RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--6 गतान्क से आगे.................... दीपा एक बार फिर मेरे सामने बेसूध पड़ी थी. मैने उसको बाई तरफ पलटा और उसके सूट की बॅक की चैन नीचे खींच दी. अब उसको सीधा बैठा कर उसकी कमर से सूट को उपर किया. मेरे हाथ उसके कपड़े उतार रहे थे पर मेरी नज़रे उसकी आँखो पर टिकी थी. मैं पूरी तरह सतर्क था. सूट निकालने के लिए मैने दीपा के दोनो हाथ कंधो से उपर उठा दिए. अगले ही पल दीपा का सूट अलग हो चुका था और मैने दीपा को लिटा दिया. फिर मैने पहले सलवार उतारने के लिए नीचे की तरफ गया और सलवार का नाडा खोल दिया. अब धीरे से सलवार को भी निकाल दिया. उसकी वाइट ब्रा और पॅंटी भी एक दम भीगी हुई थी. पहले मैने उसके घुटने मोड और पॅंटी निकाल दी. सब कुछ इतनी तेज़ी से हो रहा था कि दीपा के शरीर की ओर ध्यान ही नही रहा. मैं अपनी मालकिन को नंगा कर रहा था पर मन मे कोई वासना नही थी. हा, डर सा ज़रूर था. अब अंत मे ब्रा की बारी थी. ब्रा उतारने की मेरी हिम्मत नही हो रही थी. दीपा की छोटी सी ब्रा मे दो कबूतर बाहर झाँक रहे थे. अंत मे हिम्मत जुटा कर मैने दीपा को पलटा और उसके ब्रा का हुक खोल दिया. फिर उसे सीधा लिटा कर उसके कंधो से उसकी ब्रा के स्ट्रॅप्स नीचे खिचा पर ब्रा का हुक उसके बालो मे अटक गया. हुक निकालने के लिए मैं दीपा उपर थोड़ा झुक गया. डर के मारे मेरी साँसे तेज हो गयी थी. अगले ही पल मेरी सांस उपर की उपर और नीचे की नीचे रह गयी और मैं एक दम जड़ हो गया. मेरी दोनो टाँगे दीपा के दोनो तरफ थी और घुटने कमर के पास थे. मेरे हाथ दीपा के बालो मे थे. यदि कोई भी मुझे इस हालत मे देख ले तो बस यहे समझता की मैं दीपा का रेप कर रहा हू. अचानक एक हाथ ने मेरी बनियान को कस कर पकड़ लिया और दूसरे ने मेरी गिरेबान पकड़ ली और एक तीखी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी- क्या कर रहे हो. डर के मारे मेरी आँखे भी बंद हो गयी थी और घिग्घी बंद गयी थी. शायद इतना तो मैं कॉलेज मे फैल होने पर भी नही डरा था. पूरा शरीर पसीने से भीग गया था. अब मैं केवल जैल जाने की सोच रहा था. बेटा अब तो तुम गये, तुम्हे तो अब भगवान भी नही बचा सकता, जैल मे चक्की तेरा इंतेजार कर रही थी..........यही सब विचार मन मे आ जा रहे थे. पता नही कोई शक्ति मुझे नीचे खींच रही थी मैं नीचे झुकता जा रहा था, पर मुझे इसका एहसास नही हुआ. दोबारा आवाज़ आई- तुम्हारी हिम्मत की तो दाद देनी पड़ेगी. अब मेरी सिट्टी पिटी गुम हो चुकी थी. पर अचानक मुझे झटका सा लगा. ये आवाज़ जानी-पहचानी सी लगी रही थी. ये तो दीपा की ही आवाज़ थी. मैने आँखे खोली तो मेरा चेहरा दीपा के चेहरे के एक दम पास था और दीपा मुझे खा जाने वाली नज़रो से घूर रही थी. दीपा- आज तो तुम रंगे हाथो पकड़े गये, क्यो ? आज का क्या बहाना है ? आशु- ज..जी..म...मैं...व...वो... दीपा- घिग्घी क्यो बाँध गयी तुम्हारी. आशु- म..मेडम...मैं..आपके... वो... कपड़े उतार रहा था. दीपा- हा इसके लिए तुम्हे मेडल दिया जाए क्या . आशु- मेडम आपका आक्सिडेंट हो गया था और आप भीग गयी थी. दीपा- आक्सिडेंट हा..आक्सिडेंट हो गया था तो मुझे डॉक्टर के पास ले जाते मेरा इलाज करते. पर नही, तुम तो मुझे अंदर ले आए और मुझे नंगा कर दिया. तुम मेरी बेबसी का फायेदा उठा कर मेरा रेप करना चाहते थे. आशु- मेडम कैसी बात कर रही हो आप. मैने तो आपकी इज़्ज़त बचाई थी. दीपा- तो इससे तुम्हे मेरी इज़्ज़त लूटने का लाइसेन्स मिल गया क्या. आशु- ज..जी वो बरसात हो रही थी और कोई कन्वेयन्स नही मिल रहा था और आप एकदम भीग गयी थी. आपको ठंड लग जाती इसलिए कपड़े उतार रहा था. दीपा- इस तरह मेरे उपर चढ़ कर ? आशु- ज..जी..म...मैं...व...वो...मैं पहली बार किसी के कपड़े उतार रहा था. मेरा मासूम सा जवाब सुन कर दीपा के चेहरे पर मुस्कान तेर गयी. उसने मुझे एक ओर धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और खुद मेरी छाती पर मेरी तरह चढ़ बैठी. वो एक दम नंगी थी. उसकी टाँगे मेरी छाती के दोनो ओर थी और उसकी चूत के सॉफ दर्शन हो रहे थे. उसके बड़े सेबो के आकर के बूब्स एक दम तने हुए थे. उनमे हल्का सा भी ढीला पन नही था. दीपा ने दोनो हाथ मेरे गले पर लगा दिए. दीपा- कपड़े उतार कर क्या करने वाले थे तुम, बोलो ? आशु- जी मैं..क...कुछ नही...मैं क्या करता. दीपा- हाई मेरी जान. 3-3 बार मुझे पूरा नंगा देख कर भी तुम्हारा मन कुछ करने को नही करता ? आशु- जी मैं क्या कर सकता था ? दीपा- वही जो एक लड़का एक लड़की को नंगा कर के करता है. दीपा के आवाज़ मे मादकता भरती जा रही थी. उसकी आँखो मे लाल डोरे सॉफ दिखाई दे रहे थे. दीपा मेरी तरफ बड़े प्यार से देख रही थी पर मेरा दिमाग़ काम नही कर रहा था. आशु- जी क्या करते है. दीपा- बुद्धू प्यार करते है, और क्या. आशु- जी आप मेरी मालकिन है. भला कभी मलिक-नौकर मे प्यार होता है. दीपा- क्या मालकिन इंसान नही होती. उसे प्यार करने का कोई हक़ नही ?............क्या मैं तुम्हे पसंद नही हू ? आशु- मेडम आप ये क्या कह रही है. आपके हुस्न का तो मैं पहले दिन से ही दीवाना हो गया था. अगर आप मेरी हो जाए तो मुझे इस जिंदगी मे और कुछ नही चाहिए. पर आपकी और मेरी हसियत के फ़र्क को देख कर खुद को रोक लिया था. दीपा- अब तुम्हारी मालकिन तुम्हारे सामने एकदम नंगी है. तुम भी नंगे हो. उसकी हसियत तुम्हारे बराबर हो गयी ना. तुम्हारी मालकिन तुमसे अपने प्यार की भीख माँग रही है. प्लीज़ आज तुम मुझे अपनी बना लो. मुझे इतना प्यार करो की मैं मर ही जाउ. आशु- मेडम...मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा...मुझे अपनी किस्मत पर विश्वास नही हो रहा... यह सुन कर दीपा ने झुक कर मेरे होंठो पर किस कर दिया. आशु- मेडम, आपने ये क्या किया ? दीपा- आइ लव यू...तुम्हे मेरे प्यार सबूत चाहिए था ना ? ये है मेरे प्यार की मोहर. आशु- मेडम आपने मुझे मेरे जीवन की सबसे बड़ी दौलत दे दी. दीपा- ये मेडम-मेडम क्या लगा रखा है. मेरा नाम दीपा है. तुम मुझे मेरे नाम से ही बुलाओ. आशु- मेडम आप इतनी सुंदर और दौलतमंद है और मैं ग़रीब और साधारण सा लड़का. आपको भला मुझसे कैसे प्यार हो गया. दीपा- ह्म्म...मैने बहुत से लड़को को परख कर देखा है. किसी को मेरी दौलत चाहिए तो किसी को मेरा शरीर. किसी को मुझसे प्यार नही था. पर तुम ही एक ऐसे हो जिसने मुझे 3-3 बार पूरा नंगा बेहोश देख लिया, फिर भी तुम्हारे मन मे वासना का अंश भी ना आया ..तुम्हारी आँखो की सच्चाई पर ही तो मैं मर मिटी हू...ऐसा जीवनसाथी मुझे कहा मिलेगा भला..भगवान ने आज मेरी झोली मे खुशिया डाल ही दी. आशु- और ये ड्रग्स...और वो दोनो लड़के दीपा- भचपन मे मा-बाप के बिछूड़ जाने की वजह से मैं अकेली थी. बाय्फ्रेंड तो सब भूखे थे. मुझे कोई भी समझने को तैय्यार नही था. धीरे-धीरे मैं डिप्रेशन मे आती जा रही थी. एक दिन मेरे बाय्फ्रेंड अभी ने मुझे डिप्रेशन से बचने की मेडिसिन बताकर कोकेन दे दी. पिछले 15 दीनो मे मैं पूरी तरह इस नशे की गुलाम हो चुकी थी. पर अब मुझे तुम मिल गये हो तो मुझे किसी नशे की ज़रूरत नही है. क्या तुम मेरा अतीत भुला कर अपना लोगे. दीपा की नज़रे कातर हो चुकी थी. मैने कुछ कहे बिना उठ कर बैठ गया. दीपा मेरी जाँघो पर आ गयी थी. मैने दीपा को अपनी बाँहो मे भर लिया. इससे दीपा एकदम भावुक हो गयी. उसने मुझे कस कर जाकड़ लिया और मेरे चेहरे पर बेतहाशा चूमने लगी. फिर उसने अपने होठ मेरे होंठो से चिपका दिए. उसकी जीभ मेरे मूह के हर कोने मे घूम रही थी. दीपा की इस हरकत से मुझे भी खुमारी चढ़ने लगी. मैं भी उसका बराबर साथ देने लगा. दीपा मेरे बालो मे अपने हाथ चला रही थी. उसके पिंक निपल एक दम कड़े हो चुके थे और मेरी छाती पर गढ़ रहे थे. उनकी चुभन से मैं मदहोश होता जा रहा था. उसके रसीले अधरो का रस चूस-चूस कर मैं पागल सा हो रहा था. 3 मिनिट तक एक दूसरे को बेतहाशा चूमने के बाद हम दोनो रुक गये पर एक दूसरे के साथ चिपके रहे. हम दोनो की आँखे मदहोशी के कारण बंद हो चुकी थी. अचानक दीपा थोड़ा उपर उठी और अपना छोटा सा पिंक निपल मेरे मूह मे डाल दिया. मैं छोटे से बच्चे की तरह उसे चूसने लगा. दीपा- चूस ले...मेरा बेबी...ये तेरे लिए ही तो है...चूस ले...अपनी प्यास बुझा ले... दीपा की मदहोशी हद पर पहुच चुकी थी. मैने दीपा का दूसरा बूब हाथ मे पकड़ा और उसका निपल मूह मे ले लिया. जितनी बार मेरी जीभ उसके निपल टकराती वो चिहुन्क उठती. दीपा- काट लो...छोड़ना नही...सब कुछ चूस लो...इनको पूरा मूह मे भर लो...प्लीज़ काटो इनको... दीपा बावरी सी हो गयी थी. उसने मेरे दोनो हाथ उठा कर अपने बूब्स पर रख लिए और खुद ही दबवाने लगी. मैं अब एक एक्सपीरियेन्स्ड मर्द था. थॅंक्स टू दीपिका मेडम . मुझे पता था कि लड़की को कैसे मज़ा आता है. मैने दीपा के हाथ हटा दिए और उसके बूब्स को मसल्ने लगा. दीपा- प्लीज़ दबाओ ना...प्ल्ज़ तेज दबाओ... दीपा अब पूरी तरह गरम हो चुकी थी. मेरा लंड भी पूरी तरह खड़ा हो चुका था. दीपा की चूत अंजाने मे मेरे लंड के उपर थी और मेरा लंड दीपा की गंद और चूत के भीच फँसा था. मदहोशी मे वो अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ने लगी. मैं समझ गया की इसकी चिड़िया कुछ ज़्यादा ही फड़फदा रही है और उसे मारने का समय आ चुका है. मैने उसे बेड पर लिटा दिया और टाँगे अपने कंधो पर रख ली. अब उसकी गुलाबी चूत मेरे सामने थी. उसकी चूत एकदम टाइट थी. कल वो तक जिस चूत को बचाती फिर रही थी आज मेरे सामने परोस रखी थी. मैने उसकी चूत को सूँघा तो एकदम मस्त हो गया. ऐसी खुश्बू मैने आज तक नही सूँघी थी. उसकी चिड़िया इतनी कोमल थी की हाथ लगाने की हिम्मत ही नही हो रही थी. अचनांक कुछ सोच कर मैने अपने जीभ बाहर निकाली और उसकी कुँवारी चिड़िया को चाटने लगा. चिड़िया के जीभ छूते ही दीपा के शरीर मे जबरदस्त तरंग दौड़ गयी. दीपा- क्या कर रहे हो मेरी जान. बहुत मज़ा आ रहा है. मैं धीरे धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ाता जा रहा था. भीच-बीच मे उसकी चिड़िया को अपने होंठो से दबा लेता तो कभी उसकी चूत का फ्रेंच किस कर लेता. बेचारी दीपा जल-बिन मछली की तरह तड़प रही थी. बार-बार वो अपनी जंघे उछाल रही थी जिससे उसकी चिड़िया मेरे मूह से टकरा जाती थी. दीपा- मेरी जान. क्यो तडपा रहे हो. प्लीज़ कुछ करो ना. मैं पागल हो जाउन्गी. प्लीज़ कुछ तो करो ना. मुझे उसकी हालत पर तरस आ गया. मैने अपने बाए हाथ से उसकी चूत की फांको को खोला और दाए हाथ की 2 उंगलियो को काम पर लगा दिया. दीपा की हालत बयान करना संभव नही है. मेरी उंगलियो ने अपना कमाल दिखाया और 1 मिनिट के अंदर ही दीपा का रस का फव्वारा फुट गया. दीपा ने जोरदार दहाड़ के साथ रस का प्याला उडेल दिया था. अबकी बार मैं सतर्क था. सारा रस मेरे मूह मे समा गया और मैने एक भी बूँद बर्बाद नही की. मैने सिर उठाकर दीपा के चेहरे को देखा. उसके माथे पर बल पड़े थे और आँखे भीची हुई थी. शायद वो अपने पहले ऑर्गॅज़म का आनंद ले रही थी. मैने उसे छेड़ा नही और उठ कर अपने कमरे मे जाकर लेट गया. मेरे मन मे ज़रा भी वासना नही थी पर मेरा लंड पता नही क्यो विद्रोह पर आमादा था. मैं नंगा ही अपने बेड पर जे की शेप मे लेट गया था. दीपा का प्यार पाकर मुझे जो आनंद मिला था वो मैं शब्दो मे नही बता सकता. और फिर मैं इन्ही ख्यालो मे खो गया. दीपा अपने बेड पर मदहोश पड़ी थी. उसको इतना मज़ा जीवन मे पहली बार जो आया था. थोड़ी देर बाद जब उसने आँखे खोली तो मुझे नदारद पाया. वो उठकर बाथरूम मे गयी. पर मैं वाहा भी नही मिला. फिर उसने एक शॉर्ट ब्लू कोलूर की शॉर्ट जीन्स और वाइट कलर का बिकिनी-टॉप पहन लिया और अपने कमरे से बाहर निकल गयी. मेरे कमरे का गेट खुला देख कर, वो सीधे मेरे कमरे मे ही घुस आई. मैं बेड पर सीधा लेटे हुए, दीपा के ख़यालो मे खोया हुआ था. दीपा चुपचाप मेरे बेड पर टाँगो के पास आकर बैठ गयी. वो एकटक मेरे एकदम तने हुए 9 इंच के लंड को देख रही थी. अपने ख़यालो मे मैं दीपा के साथ तरह-तरह से सेक्स कर रहा था, शायद उसी की उत्तेजना से मेरा लंड क़ुतुब मीनार की तरह तना हुआ था. दीपा कुछ बोले बिना ही मेरा लंड की पास पहुच गयी. आज मेरे लंड का सूपड़ा बिना खाल खीछे ही पूरा बाहर निकला हुआ था और इसलिए लंबाई भी 9 इंच से ज़्यादा हो गयी थी. दीपा ने अपनी जीभ निकाली और जीभ की नोक को मेरे सूपदे के छेद से टच करने लगी. मैं अपने ख़यालो मे इतना खोया था कि मुझे लगा की, मेरे ख़यालो मे ही दीपा ऐसा कर रही है. दीपा के शरीर मे सुरसुरी दौड़ गयी. धीरे-दीरे उसने मेरे सूपदे को अपने मूह मे भर लिया और उसे चूसने लगी. हर सेकेंड के साथ दीपा की प्यास और रफ़्तार दोनो बढ़ती जा रही थी. मेरा लंड केवल 3 इंच ही दीपा के मूह मे था पर उसमे भी वो लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी. वो केवल जीभ और होंठो का इस्तेमाल कर रही थी. फिर दीपा ने अपने बाए हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और लंड को अपने मूह मे गोल गोल घुमाने लगी. उसका मेरे टट्टो पर ध्यान गया. उसने मेरी दोनो गोलियो को एक एक कर के मूह मे लेकर चूसने लगी. मैं अपनी तंद्रा मे ही इसका आनंद ले रहा था, और मैं कर भी क्या सकता था . थोड़ी देर बाद दीपा वापस अपने पुराने मोर्चे पर आ डटी. आख़िर बकरे की माँ कब तक खैर मनाती. 10 मिनिट के बाद मेरे अंदर एक ज्वालामुखी सा उभरने लगा. दीपा भूखे बच्चे की तरह मेरे लंड से दूध की बूँद निकालने के लिए उसे बुरी तरह से चूस रही थी. चूसते चूस्ते पता नही कब मेरा लंड 7 इंच तक उसके मूह मे समा चुका था. अंदर बाहर- अंदर बाहर. बारबार सूपड़ा दीपा के हलक से टकरा रहा था पर इससे दीपा की रफ़्तार पर कोई फरक नही पड़ रहा था. दीपा पूरे ज़ोर-शोर से लंड को चूस रही थी और मैं आँखे बंद किए अपने सपने का आनंद ले रहा था. अनंतत: वही हुआ जो होना था. मेरे लंड ने तेज बौछारो के साथ अपना रस उगलना शुरू कर दिया. दीपा के छोटे से मूह मे मेरा वीर्य भर गया और बाहर छलकने लगा. पर उसने चूसना जारी रखा. मैं अचानक इतना मज़ा बर्दाश्त नही कर पाया और मेरे मूह से ज़ोर की आवाज़ निकल गयी. इसी के साथ मेरी आँखे खुल चुकी थी. सामने दीपा मेरे मुरझाते हुए लंड को कुलफी की तरह चूस रही थी. एक बार वीर्यापत होने के बाद भी चुसाई बर्दाश्त के बाहर थी. दीपा ने मेरे लंड से वीर्य की आखरी बूँद तक चूस ली थी. आशु- य..ये क्या...कर रही हो. दीपा-...म्म्म्मम...मज़ा आ गया.. आशु- अरे हटो. और कितना चुसोगी. बेचारे का सारा रस तो तुमने निकाल लिया. अब कुछ नही बचा है. दीपा ने ये सुन कर अपना सिर उपर उठाया और अपने होठ चाटते हुए बोली- क्या है. इस पर मेरा अधिकार है. मैं जो चाहे करू. आशु- इसको चूसना किसने सिखाया. (मेरे मूह से निकल ही गया) दीपा- तुम मुझे ऐसे ही छोड़ आए थे. तुम्हारे पीछे मैं यहा आ गयी पर तुम बेशार्मो की तरह नंगे लेटे हुए थे और मुझ पर अपनी बंदूक तान रखी ही. आशु- वो...मैं...तुम सो गयी थी, इसीलिए...चला आया था. दीपा- मैं अंदर आई तो देखा की तुम्हारी बंदूक तो पूरी लोडेड है. मैने सोचा की कोई अनहोनी ना हो जाए इसलिए इसको अनलोड कर रही थी. देखो मैने तुम्हारी बंदूक को अनलोड कर दिया है. दीपा की मुस्कान एकदम कॅटिली थी. वो लंड से तो उपर उठ गयी थी पर उसके हाथो ने मेरे लंड को पकड़े रखा था. उसकी छोटी सी वाइट बिकिनी मे से उसके बूब्स बाहर झाँकने की कोशिश कर रहे थे. उसके कड़े निपल बिकिनी मे उभरे हुए साफ दिखाई दे रहे थे. तभी दीपा ने एक हाथ से अपने बाए निपल को उमेथ दिया. उसकी इस हरकत को देख कर मेरे लंड ने एक बार फिर बग़ावत कर डाली. दीपा के हाथो मे ही मेरा लंड अंगड़ाइया लेता हुआ फिर से तनने लगा. दीपा इस तेज परिवर्तन को देख कर हत-प्रथ थी. दीपा- क्या बात है. तुम्हारी गन तो फिर से लोड हो गयी. ऑटोमॅटिक है क्या ? क्रमशः..........
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