RE: Antarvasnasex रूम सर्विस
गेट नंबर 1 से बाहर आने पर ऋतु की नज़रें पूजा को ढूँडने लगी. लेकिन यह कोई छोटा मोटा स्टेशन थोड़े ही हैं. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हैं. बहुत भीड़ थी और उस भीड़ में सब किस्म के लोग मौजूद होते हैं. ऋतु ने आस पास फोन खोजने की कोशिश की लेकिन सिक्के वाले फोन पे पहले से ही बहुत लोग खड़े थे. मोबाइल उसके पास था नही. पूजा से बात करे तो कैसे .
इतने में ऋतु को एक आवाज़ सुनाई दी
“हेलो मेडम कहाँ जाना हैं….ऑटो चाहिए”
“नही चाहिए भैया”
“अर्रे जाना कहाँ हैं … बताओ तो”
“बोला ना भैया नही चाहिए”
“खा थोड़े ही जाएँगे आपको मेडम”
ऋतु वहाँ से आगे बढ़ गयी. हू ऑटो वाला पीछे पीछे आ गया परेशान करने के लिए.
“अर्रे सुनो तो मेडम… मीटर में जितना बनेगा उतना दे देना… अब आपसे क्या एक्सट्रा लेंगे.”
ऋतु को समझ नही आ रहा था की इस बंदे से पीछा कैसे छुड़ाए. तभी एक ज़ोरदार आवाज़ आई.
“क्यू परेशान कर रहे हो लेडीज़ को. पोलीस को बुलाउ. वो देंगे तुझे मीटर से पैसे.”
ऑटो वाला चुप चाप वापस चला गया. ऋतु ने पीछे मूड के देखा तो वही आदमी था जिसके बच्चे को ऋतु की बेग ग़लती से लग गयी थी. वो ऋतु को देख के मुस्कुराया. ऋतु भी मुस्कुराइ और थॅंक यू बोला.
“आप इस शहर में नयी लगती हैं. कहाँ जाना हैं आपको”
“जी हां मैं नयी आई हूँ यहाँ. मैं अपनी फ्रेंड का इंतेज़ार कर रही हूँ. वो आने वाली हैं मुझे लेने. लगता हैं किसी वजह से लेट हो गयी हैं.”
“आप उससे फोन पे बात क्यू नही कर लेती.”
“जी वो फोन बूथ पे लाइन बहुत लगी हैं. ”
“कोई बात नही मैं आपकी बात करवा देता हूँ मोबाइल से.”
ऋतु ने वो पर्ची उसके हाथ में दी जिसमे पूजा का नाम, पता और फोन नंबर था. उन्होने डाइयल किया और फोन में आवाज़ आई.
दा पर्सन यू आर ट्राइयिंग टू रीच ईज़ अनवेलबल अट दा मोमेंट. प्लीज़ ट्राइ लेटर.
“यह पूजा जी का फोन तो लग नही रहा. लगता हैं नेटवर्क का कोई प्राब्लम होगा.”
“कोई बात नही मैं वेट कर लूँगी उसका.”
“देखिए आपको ऐसे वेट नही करना चाहिए. मेरा नाम राज शर्मा हैं. मेरी वाइफ अभी कार लेकर मुझे और मेरे बच्चे को पिक करने आ रही हैं. आप चाहें तो मैं आपको इस पते पे छोड़ सकता हूँ. यह यहाँ से पास ही में हैं और हमारे घर जाने के रास्ते में पड़ेगा.”
“नही नही आपको खाँ-म-खा तकलीफ़ होगी. मैं मॅनेज कर लूँगी”
“इसमे तकलीफ़ कैसी.”
तभी एक आवाज़ आई. “राज…….राज”
दोनो ने देखा की 30-32 साल की एक खूबसूरत महिला, शिफ्फॉन की सारी ओढ़े, आँखों में काला चश्मा लगाए, उनकी तरफ बढ़ी आ रही हैं.
“यह हैं मेरी वाइफ शीतल… और आपका नाम क्या हैं”
“जी मेरा नाम ऋतु हैं.”
“तो आइए ऋतु जी हम आपको छोड़ देते हैं आपके बताए पते पे”
“आप प्लीज़ एक बार और फोन ट्राइ कर सकते हैं… हो सकता हैं वो आस पास ही हो.”
राज ने फोन लगाया और इस बार घंटी बाजी.
राज “हेलो .. ईज़ दट पूजा.”
पूजा “हेलो जी हां.. आप कौन??”
राज “लीजिए अपनी फ्रेंड से बात कीजिए.”
ऋतु “हेलो पूजा … कहाँ हैं तू… मैं काब्से तेरा वेट कर रही हूँ स्टेशन पे. कहाँ रह गयी.”
पूजा “हाई ऋतु… मैं काब्से तेरे फोन का इंतेज़ार कर रही थी. सॉरी यार मेरा आज सुबह बाथरूम में एक आक्सिडेंट हो गया हैं, मेरी टाँग में स्प्रेन आ गया हैं… मैं तुझे पिक करने नही आ पाउन्गा यार”
यह सुनकर ऋतु का चेहरा उतार गया.
ऋतु “ठीक हैं मैं ही देखती हूँ कुछ”
राज समझ गया और उसने फिर से कहा की वो छोड़ देगा ऋतु को.
ऋतु को वो कपल भले लोग लगे और वो उनके साथ जाने को राज़ी हो गयी.
राज गाड़ी ड्राइव कर रहा था. शीतल आगे उसके साथ बैठी थी और उनका 7 साल का बेटा आर्यन पीछे ऋतु के साथ बैठा था. रास्ते में बातों बातों में पता चला की राज एक कंपनी में मेनेज़र हैं और शीतल हाउसवाइफ हैं. उनकी लव मॅरेज हुई थी करीब 9 साल पहले. राज एक बड़ी कंपनी में काम करता हैं और अच्छी पोज़िशन पे हैं.
ऋतु ने भी उस फॅमिली को अपने बारे में बताया. बातें करते करते वो अपनी डेस्टिनेशन पे पहुच गये . गाड़ी सीधा “स्वाती वर्किंग वूमेन’स हॉस्टिल” के आगे आके रुकी.
पूजा कॉलेज में ऋतु की सीनियर थी. दोनो पठानकोट में आस पास के मोहल्ले में रहती थी और अक्सर एक साथ पैदल कॉलेज जाया करती थी. पूजा से ऋतु को इंपॉर्टेंट नोट्स और बुक्स मिल जाया करती थी. दोनो में अच्छी मित्रता थी.
देखने सुनने में पूजा ठीक ठाक सी थी… ऋतु की सुंदरता के सामने उसका कोई मुक़ाबला नही था. आधा कॉलेज ऋतु का दीवाना था. पूजा अक्सर ऋतु को आवारा दिलफेंक आशिक़ो से बचकर रहने को कहती थी. वो कहती थी की जवानी एक पूंजी हैं जिसे सात तालो में छुपा कर रखना चाहिए. उन तालों की चाबी हैं शादी और उस पूंजी को अपने पति पर लुटाना चाहिए.
पूजा अकॅडेमिक्स में बहुत अच्छी थी और यूनिवर्सिटी टॉपर. उसने दिल्ली आके टीचर ट्रैनिंग का कोर्स किया और एक स्कूल में इंग्लीश की टीचर बन गयी. दिल्ली आने पर भी ऋतु और पूजा में कॉंटॅक्ट था. ऋतु अक्सर पूजा से गाइडेन्स लेती थी. जब ऋतु ने पूजा को बताया की वो भी शहर जाकर पैसे कमाना चाहती हैं और अपने पैरों पे खड़ा होना चाहती हैं तो पूजा ने उसका हौसला बढ़ाया और आश्वासन दिया की वो उसके रहने का इंतजाम अपने ही हॉस्टिल में कर देगी.
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