RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
लेडी प्रोफेसर की सन्तान की चाह
मेरा लाला लंडम बहुत ही खूंखार मूड में था। मैं हिना को लेकर बेड में आ गया, निर्मला के पास ही उसको घोड़ी बनने के लिए कहा और खुद पीछे से उस पर बड़ा तीव्र हमला बोल दिया।
निर्मला भी यह खेल देख रही थी।
मैं लंड को पूरा हिना की चूत में अंदर डाल कर आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर। हिना की चूत भी पूरी तरह से पनिया रही थी तो उसको भी चोदने का अलग ही आनन्द था, दोनों की चूत का पूरा हालाते हाजरा भी मिल रहा था, निर्मला की चूत ज़्यादा खुली और लचकीली थी लेकिन हिना की चूत टाइट और रसीली थी, निर्मला काफी सालों से ब्याहता थी लेकिन हिना तो अनब्याही थी।
मेरे धीमे धक्के अब तेज़ी में बदल रहे थे और मैं घोड़ी की लगाम अब कस के रख रहा था और साथ ही उसको थोड़ी ढील भी दे रहा था, वो भी अब आगे से पीछे को धक्के मारने लगी, जिसका मतलब साफ़ था कि वो भी अब छुटाई की कगार पर पहुँच चुकी थी।
मेरी चुदाई की स्पीड एकदम से बहुत तेज़ और फिर बहुत धीमी होने लगी, इस प्रकार मैंने हिना को जल्दी ही छूटा दिया।
उधर देखा तो निर्मला अब अपनी ऊँगली चूत में डाल रही थी जो हरकत मेरे लंड को पसंद नहीं आई।
मैंने लेट कर निर्मला को अपने ऊपर आने के लिए निमंत्रित किया जिसको उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया। मैं लेटा था और वो मेरे ऊपर बैठी थी और खुले आम वो मुझ गरीब को चोद रही थी।
मौका देख कर मैं उसके मम्मों के साथ खेल रहा था या फिर उसकी चूत में ऊँगली डाल कर उसकी भग को मसल रहा था।
ऐसा करने से निर्मला का मज़ा दुगना हो रहा था लेकिन मुझको काफी आराम मिल रहा था और मुझको ऐसा लग रहा था कि मेरी मोटरसाइकिल निर्मला के गेराज में खड़ी है और उसकी चूत उसकी सफाई कर रही हो।
थोड़ी देर बाद गेराज वाली चूत पकड़ धकड़ में लग गई और फिर आखिर में उस गेराज में लगे फ़व्वारे खुल गए और मेरी मोटरसाइकिल की पूरी धुलाई हो गई।
यानि निर्मला एक बार फिर झड़ गई और उतर के सीधे मेरे मुंह से अपना मुंह चिपका लिया।
हिना जो पास ही खड़ी थी वो निर्मला के हटते ही मेरे लौड़े पर झपट पड़ी और उसको मुंह में ले कर चूसने लगी जैसे मलाई वाले पान की ग्लोरी हो!
जब हिना ने पूरी मलाई चाट ली तो मैंने पूछा- क्यों देवियो? बस करें या फिर अभी और मैच खेलने की इच्छा है?
निर्मला मेरे मज़ाक को समझ गई और हँसते हुए बोली- बस अब और नहीं, सारे प्लेयर्स बहुत थक गए हैं।
हिना ने अभी भी मेरे लौड़े को पकड़ा हुआ था तो मैंने उससे प्रार्थना की- आप कृपा कर हमारे बॉलर को तो छोड़ दें, वो बेचारा घर जाए!
कपड़े पहन कर बैठे ही थे कि हिना ने चाय मंगवा ली और हम सब गर्म गर्म चाय पीने लगे।
फिर निर्मला बोली- जैसा कि मैंने बताया था, मेरी माँ बनने की बहुत इच्छा है लेकिन कोई साधन नहीं जुट रहा है।
मैं बोला- कैसा साधन जुटाने की कोशिश कर रही हैं मैडम आप?
निर्मला बोली- किसी पुरुष की मदद से गर्भाधान हो सके तो अच्छा है!
मैं बोला- अगर आप संजीदा हैं तो मैं इसकी राह सुझा सकता हूँ।
निर्मला बोली- कैसी राह?
मैं बोला- हमारी कोठी में एक हाउसकीपर है वो काफी होशियार दाई भी है, आप चाहें तो उससे मैं आपको मिलवा सकता हूँ, आगे वो सलाह देगी कि क्या करना है।
निर्मला ने खुश होते हुए कहा- बहुत अच्छा, मैं उससे अवश्य मिलना चाहूंगी।
मैंने निर्मला और हिना का थैंक्स किया और घर के लिए निकलने लगा की निर्मला बोली- सोमू तुमने किस तरफ जाना है?
मैंने अपनी कोठी का पता बता दिया।
निर्मला बोली- चलो सोमू, मैं तुमको तुम्हारी कोठी में ड्राप कर देती हूँ मेरे तो रास्ते में पड़ेगी वो!
मैं इंकार करता रहा पर वो नहीं मानी और मुझको कार में बिठा लिया, हिना से बाई और थैंक्स किया और ‘फिर कल मिलते हैं’ का वायदा किया।
मेरे घर के पास आते ही वो चौंक कर बोली- अरे यह तो हमारे जानने वाले ठाकुर साहब की कोठी है, क्या तुम उनको जानते हो?
मैंने कहा- मैं उनका ही बेटा हूँ।
वो बड़ी गर्म जोशी से बोली- वाह सोमू यार, तुम तो अपने ख़ास निकले।
मैं भी ख़ुशी से बोला- मैडम जी क्या पता था कि आप हमारी जानकार निकलेगी, अंदर आइये, मैं आपको कम्मो से मिलवाता हूँ।
वो नानुकर करने लगी लेकिन मैं भी ज़बरदस्ती उनको अपनी कोठी में ले आया।
चोकीदार राम लाल ने सलाम किया।
फिर मैं मैडम को लेकर बैठक में आ गया और जल्दी ही कम्मो भी वहाँ आ गई।
मैंने उनका परिचय कराया और उनकी प्रॉब्लम भी बताई तो कम्मो बोली- अगर आप कल आ जाएँ तो मैं आपका पूरा चेकअप कर लूंगी और उसके बाद सोचेंगे कि क्या करना है।
अगले दिन निर्मला मैडम मेरे साथ ही मेरे घर आ गई.
खाना खाने से पहले कम्मो उनको लेकर मेरे बेडरूम में चली गई और आधे घंटे बाद वापस आई।
कम्मो ने आते ही कहा- मैडम तो बिल्कुल ठीक हैं, जो भी कमी है वो इनके पति में होगी।
मैं बोला- फिर क्या सोचा मैडम जी?
निर्मला मैडम बोली- कम्मो का सुझाव है कि मैं किसी दूसरे मर्द द्वारा गर्भाधान कर लूँ। लेकिन ऐसा मर्द मुझको कहाँ से मिलेगा?
कम्मो बोली- अगर आप बुरा ना मानें तो मेरा सुझाव है कि छोटे मालिक यह काम भली भांति कर सकते हैं।
निर्मला मैडम बोली- लेकिन यहाँ छोटे मालिक कहा मिलेंगे और वो क्यों तैयार होंगे इस काम के लिए?
कम्मो और मैं ज़ोर से हंस दिये और मैडम हमको हैरानी से देख रही थी।
निर्मला मैडम बोली- आप दोनों हंस क्यों रहे हैं? क्या मैंने कुछ गलत कह दिया?
कम्मो हँसते हुए बोली- अरे मैडम छोटे मालिक तो आपके सामने ही खड़े हैं, और आप इन का थोड़ा सा लुत्फ़ भी ले चुकी हैं आज!
मैडम हैरानी से बोली- तुम्हारा मतलब छोटे मालिक सोमू है क्या?
मैं मुस्कराते हुए बोला- आपका सेवक मैडम, आपके सामने खड़ा है।
निर्मला मैडम इतनी खुश हुई कि आगे बढ़ कर मुझ को गले लगा लिया और मेरे लबों पर चुम्मियों का अम्बार लगा दिया।
वो सारे घटना चक्र से घबरा गई और सोफे पर बैठ गई और कम्मो उसके लिए कोक ले आई।
थोड़ी देर बाद वो संयत हो गई।
मैडम बोली- कम्मो क्या तुम जानती हो तुम क्या कह रही हो? क्या सोमू गर्भाधान कर सकेगा?
कम्मो फिर हंसने लगी और बोली- ऐसा है मैडम जी, सबसे पहले इस छोटे मालिक ने मुझको गर्भवती किया, इसके बाद कम कम से इस सांड नुमा छोटे मालिक ने अब तक 10 औरतों को गर्भवती किया है और सब की सब ने इन से गर्भधारण केवल अपनी मर्ज़ी से किया है, इन्होंने कभी भी किसी लड़की या स्त्री को उसकी मर्ज़ी के खिलाफ ना तो यौन क्रिया की है न उसको गर्भाधान किया है।
मैडम बोली- वो तो मैंने आज हिना के बंगले में देख लिया है, इसने मुझसे 3-4 बार सेक्स किया है लेकिन एक बार भी इसका नहीं छूटा था मेरे या फिर हिना के अंदर। ऐसा क्यों?
कम्मो बोली- छोटे मालिक को मैंने सेक्स ट्रेनिंग दी है बचपन से और इनको अपने पर पूरा कंट्रोल करना सिखाया है। इसलिए जब तक इनकी मर्ज़ी ना हो यह कभी नहीं छुटाते।
मैडम अभी भी हैरान थी और हैरानगी से सर हिलाते हुए बोली- कुछ विश्वास नहीं हो रहा, लेकिन मैं तो आज सोमू का जलवा देख चुकी हूँ, अच्छा कम्मो, मुझको आगे क्या करना होगा?
कम्मो मैडम को एक तरफ ले गई और कुछ पूछा जिसका जवाब मैडम ने दे दिया।
कम्मो बोली- मैडम, अभी समय ठीक नहीं है आप इस काम के लिए कम से कम 20 दिन इंतज़ार कर लीजिये फिर आपका काम शुरू करेंगे। ठीक है? इस बीच आप जब चाहें, सोमू के साथ यहाँ आ सकती है।
मेरी मौसेरी बहन की चूत
अभी हम यह बातें कर ही रहे थे की फ़ोन की घंटी बजी।
मैंने फ़ोन सुना और वो मम्मी जी का था।
हाल चाल पूछने के बाद वो बोली- सोमू, वो कानपुर वाली मौसी जी और उनकी दो बेटियाँ वहाँ लखनऊ आ रही हैं, वो कुछ दिन वहाँ ठहरने का प्रोग्राम बना रही हैं, कह रही थी कि वे हमारी कोठी में ठहरना चाहती हैं, बेटा, मैंने हाँ कर दी है, उनका ख़ास ख्याल रखना। वो कम्मो अगर तेरे नज़दीक है तो उसको फ़ोन देना, मैं उसको समझा देती हूँ।
मैं बोला- ठीक है मम्मी जी!
यह कह कर मैंने फ़ोन कम्मो को दे दिया।
फ़ोन पर बात करने के बाद कम्मो बोली- छोटे मालिक, आपने अपनी मौसी को पहले देख रखा है क्या?
मैंने कहा- हाँ देखा है कई बार, क्यों?
कम्मो बोली- मालकिन कह रही थी कि वो थोड़ी सनकी हैं, उनकी बातों का बुरा ना मानना आप सब!
मैं बोला- हाँ हैं तो थोड़ी सनकी लेकिन ऐसी डरने की को कोई बात नहीं, मैं उनको संभाल लूँगा। हाँ आज रात को तुम दोनों चुदवा लेना नहीं तो काफी दिन टाइम नहीं मिलने वाला। मैंने भी आज की चुदाई में नहीं छुटाया सो रात को तुम्हारी या फिर पारो की चूत को हरा करना है।
अगले दिन कॉलेज से वापस आया तो मौसी और उसकी बेटियाँ अभी तक नहीं आई थी। मैं खाने पर उनका इंतज़ार करने लगा।
थोड़ी देर बाद ही चौकीदार रामलाल मौसी जी और उनकी बेटियों का सामान ले कर अंदर आ गया।
मौसी जी से चरणवंदना के बाद उनकी दोनों बेटियों की तरफ देखा तो दोनों ही सुन्दर और स्मार्ट लगी, साड़ी ब्लाउज में दोनों ही काफी अछी लग रही थी।
मिल कर हेलो हॉय हुई और मैंने अपना नाम बताया और उन दोनों ने भी अपने नाम बताये, बड़की का नाम मिन्नी और छोटी का नाम टिन्नी था।
मिन्नी थोड़ी ठहरे हुए स्वभाव की थी और टिन्नी काफी चंचल थी लेकिन दोनों थी बहुत ही बातूनी। मिन्नी कानपुर में गर्ल्स कॉलेज में इंटर के फाइनल में थी और टिन्नी मेरी तरह फर्स्ट ईयर में थी।
मिन्नी उम्र में भी मुझ से साल दो साल बड़ी थीं। ये मौसी जी मेरी मम्मी के रिश्ते में बहन थी, मेरी सगी मौसी नहीं थी।
उन्होंने आते ही अपना सनकीपन दिखाना शुरू कर दिया।
वो रसोई में गई और पारो को बोली- जितने दिन हम यहाँ हैं, खाना हम से पूछ कर बनाया जायेगा और सिर्फ कुछ चुनी हुई सब्जियाँ ही बनेगी, मीट रोज़ बनेगा और वो भी सिर्फ बकरे का!
मौसी ने यह भी बताया कि कल मौसा जी भी आ रहे हैं तो उनका कमरा तैयार कर दिया जाये।
कम्मो ने मेरे साथ वाला कमरा लड़कियों को दिया था और उनसे काफी दूर वाला कमरा मौसी के लिए तैयार किया गया था।
वो मौसी को लेकर दोनों कमरे उनको दिखा आई और मौसी को दोनों ही कमरे पसंद आ गए थे।
उस रात कुछ नहीं हुआ सिवाय इसके कि हम तीनों काफी देर मेरे कमरे में बैठ कर गपशप करते रहे।
मिन्नी ने कई बार कोशिश कि वो मेरी आँखों में आँखें डाल कर बात कर सके लेकिन मैंने उसको ज़्यादा छूट नहीं दी।
अगले दिन जब मैं कॉलेज से लौटा तो मौसा जी भी पहुँच चुके थे, उनसे मिल कर चरण स्पर्श किया और पूछा- आपको अपना कमरा पसंद आया है न?
तब मौसी ने बताया कि वो बड़की मिन्नी की सगाई पक्की करने आये हैं, यहीं लखनऊ का लड़का है और अपना कारोबार है।
मैंने ख़ुशी का इज़हार किया और फिर हम सबने मिल कर खाना खाया।
आते जाते दो बार मिन्नी से मेरी टक्कर होते होते रह गई और हर बार वो मेरी बाँहों में आकर झूल जाती थी।
मैं समझ गया कि मिन्नी टक्कर के अलावा भी कुछ और चाहती है।
अगली बार जब वो मेरे रास्ते से गुज़री तो मैं सावधानी से एक साइड हो गया लेकिन वो जानबूझ कर मेरे लौड़े को हाथ से छूते हुए निकल गई।
अब जब मौका लगा तो मैं भी साइड से निकलते हुए उसके चूतड़ों को हाथ लगाता गया।
थोड़ी देर बाद वो फिर मुझको रास्ते में मिली और इस बार उसने जानबूझ कर अपना बायां मुम्मा मेरी बाज़ू से टकरा दिया।
मैंने मुड़ कर उसको देखा और फिर अपने कमरे में चला गया।
वो भी इधर उधर देखती हुई मेरे पीछे मेरे कमरे में घुस आई और आते ही मुझको कस के जफ़्फ़ी मार दी और लबों पर चुम्मी जड़ कर फ़ौरन भाग कर कमरे से बाहर निकल गई।
मैं कुछ हैरान था, फिर मैं सोचने लगा कि यह तो गेम खेल रही है, मैंने भी सोचा कि चलो इसके साथ गेम ही खेल लेते हैं।
खाने के समय भी हम दोनों डाइनिंग टेबल पर आमने सामने बैठे हुए थे, टेबल पर टेबल क्लॉथ पड़ा हुआ था, मिन्नी उसके नीचे से मेरी जांघों में अपना पैर टिका कर बैठी हुई थी और बार बार मेरे लंड को पैर से छू रही थी।
खाना खाकर हम जब अपने कमरे में आये तो पता चला कि मौसा मौसी कहीं बाहर जा रहे थे।
जैसे ही वो गेट के बाहर हुए तो मिन्नी और टिन्नी दोनों दौड़ कर मेरे कमरे में आ गई और मेरे कमरे का निरीक्षण करने लगी। मैं भी उनको बहुत मना कर रहा था लेकिन वो मान ही नहीं रही थी।
तब मैं मिन्नी के पीछे अपना पैंट में से खड़े लंड को उसके साड़ी से ढके चूतड़ों में टिका कर खड़ा हो गया। वो भी मेरे लंड को महसूस कर रही थी और उसने भी धीरे धीरे अपने चूतड़ों को हिलाना शुरू कर दिया।
उधर टिन्नी हम दोनों के खेल से अनजान मेरी किताबों को देख रही थी।
मिन्नी ज़्यादा भरे हुए शरीर वाली और उभरे चूतड़ों और मोटे सॉलिड मुम्मों वाली लड़की थी। मिन्नी ने इस लंड चूत के घर्षण का आनन्द लेना शुरू कर दिया, अब उसने अपना बायां हाथ मेरे लंड पर रख दिया और सहलाने लगी।
मैंने उसके कान में कहा- अगर तुम चाहो तो और भी ज़्यादा आनन्द लिया जा सकता है।
उसने बगैर मुड़े ही फुसफुसा दिया- कैसे और कहाँ?
मैं बोला- मैं जा रहा हूँ और तुम थोड़ी दूर से मेरे पीछे आना शुरू कर दो और टिन्नी को भी बता आना कि तुम यहीं हो।
उसने हामी में सर हिला दिया और मैं चुपके से बाहर निकल आया और चलते चलते पीछे मुड़ कर भी देखता रहा कि मिन्नी आ रही है न!
मैं चुपके से चलते हुए पीछे के एक कमरे में चला गया जिसका दरवाज़ा खुला रहता था।
थोड़ी देर बाद मिन्नी भी वहाँ आ गई और मैंने झट से उसको अंदर खींच लिया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
अब मैंने उसको कस कर आलिंगन में ले लिया और उसके लबों पर एक बहुत ही हॉट किस करने लगा और अपने हाथों को उसके मोटे चूतड़ों पर फेरने लगा, ब्लाउज के बाहर से ही मैं उसके मुम्मों को किस करने लगा।
वो भी मेरे लौड़े पर टूट पड़ी और पैंट के बटन खोलकर मेरे खड़े लौड़े को अपने हाथ में लेकर मुठी मारने लगी।
अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सका और मिन्नी की साड़ी को ऊपर कर के उसकी चूत को सहलाने लगा, उसकी बालों से भरी चूत एकदम रंगारंग हो रही थी।
मैंने भी पैंट को नीचे सरकाया और लाल मोटे लंड को निकाल लिया और मिन्नी को पलंग पर हाथ रखवाकर खड़ा किया और उसकी चूत को सामने कर लिया और अपने लंड का निशाना साध कर उसकी चूत में पूरी ताकत से डाल दिया।
जैसे ही लंड चूत में गया, मिन्नी का मुंह खुल गया और वो आँखें बंद कर चुदाई का मज़ा लेने लगी।
मैंने भी लंड की धक्काशाही तेज़ कर दी और अँधाधुंध लंडबाज़ी शुरू कर दी।
इस धक्कमपेल में मिन्नी दो बार छूट गई और दूसरी बार छूटने के बाद उसने खुद ही जल्दी से चूत पर पर्दा गिरा दिया यानि साड़ी नीचे कर के बाहर की तरफ भागी।
यह कमरा असल में हमारा स्पेयर गेस्ट रूम था लेकिन पूरी तरह से सामान से सुसज्जित था। इस कमरे के बारे में सिर्फ मैं और कम्मो ही जानते थे।
जब मैं कमरे में वापस पहुँचा तो टिन्नी वहीं बैठी हुई मेरी किताब को पढ़ रही थी।
मैं पलंग पर लेट गया और सोच ही रहा था कि अच्छा हुआ मिन्नी की चुदाई का किसी को पता नहीं चला।
तभी टिन्नी बोली- दीदी का काम कर दिया सोमू?
मैं घबरा कर बोला- दीदी का कौन सा काम?
मिन्नी बोली- वही… जिसके लिए तुम पर दीदी बार बार दाना फैंक रही थी?
मैं बोला- कौन सा दाना और कैसा दाना? बताओ न प्लीज?
टिन्नी बोली- तुम मेरे सामने प्लीज वलीज़ ना करो और सीधे से बताओ कि मेरी बारी कब की है?
मैं बोला- कौन सी बारी और कैसी बारी?
टिन्नी चेयर से उठी और मेरे बेड पर आ कर बैठ गई और आते ही मेरे लंड को पैंट के बाहर निकाल कर उसको घूरने लगी और फिर बोली- अच्छा है मोटा भी है और लम्बा भी है, मुझको कब चखा रहे हो यह केला?
मैं चुप रहा और फिर ज़ोर ज़ोर से हंसने लगा, हँसते हुए बोला- तुम दोनों बहनें कमाल की चीज़ हो।
टिन्नी बोली- मैं रात को आपका केला खाने आ रही हूँ।
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