Chudai ki Kahani अंजानी डगर
06-03-2018, 08:55 PM,
#3
RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर
अंजानी डगर पार्ट--2

गतान्क से आगे....................

इसी तरीके से काम करोगे तो ज़्यादा दिन नही टिकोगे !- मेडम गुस्से से बोली. आशु- मेडम सॉरी..वो दीपा मेडम को काफ़ी उठाया...पर वो उठ ही नही रही. मेडम- हा अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद जो है..मैं ऑफीस जा रही हू...शाम तक घर साफ मिलना चाहिए. इतना कहकर मेडम बाहर निकल गयी. 11 बज चुके थे और पेट मे चूहो ने हंगामा कर रखा था. मैं सीधे किचन मे गया और खाने की चीज़ ढूँढने लगा. पूरे किचन के डब्बे खाली थे. ऐसे लग रहा था कि चाइ-कॉफी के अलावा यहा कभी कुछ नही बना. मैं बाहर ही निकलने वाला था की फ्रिड्ज पर नज़र गयी. फ्रिड्ज पूरा मालामाल था. मैने वाहा से 2 बर्गर उठाए और ओवेन मे डाल दिए. फिर गरमा-गरम बर्गर और चिल्ड जूस पीकर शांति मिली. फिर मैं सीधे अपने कमरे पर पहुचा. कमरा साफ करके अपना समान सेट किया. तभी गेट पर नॉक हुई. वॉचमन- और भाई सब ठीक-ठाक हो गया. आशु- हा यार. वॉचमन- अपना नाम तो बता दो यार. आशु- आशु. वॉचमन- मेरा नरेश है. पिछले 15 साल से यहा काम कर रहा हू. आशु- अच्छा..तुम्हारा बाकी परिवार कहा है? नरेश- सब गाव मे हैं. आशु- अच्छा नरेश भाई एक बात तो बताओ...ये मेडम के साब कहा है? नरेश- ....मुझसे ये नही पूछो तो अच्छा है. और कुछ भी पूछ लो. आशु- अच्छा कोई बात नही.. पर ये मेडम की उम्र तो 30 साल से ज़्यादा नही लगती...फिर ये 17-18 साल की बेटी कहा से पैदा हो गयी. नरेश- तुम सब पूछ कर ही मनोगे. दीपा मेडम दीपिका मेम की सौतेली बेटी है. दीपा मेडम के पापा ने दूसरी शादी की थी. आशु- ओह तो ये बात है. मैं दीपा मेडम को उठाने गया था पर वो उठी ही नही ? नरेश- किसी को बताना नही उसे कुछ दिन से ड्रग्स लेने की आदत पड़ गई है. अच्छा मैं गेट पर चलता हू. कोई दिक्कत हो तो इंटरकम पर बता देना. आशु- ओके अब मैं भी थोड़ा आराम करूँगा. बिल्डिंग मे दुबारा पहुचने मे 2 बज गये थे. घर की सफाई करने मे कब 6 बजे पता ही ना चला. तभी कार के रुकने की आवाज़ आई. मेडम ने अंदर आते हुए कहा- दीपा कहा है ? आशु- मेडम मैं दुबारा उपर नही गया. देखने जाउ ? दीपिका- नही, वो गयी होगी अपने दोस्तो के साथ. मेरे सिर मे काफ़ी दर्द है. तुम एक बढ़िया सी कॉफी बना कर आधे घंटे बाद मेरे बेड रूम मे ले आना. उससे पहले नहा ज़रूर लेना. कितनी गंदे लग रहे हो. आशु-जी. आधे घंटे बाद मैं कॉफी लेकर मेडम के बेडरूम के बाहर खड़ा था. नॉक करने पर अंदर से आवाज़ आई, दरवाजा खुला है.. अंदर आ जाओ. कमरे के अंदर जाते ही एक दिन मे तीसरी बार मेरा लंड भड़क गया. मेडम एक स्किन कलर की नेट वाली नाइटी पहने बाथरूम से बाहर निकल रही थी. नाइटी के नीचे से उनकी ब्लॅक ब्रा सॉफ दिखाई दे रही थी. नाइटी की लंबाई उनके हिप्स तक थी और छाती के पास केवल एक बटन लगा था. 36डी साइज़ के बूब्स के उभार के कारण उनकी नाइटी नीचे से खुल गयी थी और पूरे पेट और नाभि के दर्शन हो रहे थे. नीचे उन्होने ब्लॅक पॅंटी पहनी थी. पॅंटी के नीचे गोरी पूरी टाँगे एकदम नंगी थी. मेडम- कॉफी साइड टेबल पर रख दो और यहा आ जाओ. मेडम का अंदाज मादक था. पर मेरे कानो ने जैसे कुछ सुना ही नही था. मैं एकटक मेडम के बूब्स को ही देख रहा था. मेडम ने मेरे हाथ से ट्रे ले कर टेबल पर रखी और हाथ पकड़ कर बेड पर बैठा दिया..मैं जैसे सपना देख रहा था. मेडम- क्या देख रहे हो. यह सुनकर मुझे झटका सा लगा और मे तुरंत उछल कर खड़ा हो गया. आशु- ज..जी सॉरी मेडम. मेडम- मेरी टाँगो मे बड़ा दर्द हो रहा है. क्या तुम थोड़ा दबा दोगे. आशु-जी मेडम. और मैं मेडम की टांगो के पास बैठ गया. मेडम की गोरी मखमली टाँगो पर एक भी बाल नही था. उनके बदन से भीनी-भीनी महक आ रही थी. मैने एक टांग को हाथो मे लेकर दबाना शुरू किया. तभी मेडम चीख पड़ी- क्या करते हो ? आराम से दबाओ और ये लो थोड़ा आयिल भी लगा दो. मैने वैसे ही हल्के हाथ से मालिश शुरू कर दी. मेडम आँखे बंद करके और घुटने मोड़ कर लेटी रही. मेरी नज़र फिर मेडम के मोटे-मोटे बूब्स पर जा टिकी जो ब्लॅक ब्रा के बाहर झाँक रहे थे. मेरे पूरे शरीर मे चीटिया सी रेंगने लगी थी. पर अबकी बार मैने अपने होश नही खोए. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- अब थोड़ा उपर करो. यह सुनकर मेरे हाथ मेडम के घुटनो पर पहुच गये. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- थोड़ा और उपर. मैं मेडम के घुटनो से जाँघ की मालिश करने लगा. जब भी मेरे हाथ नीचे से उपर की ओर जाते थे. मेडम साँस रोक लेती थी. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- थोड़ा और उपर. आशु- वाहा तो आपकी पॅंटी है, वो तेल से गंदी हो जाएगी. मेडम- तो फिर उसे उतार दो ना. मैने वैसा ही किया. अब मेडम बूब्स के नीचे से पूरी नंगी थी. 2 मिनिट बाद मेडम ने अपनी मुड़े हुए घुटने फैला दिए. जिस जगह पर हमारा लंड होता है वाहा पर मेडम का केवल एक हल्का सा उभार था, जो की बीच से कटा हुआ था. वाहा पर बाल एक भी नही था. मेडम (बंद आँखे किए हुए)- अब ज..जाँघ को करो. मेरे दोनो हाथ मेडम की गोरी चित्ति जाँघो को धीरे से सहला रहे थे. हाथ जब भी मेडम के कटाव के पास पहुचते तो मेडम अपने दाँत भींच लेती. मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था. शायद मेडम बहुत थॅकी हुई थी और मेरी मसाज से उन्हे आराम मिल रहा था. मेडम (आँखे बंद किए हुए ही)- अब मेरी चिड़िया की भी मालिश करो. आशु- मेडम आपकी चिड़िया कहा है ? मेडम- अरे बुद्धू मेरी चूत के उपर जो दाना है वही चिड़िया है. आशु- मेडम ये चूत कहा होती है ? तब मेडम ने अपने दोनो हाथो से अपने कटाव की दोनो फांको को खोल दिया- ये चूत है. फिर अपनी उंगली चूत के उपर के दाने पर लगा कर कहा ये चिड़िया होतो है. अब इसकी मालिश करो. मैं मेडम की दोनो टाँगो के बीच बैठ गया और मेडम की चिड़िया को सहलाने लगा. थोड़ी देर मे ही मेडम की टाँगे मचलने लगी. मेडम-थोड़ा तेज करो.......थोड़ा तेज.........और तेज....तेज. मैं मेडम के कहे अनुसार अपनी रफ़्तार और दबाव बढ़ता गया. मेडम- टाँगो पर तो बड़ा दम दिखा रहे थे. एक चिड़िया को नही मार सकते. थोड़ा तेज हाथ चलाओ ना. यह सुनकर मैने मेडम की चूत को अपने बाए हाथ की 2 उंगलियो से खोला और दाए अंगूठे मे आयिल लगा कर मेडम की चिड़िया को बुरी तरह रगड़ने लगा. अब मेडम बुरी तरह छटपटाने लगी. मुँह से इश्स..हा..स..हा निकल रहा था. टाँगे इधर उधर नाच रही थी. अपने हाथो से मेरे बालो को पकड़ कर मेरे सिर को अपनी चूत की तरफ दबाने लगी. मेडम जितना तेज सिसकती, मेरी बेरहमी उतनी ही बढ़ती जाती. अचानक मेडम के मूह से जोरदार चीख निकली-आआआआआआअहह और चूत से एक जोरदार पिचकारी निकल कर मेरे मूह पर आ पड़ी. मैने सोचा मेडम ने मेरे मूह पर यूरिन कर दिया है. थोड़ा मेरे मूह मे भी चला गया था. उसका स्वाद अजीब सा था पर स्वादिष्ट था. मेरी जीभ अपने आप ही बाहर निकल कर मेरे मूह को चाटने लगी. मेडम ने मेरे अब तक चल रहे हाथो को ज़ोर से पकड़ लिया और बोली- तेरे हाथ तो रैल्गाड़ी की तरह चलते है. तेरी मालिश ने तो मेरी टाँगो की सारी थकान निकाल दी. पर मुझे अनमना देख कर मेडम थोड़ा अटकी और पूछा - क्या हुआ ? आशु- क्या मेडम आप भी ना. अपने मेरे मूह पर ही यूरिन कर दिया. मेडम ज़ोर के खिलखिला उठी- पगले ये यूरिन नही स्त्री-रस होता है. केवल इस रस से ही पुरुषो की प्यास बुझ सकती है. आशु- ओह....हा इसका स्वाद तो बहुत अच्‍छा था. मेडम- मैने तेरी प्यास बुझाई अब तू मेरी भी बुझा. आशु- मेडम मेरे पास तो कोई चूत या चिड़िया नही है. आपकी प्यास कैसे बुझाउ. मेडम फिर खिलखिला उठी. वो उठी और मुझे बेड पर लिटा दिया. मेडम ने मेरी पॅंट उतार दी. मेरे अंडरवेर मे 8 इंच का उभार बना हुआ था. मेडम- अरे तुमने तो यहा एक तंबू भी लगा रखा हा. इस तंबू का बंबू कहा है? मैं शर्म के मारे कुछ नही बोला. मैं जिस बात को सुबह से छिपा रहा था, मेडम सीधे वहीं पहुच गयी थी. मैं बिना हिले दुले पड़ा रहा. अब मेडम ने मेरे अंडरवेर के अंदर हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया. मेडम एक दम सन्न रह गयी. फिर अगले ही पल मेरा अंडरवेर भी उतर गया. मेडम- ये क्या है. पत्थर का इतना मोटा मूसल लगा रखा है. मैने आज तक नही इतना मोटा नही देखा. इसे कौन सा तेल पिलाते हो. मैं चुप ही रहा पर मेरा लंड... मेरा लंड जुंगली शेर की तरह दहाड़े लगा रहा था. मेडम ने अपने कोमल हाथो से मेरे लंड को दोबारा नापा. अंडरवेर के अंदर उनको लंड की इतनी मोटाई का विश्वास नही हुआ था. लंड को हल्का सा सहलाने के बाद उन्होने उसे बीच से कस कर पकड़ लिया और नीचे खिचने लगी. मेडम का मूह मेरे लंड के ठीक उपर था और जीभ लप्लपा रही थी. जैसे -जैसे लंड की काली खाल नीचे जा रही थी एक चिकना-गोरा-बड़ी सी सुपारी जैसा कुछ बाहर निकल आया. आशु- मेडम ये क्या है. मेडम- इसको सूपड़ा कहते है. जैसे मेरी चिड़िया ने तेरी प्यास बुझाई थी वैसे ही मेरी प्यास इस से बुझेगी. यह कहकर मेडम ने मेरे लंड को सूँघा. पता नही कैसी स्मेल थी पर मेडम एक दम मदहोश हो गयी. फिर धीरे से उन्होने अपनी जीब मेरे सूपदे पर फिराई और चाटने लगी. पूरे लंड को उपर से नीचे तक चाटने के बाद, मेडम ने सूपदे के मूह पर अपना मूह लगा दिया. उनका मूह पूरा खुला हुआ था. उन्होने एक हाथ से खाल को नीचे खीचा हुआ था. फिर धीरे-धीरे मेडम मेरे लंड को निगलने लगी. देखते ही देखते लंड का सूपड़ा मेडम के गले तक पहुच गया. अब भी मेरा लंड 2 इंच बाहर था. फिर मेडम ने मेरे लंड की लंबाई-चौड़ाई अपने मूह से नापने के बाद उसे बाहर निकाला. मेडम के मूह मे लार भर गयी थी जो उन्होने लंड पर उगल दी और एक गहरी साँस ली. अब मेरा लंड पूरा भीग गया था. मेडम उसे कुलफी की तरह चूसने लगी. बार बार मेरा लंड उनके मूह से बाहर आता फिर तुरंत अंदर चला जाता. मेडम की तेज़ी बढ़ती जा रही थी. बीच-बीच मे मेडम अपने बाए हाथ मे पकड़ी खाल को भी उपर नीचे कर देती थी. इस सब से मैं भी मदहोश हो रहा था. मैने सोचा ऐसे मेडम की प्यास तो पता नही कैसे बुझेगी, पर मेरी हालत अब काबू से बाहर थी. जो आवाज़े पहले मेडम निकाल रही थी, वैसी ही आवाज़े अब मेरे मूह से अपने आप निकल रही थी. टाँगे फदक रही थी और हाथ मेडम के सिर पर अपने आप पहुच गये थे. पर इस सब से मेडम को कोई फरक नही पड़ा था. पूरे 10 मिनिट तक चूसने के बाद मेडम ने मेरा लंड से मूह उठाया और फिर लंबी साँस ली और बोली- बड़ा स्टॅमिना है तेरे मे. पर मेरा नाम भी दीपिका है, मैं अपनी प्यास बुझा कर ही रहूंगी. अगले ही पल जोरदार चुसाई चालू हो गयी. मेडम को पता नही क्या जुनून था. पर इससे मुझे क्या, मैं तो जन्नत की सैर कर रहा था. अचनांक पता नही मेरे अंदर से कोई तूफान मेरे लंड की ओर बढ़ता सा लगा. अचनांक बहुत मज़ा सा आने लगा, जो शब्दो मे बताना असंभव है. म्‍म्म्ममममममममममममममममममममह - एक ज़ोर की आवाज़ निकली. पता नही क्या हो रहा था पर मुझे इतना मज़ा इससे पहले कभी नही आया था. मेरा रोम-रोम निहाल हो रहा था. जिस शांति की तलाश मे मेरा लंड अब तक भटक रहा था वो अजीब सी शांति मेरे लंड को मिल रही थी. इधर मेडम ने भी उपर नीचे करके चूसना छोड़ कर अपने होंठ मेरे सूपदे पर कस लिए. वो पूरा ज़ोर लगा कर मेरे लंड को आम की तरह चूसने लगी. 5-7 सेकेंड तक मेरे लंड से कुछ निकलता रहा और मेडम उसे निगलती रही. अच्छी तरह लंड की खाल को उपर तक निचोड़ लेने के बाद ही मेडम ने अपना मूह मेरे लंड से हटाया. मेडम की आँखे बंद थी. पता नही क्या हो रहा था पर मुझे नींद सी आने लगी थी. मेडम ने 1 मिनिट तक चुप रही फिर बाकी का भी निगल गयी. फिर मेडम ने मेरे लंड के सूपदे को चूमा और बोली- क्यो आया मज़ा ? आशु- मेडम क्या आपकी प्यास बुझ गयी. मेडम ने मादक अंगड़ाई लेकर कातिल नज़रो से मुझे देखा और बोली- पता नही बुझी या तूने और भड़का दी. तेरी रस का स्वाद कुछ अलग सा था एक दम ताज़ा. कोई खास बात है क्या ? आशु- मेडम आज से पहले मुझे ऐसा मज़ा कभी नही आया. मुझे तो पता भी नही था की मेरे अंदर भी कोई रस होता है. मेडम- यानी आज तेरा पहली बार का रस निकला है... तभी मैं कहु... मेडम की आँखे चमक उठी और कुछ सोचकर बोली -तू अपना समान सर्वेंट क्वॉर्टर से लाकर बगल वाले रूम मे रख ले ना. अब तू हमारे साथ ही रहेगा, पता नही कब कौन सा काम पड़ जाए. मैं हैरानी से एक टक मेडम को देखता रहा पर कुछ ना बोल सका. मेडम- अच्छा अब तेरी नौकरी भी पक्की और सॅलरी भी डबल. और बोल क्या चाहिए ? आशु- मेडम क्या आप मेरे काम से इतनी खुश है? मेडम- हा. और कुछ मन मे हो तो वो भी माँग ले. आशु- जी कुछ नही चाहिए. मेडम- तू बोल तो सही. आशु- रहने दीजिए...पर मेडम आपकी कॉफी तो ठंडी हो गई. मेडम- तेरा रस पी लिया तो कॉफी कौन पिएगा....चल तुझे एक खेल सिखाती हू...तूने कभी चूत लंड की लड़ाई देखी है... आशु- जी नही, कैसे खेलते है बताइए ना.

क्रमशः..................
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RE: Chudai ki Kahani अंजानी डगर - by sexstories - 06-03-2018, 08:55 PM

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