RE: Desi Sex Kahani रंगीली पड़ोसन
मैं उसका इशारा समझ गया और मैंने उसकी योनि के पाटों को खोल कर उन्हें चाटने लगा तथा उसके भगनासा को जीभ से सहलाने लगा।
थोड़ी देर के बाद मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी योनि के अन्दर डाल कर उसके जी-स्पॉट को सहलाने लगा।
अगले पाँच मिनट में ही नेहा ऊँची ऊँची सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी योनि में से रस स्खलित हो गया।
तब नेहा ने मेरे लिंग को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया और उठ कर मुझे धक्का दे कर बैड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर बैठ गई! मैं पीठ के बल लेटा रहा तब वह सरकते हुए मेरी जाँघों तक पहुँची और मेरे लिंग को पकड़ कर हिलाने लगी।
जब उसने देखा कि मेरा लिंग लोहे की तरह सख्त हो गया है तब वह थोड़ी ऊँची हो कर मेरे लिंग को अपनी योनि के पाटों पर स्थित किया और उस पर धीरे धीरे नीचे की ओर बैठने लगी।
कुछ ही क्षणों में मेरा पूरा लिंग फिसलता हुआ उसकी योनि के अन्दर चला गया और मुझे उसके अन्दर की गर्मी की अनुभूति हुई।
मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे लिंग को किसी गर्म तंदूर में डाल दिया गया था और उसे तंदूरी चिकन की तरह भुना जा रहा था!
तभी नेहा अपने पैरों के बल पर उछल उछल कर मेरे लिंग को अपनी योनि के अंदर बाहर करने लगी! उसकी हर उछाल पर उसके मनमोहक स्तन पेड़ों पर लगे आमों की तरह झूल जाते!
यह दृश्य देख कर मैं बहुत उत्तेजित हो गया और मैंने उसके स्तनों को पकड़ लिया और नीचे से उचक कर धक्के लगाने शुरू कर दिए!
दस मिनट तक ऐसे ही उछल कूद करने से नेहा की साँसें तेज़ी से चलने लगी और उसे थकान भी होने लगी थी।
तब मैंने उसे मेरे लिंग पर बैठे बैठे ही पकड़ कर घुमा दिया जिससे उसका चेहरा मेरे पाँव की ओर हो गया और उसकी पीठ मेरी ओर हो गई।
फिर मैं उसके साथ कस कर चिपट गया और बिना लिंग को बाहर निकाले करवट ले कर उसे नीचे कर दिया और मैं खुद उसके ऊपर आ गया।
तब मेरे कहे अनुसार नेहा धीरे धीरे अपनी टांगें समेट कर घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे से उसकी योनि में अपना लिंग अन्दर बाहर करने लगा।
कुछ समय बाद नेहा भी मेरा साथ देने लगी और मेरे हर धक्के का उत्तर अपने शरीर को पीछे धकेल कर मेरे लिंग को अपनी योनि में लेने लगी।
लगभग दस मिनट के बाद नेहा ने बताया कि उसकी योनि में गुदगुदी एवं हलचल हो रही थी और उसका योनि रस का स्खलन होने वाला था।
तब मैंने उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और अपनी गति को तीव्र करते हुए लिंग को योनि के अंदर बाहर करने लगा।
पन्द्रह से बीस तीव्र धक्के लगते ही नेहा की योनि सिकुड़ गई और उसने मेरे लिंग को जकड़ लिया जिससे मेरे लिंग पर बहुत प्रबल रगड़ लगने लगी और मेरा लिंग भी फूल गया।
दो धक्के और लगाते ही नेहा और मैं दोनों चिल्लाते और सिसकारियाँ लेते हुए अपने अपने रस का स्खलन करने लगे।
नेहा की योनि हम दोनों के रस से भर गई और उसमे से रस बह कर बाहर निकल कर नेहा की जाँघों और मेरे अंडकोष को गीला करने लगा।
इसके बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में जाकर आपस में एक दूसरे को साफ़ किया और कपड़े पहन कर थकान के मारे निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गए।
तभी हमारी दृष्टि दीवार पर लगी घड़ी पर गई तो हम दोनों चौंक पड़े क्योंकि उसमें छह बज चुके थे!
मैं तुरंत उठा और नेहा के होंटों को चूमते हुए उसके कमरे का दरवाज़ा खोला और बालकनी को लांघते हुए अपने कमरे में जा कर सांस ली।
घर में घूम के देखा और जब भईया भाभी को अपने बंद कमरे में ही सोते हुए पाया तब मेरी जान में जान आई!
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