RE: Muslim Chudai Kahani सबाना और ताजीन की चुदाई
उसने नीचे उतरकर रोड क्रॉस की और रिक्क्षा पकड़ ली. ऐसा मज़ा ज़िंदगी में पहली बार आया था. वो बार बार अपना हाथ देख रही थी, उसकी मुट्ठी बनाकर प्रताप के लंड के बारे में सोच रही थी. उसने घर से थोड़ी दूर ही रिक्क्षा छ्चोड़ दिया ताकि किसी को पता ना चले कि वो रिक्कशे से आई है. वो पैदल चलकर अपने मकान में पहुँची और ताला खोलकर अंदर चली गई.
अभी उसने दरवाज़ा बंद किया ही था कि घंटी की आवाज़ सुनकर उसने फिर दरवाज़ा खोला. सामने प्रताप खड़ा था. वो समझ गई की प्रताप उसका पीछा कर रहा था, इस डर से की कोई और ना देख ले उसने प्रताप का हाथ पकड़ कर उसे अंदर खींच लिया. दरवाज़ा बंद करके उसने प्रताप की तरफ देखा, वो हैरान थी प्रताप कि इस हरकत से. "क्यों आए हो यहाँ ?" "यह तो तुम अच्छि तरह जानती हो." "देखो कोई आ जाएगा" "कोई आनेवाला होता तो तुम इस तरह बस में मज़े लेने के लिए नहीं घूम रही होती". "में तुम्हें जानती भी नहीं हूँ" "मेरा नाम प्रताप है, अपना नाम तो बताओ" "मेरा नाम शबाना है, अब तुम जाओ यहाँ से". बातें करते करते प्रताप शबाना के जिस्म पर हाथ फिरा रहा था. प्रताप के हाथ उसकी चुचियो से लेकर उसकी कमर और पेट और जांघों को सहला रहे थे. शबाना बार बार उसका हाथ झटक रही थी और प्रताप बार बार उन्हें फिर शबाना के जिस्म पर रख रहा था. लेकिन प्रताप समझ गया था कि शबाना की ना में हां है
अब प्रताप ने शबाना को अपनी बाहों भर लिया और बुर्क़े से झाँकति आँखों पर चुंबन जड़ दिया. शबाना की आँखें बंद हो गई और उसके हाथ अपने आप प्रताप के कंधों पर पहुँच गये. प्रताप ने उसके बुर्क़े को उठाया, जैसे कोई घूँघट उठा रहा हो. चेहरा देखकर प्रताप को अपनी किस्मत पर भरोसा नहीं हो रहा था. गजब की खूबसूरत थी शबाना - गुलाबी रंग के पतले होंठ, बड़ी आँखें, गोरा चिटा रंग और होंठों के ठीक नीचे दाईं तरफ एक छ्होटा सा तिल. प्रताप ने अब धीरे धीरे उसके गालों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया. शबाना ने आँखें बंद कर ली और प्रताप उसे चूमे जा रहा था. उसके गालों को चाट रहा था, उसके होंठों को चूस रहा था. अब शबाना भी अच्च्छा साथ दे रही थी और उसकी जीभ प्रताप की जीभ से कुश्ती कर रही थी. प्रताप ने हाथ नीचे किया और उसके बुर्क़े को उठा दिया, शबाना ने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए और प्रताप ने बुर्क़ा उतार फेंका. प्रताप शबाना को देखता रह गया, इतना शानदार जिस्म जैसे किसीने ने तराश कर बनाया हो.
"दरवाज़े पर ही करना है सबकुच्छ ?" - प्रताप मुस्कुरा दिया और उसने शबाना को अपनी बाहों में उठा लिया और गोद में लेकर बिस्तर की तरफ चल पड़ा. उसने शबाना को बेड के पास ले जाकर गोद से उतार दिया और बाहों में भर लिया. शबाना की ब्रा खोलते ही जैसे दो परिंदे पिंजरे से छ्छूट कर उड़े हों. बड़े बड़े मम्मे और उनपर छ्होटी छ्होटी गुलाबी चुचियाँ और उठे हुए निपल्स. प्रताप तो देखता ही रह गया, जैसे की हर कपड़ा उतरने के बाद कोई ख़ज़ाना सामने आ रहा था. प्रताप ने अपना मुँह नीचे लिया और शबाना की चूचियों को चूसता चला गया और चूस्ते हुए ही उसने शबाना को बिस्तर पर लिटा दिया. शबाना के मुँह से सिसकारिया निकल रही थी और वो प्रताप के बालों में हाथ फिरा रही थी, उसे दबा रही थी और अपनी चूचियों को उसके मुँह में धकेल रही थी. शबाना मस्त हो चुकी थी. अब प्रताप उसके पेट को चूस रहा था और प्रताप का हाथ शबाना की चड्डी पर से उसकी चूत की मसाज कर रहा था. शबाना मस्त हो चुकी थी, उसकी चूत की लंड की प्यास उसे मदहोश कर रही थी. उसकी सिसकारियाँ बंद नहीं हो रही थी और टाँगें अपनेआप फैलकर लंड को चूत में घुसने का निमंत्रण दे रही थी. प्रताप उसके पेट को चूमते हुए उसकी जांघों के बीच पहुँच चुका था. शबाना बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी टाँगें बेड से नीचे लटक रही थी. प्रताप उसके पैरों के बीच से होता हुआ बेड के नीचे बैठ गया और शबाना के पैर फैला दिए. वो शबाना की गोरी गोरी, गदराई हुई भारी भारी सुडौल जांघों को बेतहाशा चूम रहा था और उसकी उंगलिया चड्डी पर से उसकी चूत सहला रही थी. प्रताप के नथुनो में शबाना की चूत से रिस्ते हुए पानी की खुश्बू आ रही थी और वो मदहोश हो रहा था. शबाना पर तो जैसे नशा चढ़ गया था और वो अपनी गांद उठा उठा कर अपनी चूत को प्रताप की उंगलियों पर रगड़ रही थी.
|