RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
ऋतु के बदन पे पसीने की एक हल्की सी परत बन गयी थी… इस बार वो भी पूरी मेहनत कर रही थी… करण को तो पसीना आ ही रहा था…. दोस्तो ऐसी चुदाई चल रही थी जिसे देख कर अच्छे अच्छे चोदुओ को पसीना आ जाए
इसी लिए तो कहता हूँ मुलाहीजाफरमाएँ .......
चूत मारे चूतिया ओर गान्ड मारे पाजी
दोनों हाथों से प्रेक्टिस कर लो इसी ते राम राज़ी
जब रात के बारह बजता है हम हॅंड प्रेक्टिस करता है
अहसान किसी का सहता नहीं हाथो से गुज़ारा करता है
दोस्तो पेंट से हाथ बाहर निकालो ये काम बाद मैं कर लेना अभी तो कहानी का मज़ा लो यार आपका राज शर्मा
करण ने उसके बदन के नीचे हाथ डालकर उसके बूब्स को पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा… यह करते ही ऋतु और भी ज़्यादा पागल हो रही थी… वो एक बार तो पानी छोड़ ही चुकी थी …. दूसरी बार भी दूर नही था… अब करण ने अपने एक हाथ से चुचियो को मसलाना शुरू किया ऋतु भी पूरे जलाल पर थी हाय मेरे राजा चोदो और ज़ोर से चोदो
मेरी चूत की प्यास भुजा दो आह्ह्ह्ह ओरर्र
करीब 20 मिनिट तक यह धाक्का मुक्की चलती रही…. करण ने फाइनल धक्के देने शुरू किए… उसका ऑर्गॅज़म बिल्ड हो रहा था… ऋतु का भी ऐसा ही हाल था… करण ने ऋतु के हिप्स को और भी ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी… ऋतु ने भी सोफे को और ज़ोर से पकड़ लिया… एक ज़ोरदार आआआह के साथ करण ने अपना वीर्य ऋतु की चूत में छोड़ दिया…. ऋतु ने बी लगभग उसी समय पानी छोड़ दिया.. तकरीबन 8-10 सेकेंड्स तक करण ऋतु की चूत में वीर्यपात करता रहा… ऋतु को उसके वीर्य की गर्मी महसूस हो रही थी… वो भी पानी छोड़ रही थी…
दोनो पसीने में लथपथ वही सोफे पे लेट गये… ऋतु की चूत से बहकर वीर्य उसकी जाँघो पे आ गया था… वो करण की छाती पे सर रखकर लेटी हुई थी… दोनो ऐसे ही ना जाने कितनी देर तक लेटे रहे…
तभी दरवाज़े पे एक दस्तक हुई…. ऋतु चौंक के उठ पड़ी और अपने कपड़े समेत के अंदर बेडरूम में चली गयी. करण ने अपने बॉक्सर्स पहने और दरवाज़ा खोला…
“गुड मॉर्निंग मिस्टर करण”
“गुड मॉर्निंग… कम इन प्लीज़… बैठिए”
रूपक शर्मा ने देखा की कमरे में करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं फर्श पे.. पास ही टेबल पे आँधा कटा केक था और सामने फूल ही फूल… वो ग्ल्फ कंपनी में बहुत सालों से था और पेशे से वकील था… ग्ल्फ के लीगल सेल में उची पोज़िशन में था… करण ने उसे सुबह 1 घंटे पहले ही एक लीव आंड लाइसेन्स अग्रीमेंट बनानी के लिए कहा था… लीव आंड लाइसेन्स ऋतु कुमार के नाम पे था.
रूपक जानता था की ऋतु सेल्स डेपारमेंट में नयी आई हैं… और यहाँ पर करण के कपड़े बिखरे पड़े हैं… सामने केक फूल हैं, बेडरूम का दरवाज़ा बंद हैं. उसको दो और दो चार करने में वक़्त नही लगा और वो समझ गया की करण की पिछली रात बहुत ही रंगीन रही हैं.. तभी उसकी नज़ार एक ऐसी चीज़ पे गयी जिससे उसका शक़ यकीन में बदल गया.
सोफे पे करण के वीर्या की दो तीन बूँदें थी जो लेटे लेटे ऋतु की चूत से सरक के टपक गयी थी. रूपक समझदार आदमी था … अपना मूह बंद रखा. करण के ऐसे कई कामो से वो वाकिफ़ था जिनमें उसे रूपक की वकालत और कनेक्षन्स की ज़रूरत पड़ी थी.. .. मसलन जब कारण ने एक रात शराब के नशे में रिंग रोड पे अपनी गाड़ी से एक मोटरसाइकल वाले को उड़ा दिया था और गाड़ी भगा के ले गया था… रूपक ने तुरंत पोलीस में अपनी जान पहचान लगा के मामले को रफ़ा दफ़ा करवाया था. गुणडो से उस मोटरसाइकल वाले को डरा धमका के और कुछ पैसे देके उसका मूह भी बंद करवा दिया था. वो करण के काले कारनामो का पूरा चिट्ठा जानता था.
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