Chudai ki Kahani अंजानी डगर
06-03-2018, 08:57 PM,
#13
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--12 गतान्क से आगे.................... मॉनिटर पर दोनो की पूरी काम-क्रीड़ा का लाइव टेलएकास्ट देख लेने के बाद निशा की हालत बेकाबू हो चुकी थी. बेचारी काउंटर बैठे हुए ही अपनी चिड़िया को सेलहाए जा रही थी पर अब सहन करना मुश्किल हो रहा था. बस कोई आ जाए और इस ओखली मे मूसल डाल कर धोन्च्ता रहे....फाड़ डाले इस निगोडी चूत को. अब कोई चारा नही बचा तो कंप्यूटर और कॅश बॉक्स को बंद कर खड़ी हो गयी. फिर संजना और रोज़ी से बोली- मैं टाय्लेट होकर आ रही हू. तुम ज़रा यहा का ध्यान रखना. फिर वो उपर की ओर चल दी. वाहा पहुचते ही उसने जीने का गेट बंद कर दिया और मास्टर जी के कमरे मे घुस गयी. वाहा बबलू का पानी निकल चुका था और रश्मि उस पर चिल्ला रही थी… रश्मि- कामीने…ये तेरा साँप बीच मे ही कैसे मर गया. अब ये खड़ा होगा या नही. जल्दी खड़ा कर इसे. बबलू कुछ कहता इससे पहले … मदहोश निशा बबलू के पास पहुचि और उसने घुटनो पर बैठ कर मुरझाए हुए लंड को अपने मूह मे ले लिया. निशा की इस हरकत से बबलू और रश्मि सकते मे आ गये. दोनो सेक्स के खेल मे इतने मस्त हो गये थे कि ध्यान ही नही रहा कि वो कहा पर है. जब तक बबलू संभलता निशा ने उसके लंड को चूस- चूस कर फिर से खड़ा कर दिया. इसके बाद उसने देर ना करते हुए अपनी सलवार उतारी और चढ़ गयी बबलू पर घुड़-सवारी करने. निशा की चूत चुदाई के लिए एकदम तय्यार थी. उसकी योनि का रस बह कर उसकी टाँगो पर आ चुक्का था. बबलू को कुछ करने की ज़रूरत नही पड़ी. तीर निशाने पर था. आआआआयययययययययययईईईईई- एक घुटि हुई सी चीख सुनाई दी और निशा का भी कोमार्य बबलू के लंड पर कुर्बान हो गया. थोड़ा सा खून निशा की चूत से रिस कर योन-रस के साथ बाहर आ गया. निशा की चूत की फांके बबलू के टट्टो को चूम रही थी. अब बबलू भी पूरे रंग मे वापस आ गया था. उसने निशा के सूट के बटन खोल दिए और उसे उतार दिया. निशा की नाषपाती के साइज़ की दूधिया रंग की चुचिया एक टीनेजर ब्रा मे क़ैद थी. साइज़ रश्मि से छोटा था पर गोरे रंग ने गजब कर दिया था. ऐसी सुंदरता तो बबलू ने सपने मे भी नही देखी थी. निशा थोड़ी देर के बाद उछलने लगी. जैसे उसने रश्मि को चलते हुए देखा था. उसकी ब्रा मे क़ैद नश्पातिया भी उपर नीचे उछल रही थी. बबलू तो जैसे ईन्द्र के सिंहासन पर था और कोई अप्सरा उसकी सेवा कर रही थी. पर वो ज़्यादा देर तक इस शानदार एहसास मे नही रह पाया. बबलू को अब असलियत का आभास हो रहा था. हालाँकि, आज उसकी जिंदगी का सबसे खुशनसीब दिन था. आज एक नही 2-2 कुँवारी कमसिन लड़कियो की कोरी चूत की सील उसने तोड़ी थी. पर वो डर भी रहा था. नयी जगह. नये लोग. और पहली ही बार मे ये सब…उसके मूह से अपने आप ही बोल फूटने लगे. बबलू- अरे तुम ये क्या कर रही हो. निशा- (चुप) बबलू- देखो तुम ये ठीक नही कर रही. निशा- और तू रश्मि के साथ क्या कर रहा था. रश्मि- मैं तो अपना नाप देना सिखा रही थी. निशा- तो ठीक है मैं भी सिखा दूँगी. बबलू- मस्टेरज़ी ने मुझे इसका नाप लेने को कहा है. निशा- चुप चाप मेरा नाप लो…नही तो उनको बता दूँगी कि तुम कैसे नाप ले रहे थे. ये सुन कर बबलू चुप हो गया. पर रश्मि की चूत मे भी को आग भड़की हुई थी जो निशा की हर्कतो ने और भड़का दी थी. वो भी बेचारे बबलू के मूह पर बैठ गयी. रश्मि की चूत के लिप्स बबलू के मूह के लिप्स से जुड़ गये. रश्मि बबलू के मूह पर ही अपने निचले लिप्स को रगड़ने लगी. बबलू ने अपनी जीभ को बाहर निकाला और उसी से रश्मि की चूत को चोदने लगा. बड़ा जोरदार थ्रीसम सीन चल रहा था. बबलू के कसरती जिस्म का 2-2 अप्सराए मान-मर्दन कर रही थी. तीनो की जवानिया एक दूसरे से जम कर लोहा ले रही थी. देखना था की किसमे कितना दम है. आख़िरकार, सबसे पहले रश्मि का पानी छूटा. उसने अपनी योनि को बबलू के मूह पर कस कर दबा दिया और उसके सिर को कस कर पकड़ लिया. फिर वो वहाँ से हट कर एक तरफ निढाल हो कर ढेर हो गयी. रश्मि के हटने के बाद बबलू ज़मीन से थोड़ा सा उठा और घुटने मोड़ कर निशा को खड़ा कर दिया. निशा तो मदमस्त हथनी की तरह लंड पर जमी हुई थी. वो उससे अलग नही होना चाहती थी पर बबलू के आगे उसकी एक ना चली. बबलू ने खड़े होकर निशा की अब तक क़ैद नाश्पतियो को ब्रा खोल कर बाहर निकाल लिया. निशा का गोरा बेदाग जिस्म अब पूरी तरह अनावृत हो चुक्का था. लोग चोदने से पहले एक दूसरे का जिस्म निहार कर उत्तेजना बढ़ाते है. यहा उल्टा हो रहा था. निशा का धैर्य जवाब दे रहा था. उसे तो बस एक ही चीज़ दिख रही थी जिसे वो हर हाल मे पा लेना चाहती थी. पर ये बबलू तो निशा को निहारने मे ही लगा हुआ था. निशा फिर से बबलू के जिस्म लिपट गयी. उधर रश्मि भी निशा की गर्मी को देख कर फिर से पिघलने लगी और निशा से जा लिपटी और उसे चूमने लगी. पर जिसका डर था वही हुआ… नॉक-नॉक तभी अचानक खटखटाने की आवाज़ आई. शायद जीने के दरवाजे पर कोई था. बबलू तो होश मे था पर दोनो अप्सराओ के दिमाग़ पर तो जैसे सेक्स का भूत सवार था. दोनो की चूत का उद्घाटन तो हो गया था पर जवानी की प्यास भुजने की बजाए और भड़कती ही जा रही थी. दोनो रति क्रिया मे ऐसे खोई हुई थी कि इसी काम के लिए ही जन्म लिया हो. बबलू ने किसी तरह खुद को अलग किया और दोनो को झींझोड़ा. पर वो भूखे बच्चे की तरह उसके लंड पर टूट पड़ी. दोनो उसकी सेक्स-स्लेव बन चुकी थी. बबलू ने उनको उस नशे का चस्का लगा दिया था जो हर डोज के साथ और नशीला हो रहा था. उधर खटखताहत की आवाज़ बढ़ती ही जा रही थी. इधर बबलू की हालत पस्त हो रही थी. बबलू- मस्टेरज़ी आ गये है. तुम दोनो कपड़े पहन लो. निशा- मेरी प्यास तो भुजा दे मेरे राज्जा. बबलू- अरे कोई आ जाएगा. जल्दी करो. निशा- मैं आ तो गयी हू. अब बंद दरवाजे से कोई और नही आएगा. बबलू- पागला गयी हो क्या. मस्टेरज़ी दरवाजा तोड़ कर यहा आ जाएँगे. उनको पता है कि मैं और रश्मि यहा अकेले है. निशा- मुझे कुछ नही पता. इस रश्मि को तो बड़ा मज़ा दे रहे थे तुम. अब मेरी बारी मे चीटिंग मत करो. बबलू- मेरी जान. मैं कही भागा थोड़े ही जा रहा हू. कल तुम्हारा नंबर लगा दूँगा. निशा- प्रॉमिस? बबलू- बाइ गॉड की कसम. अब तो कपड़े पहन लो प्लीज़. रश्मि- और मैं. मेरी प्यास भी ढंग से नही भुजी है. मुझे कब प्यार करोगे. बबलू- तेरी सेवा भी कर दूँगा. अब तुम भी कपड़े पहन लो प्लीज़. दोनो अनमने ढंग से कपड़े पहनने लगी और बबलू आने वाली आफ़त के बारे मे सोचने लगा. उसने अपने कपड़े ठीक किए और टाय्लेट मे लगे मिरर के सामने अपना हुलिया चेक किया. फिर वापस आकर उन दोनो को टाय्लेट मे भेज दिया. और नीचे की ओर भागा. बबलू की जान सुखी हुई थी. पता नही आज क्या होने वाला था. 3 जवान जिस्म कमरा बंद करके क्या कर रहे थे. क्या जवाब देता वो……….? मन ही मन आज वो भगवान से प्रार्थना कर रहा था की आज बचा ले फिर कभी किसी लड़की की ओर आँख उठा कर भी नही देखेगा. नॉक..नॉक अबकी बार बबलू ने तुरंत ही दरवाजा खोल दिया. सामने मस्टेरज़ी नही संजना खड़ी थी. उसे देख कर बबलू की जान मे जान आई. पहले जब बबलू बुटीक मे आया था तब उसे नही देख पाया था. ये संजना तो हुस्न परी थी. एक दम गोरा चिटा रंग. और साइज़ भी एकदम सेक्सी. उपर से उसकी टाइट जीन्स-टॉप….अफ…कोई पत्थर भी पिघल जाए. पर हमारे बबलू जी तो अभी अभी अपना सारा रस निचोड़-निचोड़ कर उपर 2 सुंदरियो को दान कर आए थे. बेचारी संजना की ज्वानी पर बबलू का ध्यान ही नही गया. वो बेरूख़ी से बोला- क्यो शोर मचा रही हो. कौन हो तुम. संजना- मैं संजना हू. यहा सेल्स गर्ल का काम करती हू. निशा दीदी कहा है. बबलू- वो वॉश….उपर मस्टेरज़ी के कमरे मे है…बोलो क्या काम है. संजना- नीचे मल्लिका मेडम है. बहुत गुस्से मे है. निशा दीदी को बुला रही है….कहा है वो उको बुलाओ ना. बबलू- अब ये कौन सी नयी बला है. संजना- वो हमारी पुरानी कस्टमर है और शमा मेडम की खास फ्रेंड भी है. बहुत गुस्से मे है. बबलू- क्यो क्या कर दिया तुमने उनके साथ. सनजाना- मैने कुछ नही किया. वो तुमसे पहले एक लड़का था रोहन. उसने उनकी सारी का ब्लाउस सिला था. उसकी फिटिंग सही नही आ रही. बहुत महँगी साडी है. संजना की बोली एकदम मिशरी जैसी थी. जब बोलती तो जैसे फूल झाड़ रहे हो. बबलू उसकी आवाज़ के जादू मे खो सा गया. संजना- निशा दीदी कहा है. बबलू- निशा मॅम को तो अभी टाइम लगेगा. संजना- चलो तो तुम ही देख लो. बबलू- मैं क्या देखूँगा. संजना- अरे तुम टेलर हो. कस्टमर को अटेंड करना. उसकी प्राब्लम सॉल्व करना. बबलू- तू आज पहले ही दिन मरवाएगी. संजना- तुम चलो तो सही. बबलू- ठीक है चलो. जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. बबलू नीचे पहुचा तो वाकई भूचाल आया हुआ था. एक 30-32 साल की हाईफ़ाई मेडम बेहद गुस्से से बेचारी रोज़ी पर चिल्ला रही थी. बबलू- एस मेडम. वॉट कॅन आइ डू फॉर यू. मल्लिका- सी…वॉट ईज़ दिस बबलू- दिस लुक्स लाइक आ ब्लाउस. मल्लिका- ओफफफूओ….ये तो मुझे भी पता है कि ये ब्लाउस है. ये ब्लाउस मैने 1 महीना पहले यहा से सिलवाया था. खास आज शाम होने वाली करण की पार्टी के लिए 34000 की सारी इस बुटीक से खरीदी थी. जब आज सुबह मैने इसको ट्राइ किया तो आया ही नही. बुरी तरह से फँस रहा है. अब मैं आज शाम की पार्टी मे क्या पहनुँगी. ये निशा कहा है ? बबलू- मेडम मुझे बताइए मैं आपकी प्राब्लम सॉल्व करूँगा. मल्लिका- देखो ये ब्लाउस कितना टाइट है. एक बार पहन लो तो सांस नही ले सकते. बबलू- मेडम आप उपर चलिए. मैं हाथ के हाथ आपका ब्लाउस आल्टर कर दूँगा. यह सुनकर मल्लिका मेडम का तमतमाया हुआ चेहरा खिल उठा. मल्लिका- तुम कर लोगे ? बबलू- आप मुझ पर छोड़ दीजिए. ये बताइए की आप क्या लेना पसंद करेंगी. कॉफी या जूस. मल्लिका- बटरस्कॉच शेक मंगा लो. बबलू- रोज़ी एक शेक उपर भेज देना. आइए मेडम. मल्लिका मेडम को शांत करने के चक्कर मे बबलू उनकी मस्त देह का दीदार करना तो भूल ही गया था. जीने मे उपर चढ़ते समय मेडम को देखने का मौका मिला. मेडम ने ब्लॅक कलर की घुटनो तक की स्कर्ट पहन रखी थी और उपर ब्लॅक कोट था. मेडम की कमर तो पतली ही थी पर कुल्हो पर चढ़े हुए माँस से उभार सॉफ दिखाई दे रहा था. मेडम के जिस्म की आँखो से पैईमाश करते-करते दोनो उपर मस्टेरज़ी के रूम मे पहुच गये. वाहा निशा और रश्मि अब तक सब कुछ सेट कर चुकी थी. मल्लिका- निशा देखो ये क्या करवा दिया तुमने. निशा- क्या हुआ मॅम. बबलू- अरे कुछ नही. मेडम आप चिंता मत करे. मैं सब ठीक कर दूँगा. आप ऐसा करे की इस ब्लाउस को चेंज रूम मे जाकर पहन लीजिए. फिर मैं चेक कर लूँगा कि कहा प्राब्लम है. और मल्लिका ब्लाउस उठा कर चेंज रूम मे चली गयी. निशा- हाए राम. ये मल्लिका मेडम की चुचिया देखी तूने. 2 महीने मे ही कैसी फूल गयी है. ब्लाउस क्या खाक आएगा. रश्मि- हा यार पहले तो इतने बड़े नही थे मेडम के. बबलू- इन का पहले वाला साइज़ तो लिखा होगा. निशा- हा यही मस्टेरज़ी के पास होगा. मैं देखती हू….ये रही ऑर्डर बुक…ये रहा उनका 2 महीने पहले वाला साइज़….देखो मैने कहा था ना उनकी बस्ट का साइज़ 32 इंच लिखा है. अब देखो क्या साइज़ हो गया है. रश्मि- कुछ भी कहो...मेडम कितनी सेक्सी लग रही थी ना. ये बस्ट का साइज़ बढ़ने से औरत एकदम सेक्स-बॉम्ब बन जाती है. निशा- हा तभी तू इतना इतराती फिरती है. तेरा साइज़ भी तो मस्त है ना. रश्मि- मेरा साइज़ बड़ा है तो मेरा क्या कसूर है. निशा- हा यार. काश मेरा भी साइज़ इतना हो जाए तो मज़ा ही आ जाए. अच्छा चल तू नीचे जा. मैं यहा देखती हू. रश्मि- एक दिन मे ज़्यादा देखना-देखना सही नही है दीदी. अब तो बेचारे पर रहम करो. निशा- चल बेशरम कही की. रश्मि- आप कितनी शर्मीली हो. वो तो मैने देख ही लिया है. निशा- तू जाती है या नही. रश्मि- अच्छा बाबा जाती हू. *** मल्लिका मेडम जैसे ही चेंज करके बाहर आई तो लगा जैसे कमरे मे ज़लज़ला सा आ गया हो. मल्लिका मेडम के जलवे देख कर बबलू के निस्तेज लंड मे भी जैसे नवजीवन का संचार हो गया था. जैसे उसके लंड की नसो मे नया खून दौड़ने लगा था. 2-3 सेकेंड मे ही बबलू का सैनिक मल्लिका मेडम को सलामी देने लगा था. मल्लिका मेडम ब्लाउस और स्कर्ट पहन रखा था. मेडम वाकई मे सेक्स-बॉम्ब थी. रेड कलर के ब्लाउस मे मेडम बेहद शोख लग रही थी. मल्लिका- देखो कितना टाइट है. सांस भी नही आ रही. हुक भी साँस रोक कर लगाए है. बबलू ने इंक्फिटेप उठाया और मेडम के पास जाकर ब्लाउस को देखने लगा. वाकई मे मेडम सही कह रही थी. मेडम के बूब्स ब्लाउस मे इस तरह क़ैद थे कि अभी फाड़ कर बाहर आ जाएँगे. ब्लाउस के हुक भी जवाब देने वाले थे. बबलू- मेडम आप चिंता मत कीजिए मैं आप का साइज़ ले लेता हू फिर आपके ब्लाउज को ठीक कर दूँगा. आप यहा खड़ी हो जाइए और ब्लाउस उतार दीजिए. मल्लिका- व्हाट ???? बबलू- मेडम सही नाप लेने के लिए तो ब्लाउस उतारना ही पड़ेगा. मल्लिका- वो तो ठीक है पर मैने बड़ी मिश्किल से हुक लगाए है. अब ये मुझसे नही खुलेंगे. बबलू- ठीक है ये निशा आपकी मदद कर देगी. आप इनको दबाइए और निशा हुक खोल देगी. निशा तो पहले ही मेडम के साइज़ को देख कर सकते मे थी. वो बिना कुछ कहे आगे आई और मेडम के बूब्स को दोनो साइड से दबाने लगी. मेडम ने भी सांस निकाल कर हुक खोल ने की काफ़ी कोशिश की पर कोई फायेदा नही हुआ. निशा की कोमल कलाइया इस कम के लिए कमजोर साबित हुई. बबलू- मेडम ऐसा करिए आप खुद दबाइए और निशा हुक खोल देगी. मल्लिका- मुझसे सांस नही ली जा रही है. और तुम मज़ाक कर रहे हो. मुझसे नही दबेंगे ये. बबलू- तो फिर क्या करे अब. निशा- अरे तुम ही क्यो नही दबा देते. (निशा ने बबलू के मन की बात बोल दी थी) बबलू- मेडम. म....मैं कैसे आपके बूब्स को दबाउन्गा. (दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा कहना चाहता हूँ आप लोग भी सोच रहे होंगे की काश....... हम भी वहाँ होते अब देखिए इसकमिने बबलू का मन तो बहुत हो रहा था पर उपर से नौटंकी दिखा रहा था) मल्लिका- मुझे कोई प्राब्लम नही है. पर बबलू आगे नही बढ़ा तो निशा ने बबलू के हाथ पकड़े और मेडम के बूब्स की दोनो साइड पर रख दिए. अँधा क्या चाहे ????????????????????????? 2 आँखे क्रमशः..........
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RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर - by sexstories - 06-03-2018, 08:57 PM

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