RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
करण ने ऋतु के लिप्स को चूमा और उसकी चूत पे वापस हाथ फेरने लगा और उपर से सहलाने लगा. ऋतु ने उसके बॉक्सर्स में हाथ डाल दिया और उसके सोए हुए लंड को जगाने लगी… करण का एक हाथ ऋतु के बूब्स पेट और दूसरा चूत पे.. और वो बेहताशा ऋतु को चूमे जा रहा था… रात भर आराम के बाद सुबह एनर्जी लेवेल्ज़ हाइ थे और करण के लंड को अपना पूरा आकार लेते हुए ज़्यादा समय नही लगा.
ऋतु की चूचियाँ भी करण के मूह में सख़्त हो चुकी थी.. तने हुए उसके चूचे रात के एपिसोड के बाद और पाने के लिए बेचैन थे… उसकी चूत भी करण के लंड की प्यासी हो रही थी… करण चालू था फुल फ्लो में और रुकने का नाम नही ले रहा था… उसने ऋतु की चूत में दो उंगलियाँ डाल दी… ऋतु को अत्यंत दर्द का एक्सास हुआ… रात को ही तो उसकी सील टूटी थी.. अभी ठीक से घाव भरे भी नही थे की करण ने वापस प्रहार शुरू कर दिया था… चूत गीली हो चुकी थी…
करण उठा सोफे पे से और उसने ऋतु को कहा.
“ऋतु मूड जाओ और अपने हाथ पैर सोफे पे रखो”
ऋतु हैरान हो गयी…यह करण ना जाने क्या बोल रहा था… उसे समझ नही आया.. फिर भी उसने करण की बात मान ली और वैसा ही किया जैसा उसे कहा गया था. करण का मान तो कुछ नये ही स्टाइल में करने का था… रात को मिशनरी करके वो ऊब चक्का था… उसे कुछ अलग तरह से करना था अब. ऋतु के हाथ और पैर अब सोफे पे थे और करण उसके पीछे आके खड़ा हो गया.. उसकी आँखों के सामने का नज़ारा ऐसा था की किसी बड़ी उम्र का आदमी देख लेता तो शाटड़ हार्ट अटॅक से मर जाता लेकिन दोस्तो ये राज शर्मा तो बेशरम आदमी है जो उन्हे अपनी आँखो से देख भी रहा था ओर सुन भी रहा था अब आप सोच रहे होंगे ये राज शर्मा यहाँ कैसे आ गया अरे भाई लेखक ही तो सब देखता है
ऋतु की कोमल गांद अपने पूरे शबाब में करण के सामने थी… गांद का छेद हल्के भूरे रंग का और एकद्ूम टाइट दिख रहा था… उसको देख के करण मन ही मन हसा और सोचा “तेरा नंबर भी आएगा.” गांद की दरार के नीचे एक पतली सी लाइन ऋतु की चूत की थी… चूत की दोनो फाँकें आपस से सिमटी हुई थी और उनके बीच कोई जगह नही दिख रही थी… जगह तो तब बनती जब करण अपना 7” लंड उस दरार में छूसा के उसे बड़ा करेगा..
ऋतु के गुटने आपस में टच कर रहे थे.. कारण ने उन्हे दूर किया और ऊट पे वापस हाथ फेरा… काफ़ी गीली थी.. टाइम आ चुक्का था की ऋतु को इस नयी पोज़िशन से वाकिफ़ करवाया जाए. वो नीचे झुका और उसकी चूत को पीछे से चाटने लगा… ऋतु के मूह से आहें निकलने लगी…. उसने जीभ ऋतु की चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. उसने एक हाथ से उसके क्लिट को भी सहलाया जो की अब तक सूज के बड़ी हो चुकी थी…
“ओह करण… प्लीज़ डू इट. प्लीज़”
कारण ने लंड को पकड़ा और ऋतु की चूत में घुसेड दिया…. ऋतु की चूत अभी तक पूरी तरह से लंड लेने की आदि नही हुई थी… लंड घुसते ही ऋतु आगे की और लपकी ताकि लंड से बच सके और अपनी चूत को भी बचा सके.. लेकिन करण ने भी कोई कची गोलियाँ नही खेली थी… उसने एक हाथ ऋतु के नीचे, उसके पेट पे रखा था.. उसने उसी हाथ से ऋतु को वापिस खीचा और उसका पूरा लंड ऋतु की नाज़ुक चूत में समा गया.
अब वो धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा…. ऋतु को शुरू में तो दर्द हुआ लेकिन वो दर्द जल्दी ही एक मीठे एहसास में बदल गया जिसमे उसे बहुत मज़ा आ रहा था… करण जानता था की यह डॉगी स्टाइल पोज़िशन ऐसी हैं जिसमे मॅग्ज़िमम पेनेट्रेशन मिलती हैं…. … इसीलिए वो धीरे धीरे कर रहा था ताकि एक बार ऋतु थोड़ी ढीली हो जाए तो वो पूरा जलवा दिखाएगा…
करण के हाथ ऋतु के चुतताड पे थे… वो उन गोल मांसल चुतताड़ो को सहलाता था.. उन्हे मसलता था…. और हल्के हल्के से उन्हे मार भी रहा था… ऋतु के गोरे गोरे चुतताड करण के ठप्पड़ो की वजह से लाल हो गये थे… अब वो खुद भी आगे पीछे हिल रही थी ताकि आछे से आनंद ले सके… करण ने अब ज़ोर से धक्के लगाने चालू किए और पूरा का पूरा लंड अंदर देने लगा. ऋतु भी मज़े में ऊह आह करने लगी
“ओह करण आइ लव यू… आ अया …. येस्स्स्स” करण ऐसे ही करते रहो आह बड़ा मज़ा आ रहा है
करण ने अपने मूह से थोडा सा थूक निकाल कर टपका दिया ऋतु के गांद के छेद पे … निशाना एकद्ूम सटीक था… उसने अब अपनी उंगली से छेद पे थोड़ा सा दबाव बनाया और उसे हल्के हल्के दबाने लगा… वो अंदर नही डालने वाला था उंगली.,.. बस ऋतु को मज़े देने के लिए कर रहा था…
यह सब करने पर ऋतु को असहनीया आनंद हुआ और वो पानी छोड़ने लगी और साथ ही आवाज़ें निकालने लगी..
“यह क्या कर रहे हो करण… ओह इट फील्स सो गुड..डोंट स्टॉप.”
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