RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
अब तक प्रताप भी संभाल चुका था और ताज़ीन को गौर से देख रहा था. शबाना जितनी खूबसूरत नहीं थी, मगर अच्छि थी. उसका शरीर थोड़ा ज़्यादा भरा हुआ. उसके मम्मे छ्होटे लेकिन शानदार थे. एकदम गुलाबी चूचियाँ. गंद एकदम भरी हुई और चौड़ी थी. उसके घुंघराले बाल कंधों से थोड़े नीचे तक आ रहे थे, जिन्हें उसने एक बकल में बाँध कर रखा था. प्रताप अब भी ज़मीन पर बैठा था और उसका लंड ताज़ीन के मुँह में था. प्रताप अब तक सिर्फ़ लेटा हुआ था और जो कुच्छ भी हो रहा था ताज़ीन कर रही थी. वो शबाना के बिल्कुल उलट थी - उसके मज़े लेने का मतलब था "मर्द को चोद कर रख दो". कुच्छ वैसा ही हो रहा था प्रताप के साथ. ताज़ीन जैसे उसका बलात्कार कर रही थी.
तभी ताज़ीन ने उसे धक्का दिया और उसे ज़मीन पर लिटा कर उसके ऊपर आ गई. अपने हाथों से उसने प्रताप के लंड को पकड़ा और अपनी चूत में घुसा लिया. वो प्रताप के ऊपर चढ़ बैठी. अब वो ज़ोर ज़ोर से प्रताप के लंड पर उच्छल रही थी. उसके मम्मे किसी रब्बर की गैन्द की तरह प्रताप की आँखों के सामने लहरा रहे थे. फिर ताज़ीन झुकी और उसने प्रताप के मुँह को चूमना शुरू कर दिया. प्रताप के लंड को अपनी चूत में दबाए वो अब भी बुरी तरह उसे चोदे जा रही थी. फिर अचानक वो उठी और प्रताप के मुँह पर बैठ गई और अपनी चूत प्रताप के मुँह पर रगड़ने लगी जैसे की प्रताप के मुँह में खाना ठूंस रही हो, अब तक प्रताप भी संभाल चुका था. उसने ताज़ीन को उठाया और वहीं ज़मीन पर गिरा लिया - और उसकी चूत में उंगली घुसा कर उसपर अपना मुँह रख दिया. अब प्रताप की जीभ और उंगली ताज़ीन की चूत को बहाल कर रही थी. ताज़ीन भी मस्त होने लगी थी उसने प्रताप के बालों को पकड़ा और ज़ोर से उसे अपनी चूत में घुसाने लगी, साथ ही अपनी गंद भी पूरी उठा दी. प्रताप ने अब अपनी उंगली उसकी चूत से निकाल ली. ताज़ीन की चूत के पानी से भीगी हुई उस उंगली को उसने ताज़ीन की गंद में घुसा दिया. ताज़ीन को तेज़ दर्द हुआ, पहली बार उसकी गंद में कोई चीज़ घुसी थी.
अब प्रताप ने अपनी उंगली उसकी गंद के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और चूत को चूसना जारी रखा. फिर उसने ताज़ीन की चूत को छ्चोड़ दिया और सिर्फ़ गंद में तेज़ी के साथ उंगली चलाने लगा. अब गंद थोड़ी खुल चुकी थी और ताज़ीन भी चुपचाप लेटी थी. फिर ताज़ीन ने उसके हाथ को एक झटके से हटाया और उठ कर प्रताप को बेड पर खींच लिया. प्रताप ने उसकी दोनों टाँगें फैला दी और उसकी चूत में लंड डाल दिया जैसे ही लंड अंदर घुसा ताज़ीन ने प्रताप को कसकर पकड़ा और नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए, प्रताप ने भी धक्के लगाने शुरू कर दिए. तभी ताज़ीन ने प्रताप को एक झटके से नीचे गिरा लिया और उसपर चढ़ बैठी. इस बार उसका एक पैर बेड पर था और दूसरा ज़मीन पर. और दोनों पैरों के बीच उसकी चूत ने प्रताप के लंड को जाकड़ रखा था. फिर वो प्रताप से लिपट गई और ज़ोर ज़ोर से प्रताप की चुदाई करने लगी...और फिर उसके मुँह से अजीब आवाज़ें निकालने लगी, वो झड़ने वाली थी. और प्रताप भी नीचे से अपना लंड उसकी चूत में धकेल रहा था. तभी प्रताप के लंड का फव्वारा छ्छूट गया और उसने अपने पानी से ताज़ीन की चूत को भर दिया - उधर ताज़ीन भी शांत हो चुकी थी. उसकी चूत भी प्रताप के लंड को नहला चुकी थी.
अब ताज़ीन खड़ी हुई. प्रताप ने पहली बार उसे ऊपर से नीचे तक देखा. ताज़ीन ने झुक कर उसे चूम लिया. उसके होंठों को अपनी जीभ से चटा और मुस्कुरा कर बाहर निकल गई. प्रताप ने इधर उधर देखा शबाना भी कमरे में नहीं थी. बाथरूम से पानी की आवाज़ आ रही थी. शबाना नहा रही थी.
"क्यों प्रताप कैसी रही ?" "मज़ा आ गया, एक के साथ एक फ्री" प्रताप ने हंसते हुए कहा. शबाना भी मुस्कुरा दी.
ताज़ीन वहीं बैठी हुई थी, उसने चुटकी ली "साली तेरे तो मज़े हैं, प्रताप जैसा लंड मिल गया है चुदाई के लिए. मन तो करता है मैं भी यहीं रह जाऊं और रोज चुदाई करवाउ. बहुत दिनों के बाद कोई असली लंड मिला है". "अभी पंद्रह दिन और हैं ताज़ीन जितने चाहे मज़े लेले, फिर तो तुझे जाना ही है. हां कल तुम्हारे भैया आ जाएँगे तो थोड़ा सावधान रहना होगा."
तभी ताज़ीन ने कहा "प्रताप तुम्हारा कोई दोस्त है तो उसे भी ले आओ. दोनो तरफ दो-दो होंगे तो मज़ा भी ज़्यादा आएगा"
"यह क्या बक रही हो ताज़ीन तुम तो चली जाओगी मुझे तो यहीं रहना है, किसी को पता चल गया तो में तो गई काम से."
"आज तक किसी को पता चला क्या ? और प्रताप का दोस्त होगा तो भरोसेमंद ही होगा, उसपर तो भरोसा है ना तुम्हें ? और मुझे मौका है तो में दो तीन के साथ मज़े करना चाहती हूँ. प्लीज़ शबाना मान जाओ ना, मज़ा आएगा"
थोड़ी ना-नुकर के बाद शबाना मान गई.
प्रताप ने अपना फोन निकाला और उन लोंगों को फोन में अपने दोस्तों के साथ की कुच्छ तस्वीरें दिखाई. इरादा पक्का हुआ जगबीर सिंग पर. वो एक सरदार था, यह भी एक प्लस पॉइंट था. क्योंकि सरदार भरोसे के काबिल होते ही हैं. फिर उसकी खुद की भी शादी हो चुकी थी, तो वो किसी को क्यों बताने लगा, वो खुद मुसीबत में आ जाता अगर किसी को पता चल जाता तो.
"हाई जगबीर प्रताप बोल रहा हूँ" "बोल प्रताप आज कैसे याद कर लिया ?" एक रौबदार आवाज़ ने जवाब दिया.
इधर उधर की बातें करने के बाद प्रताप सीधे मुद्दे पर आ गया. "आज रात क्या कर रहा है ?" "कुच्छ नहीं यार बीवी तो मैके गई है, घर पर ही हूँ, पार्टी दे रहा है क्या ? "
"पार्टी ही समझ ले, शराब और शबाब दोनों की "
"यार तू तो जानता है में इन रंडियों के चक्कर में नहीं पड़ता, बीमारियाँ फैली हुई है"
"अबे रंडियों के पास तो में भी नहीं जाता, भाभी हैं. इंटेरेस्ट है तो बोल. वो आज रात घर पर अकेली हैं, उनके घर पर ही जाना है. बोल क्या बोलता है ?"
"नेकी और पूच्छ पूछ, बता कहाँ आना है"
प्रताप ने अड्रेस वग़ैरह कन्फर्म कर दिया.
रात के नौ बजे डोर बेल बजी. शबाना ने दरवाज़ा खोला, प्रताप और जगबीर ही थे. जगबीर के हाथ में एक बॉटल थी, विस्की की. शबाना ने दरवाज़ा बंद किया और दोनों को ड्रॉयिंग रूम में बैठा दिया. जगबीर ने शबाना को देखा तो देखता ही रह गया - उसने सारी पहन रखी थी.
तभी ताज़ीन भी बाहर आ गई, उसने मिनी स्कर्ट पहन रखी थी और शॉर्ट टी-शर्ट उसका जिस्म च्छूपा कम आंड दिखा ज़्यादा था. जगबीर फोटो में जितना दिख रहा था उससे कहीं ज़्यादा आकर्षक था. पक्का सरदार - कसरती बदन और पूरा मर्दाना था, काफ़ी बाल थे उसके शरीर पर. वहीं दूसरी ओर प्रताप भी बिकुल वैसा ही था - सिर्फ़ पगड़ी नहीं बँधी थी और क्लीन शेव था. कौन ज़्यादा आकर्षक है कहना मुश्किल था.
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