RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
Raj-Sharma-stories
रूम सर्विस --2
हेल्लो दोस्तों मैं यानि आपका दोस्त राज शर्मा रूम सर्विस पार्ट -२ लेकर आपके
सामने हाजिर हूँ दोस्तों कहानी ज्यो -ज्यो आगे बढेगी आपको उतना ही मजा
आएगा अब आप कहेंगे इसने तो फ़िर अपनी बक बक शुरू कर दी
चलिए मैं आपको और बोर नही करूँगा आप कहानी का मजा लो मैं चला
ऋतु रूम में आकर धदाम से अपने बेड पे गिरी और मुस्कुराने लगी…
खुमारी अभी भी बर करार थी.. और उस खुमारी के आलम में ऋतु के कानो
में करण की कही एक एक बात गूँज रही थी.
धीरे धीरे उनकी मुलाक़ातें बढ़ने लगी और कुछ ही हफ़्तो में दोनो बहुत
अच्छे दोस्त बन गये. करण इस बात का ख़याल रखता था की ऋतु के पास
हमेशा कस्टमर्स जायें जिनको कि अपार्टमेंट्स आंड विलास बेच कर ऋतु को
अच्छी कमिशन मिले. ऋतु इस बात से बेख़बर थी. अब उसको हर महीने
बहुत अच्छी इनकम होने लगी थी. उसके हाव भाव और वेश भूषा भी
बदलने लगी थी.
उसने शहर के मशहूर हेर ड्रेसर के यहाँ से बॉल कटवाए. लेटेस्ट
फॅशन के कपड़े लिए. ऊचि क़ुआलिटी का मेकप खरीदा. आछे परफ्यूम्स और
टायिलेट्रीस. कई दफ़ा काम की वजह से उसे जब लेट होता था तो करण या तो
उसको खुद घर छोड़ के आता था या फिर किसी विश्वसनिया ड्राइवर को भेजता
था.
ऋतु पठानकोट गयी जब अपने माता पिता से मिलने तो उनके लिए अच्छे अच्छे गिफ्ट्स
लेके गयी. वो भी उसकी तरक्की से बहुत खुश थे… मोहल्ले वाले उसके माता
पिता को बधाई देते थे और उनकी बेटी के गुण-गान करने लगे.
ऋतु को एक दिन एक मैल आया.
डियर ऋतु,
आइ वॉंट टू टेक अवर फ्रेंडशिप ए लिट्ल फर्दर. आइ नो टुमॉरो ईज़ युवर
बिर्थडे आंड आइ वानट टू मेक इट स्पेशल फॉर यू. आइ हॅव ए सर्प्राइज़ प्लॅंड
फॉर यू.
यौर्स
करण
*
मैल देख के वो मन ही मन बहुत खुश हुई. करण ने लिखा था "यौर्स,
करण"
उसके भी मन में करण ने घर कर लिया था. वो बहुत ही हॅंडसम और
तहज़ीबदार लड़का था. ना जाने कब ऋतु उसको अपना दिल दे चुकी थी. इस बात
से वो खुद बे खबर थी.
अगले दिन जब ऋतु ऑफीस से निकली तो यह जानती थी कि करण उसका इंतेज़ार
कर रहा था बाहर अपनी कार में. दोनो ऑफीस से चले और एक अपार्टमेंट
कॉंप्लेक्स में चले गये. तब तक दोनो ने कुछ नही कहा था एक दूसरे से.
कार पार्किंग में खड़ी करके करण ऋतु को लेकर लिफ्ट में गया. लिफ्ट 25थ
फ्लोर पे जाके रुकी. टॉप फ्लोर.
करण ने जेब से एक रुमाल निकाला और ऋतु से कहा “प्लीज़ इसे अपनी आँखों
पे बाँध लो”
ऋतु थोड़ी हैरान हुई लेकिन उसने मना नही किया और आँखों पे पट्टी बाँध
दी.
उसको सुनाई दे रहा था कि करण अपनी जेब से चाबी निकल रहा हैं और उसके
बाद दरवाज़ा खोल रहा हैं… करण उसका हाथ पकड़ के उसको कमरे में ले
आया. अंदर जाते ही ऋतु को सुगंध आने लगी … फूलो की… शायद गुलाब
की थी. उसकी आँखें अब भी ढाकी हुई थी. करण ने दरवाज़ा बंद किया और
उसके पीछे आके खड़ा हो गया. उसकी आँखों से पट्टी हटाते हुए बोला हॅपी
बिर्थडे और उसकी गर्दन पे चूम लिया.
ऋतु ने आँखें खोली तो सामने देखा फूल ही फूल. सब तरह के फूल.
गुलाब, कारनेशन, चरयसानतमुँ, लिलीस, ट्यूलिप्स, डॅलिया, डेज़ीस, सनफ्लावर.
सामने फूलो के अनेक गुलदस्ते थे. पूरी दीवार पर बस फूल ही फूल.
सामने एक टेबल सजी हुई थी जिसपे एक हार्ट शेप्ड चॉक्लेट केक था, साथ
ही 2 ग्लास और एक शॅंपेन की बॉटल. टेबल पे कॅंडल लाइट जल रही थी
और पूरी कमरे में उन्ही कॅंडल्स की ही डिम रोशनी थी.
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