Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:20 PM,
#59
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
जब सबने थोड़ी देर आराम कर लिया तो कम्मो सबके लिए रूह अफजा का शरबत ले आई।
शरबत पीने के बाद तीनों लड़कियाँ मेरे चारों तरफ खड़ी हो गई और बिना कुछ कहे ही बहुत सी बातें अपनी आँखों से कह गई जिसमें मुख्य बात थी कि अब फिर कब? तब सिर्फ़ मेरे साथ!
मेरी भी आँखें जवाब दे रही थी- देखेंगे तब की तब, फिर आ जाना सब की सब!
कम्मो बोली- चलिए खेल खत्म करें या अभी कुछ मन में बाकी है?
हिना ने सब की तरफ देख कर कहा- बोलो क्या मर्ज़ी है आप सब की?
लड़के सब चुप थे लेकिन उर्मि और निशि की मर्ज़ी अभी बाकी खेल खलने की थी.
कम्मो ने कहा- लड़के तो खेल खत्म करना चाहते है सो अच्छा हो गा अगर यह आज का शो यहीं खत्म किया जाए. चलिए लड़कियां और लड़के अलग अलग बाथरूम में अपने कपडे पहन लें.
कम्मो लड़कों को साथ वाले कमरे के बाथरूम में ले गई और तीनों लड़कियाँ वहीं बाथरूम में कपड़े पहनने लगी।
कपड़े पहन कर हम सब फिर बैठक में इकट्ठे हुए।
हिना बोली- कहो, कैसा रहा यह ग्रुप सेक्स का एक नमूना। आशा है आप सब ने इस प्रोग्राम का आनन्द लिया होगा। आगे का प्रोग्राम रखा जाए या नहीं उसके बारे में बाद में सोचेंगे। अब लड़के अपने घर जा सकते हैं लेकिन यह याद रहे कि जो कसम हम सबने खाई है उसका पूरा निर्वाह होना चाहये।
मैं विनोद और राज को कोठी के बाहर तक छोड़ आया जहाँ से उन्होंने रिक्शा कर ली थी।
वापस आया तो लड़कियों में बहस चल रही थी, उन सब का कहना था कि सिवाए मेरे बाकी दोनों लड़के बिल्कुल नौसिखिया थे, उनको काम क्रिया का ज़्यादा अनुभव नहीं था।
कम्मो बोली- मेरा भी यही ख्याल है, उसका मुख्य कारण मैं यह समझ रही हूँ कि शायद यह उनका सेक्स का पहला ही मौका था।
हिना बोली- मैं नहीं समझती कि आगे का प्रोग्राम हम अभी बना सकते हैं क्यूंकि जब तक हमको अनुभवी लड़के और लड़कियां नहीं मिल जाते, आगे के प्रोग्राम के बारे में सोचना भी बेकार है। क्यों कम्मो दीदी?
कम्मो बोली- बिल्कुल ठीक कह रही हो हिना जी!
हिना बोली- लेकिन एक बात जो साफ़ हो गई है वो है कि अपना सोमू कमाल का लड़का है यार, तीन तीन को तीन बार चोद देना और फिर तीन बार हर एक का छूटा भी देना और फिर खुद ज़रा सा भी नहीं थकना… वाह वाह… यह सब किस से सीखा तुमने सोमू? सच सच बताना?
मैं थोड़ा शरमाया और फिर बोला- सच बताऊँ, मेरी सेक्स गुरु कम्मो रानी है, ये सब दांव पेच कम्मो जी ने सिखाये हैं।
तीनो लड़कियों ने खूब तालियाँ बजाई।
हिना बोली- मुझको भी पूरा सेक्स का ज्ञान नहीं है और इन दोनों को भी शायद बहुत कम ज्ञान होगा, क्यों?
उर्मि और निशि ने हाँ में सर हिला दिया।
हिना बोली- कम्मो दीदी, क्या आप हम लड़कियों को भी सेक्स के मामले में ट्रेनिंग दे सकती हो?
कम्मो ने मेरी तरफ देखा और कहा- अगर छोटे मालिक इजाज़त दें तो यह काम हो सकता है।
मैं बोला- हाँ हाँ, ज़रूर ट्रेनिंग दो इनको भी और जो दूसरी लड़कियाँ भी ट्रेनिंग लेना चाहें, उनको भी ट्रेनिंग दो, यह तो पुण्य का काम है।
कम्मो बोली- लेकिन छोटे मालिक इसमें प्रैक्टिकल कर के भी दिखाना पड़ सकता है तो ऐसा पुरुष कहाँ से लाएँगे जो प्रैक्टिकल कर के लड़कियों को समझा सके?
मैं चुप रहा लेकिन हिना बोली- क्यों, अपना सोमू प्रैक्टिकल करके दिखा सकता है अगर ज़रूरत पड़ेगी तो!
मैं चुप रहा और फिर थोड़ी देर सोचने के बाद बोला- खैर वो मदद तो मैं करने को तैयार हूँ, बाकी जो कम्मो कहेगी वो हम सबको करना पड़ेगा। इस काम के लिए कम्मो को भी तो कुछ फीस मिलनी चाहिए न, बेचारी कॅाफ़ी मेहनत करेगी।
हिना बोली- उसकी आप चिंता छोड़ दीजिये, वो मैं संभाल लूंगी। अगले हफ्ते हम फिर यहाँ ही मिलते हैं आगे का कार्यक्रम तय करने के लिए!

कॉलेज की लेडी प्रोफेसर

सब लड़कियों के जाने के बाद मैं और कम्मो बैठक में बैठे थे और सोच रहे थे कि हमारा जीवन किस दिशा की ओर जा रहा है।
कॉलेज ग्रुप सेक्स तो एक बुरा एक्सपेरीमेंट था क्योंकि मैं समझता हूँ सबसे कमज़ोर कड़ी वो लड़के थे जिनको इस ग्रुप में शामिल किया गया था।
हिना ने बगैर उनकी कार्य कुशलता जाने ही उनको इस काम के लिए चुन कर बहुत बड़ी गलती की।
जब मैंने कम्मो से पूछा तो वो भी इसी विचार की थी।
फिर मैंने उससे पूछा कि उसका जो अपना क्लिनिक खुलने वाला था उसका क्या हुआ?
उसका जवाब था कि कोई खास पूछताछ नहीं हुई है हालाँकि उसने एक दो दाइयों को कहा भी था।
मैंने कम्मो से पूछा- वो सेठानियों का फ़ोन या वो खुद नहीं आई क्या?
कम्मो मुस्कराते हुए बोली- अगले अफ्ते उनका चेकअप होना है, देखो तब कुछ बात हो सके, क्या आपको उनकी चाहिये?
मैं बोला- देखो कम्मो, तुम्हारे अलावा अगर कोई खूबसूरत औरत या लड़की मेरे जीवन में आई है तो वो हैं रानी और प्रेमा, उनके जैसा शरीर न मैंने अभी तक देखा है और ना देखने की कोई उम्मीद है।
कम्मो बोली- ठीक है आज हम दोनों आपको चोदेंगी और आपका सारा रस निकाल कर ले जाएंगी। वैसे छोटे मालिक, आज शाम को मैं आपकी नज़र भी उतार दूंगी।
अगले दिन मैं टाइम पर कॉलेज चला गया। लंच इंटरवल में मुझको हिना मिल गई और मुझको लेकर कॉलेज के गार्डन में घूमने लगी।
घूमते हुए उसने कहा कि आज छुट्टी के बाद मैं उसके साथ उसके घर में चलूँ, एक ज़रूरी काम है।
मैंने पूछा- वही काम है क्या?
हिना हँसते हुए बोली- नहीं सोमू यार, तुमको किसी ख़ास बन्दे से मिलवाना है।
मैं बोला- बन्दा या बंदी?
हिना बोली- वहीं देख लेना न कि वो बंदा है या बंदी?
मैं बोला- ठीक है, मैं कम्मो को फ़ोन पर बता देता हूँ कि शाम हो जायेगी मुझको घर आते हुए।
कॉलेज की छुट्टी के बाद मुझको अपनी कार में लेकर हिना अपने बंगले में पहुँच गई।
उस वक्त बंगले में उसकी एक मेड थी और एक कुक थी और बाकी परिवार के सदस्य शहर के बाहर गए हुए थे।
उसकी नौकरानी शरबत ले आई और हम पीने लगे।
तभी कोठी में एक और कार आ कर रुकी और एक स्मार्ट लेडी उस में से निकल कर बैठक मैं आई।
हिना ने उठ कर उनका स्वागत किया।
मैं फ़ौरन पहचान गया कि वो तो हमारे कॉलेज की प्रोफेसर थी, मैंने भी उठ कर उनको नमस्कार किया। 
हिना ने कहा- मैडम, यह सोमू है अपने ही कॉलेज में प्रथम साल का आर्ट्स का छात्र है। और सोमू, तुम तो मैडम को तो जानते ही होगे।
मैंने कहा- मैडम को कौन नहीं जानता।
मैडम बोली- अरे यार, तुम तो फॉर्मल हो गए हो, हम तो अभी कॉलेज से बाहर हैं न, मेरा नाम निर्मला है, उससे ही पुकारो तुम दोनों।
मैं बोला- जैसा आप कहें निर्मला मैडम!
तब तक मेड कोल्डड्रिंक ले आई थी। 
हिना बोली- सोमू, निर्मला मैडम यहाँ एक ख़ास मकसद से आईं हैं। वो मैं खाना खाने के बाद बताऊँगी, चलिए खाना लग गया है।
हम सब उठ कर डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए और काफी स्वादिष्ट खाना खाने लगे लेकिन मैं इस खाने का पारो के बनाये खाने से मिलान करता रहा और पाया कि पारो के हाथ का खाना ज़्यादा स्वादिष्ट बनता है।
खाने से फ़ारिग़ होकर हम फिर बैठक में आकर बैठ गए।
तब हिना बोली- निर्मला मैडम बेचारी बड़ी मुसीबत में हैं, उनके पति उनकी इच्छा को पूरा नहीं कर पाते क्यूंकि वो ज़्यादा समय अपने कारोबार में बिजी रहते हैं।
यह कह कर हिना मेरी तरफ देखने लगी लेकिन मैं मुंह झुका कर चुप बैठा रहा।
हिना फिर बोली- उनकी प्रॉब्लम को समझ रहे हो सोमू?
मैं बोला- समझ तो रहा हूँ लेकिन मैं उनकी क्या मदद कर सकता हूँ इस मामले में?
हिना बोली- वही जो तुम अक्सर सबकी करते हो?
मैं बोला- क्या मदद चाहिए और कब चाहिए यह निर्मला मैडम को कहने दो हिना प्लीज!
निर्मला मैडम सर झुका कर बैठी रही लेकिन उसके चेहरे के हाव भाव से लग रहा था कि वे काफी दुखी हैं।
मेरा मन तो किया कह दूँ कि मैं मदद के लिए तैयार हूँ लेकिन फिर कम्मो के शब्द मन में गूँज रहे थे कि जब तक कोई भी औरत स्वयं यौन संबंध के लिए नहीं कहे, मुझको आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
मैंने कहा- निर्मला मैडम जी, मैं हर प्रकार से आप की सहायता करने के लिए तैयार हूँ लेकिन आप कुछ बताएँ तो सही?
निर्मला मैडम मेरी तरफ देखते हुए बोली- मैं सेक्स की प्यासी हूँ। मेरे पति मेरा बिल्कुल ध्यान नहीं देते और आज 10 साल से मेरे घर बच्चा नहीं हुआ क्योंकि मेरे पति को सेक्स के प्रति कोई लगाव ही नहीं, न उनमें इसकी कोई इच्छा है लेकिन मैं उनसे तलाक भी नहीं ले सकती।
यह कहते हुए निर्मला मैडम फूट फूट कर रोने लगी।
मैं और हिना उनके पास गये और उनको तसल्ली देने लगे।
फिर वो एकदम से उठी और मुझको कस कर आलिंगन में ले लिया और मेरे होटों को बेतहाशा चूमने लगी।
मैंने भी उनको जफ़्फ़ी डाली और उनकी चूमाचाटी का वैसे ही जवाब देने लगा।
तब हिना बोली- आओ सोमू और मैडम, हम सब मेरे बैडरूम में चलते हैं।
बैडरूम में पहुँचते ही निर्मला तो मेरे ऊपर भूखे शेर की तरह से टूट पड़ी, चूमने चाटने के अलावा मेरे लंड को भी पैंट के बाहर से पकड़ कर मसलने लगी।
हिना ने जल्दी से मेरे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। कमीज और पैंट उतार कर मेरे अंडरवियर में हाथ डालने लगी तो मैंने उसका हाथ रोक दिया और कहा- पहले आप दोनों।
यह सुन कर निर्मला मुस्कराने लगी और हिना भी हंस दी, फिर दोनों ही अपनी साड़ियाँ उतार कर और ब्लाउज उतार रही थी कि मैंने निर्मला का हाथ रोक दिया और बोला- आपको निर्वस्त्र करने का सौभाग्य मुझको दीजिये मैडम जी! 
अब मैं निर्मला के ब्लाउज और पेटीकोट को बहुत धीरे धीरे से उतारने लगा और फिर उसकी ब्रा पर जब हाथ रखा तो उसके गोल और सॉलिड मम्मों को देख कर दिल एकदम से खुश हो गया।
उसके पेटीकोट को उतारा तो उसकी चूत पर हल्के काले बाल थे जिनको ट्रिम किया गया था।
मैं एकदम से झुका और अपना मुंह निर्मला जी की चूत में डाल दिया और उसकी चूत के लबों पर हल्के हल्के जीभ फेरने लगा।
ऐसा करते ही निर्मला एकदम से अकड़ गई और मेरा सर पकड़ कर उसने अपनी चूत में और ज़ोर से घुसेड़ दिया, अब उसकी भगनासा मेरे मुंह में थी और मैं उसको धीरे धीरे चूस रहा था।
मैंने अपना मुंह उसकी चूत से निकाल कर उसके मोटे मम्मों पर रख दिया और उसके चुचूकों को मज़ा लेकर चूसने लगा।
उधर देखा तो हिना भी अपने सारे कपड़े उतार कर मेरे अंडरवियर के पीछे लगी हुई थी, उसको जैसे ही उतारा तो मेरा गुसाया हुआ लंड टन से सीधा खड़ा हो गया।
मेरा लंड अब निर्मला की चूत में घुस रहा था और बाहर से घर्षण रगड़ण कर रहा था।
मैंने अपने मुंह को निर्मला के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ को चूसने लगा, उसकी जीभ भी मेरे मुंह में प्रवेश कर रही थी। अब मैंने निर्मला को उसके चूतड़ों से उठाया और अपनी बाँहों में लेकर उसको पलंग पर लिटा दिया, फ़िर मैं उसकी गोल और सफ़ेद गुदाज़ झांगों में बैठ कर अपने लंड का उसकी चूत में गृह प्रवेश करवा दिया।

मैंने हिना को इशारा किया कि वो निर्मला के मम्मों को चूसे।
जैसे ही लंड कुछ अंदर जा कर सारा निरीक्षण परीक्षण कर बैठा तो मैंने लंड से धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा निकाल कर सिर्फ अगली टिप अंदर रख के मैं फिर पूरा अंदर धकेल देता था, एक दो बार लंड को बाहर निकाल कर उसकी भग को थोड़ा लंड से रगड़ा और फिर पूरा घुसेड़ दिया।
इसी क्रम से मैंने निर्मला को चोदना शुरू किया और थोड़ी मेहनत के बाद पहला नतीजा सामने आया जब निर्मला कांपती हुई झड़ गई और मुझको अपने से चपटा लिया।
अब मैंने उसको अपने जांघों के ऊपर बिठा लिया बगैर लंड को निकाले, उसके चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर उसको आगे पीछे करने लगा और साथ ही उसके मम्मों को चूसने लगा।
हिना उसके पीछे बैठ गई और उसको आगे पीछे होने में मदद करने लगी, मैं कभी उसके लबों को चूसता और कभी उसकी जीभ के चुसके लेता, वो काफ़ी ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर से धक्के मार रही थी।
मैंने उसको कस कर जफ़्फ़ी मारी हुई थी और उसके मम्मों को अपनी छाती से क्रश किया हुआ था।
इस पोज़ में भी वो ज़्यादा देर नहीं टिक सकी और जल्दी ही ‘ओह्ह्ह आआह’ कह कर उसने अपना सर मेरे कंधे पर लुढ़का दिया और कम्कम्पाते हुई चूत से ढेर सारा पानी गिरा दिया।
मैंने देखा वो काफी थक चुकी थी तो मैंने उसको लेट जाने दिया।
मैं उठा और हिना के पीछे पड़ गया क्यूंकि मेरा लाला लंडम बहुत ही खूंखार मूड में था। मैं हिना को लेकर बेड में आ गया, निर्मला के पास ही उसको घोड़ी बनने के लिए कहा और खुद पीछे से उस पर बड़ा तीव्र हमला बोल दिया।
निर्मला भी यह खेल देख रही थी।
मैं लंड को पूरा हिना की चूत में अंदर डाल कर आहिस्ता आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा पूरा अंदर और फिर पूरा बाहर। हिना की चूत भी पूरी तरह से पनिया रही थी तो उसको भी चोदने का अलग ही आनन्द था, दोनों की चूत का पूरा हालाते हाजरा भी मिल रहा था, निर्मला की चूत ज़्यादा खुली और लचकीली थी लेकिन हिना की चूत टाइट और रसीली थी, निर्मला काफी सालों से ब्याहता थी लेकिन हिना तो अनब्याही थी।
मेरे धीमे धक्के अब तेज़ी में बदल रहे थे और मैं घोड़ी की लगाम अब कस के रख रहा था और साथ ही उसको थोड़ी ढील भी दे रहा था, वो भी अब आगे से पीछे को धक्के मारने लगी, जिसका मतलब साफ़ था कि वो भी अब छुटाई की कगार पर पहुँच चुकी थी।
मेरी चुदाई की स्पीड एकदम से बहुत तेज़ और फिर बहुत धीमी होने लगी, इस प्रकार मैंने हिना को जल्दी ही छूटा दिया।
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