RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
सबाना और ताजीन की चुदाई -3
गतान्क से आगे............
उसने अब शबाना का मुँह अपने लंड पर से हटाया और उसे बेड पर लिटा दिया. फिर उसने शबाना के दोनों पैरों को पकड़ा और ऊपर उठा दिया. अब प्रताप ने उसकी दोनों जांघों को पकड़ कर फैलाया और उठा दिया. अब प्रताप का लंड उसकी चूत पर था और धीरे धीरे अपनी जगह बना रहा था. शबाना ने अपनी आँखें बंद की और लेट गई..यही अंदाज़ था उसका. आराम से लेटो और सेक्स मा मज़ा लो - जन्नत की सैर करो - लंड को खा जाओ - अपनी चूत में अंदर बाहर होते हुए लंड को अच्छि तरह महसूस करो - कुच्छ मत सोचो, दुनिया भुला दो - कुच्छ रहे दिमाग़ में तो सिर्फ़ सेक्स, लंड, चूत - और जोरदार ज़बरदस्त चुदाई. प्रताप की सबसे अच्छि बात यह थी कि वो जानता था कि कौनसी औरत कैसे चुदाई करवाना पसंद करती है..और उसके पास वो सबकुच्छ था जो किसी भी औरत को खुश कर सकता था.
अब उसकी चूत में लंड घुस चुका था. प्रताप ने धक्कों की शुरुआत कर दी थी. बिल्कुल धीरे धीरे. कुच्छ इस तरह की लंड की हर हरकत शबाना अच्छि तरह महसूस कर सके. लंड उसकी चूत के आखरी सिरे तक जाता और बहोत धीरे धीरे वापस उसकी चूत के मुँह तक आ जाता. जैसे की वो चूत में सैर कर रहा हो. हल्के हल्के धीरे धीरे. प्रताप को शबाना की चूत के भीतर का एक-एक हिस्सा महसूस हो रहा था. चूत का पानी, उसके भीतर की नर्म, मुलायम मांसपेशियाँ. और शबाना - वो तो बस अपनी आँखें बंद किए मज़े लूट रही थी, उसकी गंद ने भी अब ऊपर उठाना शुरू कर दिया था. यानी की अब शबाना को रफ़्तार चाहिए थी और अब प्रताप को अपनी स्पीड बढ़ाते जानी थी..और बिना रुके तब तक चोदना था जब तक कि शबाना की चूत उसके लंड को अपने रस में नहीं डूबा दे. प्रताप ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और अब वो तेज़ धक्के लगा रहा था. शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगी थी, उसके पैर सीधे हो रहे थे और अब उसने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और गंद उठा दी. इसका मतलब अब उसका काम होने वाला था. जब भी उसका स्खलन होने वाला होता था वो बिल्कुल मदमस्त होकर अपनी गंद उठा देती थी, जैसे वो लंड को खा जाना चाहती हो फिर जब उसकी चूत बरसात कर देती तो वो धम से बेड पर गंद पटक देती. आज भी ऐसा ही हुआ...शबाना बिल्कुल मदमस्त होकर पड़ी थी. उसकी चूत पानी छ्चोड़ चुकी थी. प्रताप को पता था, शबाना को पूरा मज़ा देने के लिए अपने लंड का सारा पानी उसकी चूत में अडेलना होगा..यानी अभी और एक बार चोदना होगा और अपने लंड के पानी में भिगो देना होगा, शबाना की चूत को.
प्रताप ने अपना लंड बाहर निकाला और बेड से नीचे आ गया, नीचे बैठ कर उसने शबाना की टाँगों को उठाया और उसकी चूत का पानी चाटने लगा. तभी प्रताप को अपने लंड पर गीलापन महसूस हुआ जैसे किसीने उसके लंड को मुँह में ले लिया हो. उसने चौंक कर नीचे देखा, जाने कब ताज़ीन कमरे में आ गई थी और उसने प्रताप का लंड मुँह में ले लिया था. ताज़ीन पूरी नंगी थी उसने कुच्छ नहीं पहन रखा था. प्रताप को कुच्छ समझ नहीं आ रहा था. शबाना तब तक बैठ चुकी थी और वो मुस्कुरा रही थी "आज तुम्हें इसे भी खुश करना है प्रताप, यह मेरी ननद है ताज़ीन".
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