RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
ऋतु ने अपने हाथ पीछे करण के गले में डाले हुए थे जिससे की करण को
उसके बूब्स का अच्छी तरह से दबाने का मौका मिल रहा था. अब करण ने अपना
अगला कदम बढ़ाया और धीरे से राइट हॅंड उसकी चूत के उपर ला कर रख
दिया और थोड़ा सा दबाव दिया.
“यह क्या कर रहे हो कारण”
“ऋतु मैं अपने आप को नही रोक सकता”
“नही करण ऐसा मत करो.. यह ग़लत हैं”
“ऋतु अगर यह ग़लत होता तो हूमें इतना अच्छा क्यू महसूस हो रहा हैं…
क्या तुम्हे अच्छा नही लग रहा??”
“हचहा लग रहा हैं..बहुत अच्छा”
“रोको मत अपने आप को ऋतु”
करण ने ऋतु की कमीज़ उसके सर के उपर से निकाल दी. ब्लू कलर की ब्रा
में ऋतु के मस्त 36” बूब्स मानो करण को बुला रहे हो अपनी ओर. करण ने
ब्रा के उपर से ही उन्हे चूमना शुरू किया. हर किस के साथ ऋतु के मूह से
आह छूट रही थी. करण ने सिर्फ़ एक ही हाथ से उसके ब्रा के हुक्स खोल
दिए.. वो प्लेयर आदमी था. धीरे से ब्रा के स्ट्रॅप्स उसके कंधो से उतारे….
और ब्रा को शरीर से अलग कर दिया.
ऋतु की आँखें अब खुल गयी थी… कमरे में अभी भी कॅंडल्स की हल्की
रोशनी ही थी…. फूलो की मदमस्त करने वाली खुश्बू और कारण. उसे मानो
यह सब एक सपना लग रहा था… मज़ा आ रहा था और डर भी लग रहा था…
एक मिली जुली फीलिंग थी… वो समझ नही पा रही थी की रुक जाए या आगे
बढ़े… उधर करण चालू था… पूरे समय उसके हाथ ऋतु के बदन को
एक्सप्लोर कर रहे थे.. ऋतु को यह पता नही था की किसी और के छूने से
इतना अच्छा लग सकता हैं.
करण का हौसला बढ़ता जा रहा था. उसका पता था की ऋतु गरम हो रही
हैं… जल्दी ही उसके हाथ सलवार और पॅंटी के उपर से उसकी चूत को
सहलाने लगे… ऋतु के मूह से आह ओह छूटे जा रही थी.. उसने आँखें बंद कर
ली थी और एंजाय कर रही थी..
करण ने उसकी नंगे बूब्स को एक एक करके चूमा उर अपनी जीभ से निपल्स के
आस पास सर्कल्स बनाने लगा… उसने जान बूझके निपल्स को मूह में नही
लिया.. वो तड़पाना चाहता था ऋतु को.. ऋतु को आनंद आ रहा था लेकिन
अधूरा… अंत में उससे रहा ना गया और उसने खुद कहा
“मेरे निपल्स को चूसो करण”
“ज़रूर बेबी”
“ओह करण आइ लव यू.. आइ लव यू सो मच…दिस फील्स सो गुड…”
“आइ लव यू टू बेबी.. यू आर सो ब्यूटिफुल”
यही मौका था… करण ने स्सावधानी से उसकी सलवार के नाडे का एक कोना पकड़ा
और साथ की निपल्स भी मूह में ले लिए… प्लेषर से ऋतु कराह उठी और
साथ ही नाडा भी खुल गया.. ऋतु को तो इस बात का एहसास ही नही हुआ की
नाडा कब खुला… जब करण का हाथ गीली हो चुकी पॅंटी पे पड़ा तब उसे
मालूम हुआ…
करण था मास्टर शिकारी.. कैसे शिकार को क़ब्ज़े में करता जा रहा था और
शिकार को खबर तक नही…
गीली हो चुकी पॅंटी के उपर से उसने चूत को मसलना शुरू किया… ऋतु अब
करण को चूमने लगी.. कभी उसके होंठ कभी गाल कभी गर्दन कभी
कान… उसके हाथ करण की चौड़ी छाती और मज़बूत कंधे पर घूम रहे
थे.
कारण ने धीरे से सलवार सरका कर उसके पैरों से अलग कर दी… अब करण
और उसके टारगेट के बीच सिर्फ़ एक लेसी नीली पॅंटी थी… ऋतु को सोफे पे लिटा
के करण उसके पेट पर किस करने लगा.. उसका एक हाथ उसके बूब्स को मसल
रहा था और दूसरा हाथ उसकी चूत को. ऋतु उसके बालों में उंगलियाँ डाल
के कराह रही थी.
करण ने हाथ पॅंटी के अंदर डाल दिया.. ऋतु की चूत मानो किसी भट्टी की
तरह धधक रही. टेंपरेचर हाइ था.. और रस भी शुरू हो चूक्का
था… ऋतु के लाइफ में पहली बार यह सब हो रहा था… करण ने पॅंटी नीचे
करने की कोशिश की
“ओह करण.. प्लीज़… यह क्या कर रहे हो… ”
“प्यार कर रहा हूँ ऋतु”
“ओह करण… यह ठीक नही हैं.. यह ग़लत हैं” ऋतु का विरोध सिर्फ़ नाम का
ही विरोध था… मन तो उसका भी यही था लेकिन मारियादा की सीमा तो एकदम से
कैसे लाँघ जाती .. आख़िर वो एक भारतिया लड़की थी.
“फिर वही बात… इट्स ऑल फाइन बेबी… यू नो आइ लव यू … जब बाकी पर्दे हट
चुके हैं तो यह भी हट जाने दो ना”
“लेकिन हमारी शादी नही हुई हैं करण.”
“बेबी.. तुम्हे मुझपे भरोसा नही हैं क्या… क्या तुम्हे लगता है मैं
धोकेबाज़ हूँ” करण ने आवाज़ में थोडा गुस्सा उतारा.
“नही करण.. यह बात नही हैं”
“नही ऋतु आज मुझे मत रोको…”
यह कहते हुए उसने पॅंटी नीचे कर दी .. ऋतु ने भी लेटे लेटे अपनी गांद
उठा के उसकी मदद की…
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