RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
मैं बोला- लेकिन हमारी हाउसकीपर की एक शर्त होती है, मेरे साथ जो भी लड़की आती है मेरे घर में वो सारे कार्यक्रम में उपस्थित रहती है और वो उस कार्यक्रम का संचालन भी करती है, बोलो मंज़ूर है?
शानू बोली- यह कैसी शर्त है सोमू यार. एक बूढ़ी औरत का वहाँ क्या काम?
मैं बड़े ज़ोर से हंसा- बूढ़ी औरत? अरे नहीं वो तो 22-23 की है और सेक्स में एक्सपर्ट है, तुम से यही कोई 3-4 साल बड़ी होगी।
शानू बोली- अच्छा हम सोच कर लंच टाइम में तुमको बताती हैं।
फिर हम सब अपनी अपनी क्लासों में चले गए।
लंच टाइम में शानू और बानो मिली और उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी थी जिसका नाम उर्मिला था।
एकदम खिलता हुआ चेहरा, लालिमा भरी रंगत थी उसके चेहरे की और सिल्क की साड़ी में वो बेहद हसीन और सेक्सी लग रही थी। गोल गोल उभरे हुए उरोज और उसी तरह के गोल और मोटे चूतड़।
मैं तो उसको देखता ही रह गया।
फिर मैंने उनसे पूछा- क्यों शानू जी क्या फैसला किया आपने?
शानू बानो और उर्मि को देखते हुए बोली- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो!
मैं बोला- एक और बात, क्या आप सब नॉन-वेज हैं या फिर टोटली वेज हैं?
शानू बोली- क्यों यह क्यों पूछ रहे हो?
मैं बोला-वाह शानू जी, आप हमारे घर आएँगी तो हम ठाकुर लोग आपको ऐसे थोड़े ही जाने देंगे? कुछ खातिर वातिर भी तो करना फ़र्ज़ बनता है हमारा।
शानू हँसते हुए बोली- वैसे उर्मि भी ठाकुरों के खानदान से है और हम सब नॉन-वेज हैं।
मैं बोला- ठीक है, कल का लंच आप सब हमारे घर में करेंगी। क्यों ठीक है न?
शानू सबको देखने के बाद बोली- ठीक है सोमू यार, तुम इतनी तक़ल्लुफ़ में क्यों पड़ रहे हो?
जब घर पहुँचा तो कम्मो ने खाना परोस दिया और पास ही बैठ गई।
मैंने उसको सारी बात बताई और कहा- कल लंच और आगे के कार्यक्रम के लिए मैं उन कॉलेज की लड़कियों को बोल आया हूँ और यह भी बता दिया है कि तुम हम सबके साथ रहोगी।
कम्मो हँसते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो दिन पर दिन बहुत ही समझदार हो रहे हो!
मैंने कम्मो को समझा दिया कि उन तीन लड़कियों में से दो तो मैंने चोद रखी हैं और तीसरी मेरे लिये नई कली है। साथ ही मैंने उसके गोल चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।
वो भी मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उस को हॉट किस किया और उसके मम्मों को भी दबाया।
मेरा खाना खत्म हो चुका था, वो बर्तन लेकर चली गई।
उसको ठुमक ठुमक चलते देख कर सुमी भाभी की बहुत याद आ रही थी। क्या चीज़ थी यार और क्या चुदवाती थी!
हाँ, उसकी पुरानी प्यास थी लेकिन उसने कैसे उस पर काबू रखा, वो वाकयी सराहनीय था।
चलो कम्मो ने उसके पति को भी ठीक कर दिया और साथ में उसको एक बच्चे के सुख के भी योग्य बना दिया।
लेकिन उसका अपना क्या हुआ?
जब वो वापस आई तो मैं उसके हाथ को पकड़ कर अपने कमरे में ले गया और वहाँ उसको एक बहुत ही गर्म चुम्मी होटों पर कर दी।
मैंने जान कर अपनी एक टांग उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को छूने के लिए डाल दी।
तब मैंने उसको पूछा- कम्मो डार्लिंग, यह जो तुम्हारे पास बच्चों के बारे में जो हुनर है, उसका सही इस्तेमाल करो न, तुम पता लगाओ कैसे क्या करना है और मैं तुमको जगह और धन दिलवा दूंगा।
कम्मो बोली- वो सब मैंने पता कर लिया है, आप अगर इजाज़त दें तो मैं कोठी में एक छोटी कोठरी में अपना छोटा सा क्लिनिक खोल दूंगी।
मैं बोला- ठीक है, मैं आज ही मम्मी से बात करता हूँ, उनकी इजाज़त लेकर मैं यह तुम्हारे लिए कर देता हूँ, ठीक है?
कम्मो बोली- ठीक है।
फिर मैंने उसको कहा- तो चलो फिर एक छोटी सी चूत ही दे दो, बस इत्ता सा ही अंदर डालूँगा, सिर्फ डाला और निकाला, यही होगा!
कम्मो हँसते हुए बोली- मुझको सब मालूम है तुम कितना डालोगे और कितना निकलोगे।
यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी इत्यादि उतार दी और मैंने भी पैंट कमीज उतार दी।
फिर हम एक धीमी प्यारी सी चुदाई में लग गए, न ज़ोर का धक्का न ज़ोर का उछाला।
धीरे धीरे कभी न खत्म होने वाली चुदाई जिसमें दो जान एक शरीर हो जाते हैं, ना छुटाने की जल्दी न निकालने की जल्दी, हल्की प्यारी सी चूमा चाटी और फिर अंतहीन रगड़ा रगड़ी और साथ ही शारीरिक गर्मी उसकी मेरे में और मेरी उस में!
यह खेल खलते हुए ही हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए।
अगले दिन दोपहर को कॉलेज कैंटीन में शानू और बानो तो आ गई लेकिन उर्मि नहीं आई।
हम तीनो कैंटीन में इंतज़ार कर रहे थे, कोई 10 मिन्ट की इंतज़ार के बाद उर्मि भी आ गई।
हम सब दो रिक्शा पर बैठ कर मेरी कोठी पहुँच गए।
राम लाल चौकीदार ने हम सबको सलाम की और फिर मैं तीनों लड़कियों को लेकर बैठक में आ गया।
कम्मो रानी ग्लासों में शरबत ले आई और मैंने उन सबको उससे मिलवाया और यह भी बताया कि ये लड़कियाँ तुमको एक बुढ़िया समझ रही थी।
इस बात पर काफी हंसी मज़ाक चलता रहा।
खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था और अंत में हम सबने आइसक्रीम खाई।
खाना समाप्त करके हम सब मेरे कमरे में आ गए जहाँ कम्मो ने पहले से ही मोटे गद्दे बिछा रखे थे।
शानू और बानो को मैं नैनीताल में चोद चुका था तो वो झट से मेरे पास आ गई और मुझको दोनों ने अपने बाहों में भर लिया। मैं भी एक एक कर के दोनों को चूमने लगा और वो भी खुल्लम खुल्ला मेरे लौड़े को पकड़ कर खेलने लगी।
उर्मि यह सब बड़ी ही हैरानी से देख रही थी।
कम्मो उर्मि के पास गई और उसको लेकर मेरे पास आ गई।
शानू और बानो ने हम दोनों का पहले हाथ मिलवाया और फिर दोनों ने उर्मि को मेरी तरफ धकेल दिया।
मैंने झट से उसको अपनी बाहों में ले लिया और कहा- वेरी सॉरी उर्मि जी, आप से नई मुलाकात है न… तो अभी एक दूसरे के साथ खुल नहीं पाये।
उर्मि भी अपनी मधुर आवाज़ में बोली- आपका ज़िक्र बहुत बार इन दोनों ने मेरे से किया था लेकिन आपको देखा तो आप बहुत ही अच्छे निकले।
मैंने झट से उर्मि को अपने गले लगा लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटों को चूम लिया।
उसकी हाइट यही कोई 5 फ़ीट 5 इंच थी तो वो एकदम से मेरे साथ फिट बैठ गई।
जब उसके मोटे उरोज मेरी छाती से टकराये तो मुझको एक झनझनाहट सी हुई सारे शरीर में!
मैंने फिर से उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों को बार बार चूमने लगा।
कम्मो मुझको गुस्से में देख रही थी।
मैं समझ गया और मैंने झट से शानू को बाँहों में ले लिया और उसको गरम जोशी से भरी एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने अपना ध्यान बानो की तरफ किया और जल्दी ही उसको भी जफ़्फ़ी डाली और चूमा चाटी शुरू कर दी।
अब कम्मो ने तीनों लड़कियों से कहा- छोटे मालिक अब बारी बारी से आपके कपड़े उतारेंगे जिसमें मैं उनकी मदद करूंगी।
सबसे पहले बानो सामने आ गई और मैंने उसकी सलवार कमीज धीरे से उतार दी और उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को ब्रा में से उछल कर बाहर आते देखा, जल्दी से उसके मम्मों को एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने शानू को सामने पाया और वैसे ही उसके कपड़े भी उतार दिए और वैसी ही एक चुम्मी उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों को दे दी।
अब कम्मो उर्मि को लेकर मेरे सामने आई और उसके कपड़े खुद ही उतारने लगी। जब मैंने उसको देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि उसको वो काम करने दो।
धीरे धीरे से कम्मो पहले उर्मि की साड़ी उतारने लगी और फिर उसके पेटीकोट को उतार दिया लेकिन उसने ऐसे तरीके से उर्मि के कपड़ों को उतारा कि मैं और बाकी दोनों लड़कियाँ उसके मम्मों और चूत की झलक नहीं पा सके।
और अंत में उसने उसके मोटे मम्मों के ऊपर से ब्रा भी उतार दी लेकिन हम तीनों बड़ी उत्सुकता से उसके मम्मों और चूत की झलक पाने के लिए बेकरार थे।
कम्मो ने हमारी बेकरारी समझ ली थी, वो जानबूझ कर हम को तरसा रही थी और कुछ भी नहीं देखने दे रही थी।
उर्मि को भी सारे तमाशे से बड़ा आनन्द आ रहा था और वो भी भरसक कोशिश कर रही थी कि हम कुछ न देख पाएँ।
इस ऊहापोह में हमने मिल कर कम्मो की साड़ी खींच दी।
जैसे ही उसका ध्यान अपनी साड़ी की तरफ गया, हम तीनों ने उर्मि को खींच कर उसके पीछे से निकाल लिया।
अब उर्मि नंगी ही हम तीनों के सामने थी, मैं तो उसके मम्मों और काले बालों से ढकी चूत को देख कर मुग्ध हो गया, फिर उर्मि के गोल चूतड़ देखे तो मन एकदम पगला गया और मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को फिर से गले लगा लिया।
उर्मि भी आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने लगी।
तब कम्मो भी अपने कपड़े उतार कर उर्मि का साथ दे रही थी।
दोनों ने मिल कर मुझ को जल्दी ही नंगा कर दिया और उर्मि ने पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को देखा।
वो झट से बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल दिया और शानू और बानो भी मेरे दोनों और खड़ी हो गई और मेरी सफाचट छाती को चूमने लगी।
मुझको ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में अप्सराओं के बीच में खड़ा हूँ।मैं बोला- लेकिन हमारी हाउसकीपर की एक शर्त होती है, मेरे साथ जो भी लड़की आती है मेरे घर में वो सारे कार्यक्रम में उपस्थित रहती है और वो उस कार्यक्रम का संचालन भी करती है, बोलो मंज़ूर है?
शानू बोली- यह कैसी शर्त है सोमू यार. एक बूढ़ी औरत का वहाँ क्या काम?
मैं बड़े ज़ोर से हंसा- बूढ़ी औरत? अरे नहीं वो तो 22-23 की है और सेक्स में एक्सपर्ट है, तुम से यही कोई 3-4 साल बड़ी होगी।
शानू बोली- अच्छा हम सोच कर लंच टाइम में तुमको बताती हैं।
फिर हम सब अपनी अपनी क्लासों में चले गए।
लंच टाइम में शानू और बानो मिली और उनके साथ एक बहुत ही खूबसूरत लड़की भी थी जिसका नाम उर्मिला था।
एकदम खिलता हुआ चेहरा, लालिमा भरी रंगत थी उसके चेहरे की और सिल्क की साड़ी में वो बेहद हसीन और सेक्सी लग रही थी। गोल गोल उभरे हुए उरोज और उसी तरह के गोल और मोटे चूतड़।
मैं तो उसको देखता ही रह गया।
फिर मैंने उनसे पूछा- क्यों शानू जी क्या फैसला किया आपने?
शानू बानो और उर्मि को देखते हुए बोली- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो!
मैं बोला- एक और बात, क्या आप सब नॉन-वेज हैं या फिर टोटली वेज हैं?
शानू बोली- क्यों यह क्यों पूछ रहे हो?
मैं बोला-वाह शानू जी, आप हमारे घर आएँगी तो हम ठाकुर लोग आपको ऐसे थोड़े ही जाने देंगे? कुछ खातिर वातिर भी तो करना फ़र्ज़ बनता है हमारा।
शानू हँसते हुए बोली- वैसे उर्मि भी ठाकुरों के खानदान से है और हम सब नॉन-वेज हैं।
मैं बोला- ठीक है, कल का लंच आप सब हमारे घर में करेंगी। क्यों ठीक है न?
शानू सबको देखने के बाद बोली- ठीक है सोमू यार, तुम इतनी तक़ल्लुफ़ में क्यों पड़ रहे हो?
जब घर पहुँचा तो कम्मो ने खाना परोस दिया और पास ही बैठ गई।
मैंने उसको सारी बात बताई और कहा- कल लंच और आगे के कार्यक्रम के लिए मैं उन कॉलेज की लड़कियों को बोल आया हूँ और यह भी बता दिया है कि तुम हम सबके साथ रहोगी।
कम्मो हँसते हुए बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो दिन पर दिन बहुत ही समझदार हो रहे हो!
मैंने कम्मो को समझा दिया कि उन तीन लड़कियों में से दो तो मैंने चोद रखी हैं और तीसरी मेरे लिये नई कली है। साथ ही मैंने उसके गोल चूतड़ों को साड़ी के ऊपर से दबाना शुरू कर दिया।
वो भी मेरी गोद में आकर बैठ गई, मैंने उस को हॉट किस किया और उसके मम्मों को भी दबाया।
मेरा खाना खत्म हो चुका था, वो बर्तन लेकर चली गई।
उसको ठुमक ठुमक चलते देख कर सुमी भाभी की बहुत याद आ रही थी। क्या चीज़ थी यार और क्या चुदवाती थी!
हाँ, उसकी पुरानी प्यास थी लेकिन उसने कैसे उस पर काबू रखा, वो वाकयी सराहनीय था।
चलो कम्मो ने उसके पति को भी ठीक कर दिया और साथ में उसको एक बच्चे के सुख के भी योग्य बना दिया।
लेकिन उसका अपना क्या हुआ?
जब वो वापस आई तो मैं उसके हाथ को पकड़ कर अपने कमरे में ले गया और वहाँ उसको एक बहुत ही गर्म चुम्मी होटों पर कर दी।
मैंने जान कर अपनी एक टांग उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को छूने के लिए डाल दी।
तब मैंने उसको पूछा- कम्मो डार्लिंग, यह जो तुम्हारे पास बच्चों के बारे में जो हुनर है, उसका सही इस्तेमाल करो न, तुम पता लगाओ कैसे क्या करना है और मैं तुमको जगह और धन दिलवा दूंगा।
कम्मो बोली- वो सब मैंने पता कर लिया है, आप अगर इजाज़त दें तो मैं कोठी में एक छोटी कोठरी में अपना छोटा सा क्लिनिक खोल दूंगी।
मैं बोला- ठीक है, मैं आज ही मम्मी से बात करता हूँ, उनकी इजाज़त लेकर मैं यह तुम्हारे लिए कर देता हूँ, ठीक है?
कम्मो बोली- ठीक है।
फिर मैंने उसको कहा- तो चलो फिर एक छोटी सी चूत ही दे दो, बस इत्ता सा ही अंदर डालूँगा, सिर्फ डाला और निकाला, यही होगा!
कम्मो हँसते हुए बोली- मुझको सब मालूम है तुम कितना डालोगे और कितना निकलोगे।
यह कहते हुए उसने अपनी साड़ी इत्यादि उतार दी और मैंने भी पैंट कमीज उतार दी।
फिर हम एक धीमी प्यारी सी चुदाई में लग गए, न ज़ोर का धक्का न ज़ोर का उछाला।
धीरे धीरे कभी न खत्म होने वाली चुदाई जिसमें दो जान एक शरीर हो जाते हैं, ना छुटाने की जल्दी न निकालने की जल्दी, हल्की प्यारी सी चूमा चाटी और फिर अंतहीन रगड़ा रगड़ी और साथ ही शारीरिक गर्मी उसकी मेरे में और मेरी उस में!
यह खेल खलते हुए ही हम दोनों एक दूसरे की बाहों में सो गए।
अगले दिन दोपहर को कॉलेज कैंटीन में शानू और बानो तो आ गई लेकिन उर्मि नहीं आई।
हम तीनो कैंटीन में इंतज़ार कर रहे थे, कोई 10 मिन्ट की इंतज़ार के बाद उर्मि भी आ गई।
हम सब दो रिक्शा पर बैठ कर मेरी कोठी पहुँच गए।
राम लाल चौकीदार ने हम सबको सलाम की और फिर मैं तीनों लड़कियों को लेकर बैठक में आ गया।
कम्मो रानी ग्लासों में शरबत ले आई और मैंने उन सबको उससे मिलवाया और यह भी बताया कि ये लड़कियाँ तुमको एक बुढ़िया समझ रही थी।
इस बात पर काफी हंसी मज़ाक चलता रहा।
खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था और अंत में हम सबने आइसक्रीम खाई।
खाना समाप्त करके हम सब मेरे कमरे में आ गए जहाँ कम्मो ने पहले से ही मोटे गद्दे बिछा रखे थे।
शानू और बानो को मैं नैनीताल में चोद चुका था तो वो झट से मेरे पास आ गई और मुझको दोनों ने अपने बाहों में भर लिया। मैं भी एक एक कर के दोनों को चूमने लगा और वो भी खुल्लम खुल्ला मेरे लौड़े को पकड़ कर खेलने लगी।
उर्मि यह सब बड़ी ही हैरानी से देख रही थी।
कम्मो उर्मि के पास गई और उसको लेकर मेरे पास आ गई।
शानू और बानो ने हम दोनों का पहले हाथ मिलवाया और फिर दोनों ने उर्मि को मेरी तरफ धकेल दिया।
मैंने झट से उसको अपनी बाहों में ले लिया और कहा- वेरी सॉरी उर्मि जी, आप से नई मुलाकात है न… तो अभी एक दूसरे के साथ खुल नहीं पाये।
उर्मि भी अपनी मधुर आवाज़ में बोली- आपका ज़िक्र बहुत बार इन दोनों ने मेरे से किया था लेकिन आपको देखा तो आप बहुत ही अच्छे निकले।
मैंने झट से उर्मि को अपने गले लगा लिया और उसके हल्के गुलाबी होंटों को चूम लिया।
उसकी हाइट यही कोई 5 फ़ीट 5 इंच थी तो वो एकदम से मेरे साथ फिट बैठ गई।
जब उसके मोटे उरोज मेरी छाती से टकराये तो मुझको एक झनझनाहट सी हुई सारे शरीर में!
मैंने फिर से उसको बाँहों में भर लिया और उसके होटों को बार बार चूमने लगा।
कम्मो मुझको गुस्से में देख रही थी।
मैं समझ गया और मैंने झट से शानू को बाँहों में ले लिया और उसको गरम जोशी से भरी एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने अपना ध्यान बानो की तरफ किया और जल्दी ही उसको भी जफ़्फ़ी डाली और चूमा चाटी शुरू कर दी।
अब कम्मो ने तीनों लड़कियों से कहा- छोटे मालिक अब बारी बारी से आपके कपड़े उतारेंगे जिसमें मैं उनकी मदद करूंगी।
सबसे पहले बानो सामने आ गई और मैंने उसकी सलवार कमीज धीरे से उतार दी और उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को ब्रा में से उछल कर बाहर आते देखा, जल्दी से उसके मम्मों को एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने शानू को सामने पाया और वैसे ही उसके कपड़े भी उतार दिए और वैसी ही एक चुम्मी उसके छोटे लेकिन सॉलिड मम्मों को दे दी।
अब कम्मो उर्मि को लेकर मेरे सामने आई और उसके कपड़े खुद ही उतारने लगी। जब मैंने उसको देखा तो उसने आँख से इशारा किया कि उसको वो काम करने दो।
धीरे धीरे से कम्मो पहले उर्मि की साड़ी उतारने लगी और फिर उसके पेटीकोट को उतार दिया लेकिन उसने ऐसे तरीके से उर्मि के कपड़ों को उतारा कि मैं और बाकी दोनों लड़कियाँ उसके मम्मों और चूत की झलक नहीं पा सके।
और अंत में उसने उसके मोटे मम्मों के ऊपर से ब्रा भी उतार दी लेकिन हम तीनों बड़ी उत्सुकता से उसके मम्मों और चूत की झलक पाने के लिए बेकरार थे।
कम्मो ने हमारी बेकरारी समझ ली थी, वो जानबूझ कर हम को तरसा रही थी और कुछ भी नहीं देखने दे रही थी।
उर्मि को भी सारे तमाशे से बड़ा आनन्द आ रहा था और वो भी भरसक कोशिश कर रही थी कि हम कुछ न देख पाएँ।
इस ऊहापोह में हमने मिल कर कम्मो की साड़ी खींच दी।
जैसे ही उसका ध्यान अपनी साड़ी की तरफ गया, हम तीनों ने उर्मि को खींच कर उसके पीछे से निकाल लिया।
अब उर्मि नंगी ही हम तीनों के सामने थी, मैं तो उसके मम्मों और काले बालों से ढकी चूत को देख कर मुग्ध हो गया, फिर उर्मि के गोल चूतड़ देखे तो मन एकदम पगला गया और मैंने आगे बढ़ कर उर्मि को फिर से गले लगा लिया।
उर्मि भी आगे बढ़ कर मेरे कपड़े उतारने लगी।
तब कम्मो भी अपने कपड़े उतार कर उर्मि का साथ दे रही थी।
दोनों ने मिल कर मुझ को जल्दी ही नंगा कर दिया और उर्मि ने पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को देखा।
वो झट से बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल दिया और शानू और बानो भी मेरे दोनों और खड़ी हो गई और मेरी सफाचट छाती को चूमने लगी।
मुझको ऐसा लगा कि मैं स्वर्ग में अप्सराओं के बीच में खड़ा हूँ।
कम्मो ने जल्दी से आगे बढ़ कर मुझसे पूछा- छोटे मालिक, आप ठीक तो हैं न?
मैंने उसको आँख मारी- कम्मो डार्लिंग, यह सब होने के बाद मैं कैसे ठीक रह सकता हूँ, मेरा तो स्वर्गवास हो गया लगता है।
तीनों लड़कियाँ यह सुन कर बहुत ज़ोर से हंसने लगी।
अब उर्मि बोली- इतने मोटे और लम्बे लंड वाला भूत मैंने पहले कभी नहीं देखा था।
मैं भी बोला- इतनी सुंदर परियाँ मैंने पहले कभी नहीं देखी थीं।
और मैंने झट से उर्मि के गोल मम्मों को झपट कर पकड़ लिया और उनको चूमने लगा। उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली हुई थी और लंड के लिए बेकरार हो रही थी।
कम्मो ने कहा- अब उर्मि नीचे लेट जाए और छोटे मालिक उसको चोदना शुरू कर दें ताकि बाकी दोनों की भी बारी आ जाए। जब तक ये दोनों चुदाई में बिजी हैं, तब तक हम तीनों एक दूसरे से प्रेमालाप करेंगी। उर्मि के बाद शानू की बारी और आखिर में बानो और मेरी बारी है।
मैंने पहले उर्मि को होंटों पर चुम्बन किया और फिर उसके मम्मों को चूसता हुआ पेट पर उसकी नाभि में जीभ से चुसाई और फिर नीचे का सफर शुरू हुआ।
नीचे पहुँच कर नर्म, गुलाबी और उभरी हुई चूत को देखा, उसको सूंघा और फिर उसमें जीभ से हमला कर दिया।
उसकी भग को चूसने लगा तो उर्मि ने अपनी कमर उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह में दे मारा और उसको मेरे मुंह में रगड़ने लगी।
वो बहुत ही कामातुर हो चुकी थी और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से खींच रही थी, मेरा लौड़ा भी इस हसीना की चूत के लिए तरस गया था।
मैं उसकी टांगों में बैठा और अपने लोह समान लंड को चूत के निशाने पर बिठा कर एक हल्का धक्का मारा, उर्मि की चूत बहुत ही टाइट थी तो लौड़ा बाहर ही रुका हुआ था।
थोड़ी देर मैंने लंड को चूत के मुंह और भग पर रगड़ा और फिर प्रवेष के लिए अर्जी दी, इस बार शायद चूत ने इजाजत दे दी थी और लौड़ा आसानी से पूरा अंदर चला गया।
जैसे ही लंड पूरा अंदर गया, उर्मि के मुंह से बहुत ज़ोर से हाय की आवाज़ निकली।
मैंने घबरा कर पूछा- अंदर जगह कम है तो थोड़ा निकाल लूँ क्या?
उर्मि तो नहीं समझी इस लतीफ़े को, लेकिन शानू और बानो ज़ोर से हंस पड़ी।
मैं धीरे धीरे से चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा।
उधर कम्मो भी दोनों सेहलियों को गर्म करने में लगी थी, एक की चूत में उंगली थी और दूसरी के मम्मों में मुंह था।
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