RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
करण ने फोन पे नाश्ता ऑर्डर किया. ऋतु इतनी देर में बाथरूम जाकर नहाने लगी… नहाते नहाते ऋतु बस यही सोचे जा रही थी की जो उसने किया क्या वो सही था,, बिना शादी के उसने करण से शारीरिक संबंध बनाए थे … यह बात उसके मा बाप को पता चल जाती तो वो तो बेचारे शरम के मारे डूब मरते … वो किसी को मूह दिखाने लायक ना रहती….
नहा के ऋतु ने वही कपड़े पहन लिए जो उसने कल रात को पहने हुए थे. इतनी देर में नाश्ता आ गया और ऋतु और करण ने मिलके नाश्ता किया. नाश्ते में सभी कुछ बहुत बढ़िया और स्वादिष्ट था… रात भर मेहनत करने के बाद भूख भी अच्छी लगी थी.. दोनो ने सारा नाश्ता ख़तम कर दिया..
नाश्ता ख़तम करने के बाद कारन ने ऋतु से कहा – “तुम्हे एक और चीज़ खानी हैं”
“अब मेरे पेट में बिकुल जगह नही हैं करण. मैं और कुछ नही खा सकती.”
“बस एक छोटी सी गोली” और उसने ई-पिल की गोली ऋतु की तरफ सरका दी.
ऋतु दो पल तो उस गोली को की घूरती रही. यह गोली उसको एहसास दिला रही थी की उसने जो किया रात को वो सही नही हैं… उसने अपनी वासना की आग में अपना कुँवारा पन जला दिया था… उसने वो गोली चुप चाप खा ली.
यह गोली मानो ऋतु को एहसास दिला रही हो की उसकी हरकतें किसी शरीफ खानदान की लड़की के लिए उचित नही. वो उठ कर बाथरूम में चली गयी और वहाँ जाकर रोने लगी. करण उसके पीछे पीछे बाथरूम में आया और उसकी आँखों से आँसू पोंछे. बिना कुछ कहे उसने ऋतु को अपनी बाहों में भर लिया जैसे की आश्वासन दे रहा हो की कुछ नही होगा .. मैं तुम्हारी हमेशा रक्षा करूँगा. ऋतु ने अपना मूह उसके सीने में छुपा लिया और आस्वस्त हो गयी. उसने कोई पाप नही किया था. वो करण से प्यार करती थी, और करण उससे. कम से कम वो तो ऐसा ही समझती थी.
ऋतु करण की गाड़ी में हॉस्टिल आई… वो रूम में घुसी तो पूजा उसे देखकर फॉरन चालू हो गयी.
“क्या करती हैं ऋतु.. मेरी तो जान ही सूख गयी थी..”
“ओह माइ डियर पूजा आराम से बैठो… तुम बेकार ही इतना नाराज़ थी”
ऋतु ने देखा कमरे के किनारे पड़ा हुआ एक छोटा सा केक, 2 कोल्ड्रींक्स, एक गुलाब का फूल और एक गिफ्ट. यह देखकर उसे पूजा की नाराज़गी समझ आई और उसके पास गयी…. पूजा ने दूसरी और मूह फेर लिया.
“सॉरी पूजा मुझे नही पता था तुम मेरा इंतेज़ार कर रही थी… और तुमने इतनी तैयारियाँ भी की थी.”
“कोई बात नही. कम से कम फोन तो उठा लेती.. सुबह जल्दबाज़ी में तुझे ठीक से विश भी नही कर पाई थी.”
“फोन साइलेंट पे था तो पता ही नही चला यार”
पूजा का प्यार देख के ऋतु की आँखें दबदबा गयी और उसने पूजा को गले लगा लिया.
“सॉरी पूजा मुझे माफ़ कर दो. मैने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया हैं”
“कोई बात नही पगली… चल अपना केक तो काट ले”
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