RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
करण अब बाहर जा चुक्का था. ऋतु उसके पीछे बाहर चली गयी और कहने लगी
“करण रुक जाओ… मेरी बात तो सुनो प्लीज़.”
“अब क्या सुनना बाकी रह गया हैं.”
“नही सुनो मेरी बात… जैसा तुम सोच रहे हो वैसा नही हैं”
करण लिफ्ट तक पहुच के बटन दबा चुका था.
“कैसा हैं और कैसा नही हैं यह मैने अपनी आँखों से देख लिया हैं”
“प्लीज़ करण मुझे एक मौका दो समझने का”
“क्या समझाओगी तुम ऋतु…. क्या सम्झओगि… यह सम्झओगि की वो लड़का क्या कर रहा हैं इस फ्लॅट में… या यह सम्झओगि की तुमने पी रखी हैं या कुछ और और ”
इतने में लिफ्ट आ गयी… करण लिफ्ट में घुस गया… ऋतु भी उसके पीछे पीछे लिफ्ट में घुस गयी और उसकी बाँह पकड़ के उसे वापस चलने के लिए मिन्नते करने लगी. करण ने उसकी एक ना सुनी और उसकी बाँह पकड़ के ज़ोर से धक्का देके लिफ्ट से बाहर निकाल दिया.
“ऋतु … तुम मेरे साथ ऐसा करोगी यह मैने सोचा भी नही था”
और लिफ्ट का दरवाज़ा बंद हो गया.
ऋतु रोती हुई वापस फ्लॅट में दाखिल हुई तो कमल और पायल दोनो कपड़े पहने हुए ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए थे. तीनो के मूह पे तालेपड़े हुए थे.
मंडे को ऋतु जब ऑफीस पहुचि तो उसके मेलबॉक्स में एचआर डिपयर्टमेंट से एक मैल थी. मैल था उसके टर्मिनेशन का. सब्जेक्ट पढ़ते ही ऋतु के होश उड़ गये. उसको नौकरी से निकाला जा रहा था. ऋतु ने काँपते हाथों से माउस चलाया और मैल ओपन किया.
डियर मिस. ऋतु,
दिस ईज़ टू इनफॉर्म यू दट एफेक्टिव फ्रॉम टुडे युवर सर्वीसज़ आर नो लॉंगर रिक्वाइयर्ड बाइ ग्ल्फ बिल्डर्स. युवर एमौल्मेंट्स टुवर्ड्स वन मोन्थ ऑफ नोटीस पीरियड विल बी इंक्लूडेड इन युवर फाइनल सेटल्मेंट. प्लीज़ कॉंटॅक्ट दा एचआर डिपार्टमेंट फॉर युवर एग्ज़िट प्रोसेस.
युवर्ज़ ट्रूली.
एचआर मॅनेजर
ग्ल्फ बिल्डर्स.
ऋतु को यकीन नही हो रहा था की यह उसके साथ हो रहा हैं. उसकी सेल्स बाकी सभी सेल्स ऑफिसर्स से ज़्यादा थी. पिछले कई महीनो से उसने सबसे ज़्यादा इन्सेंटीव्स और बोनसस लिए थे. उसने एचआर से जाके बात की लेकिन उन लोगों से मदद की उमीद करना भी बेकार था. एचआरवाले कभी किसी के सगे हुए हैं क्या!!
ऋतु ने करण को फोन मिलाया. ज़रूर यह सब करण के कहने पे ही हो रहा हैं. उसका फोन अनरिचेबल आ रहा था. ऋतु ने कई दफ़ा ट्राइ किया लेकिन हर बार सेम रेस्पॉन्स. उधर एचआर डिपार्टमेंट ने ऋतु की फाइल रेडी कर दी थी. कुछ ही मिनिट्स में ऋतु ग्ल्फ की एक्स एंप्लायी होने वाली थी.
उसने आख़िरकार जाके रूपक शाह से करण के बारे में पूछना चाचा.
ऋतु “हेलो मिस्टर रूपक. मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ.”
“ऋतु जी…. आइए आइए. कहिए क्या सेवा करूँ आपकी” और उसका हाथ अपनी पॅंट में
टाँगो के बीच खुजली करने लगा.
“मैं बहुत समय से मिस्टर करण से बात करने की कोशिश कर रही हूँ लेकिन उनका फोन लग नही रहा. क्या आप प्लीज़ बता सकते हैं की उनसे कैसे कॉंटॅक्ट कर सकती हूँ”
“करण साहब तो फॉरिन चले गये… आज सुबह ही की फ्लाइट से. सिंगपुर गये हैं. हमारा नया प्रॉजेक्ट हैं ना जो सिंगपुर में .. उसी के सिलसिले में गये हैं.”
“ओह.. कब तक आएँगे वापस कुछ आइडिया हैं आपको?”
“अब बड़े लोगों का मैं क्या बताउ… आज आ सकते हैं.. अगले हफ्ते आ सकते हैं.. अगले महीने भी आ सकते हैं. कुछ कह नही सकते. क्यू आपको कोई काम था उनसे.”
“नही .. थॅंक्स”
“अर्रे आप बेहिचक मुझे बताइए… मुझे उनकी जगह समझिए और आपका जोभी काम हो वो मैं कर देता हूँ.”
“बाइ”
ऋतु जब कमरे से बाहर निकली तो उसको रूपक के हस्ने की आवाज़ आई. रूपक उस मजबूर लड़की की बेबसी पे ठहाके लगा रहा था.
उमीद की सभी किर्ने धुन्द्ली होती जा रही थी. ऋतु को समझ नही आ रहा था की क्या करे. जाए तो कहाँ जाए. ऋतु ने शाम को अपने पेपर्स कलेक्ट किए ऑफीस से और घर आ गयी. उसका दिमाग़ जैसे काम करना बंद कर चुक्का था. बिना लाइट्स जलाए बैठी रही घर में. सुबह के करीब उसकी आँख लगी तो सपने में उसे करण दिखा. और करण का टिमटिमाता हुआ चेहरा जैसे उसपर हस रहा था. हस रहा था ऋतु के इस हाल पे और मानो उससे कह रहा हो “तेरी यही सज़ा हैं कमिनि”.
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