- रूम तो चाहिए पर पहले ये ब्लाउस 6 बजे तक पहुचना ज़रूरी है. निशा- हा तो ठीक है. ये ब्लाउस डेलिवरी करके यही पर वापस आ जाना. फिर कमरा देखने चलेंगे. बबलू- पहले अड्रेस तो दो. निशा- ये तो पास मे ही है. 1 घंटे मे वापस आ जाओगे. ये लो बाहर मेरी किनेटिक खड़ी है. वो ले जाओ. बबलू- ना जान ना पहचान. पहले ही दिन इतना विश्वास. कही मैं तुम्हारी किनेटिक लेकर भाग गया तो. निशा- अरे मैं तुझे भागने दूँगी तब ना. बबलू- अच्छा-अच्छा. मैं आता हू. मेडम के जाने के बाद पूरे दिन बबलू की आँखो के आगे मेडम का मादक जिस्म तैरता रहा. मेडम की लचकदार कमर और कातिल गोलाइया. पूरे दिन उसने अपने ख्वाबो मे मल्लिका मेडम के जिस्म को तरह-तरह से चोद लिया था. लंड तो बेचारा पता नही कितनी बार आकड़ा और फिर शांत हुआ. उसकी तो बस ये ही तम्माना थी की उसका सपना एक बार सच हो जाए और मेडम उसे अपने मादक जिस्म को प्यार करने की किसी तरह इजाज़त दे दे. बबलू को बाहर वेटिंग रूम मे बिठाया गया था पर वाहा से कोठी के अंदर की शानदार स्जावट दिख सकती थी. रामू चाइ और बिस्कट दे गया था. बबलू ने चाइ ख़तम ही की थी कि रामू पास आकर बोला कि मेडम आपको बुला रही है. इतना सुनते ही बबलू का लंड फिर से झटके खाने लगा. उसे फिर से मेडम के मादक शरीर के दर्शन होने वाले थे. बबलू उठा और रामू के पीछे हो लिया. कोठी वाकई जानदार थी. रामू बबलू को ग्राउंड फ्लोर पर ही एक रूम के बाहर तक पहुचा कर बोला- अंदर चले जाइए. मेडम अंदर ही है. यह कमरा शायद मल्लिका मेडम का बेडरूम था. पर रूम मे मेडम दिखाई नही दी. अंदर एक और दरवाजा खुला हुआ था. बबलू उसके अंदर चल गया. ये शायद मेडम का ड्रेसिंग रूम था. पूरे कमरे मे अलमारिया बनी थी और एक तरफ बड़ी सी ड्रेसिंग टेबल पर मल्लिका मेडम मिरर के सामने खड़ी थी और ब्लाउस पहनने की कोशिश कर रही थी. मेडम को देख कर बबलू की उत्तेजना और बढ़ गयी. मेडम ने नीचे तो पेटिकॉट पहन रखा था पर उपर उनके जिस्म केवल एक लो नेक लाइन ब्रा थी. निपल को छोड़ कर लगभग पूरे ही बूब्स की झलक मिरर मे दिखाई दे रही थी. बबलू के शरीर मे जैसे लावा सा बहने लगा था. बबलू मल्लिका मेडम को घुरे जा रहा था. मेडम ने उसे घूरते हुए देख तो लिया था पर उन्होने इसे अनदेखा कर दिया और बोली- ये ब्लाउस तो मुझे समझ नही आ रहा. पता नही कैसे पहना जाएगा. प्लीज़ तुम मेरी थोड़ी मदद कर दो ना. मेडम की आवाज़ मे रूमानियत भी थी और रिक्वेस्ट भी. बबलू उन्हे मना नही कर पाया. उसने मेडम से ब्लाउस ले लिया और उसकी डोरी ढीली करने लगा. बीच बीच वो नज़र चुरा कर मेडम की छातियो का भी नज़ारा ले लेता. मेडम सब देख रही थी पर पता नही उनके मन मे क्या चल रहा था. वो शांत खड़ी रही. बबलू- मेडम आप हाथ सामने कर लीजिए. मेडम- अरे मेरे सिर मे दर्द है. मैने अभी गोली ली है. तुम्हे जो करना है चुपचाप करते जाओ. बोलो नही. बबलू- जी आप बस खड़ी होकर इसमे बाजू डाल लीजिए बाकी फिटिंग मैं देख लूँगा. मेडम ने हाथो मे ब्लाउस की बाजू पहन ली और ब्लाउस को उपर तक चढ़ा लिया. बबलू मेडम के पीछे आ गया और डोरी टाइट करने लगा. बॅक लेस ब्लाउस मे मेडम की गोरी कमर बड़ी मस्त लग रही थी. डोरी टाइट करने के बाद बबलू सामने की तरफ आया. मेडम का ब्लाउस का गला बहुत डीप था. लाल रंग के डीप नेक ब्लाउस मे मेडम कयामत लग रही थी. बबलू तो बस देखता ही रह गया. मेडम- आ... क्या चुभ रहा है यहा पर. बबलू- मेडम कहा पर. मेडम- ये देखो यहा पर. ये क्या है. आअह... बबलू ने ध्यान से देखा की ब्लाउस मे कोई चीज़ घुसी हुई थी. मेडम- अरे जल्दी कुछ करो. बहुत दर्द हो रहा है....आ... बबलू- मेडम ब्लाउस उतरना पड़ेगा. शायद कोई चीज़ ब्लाउस मे चली गयी है. मेडम- अब ब्लाउस उतारने का टाइम नही है मेरे पास. तुम ऐसे ही निकाल दो. बबलू- ऐसे कैसे निकाल दू. वो ब्लाउस मे नीचे की तरफ है. मेडम- कैसे क्या ? भगवान ने ये हाथ क्यो दिए है तुम्हे ? इनका इस्तेमाल नही जानते क्या...आ...जल्दी करो...आइईए बेचारा बबलू मरता क्या ना करता. उसने मेडम के ब्लाउस को थोड़ा सा खीचा और उस चीज़ की सही जगह का अंदाज़ा लगाया. वो जगह मेडम के निपल के ठीक नीचे थी. बबलू मेडम के पीछे गया और ब्लाउस की डोरी को ढीला कर दिया. फिर उसने मेडम को चेर पर बैठा दिया. इसके बाद बबलू बाई ओर आया और मेडम के ब्लाउस और ब्रा के बीच मे अपनी काँपति हुई उंगलिया डाल दी. जैसे मक्खन से जमे हुए गोल च्यूक पर हाथ दिया हो. मेडम के मम्मो मे काफ़ी कसाव था. बबलू के लिए इतना ही काफ़ी था. उसका दिल धड़-धड़ करके बज रहा था. लंड बुरी तरह सूज कर अकड़ चुका था. केवल मेडम के जिस्म की चुअन से ही बबलू के शरीर के रौंगटे खड़े हो चुके थे. बबलू ने दूसरे हाथ से अपनी पॅंट की ज़िप खोल कर लंड को बाहर निकाल लिया और थोडा सहलाने लगा. लंड मे ध्यान लगने से बबलू ब्लाउस को भूल सा गया था. पर मेडम का दर्द बढ़ता जा रहा था. मेडम- ज़ल्दिकरो ना प्लीज़. मेडम की दर्द भरी आवाज़ सुन कर बबलू ने लंड को छोड़ दिया और एक हाथ से ब्लाउस को आगे खींच लिया और उसमे देखने की कोशिश करने लगा. पर वाहा देखने के लिए जगह ही नही थी. बबलू धीरे-धीरे अपना दूसरा हाथ मेडम के ब्लाउस मे सरका रहा था. आख़िर मे उसका हाथ से कोई सख़्त चीज़ टकराई. उसने उसे थोड़ा सा सहला कर देखा, शायद कोई चने का दाना था. बबलू ने उसे थोड़ा ज़ोर से दबा दिया. इसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स- मेडम की सिसकारी नकल गयी – ये क्या कर रहे हो. मेरी तो जान ही निकल गयी. मेडम के हाथ बबलू के हाथो पर पहुच गये थे और चेहरे पर पसीना आ गया था. बबलू- मेडम आपके ब्लाउस मे जो चुभ रहा वही निकल रहा हू. पता नही ये चने जैसा दाना आपके ब्लाउस मे कैसे आ गया. मेडम- ईडियट ऐसे नट्स तो हर औरत की छाती पर होते है. बबलू- मेडम किस लिए ? देखो अब आपको चुभ रहा है ना. मेडम- चुभ तो उसके नीचे रहा है...स्टुपिड. बबलू ने हाथ थोड़ा और नीचे सरकया तो अचानक उसकी उंगली पर चुबी. उसने तुरंत हाथ बाहर निकाल लिया और हिलाने लगा. शायद कोई नीडल चुभि थी. उसके उंगली पर खून उभर आया था. मेडम ने उसकी उंगली पर खून देखते ही चिल्ला उठी – खून. और उंगली को अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी. बबलू- मेडम शायद कोई नीडल रह गया है अंदर. आपको ब्लाउस उतारना ही पड़ेगा. मेडम ने सिर हिला कर हामी भर दी. बबलू ने धीरे से मेडम के मूह से अपनी उंगली निकाली और मेडम के ब्लाउस की डोरी खोल दी. खून बंद हो चुका था. शायद मेडम के चूसने से ऐसा हुआ था. मेडम ने धीरे से ब्लाउस उतारा तो देखा वाकई मे नीडल थी. नीडल चुभने से ब्रा पर भी खून का धब्बा आ गया था. मेडम- अरे ये ब्रा तो खराब हो गयी. चेंज करनी पड़ेगी. तुम प्लीज़ स्ट्रॅप खोल दो. बबलू ने ब्रा के स्ट्रॅप खोल दिए. ब्रा खुलते ही मेडम के बूब्स कबूतरो की तरह आज़ाद होकर फुदकने लगे. उसकी आँखे फटी रह गयी. होठ सूखने लगे. उसने जीभ से अपने होठ गीले किए. तभी मेडम की निपल के नीचे खून की एक बूँद उभर आई. बबलू उसे देखते ही बोला- खून. क्रमशः........... part--13 gataank se aage..........
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RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर - by sexstories - 06-03-2018, 08:57 PM

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