RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
ऋतु की आँखों में उफनते आँसुओं को देख के कुमुद उसे एक साइड में ले गयी. उसने ऋतु के हाथ को अपने हाथ में लिया और दूसरे हाथ को ऋतु के सर पे फेरा.. ऋतु टूट गयी और सब कुछ कुमुद को बता दिया. कुमुद ने बड़े ही धैर्या से ऋतु की सारी बातें सुनी. और उसको कहा.
“ऋतु होसला रखो… मैं हूँ ना. कुछ नही होगा तुम्हे. तुम पहले जैसे ही खुश रहना सीखोगी… वो भी बिना करण के… डॉन’ट वरी. ऐसा करो अभी जाके अपनी शिफ्ट पूरी करो… और शिफ्ट ख़तम होने के बाद मुझे मेरे ऑफीस में आके मिलना. तब तक मैं कुछ सोचती हूँ तुम्हारे बारे में.. डॉन’ट वरी आइ आम हियर फॉर यू. मैं हूँ ना… चलो अब अपनी शिफ्ट पे जाओ और काम देखो.”
ऋतु सर हिला के चल दी. यह सब बातें कुमुद को बताके वो बहुत हल्का महसूस कर रही थी. ना जाने क्यू कुमुद के आश्वशण पे यकीन करने का मन कर रहा था उसका. उसको कुमुद की बातों पे यकीन था. वो मान बैठी थी की कुमुद कुछ ना कुछ ज़रूर करेगी .
शिफ्ट ख़तम हुई तो ऋतु जाके कुमुद से मिलती हैं. कुमुद फोन पे किसी से बात कर रही थी. ऋतु ने दरवाज़ा खटखटाया.
“कम इन”
“गुड ईव्निंग मेम”
“आओ आओ ऋतु .. 2 मिनट मैं ज़रा फोन पे हूँ”
“जी मेम”
फोन पे बात करते करते ही कुमुद ने ऋतु की तरफ एक एन्वेलप बढ़ा दिया.
“यह मेरे लिए हैं”
कुमुद ने हां में सर हिला दिया. ऋतु ने धीरे से एन्वेलप खोला और अंदर देखा. अंदर 500 के नोट्स की एक गॅडी थी. अचंभे में ऋतु की आँखें फैल गयी. उसने जैसे ही मूह खोलना चाहा कुमुद से कुछ कहने के लिए कुमुद ने अपने होंटो पे उंगली रख के उसे चुप रकने का इशारा किया. ऋतु चुप हो गयी.
थोड़ी ही देर में फोन पे बात ख़तम हुई और कुमुद ऋतु की तरफ मूडी.
“मेम यह क्या हैं… और यह मेरे लिए हैं?”
“हां ऋतु… देखो यह पैसे लो और अपनी गाड़ी छुड़ाओ”
“लेकिन मेम यह पैसे मैं कैसे ले सकती हूँ”
“रख लो ऋतु… यह मैं तुमपे कोई एहसान नही कर रही हूँ… इसे लोन समझ के रख लो… थोड़ा थोड़ा करके लौटा देना.”
“लेकिन में मेरी सॅलरी कितनी हैं आपसे छुपा नही हैं… यह पैसे मैं कैसे लौउटौँगी…”
“डॉन’ट वरी … यह पैसे लो आंड जाके अपनी गाड़ी छुड़ाओ”
“मेम मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूँ”
“डॉन’टी वरी.. गो होम.”
ऋतु वो पैसे लेके वपास आ गयी. उसके मन में कुमुद मेम के लिए इज़्ज़त और भी बढ़ गयी थी.
ऋतु अपने हालत से खुश नही थी. होटेल की मामूली सी सॅलरी से उसका गुज़ारा मुश्किल से हो रहा था. वो महत्वाकांक्षी लड़की थी. पैसा कमाना चाहती थी. वो चाहती थी की आछे से पैसे कमाए और उसी शान ओ शौकत से रहे जैसे वो पहले रहती थी. ताकि अगर किसी दिन किसी मोड़ पे करण से मुलाकात हो तो करण को ऋतु के हालात पे व्यंग करने का मौका ना मिले. वो चाहती थी की वो अपनी मेहनत से फिर उसी बुलंदी पे पहुचे जैसे पहले थी.. और कोई यह ना कहे की करण के बिना वो कुछ नही हैं.
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