RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
तनु भाभी, सुधा और प्रेमा की चूत चुदाई
मैं धीमे से बोला- सस्ते में कहाँ? अभी तो रात बाकी है और वो दो तो तैयार खड़ी हैं चुदवाने के लिए!
यह कह कर मैं अंदर जाने लगा तो मुझको ख्याल आया कि रात की चुदाई में कम्मो का होना बहुत ज़रूरी है तो मैंने उसको कहा कि रात में वो भी आ जाए तो अच्छा है मेरे लिए, नहीं तो यह शार्क मछलियाँ तो मुझको कच्चा खा जाएँगी।
अभी मैं अपने कमरे में पहुँचा ही था कि एक सुंदर सी भाभी और दो लड़कियाँ भी साथ आ गई।
भाभी ने अपना नाम तन्वी बताया और कहा- प्यार से मुझको तनु के नाम से जानते हैं।
सब और पहली लड़की तो सुधा थी और दूसरी का नाम था प्रेमा।
तीनों ही दिखने में सुंदर लग रही थी और सबने साड़ी ब्लाउज पहन रखा था।
तनु भाभी की उम्र होगी कोई 22-23 की लेकिन मुझको समझ नहीं आया कि वो तो शादीशुदा लग रही थी तो उसको चुदाने की क्यों धुन सवार थी?
यह बात मैंने कम्मो को कह दी, उसने भाभी से पूछा तो भाभी बोली कि उनके पति बचपन से अफीम बहुत खाते थे तो अब उनकी यौन शक्ति बहुत ही कम हो चुकी थी और वो हफ़्तों भाभी की तरफ नज़र भी नहीं डालते थे।
मैं हैरान हो गया यह कैसी विडंबना कि इतनी सुंदर स्त्री लेकिन यौन तृप्ति से कोसों दूर!
कम्मो बोली- छोटे मालिक, आप भाभी का खास ख्याल रखो क्यूंकि वो बहुत ही प्यासी है तो इन लड़कियों से पहले नंबर भाभी का लगेगा। क्यों ठीक है ना?
दोनो लड़कियाँ मान तो गई लेकिन बड़ी ही बेदिली से, उनको शायद शक था कि मैं भी उन तक पहुँचते हुए शक्तिहीन हो जाऊँगा और उनके किसी काम नहीं आ पाऊँगा।
उनका ऐसा सोचना तर्कसंगत ही था लेकिन वो शायद मेरी शक्ति से अभी तक परिचत नहीं थी।
कम्मो ने कहा कि कोई भी अपने सारे कपड़े नहीं उतारेगा क्यूंकि मम्मी जी थोड़ी दूर वाले कमरे में ही सोई थी, वो किसी समय भी आ सकती थी।
कम्मो ने उनसे कहा कि अगर उनके पास नाइटी हो तो वो पहन कर आ आएँ तो अच्छा रहेगा।
तीनों नाइटी पहनने के लिए चली गई और मैं कम्मो रानी को चूमने और छेड़ने में लग गया, कभी उसके मुम्मों को ब्लाउज के ऊपर से चूस रहा था और कभी साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरता रहा और इस तरह मैंने कम्मो को भी गर्म कर दिया लेकिन कम्मो के साथ सम्भोग करने का मौका नहीं मिलने वाला था, ऐसा मैं जानता था।
थोड़ी देर में तीनों अपनी नाइटी पहन कर आ गई तो कम्मो ने दरवाज़ा बंद कर लिया और कुण्डी लगा दी।
अब तीनों ने अपनी नाइटी उतार दी और वो एकदम पूर्णतया नंगी हो गई।
अभी तक मैंने तीनों को ध्यान से नहीं देखा था, अब मैंने अच्छी तरह देखा।
तनु भाभी तो वाकयी में अच्छे जिस्म वाली और काफी सेक्सी लग रही थी, उसके गोल गोल मोटे मुम्मों और उसकी चूत पर छाये काले घने बाल चमक रहे थे और उसके गोल उभरे हुए नितम्ब अति लुभावने लग रहे थे।
सुधा और प्रेमा भी काफी सेक्सी यंग लड़कियाँ थी लेकिन उनका तनु भाभी और कम्मो के जिस्म से कोई मुकाबला नहीं था।
सुधा के उरोज छोटे और सॉलिड थे और उसके नितम्ब भी अभी अपरिपक्व लग रहे थे।
लेकिन प्रेमा काफी खूबसूरत थी, उसके उरोज भी काफी बड़े और सख्त लग रहे थे, उसके नितम्ब भी गोल और उभरे हुए थे और उसकी चूत पर छाई हुई बालों की घटा भी काफी मुलायम और घनी थी।
हर औरत या फिर लड़की की चूत पर छाए बाल ही उसका सबसे बड़ा गहना होते है क्यूंकि उन बालों के पीछे छुपे हुए ख़ज़ाने को देखने की उत्कंठा मन में तीव्र हो जाती है जबकि उनके मुम्मे और चूतड़ों को तो सब कोई देख सकते हैं चाहे वो कपड़ों में ही क्यों न लिपटे हों!
सबसे पहले तनु भाभी को मैंने चुना, उसको एक ज़ोरदार जफ्फी मारी, उसके गर्म लबों पर एक गरम सी किस जड़ दी और उसके गोल, मोटे मुम्मों को चूसने लगा और उनकी चूचुकों को मुंह में रख कर गोल गोल घुमा रहा था।
तभी कम्मो ने मेरे पजामा उतार दिया और मेरे खड़े लंड को सब के सामने उजागर कर दिया। फिर उसने मेरे कुर्ते को भी उतार दिया और मुझको बिल्कुल नंगा कर दिया और मेरे लंड के साथ खेलने लगी और यह देख कर तीनों भी दौड़ कर आई और मेरे लंड और शरीर के साथ खेलने लगी।
मैंने भाभी के मोटे नितम्बों को अपने हाथ से मसलने लगा और उसके सुंदर गोल चेहरे को चूमने लगा।
दोनों लड़कियाँ अब एक दूसरे के साथ लग गई थी जैसे कि कम्मो ने उनको बताया था और वो एक दूसरे की चूतों और मुम्मों के साथ खेल रही थी।
इधर मैंने भाभी की चूत में हाथ लगाया और उसकी चूत से टपकते रस को महसूस किया और वो रस अब उसके गोल गुदाज़ जांघों पर भी बह रहा था जो इस बात का सबूत था कि उसको यौन क्रिया की कितनी तीव्र इच्छा थी।
अब मैंने तनु भाभी को चूमता हुआ उसको लेकर बेड पर ले आया, उसकी टांगों को पूरा खोल कर बीच में लेट गया और अपना खड़ा लौड़ा उसकी उबलती हुई चूत के ऊपर रख दिया, एक ज़ोरदार धक्के से तनु भाभी की चूत में लंड पूरा का पूरा का अंदर घुसेड़ दिया।
चूत में जैसे ही जलती हुई सलाख जैसा लंड घुसा तो भाभी के मुंह से एक गर्म आह निकल गई और उसने मुझको कस कर अपने मुम्मों से लिपटा लिया।
मैं भाभी को बड़े प्यार से धीरे धीरे चोदने लगा ताकि भाभी की सोई हुए यौन शक्ति को जागृत किया जा सके और उसको सेक्स का पूरा आनन्द दिया जा सके।
अब जब भाभी को तसल्ली हो गई कि मेरा जल्दी छूटने वाला नहीं है तो वो काफी रिलैक्स हो कर चुदाई का मज़ा लेने लगी और वो अब हल्के हल्के से नीचे से मेरे धक्कों का जवाब भी देने लगी।
मैं चोदते हुए उसके मुम्मों को बार बार चूसना नहीं भूला था क्यूंकि मेरा सारा ध्यान भाभी को अपार आनन्द देने में लगा था और मेरी यह कोशिश थी कि भाभी को हर प्रकार से यौन आनन्द दिया जाए।
जब भाभी की चूत बहुत ज़्यादा गीली हो गई तो मैं अपने धक्कों की स्पीड तेज़ करने लगा और इस तेज़ स्पीड के कारण जल्दी ही तनु भाभी हाय हाय करती हुई झड़ गई।
अब मैंने तनु भाभी को घोड़ी बना कर चोदना शुरू कर दिया और उसको शुरू से ही स्पीड से धक्के मारने लगा ताकि वो फिर जल्दी ही स्खलित हो जाए।
साथ ही मैंने उसके भग को भी मसलने लगा और वो बहुत ही कामातुर होकर धक्कों का जवाब देने लगी और उसकी साँसें भी एकदम तेज़ चल रही थी।
वो फिर एक बार स्खलित हो गई और उसके शरीर में एक ज़ोरदार कंपकपी होने लगी और वो ‘आह ऊओह्ह…’ करती हुए नीचे लेट गई।
मैंने भाभी को छोड़ कर दूसरी लड़की सुधा को पकड़ लिया और उसके शरीर पर हाथ फेरने लगा, उसको एक ज़ोरदार जफ्फी डाली, पहले और फिर उसके लबों पर गर्म चुम्मी जड़ दी और उसके गोल मोटे मुम्मों को चूसना तो ज़रूरी था।
एक चुदाई के देखने के बाद कोई भी ठंडी से ठंडी औरत भी चुदाने के लिए तैयार हो जाती है, उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो बहुत ही पनिया रही थी, उसकी चूत एकदम तैयार थी चुदाई के लिए…
अब मैं झुक कर सुधा की चूत में अपना मुंह डाल कर उसकी चूत को चूसने लगा और जल्दी ही उसकी भग को भी चूसना शुरू कर दिया।
भग का चूसना था कि थोड़ी देर में ही सुधा के पानी के बाँध को एकदम से टूटने पर मजबूर कर दिया और उसका नमकीन पानी निकल कर मेरे मुंह में आ गिरा।
अब मैं उठा, सुधा को अपने हाथों में उठा लिया और उसकी चूत को लौड़े की सीध में रख कर एक ज़ोर का धक्का मारा और लंड पूरा चूत में समा गया।
मैं खड़े खड़े ही सुधा को अपने हाथों में लेकर चोदने लगा।
सुधा के दोनों हाथ मेरे गले में थे, वो मेरे हाथों के सहारे अपनी कमर को आगे पीछे कर रही थी और लौड़े को अंदर बाहर कर रही थी।
मैंने अब अपना मुंह उसके मुम्मों पर रख कर उसको चूसने लगा और उसके चूचुकों को मुंह में रख कर गोल गोल घुमाने लगा और थोड़ी देर में ही सुधा झड़ने के करीब आ गई, मैंने उसको अब हाथों में ही पकड़ कर धक्कों की स्पीड एकदम तेज़ कर दी और उसके शरीर को उछाल उछाल कर धक्के मारने लगा।
कुछ ही क्षणों में वो झड़ गई, झड़ने के बाद वो मुझ से गले में बाहें डाल कर ही चिपक गई और उसकी चूत मेरे लौड़े से भी जुड़ गई और उसके होंट मेरे होंटों से सट गए।
कमरे के एक दो चक्कर हमने ऐसे ही लगाए और फिर मैंने उसको बेड पर लिटा दिया और देखा कि उसकी चूत में से बहुत सा रस टपक रहा था।
अब दूसरे लड़की जिसका नाम प्रेमा था, मेरी तरफ बढ़ रही थी लेकिन कम्मो ने उसको रोक दिया और कहा कि छोटे मालिक को थोड़ा आराम कर लेने दो और सब यह कोका कोला पियो।
कोका कोला पीते हुए तीनों ने काफी हैरत जताई क्यूंकि उनके गाँव में अभी यह ड्रिंक नहीं मिलती थी।
साल 1954 तक यह कोक अभी तक सारे भारत में नहीं फैल पाया था ख़ास तौर पर गाँव खेड़े में, इसलिए यह उनके लिए एक अजीब ड्रिंक थी लेकिन जो इसको पी लेता था वो जल्दी ही इसका आदी हो जाता था।
अब प्रेमा की बारी थी, वो मेरे आगे पीछे चक्कर लगा रही थी और मेरे खड़े लौड़े को छेड़ कर उसके कड़ेपन पर हैरान हो रही थी। वो बैठ गई और झट से मेरे लौड़े को अपने मुंह में डाल लिया और उसको बड़े प्यार से और अदा से चूसने लगी।
मैंने कम्मो को कहा- भाभी को फिर से तैयार करो, उसको रात में एक बार और चोद दूंगा क्योंकि वो सबसे ज़्यादा भूखी है।
प्रेमा के सुंदर सुडोल उरोजों को देख कर मन बड़ा ही प्रसन्न हो रहा था क्यूंकि अक्सर छोटी उम्र की लड़कियों के उरोज अपरिपक्व होते हैं लेकिन कुछ लड़कियाँ इस मामले में भाग्यशाली होती हैं और कुदरती तौर से सुन्दर और सख्त उरोजों की मालिक बन जाती हैं।
प्रेमा को लबों पर चूमने के बाद मैं उसको पलंग की तरफ ले गया घोड़ी बना कर चोदने के लिए…
तब कम्मो बोली- छोटे मालिक, आप पहले भाभी को घोड़ी बना कर चोद चुके हैं तो आप प्रेमा को अब अपने ऊपर लेकर चोदो या प्रेमा को आपको चोदने दो। क्यों प्रेमा?
प्रेमा ख़ुशी से बोली- हाँ हाँ क्यों नहीं? सोमू तुम लेट जाओ और मैं ऊपर से तुमको चोदती हूँ।
मैं बेड पर लेट गया अपने लहलहाते हुए लंड को लेकर और प्रेमा मेरे ऊपर बैठ कर अपनी गीली गोत चूत में लंड को डालने की कोशिश करने लगी लेकिन वो इतना मोटा था कि वो उसकी चूत के छोटे मुंह में नहीं जा रहा था।
मैंने उसकी कमर को अपने हाथ में पकड़ा और उसको धीरे से अपने लंड के ऊपर बिठा दिया।
प्रेमा ने जल्दी पूरे लंड को अपनी बहुत ही टाइट चूत में डाल दिया और फिर अपनी कमर को एक दो बार ऊपर नीचे किया और जब उसको मज़ा आने लगा तो वो थोड़ा झुकी और मेरे लबों को अपने होटों में लेकर चबाने लगी।
मैं उसके मुंह में अपनी जीभ डाल कर उसका रस पीने लगा।
अब प्रेमा कामांध हुई मेरे ऊपर एक तरह से नाचने लगी।
वो इतनी तेज़ी से मेरे ऊपर नीचे हो रही थी कि कुछ ही क्षणों में ही वो जल्दी से स्खलित हो गई और मेरे ऊपर लेट कर काम्पने लगी और मुझको उसकी चूत के खुलने और बंद होने को अच्छी तरह से महसूस किया।
प्रेमा की चुदाई का दृश्य भाभी और सुधा बड़ी हैरानी से देख रही थी।
जब यह चुदाई का सीन खत्म हुआ तो कम्मो ने सुधा को, जो लाइन तोड़ कर आई थी, वापस ले गई और हम तीनों को रात सोने के लिए छोड़ गई कमरे में!
मैंने कमरे का दरवाज़ा लॉक किया और बेड पर लेट गया क्योंकि मैं बहुत ही थक गया था।
मेरी एक तरफ भाभी लेटी थी और दूसरी तरफ प्रेमा।
मेरे सोने से पहले जब प्रेमा सो गई तो मैंने भाभी की चूत में ऊँगली डाली तो वो काफी गीली हो रही थी।
तो मैंने भाभी के मुम्मों को चूसा और उंगली से उसकी भग को रगड़ा तो उसने मेरे लौड़े को खींच कर ऊपर आने के लिए ज़ोर डाला।
मैं भी ना नहीं कर सका और ज़्यादा देर न लगाते हुए उसके ऊपर चढ़ कर लौड़े को उसकी चूत में डाल दिया और फिर हौले हौले भाभी को चोदने लगा।
लंड का पूरा अंदर जाना और फिर पूरा बाहर आना और फिर इसी क्रम को दोबारा दोहराना यही मेरा चुदाई का स्टाइल बन चुका था और इस स्टाइल से मैंने कई चूतों के किले फ़तेह किये थे और अपने लंड के परचम लहराए थे।
भाभी की बेचारी चूत इन हमलों के सामने कहाँ ठहर सकती थी, जल्दी ही भाभी की चूत ने भी हथियार डाल दिए और एक बार फिर उसका शरीर अकड़ा और फिर ढीला पड़ गया लेकिन मुझको अपने शरीर से पूरी तरह कस कर बाँध लिया।
यही उनका धन्यवाद देने का स्टाइल था।
मैं भी करवट लेकर प्रेमा के मोटे और मुलायम चूतड़ों को टटोलने लगा कि कहीं यह भी चुदाई के लिए तैयार हो रही हो तो इसका भी काँटा एक बार और खींच डालूँ… लेकिन नहीं, वो तो जवानी की नींद में मस्त सोई थी।
रात को मैं बड़ी गहरी नींद में सोया था लेकिन मुझको यह अहसास हो रहा था कि रात को मुझ पर भाभी और प्रेमा ने कई बार चढ़ कर अपनी खूब चुदाई की।
नदी में नहाती गाँव की औरतें
रात को मैं बड़ी गहरी नीद में सोया था लेकिन मुझको यह अहसास हो रहा था कि रात को मुझ पर भाभी और प्रेमा ने कई बार चढ़ कर अपनी खूब चुदाई की।
अगले दिन कम्मो को मैंने सुझाव दिया कि सब लड़कियों का नदी में नहाने के लिए जाने का प्रोग्राम बना लो ताकि कुछ को नदी की अपनी स्पेशल जगह में चुदाई के लिए ले जाएँगे और बाकी को अपनी कॉटेज में ले आना! इस प्रोग्राम में मुझको भी कुछ गाँव की लड़कियों को नग्न देखने का भी मौका मिल जायेगा।
कम्मो हंसने लगी- छोटे मालिक, आप भी ना… औरतों के ही दास हो! इसमें कोई शक नहीं है।
मैंने भी हँसते हुए कहा- यह सब तुम्हारा ही सिखाया हुआ है, अगर तुम मुझको चुदाई का पाठ नहीं पढ़ाती तो मैं अभी तक साधू हो गया होता, जोगी बन गया होता, बैरागी बन गया होता और हिमालय की कंदराओं में भटक रहा होता।
कम्मो बड़े ज़ोर से हंस दी और मुझसे लिपट गई और मुझको चुम्बन देती हुई बोली- वाह रे मेरे जोगी, तुम तो बन गए चूत के भोगी।
कम्मो ने सब लड़कियों को पूछा कि क्या वो नदी स्नान करने जाना चाहती हैं?
तो सबने हामी भर दी और काफी प्रसन्न लग रही थी।
कम्मो ने मम्मी जी से भी पूछा तो उन्होंने भी इजाज़त दे दी और कहा- कार का ड्राइवर आप सबको ले जाएगा और वापस भी ले आएगा।
सब लड़कियाँ और भाभियाँ भी तैयार हो गई और सबको दो चकर में कार नदी के कनारे छोड़ आई।
उनके पीछे पापा की बाइक लेकर मैं भी नदी पर पहुँच गया और एक नज़र नदी के किनारे पर डाल कर मैं अपनी झाड़ियों में जाकर छुप गया।
हमारे घर से आई लड़कियाँ और कई और गाँव की स्त्रियाँ मज़े में नहा रही थी नदी के शीतल जल में!
गाँव की औरतों में कुछ तो अधेड़ उम्र की थी, कई काफी जवान भी थी।
सबके नहाने के कपड़े कम से कम थे उनके शरीर पर!
ज़्यादातर धोती को शरीर के चारों और लपेट कर नहा रही थी और उनकी धोती जब गीली हो जाती थी तो उनके शरीर के अंग गीली धोती में से साफ़ झलक रहे थे।
एक सांवली औरत पर मेरी खास नज़र टिक गई थी क्योंकि उसके मोटे और गोल मुम्मे उसकी गीली धोती से साफ़ दिख रहे थे और गीली धोती जब उसकी चूत पर पड़ती थी तो उसकी चूत के काले बाल साफ़ दिख रहे थे।
यह दृश्य देखते ही मेरा लौड़ा एकदम तन गया और मेरी पैंट में तम्बू बन गया।
वो सांवली औरत बार बार अपनी गीली धोती को ऊपर कर के पानी निचोड़ती थी लेकिन धोती पुनः उसके मुम्मों पर चिपक जाती थी और नीचे का हिस्सा चूत पर होने के कारण चूत का दृश्य साफ़ दिख रहा था।
उसके साथ ही एक नई दुल्हन भी नहा रही थी जिसके हाथों की मेहँदी साफ़ चमक रही थी, उसने भी एक सफ़ेद मलमल की धोती पहन रखी थी जिसमें से उसका सारा जिस्म साफ झलक रहा था।
वो रंग की काफी गोरी थी तो उसके गोरेपन के बीच में उसकी चूत के काले बाल उसकी गीली धोती में चमक रहे थे।
काफी देर तक मेरी नज़रें इन दोनों महिलाओं पर टिकी रही और अब मैंने अपने घर आई मेहमान लड़कियों और भाभी को ढूंढा तो वो सफ़ेद पेटीकोट और सफेद ब्लाउज पहन कर नहा रही थी, उनके मुम्मे तो झलक रहे थे लेकिन चूत के बाल नहीं दिख पा रहे थे।
दोनों भाभियाँ एक साथ थी और कुंवारी लड़कियाँ थोड़ी दूर नहा रही थी, लड़कियों के वस्त्र भी पारदर्शी थे और मैं मज़े में उनके जिस्म की सुंदरता देख रहा था और हल्के से अपने लंड पर हाथ फेर रहा था।
थोड़ी देर में देखा, वो सांवली औरत अपने सूखे कपड़े हाथ में लिए हुए मेरी वाली झाड़ी की तरफ आ रही थी और झाड़ी के पास आकर उसने कपड़े नीचे रख दिए और इधर उधर देख कर अपनी गीली धोती को उतार कर तौलिये से अपने शरीर को पौंछने लगी।
जैसे ही उसकी गीली धोती हटी तो मैंने बड़ी साफ़ तौर से उसके मुम्मे और उसकी काली चूत पर काले बालों को देखा।
तभी देखा कि कम्मो उस सांवली औरत के पास आ गई और उससे बातें करने लगी और वो जान बूझ कर उसकी चूत और मुम्मों वाली साइड मेरी तरफ खड़े कर के मुझको पूरा नज़ारा दिखाने लगी।
सांवली औरत अभी कपड़े बदल ही रही थी कि वो गोरी दुल्हन भी अपने कपड़े लिए हुए वहाँ आ गई और वो भी कम्मो के आगे खड़ी होकर अपनी धोती उतार रही थी और उसका भी शरीर पूरा झाड़ी की तरफ था, मैं बड़े मज़े में उस के भी मुम्मों और चूत के खुले दर्शन करने लगा.
उन दोनों के जाते ही दो और औरतें वहाँ अपने कपड़े बदलने के लिए आ गई और कम्मो उनके साथ भी बातें करती रही और उन दोनों को भी गीली धोती उतारने और सूखे कपड़े पहनने में उनकी मदद करने लगी।
इन दोनों औरतों के शरीरों से लगता था वो एक या फिर दो बच्चों की माँ हैं क्योंकि उनके पेट पर बच्चा पैदा होने के निशान पड़े हुए थे और उनके मुम्मे भी थोड़े ढलके हुए लग रहे थे लेकिन उनकी चूत और चूतड़ अभी भी काफी सेक्सी लग रहे थे और उनकी चूत पर छाई हुए काले बालों की लताएँ भी काफी घनी थी।
थोड़ी देर बाद उन दोनों ने आपस में कुछ बातें की और फिर दोनों नंगी ही बैठ गई और दोनों की चूत मेरी तरफ थी और दोनों ने एकदम पेशाब की धार छोड़ दी।
बाईं वाली की धार बहुत तेज़ थी और वो मेरे से थोड़ी दूर तक आ रही थी लेकिन जो दूसरी औरत थी उसकी धार तो पतली थी लेकिन उसकी दूरी काफी आगे तक थी।
जब दोनों का मूती प्रोग्राम खत्म हुआ तो एक बोली- मैं जीत गई, मेरी धार तो बहुत दूर तक गई थी।
लेकिन दोनों एक दूसरी से बहस करने लगी लेकिन कम्मो जो वहीं खड़ी थी, ने फैसला सुनाया कि दूसरी औरत जीत गई थी।
अभी वो सांवली और गोरी भी वहीं थी तो कम्मो ने उन दोनों को भी कहा कि वो भी मूती प्रतियोगिता रख लें और देखें कौन ज़्यादा दूर तक धार फ़ेंक सकता है।
वो दोनों भी हंस पड़ी और कम्मो ने उनको भी मेरी छुपने वाली जगह की तरफ मुंह करके मूती करने को कहा।
वो भी अपनी साड़ी उठा कर बैठ गई और कम्मो ने एक दो तीन कहा और दोनों ने भी अपने पेशाब की धार छोड़ दी और दोनों की धार भी काफी तेज़ी से निकली और मेरे काफी निकट तक आ गई।
लेकिन जो दुल्हन थी उसकी धार ज़्यादा दूर तक निकल गई और साथ ही उसकी चूत में से एक सीटी भी बज रही थी जिसको सुन कर कम्मो हैरान हो रही थी।
कम्मो ने पूछा- यह सीटी कैसी बज रही तेरी चूत से?
दुल्हन थोड़ी शरमाई और फिर बोली- वो क्या है मेरी अभी चूत की खुलवाई नहीं हुई, मेरा पति रोज़ कोशिश करता है लेकिन उसका लंड इसके अंदर नहीं घुस पाता तो मैं रोज़ ही आधी अधूरी रह जाती हूँ।
कम्मो शरारतन बोली- किसी और को चांस दे तो शायद तेरा काम बन जाए?
दुल्हन हँसते बोली- किसको चांस दूँ? कोई नज़र ही नहीं आता जो मेरी चूत के काबिल हो!
कम्मो बोली- बहुत हैं चूत के माहिर… अगर तू राज़ी हो तो अभी इंतज़ाम कर देती हूँ?
दुल्हन पहले हिचकी फिर बोली- कोई है नज़र में तुम्हारी दीदी?
कम्मो बोली- नज़र में तो है लेकिन तुमको वायदा करना पड़ेगा कि किसी को बताएगी तो नहीं?
दुल्हन बोली- मैं पक्का वायदा करती हूँ लेकिन तुमको भी वायदा करना पड़ेगा कि किसी को नहीं बताओगी और सील तोडू भी नहीं बताएगा?
कम्मो बोली- हमारी तरफ से पक्का वायदा। कोई है तेरे साथ या अकेली है?
दुल्हन बोली- मौसी आई थी लेकिन वो दिख नहीं रही शायद घर चली गई होगी।
कम्मो बोली- तो फिर चल मेरे साथ लेकिन यह जो औरतें नहा रही हैं इन में से कोई तुझको जानता है क्या?
दुल्हन ने चारों तरफ देखा और कहा- नहीं दीदी, इन में तो कोई नहीं जानता मुझको!
कम्मो उसको लेकर मेरे छुपने वाली जगह की तरफ आ रही थी और मैंने घबरा कर वो नदी की तरफ वाली साइड पर झाड़ी को आगे कर दिया ताकि वो देख न सके कि मैं नदी में नहाती हुई औरतों को देख सकता हूँ और झट ही अपने मुंह पर रुमाल रख कर के सोने का नाटक करने लगा।
थोड़ी देर में कम्मो ने मुझको उठाया- उठिए ना, देखो कौन आया है आप से मिलने?
मैं भी अंगड़ाई लेते हुए उठा और कम्मो से बोला- काहे उठावत हो हमका? बहुते ही गहरी नींद में सो रहे थे हम… और यह कौन हैं?
कम्मो बोली- यह दुल्हन हैं और आपसे मदद मांग रहीं हैं यह।
मैं बोला- कैसी मदद?
कम्मो मुस्कराते हुए बोली- इनकी शादी को दो महीने हो गए लेकिन इनके पति से इनकी सील नहीं टूट रही है तो वो सील तोड़ने में आप इनकी थोड़ी सी मदद कर दीजिये ना!
मैंने कहा- पहले पूछो तो सही कि हम इनको पसंद हैं या नहीं?
कम्मो ने जब पूछा तो वो एकदम से बोली- हाँ, पसंद तो बहुत हैं यह हम को लेकिन दीदी यह तो लड़के से लगते हैं, क्या यह काम इनसे हो सकेगा?
कम्मो बोली- ऐ जी, ज़रा अपना हथियार तो इनको दिखाइए ना!
मैं उठा और अपनी पैंट को नीचे किया और अपने खड़े लौड़े को इनको दिखाया और पुछा- क्या यह ठीक है या फिर इससे भी लम्बा चाहिए?
दुलहन शरमा गई और मुंह नीचे कर लिया और मैं भी अपना लौड़ा पैंट के अंदर डालने लगा और बोला- शायद यह इनको पसंद नहीं, कल जब दूसरा लाऊँगा तो ही काम बनेगा।
दुल्हन एकदम से घबरा के बोली- नहीं नहीं हमको तो यह बहुत ही पसंद है, बोलिए हम को क्या करना है?
कम्मो ने आगे बढ़ कर उसके ब्लाउज को उतार दिया और उसकी साड़ी भी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट में ही उसको लिटा दिया और मेरे को इशारा किया कि मैं शुरू हो जाऊँ।
मैंने उसके पेटीकोट को ऊँचा किया और उसकी टांगें चौड़ी करके मैं अपने खड़े लंड को ले कर बैठ गया और उसकी बालों से भरी हुई चूत के कुंवारे मुंह पर लंड को रख दिया और एक दो बार लंड को अंदर बाहर किया तो वहाँ काफी मोटी दीवार पाई।
कम्मो ने अपना बैग खोला और उसमें से वैसेलिन की शीशी निकाली और ढेर सारी दुल्हन की चूत के बाहर और अंदर लगा दी और थोड़ी से मेरे लंड पर भी लगा दी और फिर दुल्हन के कान में कहा- थोड़ा दर्द होगा, बर्दाश्त कर लेना। ठीक है ना?
दुल्हन बोली- ठीक है।
अब मैंने फिर से लंड को दुल्हन की चूत में डाला और धीरे धीरे से उसको अंदर धकेलने लगा और जब दीवार महसूस की तो एक ज़ोर का धक्का मारा और एक ही झटके में लंड पूरा का पूरा दुल्हन की चूत में चला गया और दुल्हन के मुंह से हल्की सी चीख निकली तो कम्मो ने अपने रुमाल को उसके मुंह पर रख कर दबा दिया।
और अब मैंने धीरे से लंड को निकाला और फिर एक हल्का सा धक्का मारा और अब लंड बिना किसी रोक टोक अंदर चला गया।
मैंने महसूस किया कि दुल्हन का शरीर जो एकदम से अकड़ा हुआ था, अब काफी रिलैक्स हो गया और उसकी जांघें पूरी तरह से खुल गई थी।
तब मैं धीरे से धक्कों की स्पीड बढ़ाने लगा और साथ ही उसके मम्मों को चूमने और चूसने लगा, उसके लबों पर एक बड़ी हॉट किस जड़ दी और अपना मुंह उस के मुँह पर रख कर उसकी जीभ के साथ अपनी जीभ से खेलने लगा।
उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर अब ज़ोर से धक्काशाही शुरू कर दी और कुछ ही मिन्ट में ही दुल्हन का जीवन में पहली बार पानी छूटा।
मैंने कम्मो की तरफ देखा, उसने आँख के इशारे से कहा- लगे रहो!
और अब मैंने उसको अपनी गोद में बिठा कर उसकी टांगों को अपने दोनों तरफ कर दिया और लंड को चूत में ही रखे रखे धक्के मारने लगा, साथ ही उसके गोल और सॉलिड मुम्मों को मुंह में लेकर चूसने लगा और उसकी चूचियों को मुंह में लेकर गोल गोल घुमाने लगा।
अपने हाथों को उसके चूतड़ों के नीचे रख कर अब गहरे धक्के मारने लगा और जैसे जैसे ही मैं तेज़ी पकड़ रहा था दुल्हन मेरे से और भी ज़्यादा चिपक रही थी और अब वो खुद ही मुझको चूमने और चाटने लगी थी।
मेरे धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ होती गई कि थोड़ी ही देर में दुल्हन फिर एक बार हाय हाय… करते हुए झड़ गई और उसका शरीर एक अजीब सी झुरझुरी से कम्पित हो गया।
हालाँकि वो झड़ चुकी थी फिर भी उसकी बाहें मेरे गले में ही थी और वो मुझसे बुरी तरह से चिपकी हुई थी।
अब मैंने उसको अपने से अलग किया और फिर मैंने उससे पूछा- क्यों दुल्हनिया जी, मज़ा आया या नहीं?
दुलहन थोड़ी सी शरमाई और बोली- बहुत मज़ा आया आप से, आप तो वाकयी में जादूगर हैं।
कम्मो ने उसको उठाया, उसके शरीर पर लगे खून को साफ़ किया और कहा- आओ दुल्हन, एक बार फिर से स्नान कर लो तो सब ठीक हो जाएगा। वैसे तुम्हारा नाम क्या है?
दुल्हन बोली- मेरा नाम है जूही।
कम्मो उसको लेकर जाने लगी तो उसने मेरी तरफ देखा और फिर आकर मुझसे लिपट गई और चुंबनों से मेरा मुंह भर दिया और एक हाथ से मेरे खड़े लौड़े को फिर पकड़ लिया और बैठ कर उसको चूम लिया।
फिर कम्मो ने उसको उठाया और उसको लेकर झाड़ी के बाहर चली गई।
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