RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
ताज़ीन ने अपना मुँह उठाया और शबाना की चड्डी को दोनों हाथों में पकड़ कर खींचने लगी, शबाना ने भी अपनी गांद उठा कर उसकी मदद की. फिर शबाना ने अपना गाउन भी उतार फेंका और ताज़ीन से लिपट गई. ताज़ीन ने भी अपनी पॅंटी उतारी और अब दोनों बिल्कुल नंगी एक दूसरे के होंठ चूस रही थी. दोनों के मम्मे एक दूसरे से उलझ रहे थे, ताज़ीन अपनी कमर को झटका देकर शबाना की चूत पर अपनी चूत लगा रही थी, जैसे की उसे चोद रही हो. शबाना भी सेक्स के नशे में चूर हो चुकी थी और उसने ताज़ीन की चूत में एक उंगली घुसा दी. अब ताज़ीन ने शबाना को नीचे गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई. ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को चूसना शुरू किया, उसके हाथ शबाना के जिस्म से खेल रहे थे. शबाना अपने मम्मे चुसवाने के बाद ताज़ीन के ऊपर आ गयी और नीचे उतरती चली गई, ताज़ीन के मुम्मों को चूस्कर उसकी नाभि से होते हुए उसकी जीभ ताज़ीन की चूत में घुस गई. ताज़ीन भी अपनी गांद उठा उठा कर शबाना का साथ दे रही थी. काफ़ी देर तक ताज़ीन की चूत चूसने के बाद शबाना ताज़ीन के पास आ कर लेट गई और उसके होंठ चूसने लगी अब ताज़ीन ने शबाना के मम्मों को दबाया और उन्हें अपने मुँह में ले लिया - ताज़ीन का एक हाथ शबाना के मम्मों पर और दूसरा उसकी चूत पर था. उसकी उंगलियाँ शबाना की चूत के अंदर खलबली मचा रही थी, शबाना एकदम निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी और उसके मुँह से अजीब अजीब आवाज़ें आने लगी. तभी ताज़ीन नीचे की तरफ गई और शबाना की चूत को चूसना शुरू कर दिया, अपने दोनों हाथों से उसने चूत को फैलाया और उसमें दिख रहे दाने को मुँह में ले लिया और उसपर जीभ रगड़ रगड़ कर चूसने लगी. शबाना तो जैसे पागल हो रही थी, उसकी गांद ज़ोर ज़ोर से ऊपर उठाती और एक आवाज़ के साथ बेड पर गिर जाती, जैसे की वो अपनी गांद को बिस्तर पर पटक रही हो. फिर उसने अचानक ताज़ीन के सिर को पकड़ा और अपनी चूत में और अंदर धकेल दिया, उसकी गांद जैसे हवा में तार रही थी और ताज़ीन लगभग बैठी हुई उसकी चूत खा रही थी - वो समझ गई अब शबाना झड़ने वाली है और उसने तेज़ी से अपना मुँह निकाला और दो उंगलियाँ शबाना की चूत के एकदम भीतर तक घुसेड दी, उंगलियों के दो तीन ज़बरदस्त झटकों के बाद शबाना की चूत से जैसे पर्नाला बह निकला. पूरा बिस्तर उसके पानी से गीला हो गया. फिर ताज़ीन ने अपनी चूत को शबाना की चूत पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी, जैसे की वो शबाना को चोद रही हो. दोनों की चूत एक दूसरे से रगड़ रही थी और ताज़ीन शबाना के ऊपर चढ़ कर उसकी चुदाई कर रही थी, शबाना का भी बुरा हाल था और वो अपनी गंद उठा उठा कर ताज़ीन का सहयोग कर रही थी. तभी ताज़ीन ने ज़ोर से आवाज़ निकाली और शबाना की चूत पर दबाव बढ़ा दिया - फिर तीन चार ज़ोरदार भारी भरकम धक्के देकर वो शांत हो गयी. उसकी चूत का सारा पानी अब शबाना की चूत को नहला रहा था.
फिर दोनों उसी हालत में सो गये.
अगले दिन शबाना और ताज़ीन नाश्ते के बाद बातें करने लगे. "भाभी सच कहूँ तो बहोत मज़ा आया कल रात" "मुझे भी" "लेकिन अगर असली चीज़ मिलती तो शायद और भी मज़ा आता" "क्यों दीदी, जीजाजी को बुलायें ?" आँख मारते हुए कहा शबाना ने. "उनको छ्चोड़ो, उन्हें तो महीने में एक बार जोश आता है और वो भी मेरे ठंडे होने से पहले बह जाता है. और जहाँ तक में परवेज़ को जानती हूँ, वो किसी औरत को खुश नहीं कर सकता. तुमने भी तो इंतज़ाम किया होगा अपने लिए" यह सुनकर शबाना चौंक गई, लेकिन कुच्छ कहा नहीं.
ताज़ीन ने चुप्पी तोड़ी "भाभी, अगर आपकी पहचान का कोई है तो उसे बुलाए ना." सुनकर शबाना मन ही मन खुश हो गई. "ठीक है में बुलाती हूँ, लेकिन तुम छुप कर देखना फिर मौका देख कर आ जाना"
शबाना के दरवाज़ा खोलते ही प्रताप उसपर टूट पड़ा. उसने शबाना को गोद में उठाया और उसके होंठों को चूस्ते हुए उसे बिस्तर पर ले गया. शबाना ने सिर्फ़ गाउन पहन रखा था. वो प्रताप का ही इंतेज़ार रही थी और पिच्छले पंद्रह दिनों से सेक्स ना करने की वजह से जल्दी में भी थी..चुदाई करवाने की जल्दी.
प्रताप ने उसे बिस्तर पर लिटाया और सीधे उसके गाउन में घुस गया, नीचे से. अब शबाना आहें भर रही थी..उसकी चूत पर जैसे चींटियाँ चल रही हो...उसे अपना गाउन उठा हुआ दिख रहा था और वो प्रताप के सर और हाथों के हिसाब से उपर नीचे हो रहा था. प्रताप ने उसकी चूत को अपने मुँह में दबा रखा था और उसकी जीभ ने जैसे शबाना की चूत में घमासान मचा दिया था. एकाएक शाना की गंद ऊपर उठ गई, और उसने अपने गाउन को खींचा और अपने सर पर से उसे निकाल कर फर्श पर फेंक दिया. उसके पैर अब भी बेड से नीच लटक रहे थे और प्रताप बेड से नीचे बैठा हुआ उसकी चूत खा रहा था... शबाना उठा कर बैठ गई और प्रताप ने अब उसकी चूत में उंगली घुसाइ - जैसे वो शबाना की चूत को खाली रहने ही नहीं देना चाहता था. और शबाना के मम्मों को बेतहसह चूमने और चूसने लगा. शबाना की आँखें बंद थी और वो मज़े ले रही थी..उसकी गंद रह रह कर हिल जाती जैसे प्रताप की उंगली को अपनी चूत से खा जाना चाहती थी.
फिर उसने प्रताप के मुँह को उपर उठाया और अपने होंठ प्रताप के होंठों पर रख दिए. उसे प्रताप के मुँह का स्वाद बहोत अच्छा लग रहा था. उसकी जीभ को अपने मुँह में दबाकर वो उसे चूसे जा रही थी. प्रताप खड़ा हो गया. अब शबाना की बारी थी, उसने बेड पर बैठे हुए ही प्रताप की बेल्ट उतारी, प्रताप की पॅंट पर उसके लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. शबाना ने उस उभार को मुँह में ले लिया और पॅंट की हुक खोल दी, फिर जैसे ही ज़िप खोली प्रताप की पॅंट सीधे ज़मीन पर आ गिरी जिसे प्रताप ने अपने पैरों से निकाल कर दूर धकेल दिया. प्रताप ने वी कट वाली अंडरवेर पहन रखी थी. शबाना ने अंडरवेर नहीं निकाली, उसने प्रताप की अंडरवेर के साइड में से अंदर हाथ डाल कर उसके लंड को अंडरवेर के बाहर खींच लिया. फिर उसने हमेशा की तरह अपनी आँखें बंद की और लंड को अपने चेहरे पर सब जगह घुमाया फिराया और उसे अच्छि तरह अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने लगी. उसे प्रताप के लंड की महक मादक कर रही थी और वो मदहोश हुए जा रही थी. उसके चेहरे पर सब जगह प्रताप के लंड से निकल रहा "प्रेकुं" (पानी) लग रहा था. शबाना को ऐसा करना अच्च्छा लगता था. फिर उसने अपना मुँह खोला और लंड को अंदर ले लिया. फिर बाहर निकाला और अपने चेहरे पर एकबार फिर उसे घुमाया. शबाना ने अपने मुँह में काफ़ी थूक भर लिया था, और फिर उसने लंड के सुपरे पर से चमड़ी पीछे की और उसे मुँह में ले लिया. प्रताप का लंड शबाना के मुँह में था और शबाना अपनी जीभ में लपेट लपेट कर उसे चूसे जा रही थी...ऊपर से नीचे तक, सुपरे से जड़ तक..उसके होंठों से लेकर गले तक सिर्फ़ एक ही चीज़ थी, लंड. और वो मस्त हो चुकी थी..उसके एक हाथ की उंगलियाँ उसकी चूत पर थिरक रही थी और दूसरा हाथ प्रताप के लंड को पकड़ कर उसे मुँह में खींच रहा था. फिर शबाना ने प्रताप की गोटियों को खींचा, जो कि अंदर घुस गई थी एक्सेयैटमेंट की वजह से. आह गोतिया बाहर आ गई थी और शबाना ने अपने मुँह से लंड को निकाला और उसे ऊपर कर दिया. फिर प्रताप की गोटियों को मुँह में लिया और बेतहाशा चूसने लगी. प्रताप की सिसकारिया पूरे कमरे में गूँज रही थी और अब उसके लंड को घुसना था, शबाना की चूत में. दोस्तो कैसी लग रही है कहानी आप सबको ज़रूर बताना आगे की कहानी जानने के लिए इस कहानी अगले पार्ट ज़रूर पढ़े आपका दोस्त राज शर्मा क्रमशः................
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