RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
तभी पूजा की नज़रें पड़ी ऋतु की गर्दन पे जिसपे कल रात करण ने जी भर के चूमा था. ऋतु के गले पे हिक्केयस बन गये थे.. एक नही 3-4 और एक दो जगह दाँतों के निशान भी थे.
“यह तुम्हारी गर्दन पर निशान कैसे ऋतु”
“निशान कैसे निशान .. कुछ भी तो नही हैं” यह कहते हुए ऋतु ने दुपट्टा गले पे लप्पेट लिया. पूजा ने दुपट्टा हटाया और बारीकी से मुआीना किया निशानो का और समझ गयी.
“ऋतु… सच सच बता तू कल कहाँ थी” उसकी आवाज़ में एक कठोरता थी
“बताया तो एक फ्रेंड के घर पे थी”
“और यह निशान भी तुम्हारे फ्रेंड की बदौलत होंगे”
ऋतु चुप रही
“बोल ऋतु बोलती क्यू नही”
“पूजा तुम कुछ ज़्यादा ही सोचती हो. प्लीज़ माइंड युवर ओन बिज़्नेस.” ऋतु को यह बोलते हुए ही अपनी ग़लती का एहसास हुआ लेकिन तीर कमान से चूत चुक्का था और पूजा को घायल कर चुक्का था.
“ठीक कह रही हो ऋतु… मुझे क्या मतलब तुम रात को कहाँ जाती होई क्या करती हो… अंकल आंटी ने जब मुझे फोन पे कहा था की हमारी ऋतु का ख़याल रखना तो मुझे उन्हे तभी मना कर देना चाहिए थे. तुम बालिग हो, समझदार हो, अपने फ़ैसले खुद लेने की अकल हैं तुम में. ”
“सॉरी पूजा मेरा वो मतलब नही था”
“तो क्या मतलब था ऋतु. देख मुझे सब सच सच बता दे… क्या हुआ तेरे साथ.. कहाँ थी तू कल… क्सिके साथ थी??”
ऋतु ने सब कुछ सच सच पूजा को बता दिया. पूजा की आँखे फटी की फटी रह गयी.
“यह तूने क्या किया ऋतु. यह तूने क्या किया. क्या तू नही जानती की यह रईसजादे किसी से सच्चा प्यार नही करते. इनके लिए लड़कियाँ बस वासना की आग बुझाने का ज़रिया हैं. यह वादे तो बड़े बड़े करते हैं… प्यार के झूठे सपने दिखाते हैं…. भविष्या के सब्ज़ बाघ दिखाते हैं और कुछ ही दीनो में जब इनका मन भर जाता हैं एक लड़की से तो उसे इस्तेमाल की हुई चीज़ की तरह फेंक के दूसरी की और चले जाते हैं.”
“नही पूजा करण ऐसा नही हैं… वो मुझसे प्यार करता हैं”
“प्यार… अर्रे ऋतु प्यार नही… वो तेरे साथ बस सोना चाहता हैं”
“ऐसा नही हैं.. तुम बेवजह ही शक़ करती हो.”
“ऐसा नही हैं तो बोलो उसको की वो तुम्हे अपने पेरेंट्स से मिलवाए और तुम्हारे पेरेंट्स से जाकर तुम्हारा हाथ माँगे”
“ज़रूर करेगा वो मेरे लिए यह”
“मुझे समझ नही आ रहा की तेरी नादानी पे हसु या रोऊँ ऋतु… तू इतनी भोली हैं की उसकी चिकनी चुपड़ी बातों को सच समझ के उनपे यकीन कर बैठी और उस कामीने के चंगुल में फस गयी”
“पूजा. ज़ुबान संझल के बात करो करण के बारे में….. गाली गलोच करना ठीक नही”
“अच्छा गाली गलोच करना ठीक नही.. और जो तू करके आई हैं वो ठीक हैं… शादी से पहले पराए मर्द के साथ सोते हुए तुझे बिल्कुल शरम नही आई.”
“बस बहुत हुआ पूजा.. मैं बच्ची नही हूँ… मुझे अच्छे बुरे की तमीज़ हैं”
“ऋतु तुझे मेरी बातें उस दिन ध्यान आएँगेंगी जब वो तुझे अपना असली रंग दिखाएगा”
“बस पूजा दिस ईज़ दा लिमिट. मैं इस बारे में कोई बात नही करना चाहती. गाड़ी बाहर वेट कर रही हैं मैं बस अपना समान लेने आई हूँ. मैं गुरगाओं में एक फ्लॅट में मूव कर रही हूँ. तुमने मेरे किए जोभी ही किया हैं आजतक उसके लिए मैं हमेशा तुम्हारी शुक्रगुज़ार रहूंगी”
“यह क्या कह रही हो ऋतु… तुम शादी से पहले कैसे रह सकती हो उसके साथ”
“मैं वहाँ अकेले रहूंगी”
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