RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--11 गतान्क से आगे.................... रश्मि अपने होश मे नही थी. कुल मिलकर वो अब बबलू की गुलाम बन चुकी थी.... रश्मि ने बबलू की पॅंट की ज़िप को खोल दिया और अंदर हाथ डाल दिया.... रश्मि के हाथो का स्पर्श पाते ही बबलू के लंड को राहत मिलने लगी थी. रश्मि का हाथ बाहर आया तो एक 10 इंच का काला नाग निकाल लाया जो बाहर आते ही फुफ्कारने लगा. रश्मि उसको देखते पागल सी हो गयी. वो खुद को रोक ना सकी और उसे बेतहाशा चूमने लगी. अपने लंड पर चुंबनो की बौछार पाकर बबलू निहाल हो रहा था. इसके बाद रश्मि ने बबलू की पॅंट का बटन खोल दिया और अंडरवेर के साथ पॅंट को नीचे उतार दिया. फिर वो खड़ी हो गयी और बबलू की शर्ट के बटन खोलने लगी. बबलू भी कहा रुकने वाला था.उसके हाथ भी अपना काम कर रहे थे. उसने रश्मि की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार अपने आप नीचे गिर गयी. अब रश्मि बबलू के सामने एक पॅंटी मे खड़ी थी और उसके मोटे बूब्स ब्रा के बाहर थे. बबलू भी केवल खुली बटन की शर्ट मे खड़ा था. उसका लंड एक दम तननाया हुआ था. दोनो पता नही किस खुमारी मे थे, जैसे बरसो से सेक्स कर रहे हो. कोई भी पीछे हटने को तैय्यार नही था. सब कुछ इतनी तेज़ी से हो रहा था की कुछ सोचने की फ़ुर्सत ही कहा थी. उधर नीचे निशा की हालत अब काबू से बाहर थी. वो स्क्रीन पर इन दोनो के सीन के लाइव टेलएकास्ट को देख कर बावली हुई जा रही थी. उसका हाथ उसकी चूत को कपड़ो के उपर से ही सहला कर शांत करने की नाकाम कोशिश कर रहा था. बबलू ने रश्मि को थोड़ा पीछे करके एक स्विंग मशीन की टेबल पर बैठा दिया. फिर अपने दोनो हाथ उसकी जाँघो के नीचे से लेजाकर रश्मि की जाँघो को नीचे से अपने हाथो पर थाम लिया. रश्मि के बूब्स ज़रूर मोटे थे पर उसका शरीर छरहरा था. उसका फूल जैसा शरीर ज़मीन से 1 फुट उपर बबलू के मजबूत हाथो पर टीका था. इससे रश्मि की चूत बबलू के लंड की सिधायी मे आ गयी थी. अब रश्मि की साँसे बबलू की सांसो से टकरा रही थी. रश्मि के रसीले होठ कांप रहे थे जैसे बबलू के होंठो को चूमने का आग्रह कर रहे हो. बबलू ने ये आमंत्रण स्वीकार कर लिया और उसके होठ रश्मि से चिपक गये. रश्मि के जवान जिस्म की आग अब बुरी तरह भड़क चुकी थी. उसने बबलू की चेहरे को अपने हाथो से जाकड़ लिया और बेतहाशा चूमने लगी. दोनो एक दूसरे से चिपक कर एक दूसरे को चाटने लगे. इसी चूमा-चॅटी मे बबलू का लंड रश्मि की चूत से रगड़ा खा गया. दोनो ही के शरीर झनझणा उठे. दोनो अब और दूरी सहन करने की स्थिति मे नही थे. रश्मि ने हाथ बढ़ा कर बबलू के लंड को पकड़ा और पॅंटी की साइड से अपनी चूत के मुहाने पर लगा दिया. बबलू ने ज़ोर का धक्का लगाया और लंड फिसलता हुआ एक झटके मे पूरा 8 इंच अंदर तक चला गया. रश्मि की रसभरी चूत एकदम हाइवे लग रही थी जिस पर बबलू ने अपना ट्रक दौड़ा दिया था. और हाइवे पर लगा बारैकेड भी उसे रोक नही पाया था. पर रश्मि अब आनंद से सागर से निकल कर दर्द की हक़ीकत मे आ चुकी थी. उसे होश आ गया था. उसकी सील टूट चुकी थी. वो रूवन्सी होने लगी और बबलू की छाती पर मुक्के मारने लगी. रश्मि- तुमने मेरी इजात लूट ली. मुझे बर्बाद कर दिया. दूर हटो मुझसे. पर बबलू अभी भी आनंद के सागर मे गोते लगा रहा था. वो रश्मि की चूत मे लंड डाले रुका रहा. धीरे-धीरे रश्मि का दर्द कम हुआ तो उसने अपनी गंद पीछे कर के बबलू का लंड बाहर निकालने की कोशिश की. पर वो तो बबलू के हाथो मे फँसी हुई थी. इस से लंड तो निकला नही, बबलू को सिग्नल ज़रूर मिल गया. बबलू ने धीरे से पीछे होकर आधा लंड बाहर निकाला और फिर से अंदर पेल दिया. इस धक्के से रश्मि की रसभरी चूत पिघल सी गयी. बबलू ने एक बार फिर वही किया. रश्मि का गुस्सा अब गायब हो चुका था और फिर वही खुमारी छाने लगी थी. बबलू रश्मि के चेहरे के बदलते भाव के अनुसार धक्को की रफ़्तार बढ़ाता गया. रश्मि अभी भी बबलू के हाथो पर टिकी थी रश्मि को हर धक्के पर आगे और फिर पीछे कर रहे थे. हर नया धक्का रश्मि के शरीर मे आनंद के नयी लहर ले आता. रश्मि आनंद के सागर मे पूरी तरह डूब चुकी थी. बार बार उसकी चूत पानी छोड़ रही थी और हर बार वो बबलू से बुरी तरह चिपक कर उसे यहा वाहा चूमने लगती. उसके मोटे-मोटे मम्मे उछल-उछल कर बबलू को और उत्तेजित कर रहे थे. बबलू रश्मि को उठाए हुए ही ज़मीन पर लेट गया. बबलू का लंड पूरे 9 इंच तक रश्मि मे गढ़ा हुआ था. अब रश्मि घुड़-सवार की तरह बबलू के उपर बैठी थी और बबलू का लंड उसकी चूत मे फँसा हुआ था. रश्मि की चूत पानी छ्चोड़-छ्चोड़ कर बहाल हो गयी थी. उसने अपनी चूत से बबलू का लंड बाहर निकालने के लिए अपनी गंद को थोड़ा उपर किया पर बबलू ने उसके गुदाज कुल्हो को पकड़ लिया और रश्मि बस 6-7 इंच उपर ही उठ सकी. इससे बबलू को लंड चलाने की जगह मिल गयी. वो रश्मि के नीचे से ही उछाल-उछाल कर रश्मि की चूत से अंदर बाहर होने लगा. ये अनुभव रश्मि के भी लिए नया सा था. वो हवा मे ही टँगी हुई चुद रही थी. उसकी घायल चूत मे फिर से तरंगे उठ रही थी. जब सहन नही हुआ तो उसने बबलू की छाती पर अपनी हथेलिया टिकाई और खुद ही बबलू के लंड पर उछलने लगी. बबलू रश्मि को काम करते देख उछालना बंद कर के अपनी चुदाई का मज़ा लेने लगा. रश्मि के बूब्स लेफ्ट-राइट करते हुए उसके साथ ही उछल रहे थे. बीच-बीच मे रश्मि आनंद के अतिरेक मे उछलना भूल जाती तो नीचे लेटा बबलू रश्मि को उछाल देता और रश्मि का सिर जबरदस्त मज़ा मिलने से घूम सा जाता. थोड़ी देर तक ऐसा ही चलता रहा पर कोई मैदान छोड़ने को तैय्यार नही था. कुछ सोच कर रश्मि मुस्कुराने लगी. रश्मि- साले…तू मुझे चोद रहा था ना…ले अब मैं तुझे चोद रही हू. बबलू- चलो हमारा हिसाब तो बराबर हो गया ना. अब तो कोई शिकायत नही है तुम्हे. रश्मि- साले...बाते कम कर और नीचे ध्यान लगा...तुझे तो मैं बाद मे बताउन्गी. ऊवूवयायीईयीईयैआइयैआइयैयियैयीयीयीयियी माआआआ रश्मि एक बार फिर ढेर हो गयी थी. चाहे छुरी खरबूजे पर गिरे या खरबूजा छुरी पर, कटेगा तो खरबूजा ही ना… आख़िरकार बबलू के चरमसुख की घड़ी आ ही गयी थी. पर अचानक रश्मि बीच मे दगा दे गयी थी. बबलू एक बांका नौजवान था…कोई पत्थर नही. उसने फिर से रश्मि को थोड़ा उपर उठाया और नीचे से ही चुदाई शुरू कर दी. 2 मिनिट बाद ही रश्मि की जोरदार चुदाई ने उसके लंड से पानी निकाल दिया. बबलू आनंद की गहराइयो मे गोते लगाने लगा उधर रश्मि फिर गरम हो गयी और उछलने लगी. बबलू का लंड रश्मि की चूत मे अपना रस उगल रहा था पर रश्मि इससे बेख़बर उछलती ही रही. चरमसुख पाकर बबलू तो शांत हो गया था पर रश्मि की आग भड़की हुई थी. वो उठ कर खड़ी हो गयी. उसकी चूत से बबलू का रस टपाक रहा था. रश्मि- कामीने…ये तेरा साँप बीच मे ही कैसे मर गया. अब ये खड़ा होगा या नही. जल्दी खड़ा कर इसे. बबलू कुछ कहता इससे पहले … क्रमशः........
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