Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:32 PM,
#88
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
मधु और रूबी मैडम

मैं बोला- आप बेफिक्र रहिये यह सब हो जाएगा। अब आप कपड़े पहन लीजिये वापस चलते हैं!
मैडम बोली- सोमू यार, तुमने यह कहानी सुना कर मुझको फिर गर्म कर दिया है… एक बार और चोद दो मुझे प्लीज?
मैडम ने मेरे लंड को पकड़ रखा था और वो उसके संग खेल भी रही थी।
मैंने फिर से मैडम के गोरे शरीर को चूमना और चाटना शुरू कर दिया, उसके उरोजों के चूचुक एकदम सख्त हो रहे थे, उनको चूसना शुरू कर दिया और एक ऊँगली से मैडम की चूत में भग को सहलाना शुरू कर दिया।
मैडम भग की छेड़ा छाड़ी से बड़ी जल्दी उत्तेजित हो जाती थी, मैंने झुक कर उसकी चूत में स्थित भग को अपने मुंह में ले लिया और उसको हल्के हल्के चूसने लगा। 
मैडम की उत्तेजना धीरे धीरे बढ़ने लगी और वो अपने चूतड़ो को उठा कर मेरी ऊँगली का स्वागत कर रही थी, उसने मेरे लंड को खींचना आरम्भ कर दिया तो मैंने मैडम को घोड़ी बना कर उसकी उबलती हुई चूत में अपना लंड डाल दिया और बड़ी तेज़ी से चोदने लगा।
मैडम तो मेरी बिमारी का सुन कर इतनी खुश हुई थी कि वो कोई भी मौका मुझसे चुदवाये बगैर नहीं छोड़ना चाहती थी।
मेरी चुदाई की स्पीड इतनी तेज़ हो गई थी कि मैडम को अपने चूतड़ों की आगे पीछे करने की हरकत बंद करनी पड़ी और वो सांस रोक कर मेरी तेज़ चुदाई का आनन्द लेने लगी और जैसा कि मुझको यकीन था, मैडम भी जल्दी ही स्पीडी चुदाई के सामने अपने घुटने टेकने में ज़्यादा समय नहीं लगा पाई, थोड़ी देर में मैडम ने अपनी चूत से निकलने वाले क्रीम भरे रस से मेरे लौड़े को एकदम नहला दिया और स्वयं कुछ कांपती हुई बिस्तर में लेट गई लेकिन मैंने भी अपना लौड़ा नहीं निकाला जब तक मैडम ने नहीं कहा- बस कर यार सोमू!
मैं भी मैडम के साथ लेट गया और उसकी गीली चूत में ऊँगली डाल कर उसके काली गीली लटों के साथ खेलता रहा।
अबकी बार मैडम को नींद की झपकी सी लग गई और मैं वहाँ से उठ कर सारी कॉटेज में घूमने लगा।

जैसे कि मधु मैडम कह रही थी कि डांस करने वाली दस लड़कियाँ आ रही हैं लेकिन हमारे पास तो सिर्फ 5 कमरे थे जिन में पलंग बिछे हुए थे तो इन लड़कियों को कमरे शेयर करने पड़ेंगे और बाकी मधु मैडम और अन्य कर्मी जो शूटिंग के लिए आ रहे थे, उनके सोने का इंतज़ाम तो करना पड़ेगा ना!
जब मैं वापस कमरे में पहुँचा तो मैडम अपने कपड़े पहन कर तैयार हो चुकी थी लेकिन जैसे ही उसने मेरे नंगे शरीर को देखा, वो जल्दी से आई, झुक कर मेरे लंड को मुंह में ले लिया और मेरे गोल सॉलिड चूतड़ों के साथ खेलने लगी।
बड़ी मुश्किल से मैंने अपने को मैडम के पंजों से छुड़ाया।
अब मैंने मधु मैडम से पूछा- आपकी डांस वाली लड़कियाँ कहाँ सोयेंगी?
मैडम बोली- कॉटेज में 5 बैडरूम हैं ना, दो दो एक कमरे में आ जाएंगी और आराम से रह सकती है न सब.. अब रह गई उनके खाने और नाश्ते इत्यादि की व्यस्था, वो तुमको करनी है ना?
मैं बोला- वो आपके साथ आई जो दूसरी लेडी, वो क्या करेगी?
मधु मैडम बोली- वो मेरी असिस्टेंट है और वो लड़कियों से डांस करवाएगी।
मैं बोला- चलिए फिर हवेली चलते है बाकी लोग वहीं हैं ना।
मधु मैडम बोली- चलते है सोमू यार, इतनी भी क्या जल्दी है लेकिन आज तुम ने मेरी अन्तर्वासना काफी शांत कर दी।
और उसने आगे बढ़ कर फिर मुझको बाहों में ले कर चुम्मी कर दी होटों पर!
मैं बोला- मैडम चलिए ना, वो सब आपका इंतज़ार कर रहे होंगे।
हम दोनों कार में बैठ कर हवेली वापस आ गए, वहाँ बाकी सब लोग भी बैठे थे।
मैडम बोली- मैं जगह देख आई हूँ, लड़कियों के लिए तो अच्छी जगह है, वो दस तो वहाँ टिक जाएँगी लेकिन हम कहाँ रहेंगी? यानि मैं और मेरी असिस्टेंट रूबी?
वो जो बुजुर्ग सज्जन थे वो बोले- क्यों वहाँ आप दोनों के लिए कमरे नहीं हैं क्या?
मैडम बोली- नहीं, वहाँ और जगह नहीं है।
मम्मी जो वहीं बैठी थी, बोली- क्यों ठाकुर साहब, इन दो को हम अपनी हवेली में ठहरा लेते हैं जब तक यह यहाँ हैं? वो सोमू के साथ वाला बैडरूम तो खाली पड़ा है, ये दोनों उस कमरे में रह सकती हैं।
पापा बोले- हाँ, यही ठीक रहेगा अगर आप लोगों को कोई ऐतराज़ ना हो तो?
बु्जुर्ग सज्जन बोले- आप लोगों के रहने की समस्या तो हल हो गई, बाकी जो शूटिंग स्टाफ है वो तो गाँव में एडजस्ट हो ही गया है। बाकी रहा इन सबका खाने पीने का प्रबंध, वो ठाकुर साहिब कुछ आप मदद कर दें तो वो भी निपट जाएगा।
पापा बोले- पंचोली साहिब, हम क्या मदद कर सकते हैं?
सज्जन बोले- जैसे बर्तनों का इंतज़ाम, खाद्य सामग्री और भोजन बनाने का उचित स्थान जिस के लिए हम पूरा खर्चा देने के लिए तैयार हैं।
पापा बोले- क्यों सोमू, कुछ कर सकते हो इस बारे में?
मैं कुछ देर सोचने के बाद बोला- मेरे विचार में खाना बनाने का उचित स्थान तो कॉटेज है. वहाँ हम बावर्ची, बर्तन धोने वालों का इंतज़ाम कर देंगे और खाद्य सामग्री यहाँ दुकान से खरीद ली जायेगी इनके आदमियों के साथ जाकर!
पापा बोले- यह ठीक रहेगा क्यूंकि आपका यूनिट तो सारा काम नदी के किनारे करने वाला है और कॉटेज नदी के एकदम निकट है।
मैं बोला- मम्मी जी, अब रहा काम करने वालों का इंतज़ाम, तो मेरा यह सुझाव है कि इस काम की हैड अपनी मेड कम्मो को बना देते हैं, वो सारा इंतज़ाम देख लेगी।
मम्मी बोली- वेरी गुड सोमू, तुमने तो बिल्कुल सही आदमी का चुनाव किया इस काम के लिए… मैं अभी बुलाती हूँ उसको!
कम्मो के आने पर सारा काम उसको मधु मैडम ने समझा दिया और यह भी कहा कि आपको और आपके साथ काम करने वालों को सही मेहनताना भी दिया जाएगा।
इसके बाद सबने लंच किया साथ साथ और वो सज्जन जो फिल्म के निर्माता और जिनका नाम पंचोली था अपनी कार में वापस शहर चले गए और दूसरी कार स्टाफ के लिए वहीं छोड़ गए।
कम्मो दोनों मैडमों को लेकर उनका कमरा दिखा आई और कहा कि जो चीज़ आपको चाहिए तो यह बेल बजा दें तो नौकर आ जाएंगे।
अब मैं और कम्मो मेरे कमरे में इकट्ठे हुए और सबसे पहले मैंने कम्मो को एक ज़ोरदार जफ्फी मारी और एक जोरदार चुम्मी की उसके लबों पर, फिर उसको कॉटेज का किस्सा सुनाया और फिर हम दोनों डांस डायरेक्टर्स के कमरे में गए।
वो दोनों अपना सामान लगाने में व्यस्त थी, मधु मैडम ने अपनी सहायक रूबी से मुझको और कम्मो को मिलवाया।
रूबी होगी कोई 25-26 वर्ष की आयु लेकिन वो देखने में काफी सुडौल और सुंदर लग रही थी लेकिन मधु मैडम का मुकाबला नहीं कर सकती थी।
मैं कम्मो को लेकर अपने कमरे में आ गया और दरवाज़ा बंद कर दिया और फिर कम्मो को ज़ोरदार जफ़्फ़ी मार कर उसके चूचों और चूतड़ों को भी सहला दिया थोड़ी देर!
मैं बोला- अच्छा कम्मो, अब बताओ कैसे करोगी तुम यह सब इंतज़ाम? पहले करो खाना बनाने वालों का चुनाव! पर्बती तो कहीं जा नहीं सकती और तुमको अच्छी खाना बनानी वाली सब गाँव से चुननी होंगी? तुम फुलवा, चंपा, बिंदु, चंदा इत्यादि को अभी जा कर मिलो और फिर वो जूही दुल्हनिया और वो काली सुंदरी को भी पूछो… ठीक है ना? इन में से जो खाना इत्यादि शहर वालों की माफिक बनाना जानता हो उसको लेकर कॉटेज में आ जाओ। फिर इनके साथ जो लड़की या औरत बर्तन धोने या खाना वगैरह बांटने के काम करना चाहे उसको ले आओ और कुछ आदमी भी ले आओ जो भारी सामान इत्यादि उठाने में मदद करेंगे। कम्मो तुम निम्मो को साथ लेकर फ़ौरन जाओ और रास्ते में बनिये की दुकान पर उसको बोल देना कि फिल्म वालों को काफी खाने पीने का सामान चाहिए होगा, तो वो मंगवा के रखे।
वो दोनों जाने लगी तो मैंने कहा- नीचे कार खड़ी है, उसको लेकर जाओ और सारा इंतज़ाम करके आओ ।
मैंने खुद जाकर उनको कार में बिठा दिया और सारा इंतज़ाम पूरा करके आने के लिए कहा।
थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं कॉटेज अपनी बाइक पर पहुँच गया।
अंदर गया तो देखा कि कम्मो एंड पार्टी और उसके गाँव वाली लड़कियाँ और औरतें आई हुई थी। कम्मो ने सब कुछ बताया कि कौन क्या करेगा, फुलवा और चंपा खाना बनाने का काम करेंगी, जूही दुल्हन और उसकी दो सहेलियाँ चाय वगैरह बनाएंगी और समय समय पर परोसने का काम करेंगी। 3 औरतें जो बर्तन साफ़ करेंगी वो भी आ गई थी।
बर्तन लाने के लिए दो आदमी भेज दिए गए थे, कम्मो और उसकी काम करने वालियाँ, सब के नाम एक रजिस्टर में लिख दिए गए और कौन क्या काम करेगा यह भी तय कर दिया गया था।
आखिर में मेरी नज़र उस काले हीरे पर पड़ी जो लाइन के आखिर में बैठी हुई थी।
कम्मो ने मुझ को बताया कि उस औरत का नाम सांवली है और वो खाना मेहमानो में उनके निर्धारित टेबलों पर रखने का काम और खाली प्लेटों को किचन तक पहुंचाने का काम करेगी।
जल्दी ही सब कुछ सेट हो गया और थोड़ी देर में पंचोली साहिब शहर से वापिस आ गए और सबसे पैसों के बारे में बात कर ली और पैसों का काम उन्होंने रूबी मैडम को दे दिया और कहा कि वही पैसों का हिसाब और लेन देन वही करेगी। 
अब मैंने गौर से सबको देखा तो गाँव वाली लड़कियाँ और औरतों में मेरे मतलब की सिर्फ 3-4 थीं बाकी तो ख़ास नहीं थी।
मैंने देखा कि रूबी मैडम मुझ को बार बार देख रही थी छुपी नज़रों से तो अब मैं भी उसको आँखों ही आँखों से देखने लगा।
कुछ देर इस तरह चला और फिर जब मधु मैडम घर चली गई तो मैं और रूबी ही रह गई बाकी सब जन तो बाहर बैठे इंतज़ाम की बातें कर रहे थे।
फिर जब इस गहमागहमी में मेरी और कम्मो की नज़रें चार हुई थी तो मैंने आँखों से उसको इशारा कर दिया रूबी की तरफ और कम्मो ने भी हामी में हल्के से सर हिला दिया।
मैं बैठा था मौके के इंतज़ार में और तभी रूबी उठ कर आई और मुझ को कहने लगी- सोमू जी, मुझ को ज़रा इस कॉटेज की सैर तो करवा दीजिये प्लीज।
मैं बोला- ज़रूर करवा देता हूँ।
मैंने रूबी को कॉटेज के सारे कमरे दिखाए और आखिरी कमरा भी दिखाया जहाँ आज मैंने और मधु मैडम ने चुदाई की थी। कमरे को दुबारा साफ़ नहीं किया गया था तो मधु मैडम के छूटे हुए पानी के निशान दिखाई दे रहे थे बेड पर और उनको देख कर रूबी रुक गई और मुझसे पूछने लगी- यह क्या है?
मैंने भी शरारत के मूड में पूछा- आप बताओ कि ये काहे के निशान हैं?
रूबी थोड़ी देर उसको देखती रही फिर उसने ऊँगली लगा कर उन को सूंघा और फिर थोड़ा शर्माते हुए कहा- उसी के हैं।
मैंने भी खुल कर पूछा- उसी के? खुल कर बताइए ना प्लीज।
अब रूबी शर्म से एकदम लाल हो गई और मुंह एकदम नीच करते हुए बोली- फक करने के निशान हैं शायद ये!
मैं हैरान होते हुए बोला- अरे, एकदम सही जवाब है आपका लेकिन आपने कैसे समझ लिया यह सब?
अब रूबी ने सर उठा कर मेरी और देखा और कहा- मधु मैडम ने मुझ को सब कुछ बता दिया है।
मैं बोला- चलो अच्छा हुआ तो क्या आप भी वही चाहती हो एक डीप फक?
रूबी बोली- चाहती तो हूँ अगर तुम बुरा ना मानो तो?
मैं बोला- मैं क्यों बुरा मानूंगा रूबी जी? वैसे आप कहाँ की रहने वाली हैं?
रूबी बोली- मैं मराठी हूँ और अभी शादी नहीं हुई है।
मैं बोला- ग्रेट। आप क्या अभी चुदना चाहती हैं या फिर रात को?
रूबी बोली- रात को कैसे होगा? हवेली में?
मैं बोला- मेरा कमरा आप के कमरे के साथ ही है, रात को आप मेरे कमरे में आ जाएँ, कोई प्रॉब्लम नहीं हैं लेकिन मैं आपको फक एक शर्त पर ही कर सकता हूँ?
रूबी बोली- क्या शर्त है तुम्हारी सोमू?
मैं बोला- कल जो डांस करने आने वाली लड़कियाँ हैं उनकी भी मुझको दिलानी होगी बारी बारी। बोलो मंज़ूर है क्या?
रूबी हंस पड़ी और बोली- सोमू यार तुम बिलकुल निश्चिंत रहो, अगर उनको पता लग गया कि तुम बड़े चोदू हो तो वो सब तुमको कभी नहीं छोड़ेंगी?
मैं बोला- अच्छा ऐसी हैं क्या वो सब? एकदम चुदक्कड़ क्या?
रूबी बोली- फिल्म लाइन में यह सब चलता है, वो कोई भी मौका नहीं छोड़ेंगी अपना मज़ा लेने में, तो तुम बेफिक्र रहो। वो सब तुमको अपने आप बुलाएंगी।
अब मैंने आगे बढ़ कर रूबी मैडम को एक टाइट जफ्फी मार दी और उसके होटों पर एक गर्म चुम्मी जड़ दी।
उसने मेरे पैंट के बटन खोलने शुरू कर दिए और मेरे लौड़े को बाहर निकाल लिया और उसको बड़ी हैरत से देखने लगी क्यूंकि वो एकदम से सख्त खड़ा था और वो उसको हाथों में लेकर सहलाने लगी।
रूबी ने सलवार सूट पहन रखा था, मैंने सिर्फ उसकी सलवार नीचे को की और उसको बेड पर थोड़ा झुका कर पीछे से उसकी गीली चूत में अपना खड़ा लंड डाल दिया, उसकी कमीज के ऊपर से ही उसके मोटे स्तनों को मसलने लगा और धीरे धीरे से नीचे से धक्के भी मारने लगा, पूरा निकाल कर पूरा अंदर डालने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी।
रूबी अब खुद भी अपने चूतड़ को आगे पीछे करने लगी और आँखें बंद करके मस्ती करने लगी।
मैं रूबी के मुलायम चूतड़ों पर हाथ फेर रहा था और मज़े से उसको चोद रहा था कि कमरे का दरवाज़ा एकदम से खुल गया और कम्मो कमरे के अंदर आ गई और दरवाज़ा फिर बंद कर दिया।
कम्मो को देख कर रूबी एकदम से सकपका गई और मुझको हटाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने रूबी के चूतड़ों को कड़े हाथों से पकड़ रखा था तो मैं बिना रुके पीछे से रूबी की सफाचट चूत में धक्के मारता रहा।
कम्मो भी मुस्करा कर बोली- कोई बात नहीं रूबी मैडम, आप दोनों लगे रहो, मैं आपको डिस्टर्ब नहीं करूंगी।
और वो हम दोनों के और पास आकर मेरे मुंह से अपना मुंह जोड़ कर चुम्बन करने लगी।
कम्मो ने एक हाथ रूबी की चूत में डाल दिया और उसके भग को ढून्ढ कर मसलने लगी।
जैसे ही कम्मो ने ऐसा किया रूबी एकदम से दहकने लगी और जल्दी ही छूटने वाली हो गई और अब मैंने अपने लंड लाल की तेज़ी दिखानी शुरू की, सरपट घोड़े को भगाते हुए उसको चोदने लगा और चंद मिनटों में रूबी ‘हाय हाय मी जातोस मी जातोस रे…’ कहते हुए ढेर हो गई।
मैंने अपना लंड रूबी की फड़कती चूत से निकाला और कम्मो ने उसको तौलिये से साफ़ कर दिया और रूबी की चूत को भी साफ़ कर दिया।

मैडमों की खुले में चूत चुदाई



सरपट घोड़े को भगाते हुए उसको चोदने लगा और चंद मिनटों में रूबी ‘हाय हाय मी जातोस मी जातोस रे…’ कहते हुए ढेर हो गई।
मैंने अपना लंड रूबी की फड़कती चूत से निकाला और कम्मो ने उसको तौलिये से साफ़ कर दिया और रूबी की चूत को भी साफ़ कर दिया।
शाम की चाय हम सबने बैठक में पी और वहीं बैठ कर सारे इंतज़ामों के बारे में चर्चा भी की मधु और रूबी मैडम से।
रात के खाने के बाद मैं दोनों मैडमों को हवेली के बगीचे में घुमाने ले गया, दोनों मेरी साइड में चल रही थी और दोनों ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था, दोनों ही कोशिश कर रही थी कि उनके सॉलिड चूचे मेरे बाजुओं से टकरा जाएँ और मेरे हाथ अक्सर उनके गोल और मोटे चूतड़ों के ऊपर से बार बार फिसल जाते थे।
एक अँधेरे स्थान पर मैंने पहले मधु मैडम और फिर रूबी दोनों का मुंह अपनी तरफ करके उनके लबों पर एक गर्म चुम्बन दे दिया।
मधु मैडम बोली- सोमू यार, मैंने कभी खुले में नहीं किया सेक्स। क्या यहाँ लॉन में पॉसिबल है यह सब?
रूबी मैडम भी बोली- हाँ हाँ, मैंने भी कभी नहीं फक करवाया खुले में यानि पब्लिक प्लेस में!
मैं बोला- पॉसिबल तो है लेकिन उसके लिए थोड़ा मन पक्का रखना होगा। वैसे यह लॉन तो बहुत सेफ है क्योंकि हवेली के गेट पर तो चौकीदार होता है, वो किसी को अंदर नहीं आने देगा लेकिन आपका नाज़ुक जिस्म में घास वगैरह चुभ सकता है, इसका ध्यान रखना पड़ेगा आप दोनों को!
मधु और रूबी एकदम बोल पड़ी- हमें तो कोई फर्क नहीं पड़ता।
मैं बोला- तो चलिए फिर मेरे साथ, बिल्कुल सेफ जगह है जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ सकती।
और मैं उनकी कमर में अपने दोनों हाथ डाले चल पड़ा और रास्ते में उनके गोल चूतड़ों को भी सहलाता जाता था। उन दोनों ने भी मेरे लंड को पैंट के ऊपर से अपने हाथों से सहलाना शुरु कर दिया था।
चलते चलते हम एक ऐसी जगह पहुँच गए जहाँ घर में जल रही लाइट का कोई असर नहीं पड़ रहा था और जो घने पेड़ों के झुरमुट में छुपी हुई थी।
मैंने दोनों मैडम से कहा- कैसी है यह जगह?
दोनों ने घूम घूम कर देखा और मुलायम घास को परखा और फिर बोली- हाँ, यह ठीक जगह है और नीचे घास भी काफी सॉफ्ट है।
मुझको घेर लिया उन दोनों ने और मुझको लबों पर एक के बाद बड़ी कामातुर चुम्मियाँ करने लगी दोनों बॉम्बे की हसीनाएँ! मैं भी उनके सॉफ्ट मुम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा और उनकी ब्रा और ब्लाउज़ में छुपे चूचुकों को मसलने लगा।
और उनकी साड़ी या फिर सलवार सूट के बाहर से चूत में हाथ डालने लगा और दोनों जल्दी ही चुदाई लिए तैयार हो गई लेकिन वो जगह ऐसी थी कि कपड़े उतारने का तो सवाल ही नहीं था तो मैंने मधु को एक पेड़ को पकड़ कर रखने को कहा और उसको थोड़ा झुका कर और पैंट से अपने एकदम से अकड़े लंड को निकाला और मधु मैडम के पीछे से चूत के मुंह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड सीधा उसकी गीली चूत के अंदर पूरा चला गया।
रूबी मैडम अपने हाथ से मेरे लंड को मधु मैडम की चूत में जाते हुए महसूस कर रही थी और हर बार जब वो गीला होकर निकलता था उसको बड़ा आनन्द आ रहा था। रूबी कभी मेरे अंडकोष को छेड़ रही थी और कभी लौड़े को फील कर रही थी और कभी फिर मेरे चूतड़ों के साथ खेल रही थी।
अब मैंने महसूस किया कि मधु मैडम अब छुटने के लिए तैयार है तो मैंने धक्कों की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों में पकड़ कर ज़ोरदार लंड का अटैक जारी रखा।
इस धुआँदार अटैक के कारण मधु एकदम से अकड़ी और फिर ढीली पड़ गई और मैं समझ गया कि मैडम का काम हो गया है।
थोड़ी देर लंड को मधु मैडम की कांपती चूत से नहीं निकाला और उसको जब निकाला तो वो एकदम से गीलेपन से तरबतर हो चुका था।
रूबी तैयार बैठी थी, उसने झट से मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसको लपालप चूसने लगी और उसने यह समझ के चूसना शुरू किया था कि शायद मेरा लंड मैडम को चोद कर बैठ जाएगा और वो रह जायेगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद भी जब उसने देखा कि मेरा लंड अभी भी अकड़ा हुआ था तो उसने चूसना छोड़ दिया और घास पर बैठ गई, वो यह देख कर हैरान रह गई कि मेरा लंड लाल अभी भी लहलहा रहा था।
अब मैं भी बैठ गया और उसके गोल लेकिन छोटे मुम्मों के साथ उसकी कमीज के बाहर से खेलने लगा और फिर उसको घोड़ी बनने के लिए कहा।
घोड़ी बनते ही मैंने उसकी सलवार को एकदम से नीचे किया और फिर अपने लौड़े के साथ उसकी चूत पर टूट पड़ा और लंड को अंदर डालने के बाद कभी धीरे कभी तेज़ रूबी मैडम को चोदने लगा।
क्योंकि उसने सिर्फ अपनी सलवार ही नीचे की थी तो उसके गोल और सख्त चूतड़ों को मैं देख सकता था और उनको फील कर सकता था।
रूबी मैडम मेरे लंड से अब काफी वाकिफ हो चुकी थी, वो चुदाई का पूरा मज़ा ले रही थी और मधु मैडम अपनी साड़ी को अभी भी ऊपर करके धीरे धीरे ऊँगली कर रही थी।
क्यूंकि हम खुले में चुदाई कर रहे थे तो ज़्यादा समय ना लेते हुए मैंने रूबी मैडम की चुदाई की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और साथ में उसकी भग को भी रगड़ना शुरू कर दिया जिससे वो अब छूटने के करीब हो गई थी।
रूबी के चूतड़ों पर हल्की सी थपेड़ मारते हुए मैंने चुदाई जारी रखी और तेज़ धक्काशाही के कुछ मिन्ट बाद ही रूबी मैडम एकदम से कांपने लगी और उसकी चूत में सिकुड़न शुरू हो गई और वो बहुत ही धीरे से फुसफुसाती हुई बोली- मार दे सोमू यार, उफ्फ मी गयाला रे!
फिर वो वहीं घास पर लेट गई और मैंने अपना गीला लौड़ा निकाल कर उसको रुमाल से पौंछा और पैंट के बटन बंद करते हुए चलने के लिए तैयार हो गया।
रूबी मैडम भी अपनी ड्रेस ठीक करके चल पड़ी और हम तीनो कुछ ही क्षणों में अपने कमरों में पहुँच गए।
थोड़ी देर बाद कम्मो आई, मेरे लिए स्पेशल दूध जिसमें छुवारे बादाम और पिस्ता इत्यादि पड़े हुए थे, कमरे में छोड़ कर जाने लगी तो मैंने उसको रोक कर एक ज़ोर की जफ्फी डाली और एक हॉट किस उसके होटों पर जमा कर उसकी साड़ी उठा कर उसकी बालों भरी चूत को सहला दिया।
अगले दिन सुबह कोई 10 बजे के करीब एक मिनी बस हवेली के बाहर आ कर रुकी और उसमें से 10-12 लड़कियाँ निकली।

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