RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
करण ने ऋतु की चूत पर भी हाथ फेरना शुरू किया ताकि उसका ध्यान बट जाए.
“ऋतु ट्राइ टू रिलॅक्स… प्लीज़ गान्ड को ढीला छोड़ो… जितना टाइट करोगी उतना दर्द होगा”
ऋतु ने रिलॅक्स किया और दर्द में कमी महसूस की… उसने सोचा थोडा और रिलॅक्स करती हूँ गान्ड को…
करण चालू था फुल फ्लो में लगा हुआ था. उसे तो गान्ड मारने में ही मज़ा आता था… गान्ड में जो टाइटनेस मिलती थी वो उसे ऋतु की टाइट चूत में भी नही मिलती थी….
ऋतु अब तक पूरी तरह रिलॅक्स कर चुकी थी… हल्का हल्का दर्द हो रहा था और उसे मज़ा आने लगा था… उसकी टांगे करण के कंधे पर थी… करण का लंड ऋतु की गान्ड में… राइट हॅंड का अंगूठा चूत के अंदर और इंडेक्स फिंगर क्लिट पे था….उसका दूसरा हाथ ऋतु के बूब्स को मसल रहा था… वो ऋतु की टाँगें चूमने लगा जो की उसके कंधे पे थी… ऋतु इन अनेक पायंट्स से आ रहे प्लेषर को महसूस कर रही थी. उसकी चूत के मुसल्सल पानी छोढ़ रहे थे… उसे पता चल रहा था की गान्ड मरवाने में तो चूत मरवाने से भी ज़्यादा मज़ा हैं
कारण पिछले 15 मिनिट से ऋतु की गान्ड मार रहा था… अब उसका ऑर्गॅज़म भी होने को था… करण ने झड़ने से पहले लंड बाहर निकाल लिया. उसने अपने लेफ्ट हाथ से ऋतु की बाँह पकड़ी और उसे डाइनिंग टेबल से उतार दिया… ऋतु अपने पैरों पे खड़ी हो गयी…. करण दूसरे हाथ से लंड को हिला रहा था. उसने ऋतु के कंधे पे ज़ोर लगाया और उसे नीचे धकेल दिया… ऋतु अब अपने घुटनो पे आ गयी थी…
“यह क्या कर रहे हो करण??”
“नीचे बैठो… मूह खोलो अपना…”
“क्या.. मु खोलूं.. लेकिन क्यू??”
“सवाल मत करो… जैसा ..मैं बोलता हू ….वैसा ही करो.” करण रुक रुक कर बोल रहा था.,. जैसे की उसकी साँस अटक रही हो.
ऋतु नीचे बैठी और अपना मूह खोल लिया… जैसे ही उसने मूह खोला करण ने अपना लंड उसके मूह में दे दिया… ऋतु को लगा की करण उससे लंड चुसवाना चाहता हैं… ऋतु ने लंड मूह में लिया लेकिन लंड का टेस्ट बहुत बुरा लगा.. आख़िर उसकी गान्ड में था अब तक वो लंड… उसके लंड मूह से बाहर निकालने की कोशिश की… लेकिन
करण ने उसे ऐसा ना करने दिया… उसने ऋतु के सर के पीछे हाथ रखकर दबा दिया ताकि वो लंड को मूह से बाहर ना निकाल पाए. वो लंड को और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा…. उसकी आँखें बंद हो रही थी… ऋतु के सर के पीछे उसका दबाव अभी भी था…
ऋतु लाख कोशिश करने के बाद भी लंड को मूह से निकाल नही पा रही थी… लंड उसके गले तक पहुच चुक्का था और ऋतु को चोक कर रहा था… ऋतु को यह बहुत ही गंदा लग रहा था… वो लंड उसकी गान्ड में था अब तक और ऋतु को इस ख़याल से घिंन आ रही थी. ऋतु की आँखो से आँसू निकल रहे थे.. वो खांस रही थी और लगातार कुछ बोल रही थी लेकिन वो क्या बोल रही थी वो सॉफ नही था क्यूकी उसके मूह में तो लंड था करण का.
आख़िर करण की सीमा का बाँध टूटा और उसने ज़ोर से वीर्य की एक फुहार ऋतु के मूह में उतार दी,, ऋतु को इस बात का एहसास हुआ और उसने वापस कोशिश की लंड को बाहर निकालने की लेकिन बेचारी सर के पीछे हाथ होने की वजह से ऐसा नही कर पाई… करण ने एक और फुहार ऋतु के मूह में डाल दी.. ऋतु के मूह में अब कारण का बिर्य था…. लंड क्यूंकी गले तक पहुच चुक्का था इसलिए ऋतु को चोकिंग हो रही थी… वो ना चाहते हुए भी उस वीर्य को घूट गयी…. करण ने आखरी वीर्य की धार ऋतु के मूह में छोड़ी और उसका भी वही हाल हुआ… वो भी ऋतु के गले से नीचे उतर गयी.
अब करण ने ऋतु के सर के पीछे से हाथ हटा लिया… ऋतु झट से लंड मूह से निकाल कर खड़ी हो गयी… उसकी आँखों में आँसू थे… उसने वो आँसू पोंछे और भाग कर बाथरूम में चली गयी… बाथरूम में जाकर उसने जल्दी से पानी से कुल्ला किया… उसने कुछ पानी मूह पे भी मारा. उसने वापस कुल्ला किया लेकिन उसके मूह में से करण के लंड, वीर्य और उसकी गान्ड का स्वाद जा ही नही रहा था.
ऋतु ने टूतपेस्ट खोली और ब्रश करने लगी… इसी उसे कुछ सुकून मिला… कुछ वीर्य छलक कर उसके बूब्स पर भी टपक गया था… उसने वो भी सॉफ किया. जब ऋतु बाथरूम से बाहर आई तो करण सोफे पे बैठ के अपना ड्रिंक पी रहा था. उसने दूसरा ड्रिंक ऋतु को ऑफर किया. ऋतु ने दूसरी और मूह फेर लिया. करण ड्रिंक लेके उसके पास आया और बोला
“आइ आम सॉरी ऋतु… ईलो यह ड्रिंक बनाया हैं तुम्हारे लिए”
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