RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
जब तक खाना ख़तम हुआ ऋतु पे रेड वाइन की थोड़ी थोड़ी खुमारी छाने
लगी… वो अब थोड़ा खुलने लगी करण के साथ. डिन्नर के बाद दोनो निकले और
गाड़ी में सवार हो गये…
“करण आप क्या हर नये एंप्लायी की फर्स्ट सेल पे उनको डिन्नर करवाते हैं”
“हा हा हा .. नही.. इनफॅक्ट मैं तो इस ऑफीस में भी नही बैठता. यह तो
सेल्स ऑफीस हैं.. मैं और डॅडी तो कॉर्पोरेट ऑफीस में बैठते हैं.
यहाँ तो मैं सिर्फ़ इसलिए आता हूँ ताकि तुमसे मिल सकूँ”
ऋतु शर्मा गयी.. दोनो एक लोंग ड्राइव पे चले गये… रात हो चली थी.. 4-5
घंटे कैसे बीते ऋतु को पता ही नही चला … जब घड़ी पे नज़र गयी तो
देखा की रात के 10 बज रहे थे… ऋतु ने करण से कहा
“बहुत देर हो चुकी हैं अब मुझे हॉस्टिल जाना चाहिए.”
“हां सही कहा.. तुम्हारे साथ टाइम का पता ही नही चला ऋतु.”
“मुझे बस स्टॉप पर ड्रॉप कर देंगे प्लीज़.”
“नही वो तो मैं नही कर सकता… हां तुम्हे घर ज़रूर छोड़ सकता हूँ”
“आप क्यू इतनी तकलीफ़ उठाएँगे… मैं चली जौंगी.”
“नो आर्ग्युमेंट्स…. हम दोस्त हैं लेकिन डॉन’ट फर्गेट की आइ आम ऑल्सो यौर बॉस..
आंड यह तुम्हारे बॉस का ऑर्डर हैं” कारण ने झूठा रोब देकर कहा.
यह बात ऋतु के कानो में गूंजने लगी - हम दोस्त हैं.
करण ने ऋतु के हॉस्टिल के बाहर गाड़ी रोकी और कहा “ऋतु ई हद आ ग्रेट
टाइम टुडे.. तुमसे मिलके तुम्हारे बारे में और जाना और मुझे अच्छा
लगा.. मुझे लगता हैं हमारी दोस्ती बहुत आगे तक जाएगी.”
ऋतु को समझ नही आ रहा था की वो कैसे करण का शुक्रिया अदा करे..
बस सर हिला दिया. गाड़ी से उतरने से पहले करण ने अपना हाथ उसकी तरफ
बढ़ाया हाथ मिलाने के लिए. ऋतु ने भी करण से हाथ मिलाया. लेकिन
कारण ने फॉरन हाथ नही छोड़ा. 2-3 सेकेंड ऋतु की आँखों में देखा और
भी हाथ छोड़ते हुए कहा “यू शुड गो नाउ…. कल ऑफीस में मिलते हैं.
गुड नाइट”
“गुड नाइट”
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