RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
तब तक भाभी ने मेरा लंड मेरी पैंट से निकाल लिया था और उसको बड़े गौर से देख रही थी, वो सीधा रॉड की तरह एकदम खड़ा था और इधर उधर झूल रहा था।
मैंने भी भाभी की साड़ी चूत के ऊपर कर दी थी और उसकी सफाचट चूत को बड़े ध्यान से देख रहा था।
मैं बोला- आपकी चूत इतनी सुन्दर है लेकिन अगर इस पर बाल होते न, तो यह और भी सेक्सी लगती। मुझको बालों से भरी चूत बहुत ज़्यादा पसंद है।
भाभी बोली- अगली बार आऊँगी तो इस पर घने बाल उगा कर लाऊंगी सिर्फ तुम्हारे लिए सोमू।
मैंने चूत पर हाथ लगाया तो वो बहुत ही गीली हो रही थी, मैं बिना अपनी पैंट उतारे ही भाभी पर चढ़ गया, भाभी ने भी अपने टांगें फैला दी थीं और चूत एकदम से सामने आ गई थी।
मैंने धीरे से लंड को चूत में डाला और फिर आहिस्ता से अंदर बाहर करने लगा, गीली चूत होने के कारण फच फच की आवाज़ आने लगी।
मैं धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ाने लगा, फिर मैंने भाभी के चूतड़ों के नीचे हाथ रख दिए और चूत को ऊपर उठा दिया ताकि लंड पूरा अंदर तक जा सके।
कभी तेज़ और कभी धीरे और कभी पूरा निकाल कर सिर्फ आगे का हिस्सा अंदर और फिर कभी लंड के मुंह को भाभी के भग पर रगड़ना… इन सब तरीकों से मैं भाभी को चोद रहा था और मेरी इस मेहनत का फल यह मिला कि भाभी का जब छूटा तो वो इतने ज़ोर से चिल्लाई और उसका सारा जिस्म एकदम से अकड़ गया, मुझको इतने ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली कि मेरा अंग अंग चरमरा गया।
मैं भाभी का छूटने के बाद भी अपने लंड को चूत के अंदर डाले ही भाभी के ऊपर लेटा रहा और मैं भाभी के मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से चूमने लगा।
तब भाभी अपनी टांगें सिकोड़ने लगी, जिसका मतलब था कि मैं उनके ऊपर से हट जाऊ।ं।
मैंने भाभी को एक हॉट किस की और फिर उठ गया और अपने कमरे में आ लेट गया।
फिर ना जाने कब मेरी नींद लग गई.
रात को कम्मो ने भाभी को पूरी बात समझा दी थी कि कैसे गर्भाधान की क्रिया शुरू होगी और कैसे इसका समापन होगा और यह भी बता दिया था कि इस सारे काम में 2-3 दिन लग सकते हैं।
भाभी ने कहा था कि वो कोशिश करके भैया को एक आध दिन और रोक लेंगी अगर इसकी ज़रूरत पड़ी तो!
रात को जब मैं और भाभी खाना खा चुके तो कम्मो हमारे लिए एक खास खीर बना कर ले आई जो हम दोनों को खानी थी।
खीर अति स्वादिष्ट थी और मैंने और भाभी ने दो दो बार खाई।
फिर हम दोनों मेरे बेडरूम में आ गए और एक दूसरे को देखने लगे।
तभी कम्मो आ गई बोली- छोटे मालिक, आप कुरता पायजामा पहन कर तैयार हो जाइए, मैं भाभी को ख़ास तौर से तैयार करके लाती हूँ।
कम्मो और भाभी उनके कमरे में चली गई और मैं वहीं बैठा बोर हो रहा था।
थोड़ी देर बाद वो भाभी को शादी वाले जोड़े में सजा कर लाई मेरे कमरे में! आते ही उसने कहा- हज़ूर नवाब साहिब, आपकी मलिका सुहागरात के लिए तैयार है।
मैं भी उसी लहजे में बोला- ऐ हसीं बांदी, क्या तुम्हारी मलिका हुसन का मुजस्मा है?
वो बोली- आप खुद ही उनका दीदार कर लीजिये, यह हुस्न का तौहफा आपके लिए यह कनीज़ ख़ास तौर से तैयार करके लाई है।
मैं बोला- बहुत खूब ऐ खूबसूरत कनीज़, तुमने हमारी बहुत अरसे की दिली मुराद को पूरा किया है, हम तुमको इनामात से सरोबार कर देंगे।
कम्मो बोली- अगर जान की ईमान पाऊँ तो अर्ज़ करने की गुस्ताखी कर रही हूँ कि आप और मालिकाए आला की मदद करने के लिए यह नाचीज़ आपके इस शाही हरम में आपके रूबरू रहने की इजाज़त मांगती है!
तभी भाभी घूँघट की आड़ से बोली- अरे तुम यह क्या गिटर पिटर कर रहे हो, कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या बोल रहे हो तुम दोनों।
यह सुनना था कि मैं और कम्मो ज़ोर से हंस दिए, इस सारे चक्कर में भाभी का घूंघट भी खुल गया था और वो हैरत से हम दोनों को देख रही थी कि इन दोनों को क्या हुआ है जो खामख्वाह ही हंस रहे हैं।
कम्मो ने भाभी का चेहरा फिर घूंघट में डाला और उनको पलंग पर बैठा दिया।
मैं धीरे से सजी धजी भाभी के करीब जा ही रहा था कि उससे पहले ही कम्मो ने मुझको एक गुलाब का फूल पकड़ा दिया और आँखों से इशारा किया कि यह मैं भाभी का घूंघट उठाने के बाद उनको पेश करूँ।
मैंने ऐसा ही किया, बड़े धीमे से भाभी का घूंघट उठाया और उनको गुलाब का फूल पेश किया और बोला- माशाल्लाह, क्या हुस्न है ऐ मलिका-ऐ-आलिया… मेरे ख्वाबों की हसीं परी, आपकी खिदमत में यह अदना सा तौहफा पेश है।
भाभी बोली- सोमू यार, यह क्या चल रहा है? कहाँ है मलिका-ऐ-आलिया और कहाँ है मेरा तौलिया?
इतना सुनना था कि मेरा और कम्मो का हंसी के मारे बुरा हाल हो रहा था।
भाभी हैरान और परेशान हम दोनों को टुकर टुकर देख रही थी।
फिर कम्मो ने भाभी को समझाया कि यह सिर्फ एक खेल है जो हम अक्सर एक दूसरे के साथ खेलते हैं क्यूंकि लखनऊ एक नवाबों का शहर है इसलिए लखनवी तहज़ीब तो दिखानी ही पड़ेगी ना!
कम्मो खेल को आगे बढ़ाते हुए बोली- छोटे मालिक, आप अब आगे बढ़ कर मलिका-ऐ-आलिया का घूंघट हटा दीजिये।
घूँघट हटने के बाद मैंने उनके लबों को चूम लिया और उनके सारे जिस्म को गौर से देखने लगा जैसे कि अक्सर नया दूल्हा अपनी नई ब्याहता दुल्हनिया को बड़ी उमंग से देखता है।
मैं बोला- ऐ लखनऊ की हसीं दर हसीं मलिकाये-आलिया, अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं आपके संगमरमरी जिस्म को देखने की जुर्रत कर सकता हूँ क्या?
तब भाभी भी मलिका-ऐ-आलिया के रोल को खलते हुए बोली- ऐ हमारे सरताज, इस लौंडिया की क्या हिम्मत जो नवाब-ए-अवध को हमारे इस अदना से जिस्म को ना देखने देने की जुर्रत कर सके!
इतना सुनना था कि मैं पहले भाभी की साड़ी उतारने लगा और इस काम में कम्मो भी पूरी तरह से शामिल हो गई, पहले धीरे से उनकी साड़ी उतार दी फिर उनके ब्लाउज पर हाथ साफ़ किया और आखिर में उनके पेटीकोट को उतार दिया।
तब भाभी ने आगे बढ़ कर मेरे पायज़ामे का नाड़ा खोल दिया और कुरता भी उतार दिया, मेरे खड़े लंड को झुक कर भाभी ने प्रणाम किया और कहा- हे लंडम, जी मुझको एक पुत्र प्रदान करो!
मैंने भी एक हाथ ऊँचा कर के कहा- तथास्तु… पुत्रवती भव!!!
कम्मो भी मुस्कराते हुए बोली- चलो, अब आगे की कार्यवाही शुरू करते हैं। छोटे मालिक अब आप भी शुरू हो जाएँ।
मैंने झुकी हुई भाभी को अपने हाथों से उठाया और कहा- भाभी, नाटक खत्म हुआ, अब आप बताओ कैसे चुदना पसंद करेंगी?
भाभी शर्माते हुए बोली- जैसे तुम चाहो और जिससे बच्चा होने की संभावना अधिक हो, वैसे ही चोदो मुझको।
मैं बोला- इस मामले की माहिर तो अपनी कम्मो रानी है, वो ही बता सकती है कि कैसे चुदाई करें हम! डॉक्टर कम्मो रानी, आप बताओ कैसे चोदना है भाभी को?
इस बीच भाभी मेरे लंड से खेल रही थी और उसको इधर उधर कर रही थी लेकिन वो फिर अटेंशन में सीधा खड़ा हो जाता था।
कम्मो ने कहा- सबसे पहले भाभी को घोड़ी बना कर चोदेंगे आप छोटे मालिक, जैसे आप पहले भी कर चुके हैं, जब मैं इशारा करूँगी आप अपना वीर्य भाभी की चूत में छोड़ेंगे। आगे मैं देख लूँगी, ठीक है?
अब मैंने भाभी को गले से लगा लिया और उनके मोटे और मुलायम चूतड़ों को दबाने लगा। भाभी भी अपनी चूत को मेरे खड़े लंड से रगड़ रही थी।
इसी तरह हम एक दूसरे को गले लगा कर प्रगाढ़ आलिंगन में बंधे हुए सारे कमरे का चक्कर लगाने लगे।
मेरा लौड़ा भाभी की चूत के ऊपर हल्की हल्की रगड़ लगा रहा था जिससे भाभी का जोश एकदम से बहुत तीव्र हो रहा था।
फिर मैं एकदम से नीचे बैठ गया और अपना मुंह भाभी की चूत में डाल दिया। भाभी वहीं लेटने लगी लेकिन कम्मो उनको उठा कर ऊपर पलंग पर ले गई और मुझको भी वहाँ आने का इशारा करने लगी।
भाभी ने पलंग पर लेटने के बाद अपनी गोल सफेद टांगों को खोल दिया और मैंने झट से अपनी पोजीशन लेकर उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में ही भाभी इतनी गर्म हो गई कि उन्होंने मुझको मेरे बालों से पकड़ कर मुझको चूत से हटा कर अपने ऊपर कर लिया और मेरे मुंह को बेतहाशा चूमने लगी।
मैंने भी उनकी चुम्मियों का जवाब वैसे ही दिया और फिर उनको घोड़ी बनने के लिए उकसाया।
जब भाभी घोड़ी बन गई तो मैं भी उस चूतड़ों के बीच से अपना लंड उनकी उभरी हुई चूत में धीरे धीरे डालने लगा, लंड जब पूरा अंदर चला गया तो मैं ज़रा रुक गया और आज की भाभी की चूत की पकड़ को सराहने लगा, इतनी तेज़ और मज़बूत पकड़ भाभी की चूत में पहले कभी नहीं थी, यह ज़रूर कम्मो की ख़ास डिश का कमाल था।
अब मैंने धीरे धीरे चुदाई की स्पीड बढ़ा दी, लंड को पूरा निकाल कर फिर धीरे से अंदर डालने का क्रम शुरू कर दिया। लंड पूरा निकाल कर धीरे धीरे से पूरा डालना भी एक कला होती है जो चूत के शहसवार अच्छी तरह से जानते हैं क्योंकि लंड को पूरा निकालने का मतलब है कि लंड की टिप कभी भी चूत के बाहर नहीं आनी चाहिए।
इस तरीके से पूरे लंड का घर्षण और गर्जन कायम रहता है और औरतों को लंड का पूरा मज़ा मिलता रहता है।
और उधर कम्मो भी भाभी को गर्म करने की कोशिश कर रही थी, वो उसके गोल और मोटे मम्मों के साथ खेल रही थी।
फिर वो भाभी की चूत में हाथ डाल कर उसकी भग को रगड़ने लगी, थोड़ी देर में भाभी खूब हिलते हुए झड़ गई।
मैंने अपनी चुदाई स्पीड फिर एकदम आहिस्ता कर दी ताकि भाभी को फिर गर्म करके उसका एक बार और छुड़ाया जाये।
मैं अब पूरा का पूरा लंड एक साथ अंदर डाल कर उसको भाभी की चूत में थोड़ा थोड़ा घुमाने लगा, यह स्टाइल भाभी को बहुत पसंद आया और वो जल्दी जल्दी अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी।
कम्मो जो अभी भी भाभी की चूत में हाथ डाले हुए थी और उसके भग को रगड़ रही थी, नीचे से ही मुझको इशारा किया और मैं अपने लौड़े का घोड़ा सरपट दौड़ाने लगा।
इस रेस में भाभी एक बार फिर एकदम से अकड़ी और फिर चूतड़ हिलाती हुई झड़ गई और उनकी चूत से बहुत सा पानी नीचे गिरा।
अब कम्मो ने मुझको इशारा किया कि मैं अपना छूटा लूँ जल्दी ही!
मैंने लंड से भाभी की चूत के अंदर उसके गर्भाशय के मुंह को तलाश लिया और जब मेरा लंड उनके ठीक गर्भाशय के मुंह पर था तो मैंने अपना वीर्य का बाँध खोल दिया और भाभी की चूत को अपने वीर्य से पूरा भर दिया।
जैसे ही गर्म वीर्य भाभी की चूत और गर्भाशय पर गिरा, भाभी एक बार फिर झड़ गई और वो पलंग पर लेटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने उनके चूतड़ अपने हाथों में पकड़ रखे थे।
कम्मो ने जल्दी से भाभी के पेट के नीचे 2 मोटे तकिये रख दिए ताकि उनके चूतड़ ऊपर रहें और वीर्य नीचे न बह जाए।
मैं भी उठ कर अपना लंड को साफ़ करने के लिए बाथरूम में चल गया।
तब तक भाभी सामान्य हो चुकी थी।
फिर हम पलंग पर लेट गए, एक तरफ़ कम्मो नंगी लेट गई और दूसरी तरफ़ भाभी, बीच में मैं लेट गया।
भाभी कुछ थकी हुई लगी और वो झट ही सो गईं।
मैंने कम्मो की चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली हो रही थी। मैंने देखा कि भाभी तो काफी गहरी नींद में थी तो मैं पहले कम्मो को चूमता रहा और फिर उसके मम्मों को चूसा और फिर उसकी भग को थोड़ी देर मसला और फिर जब वो मुझको खुद ही लंड से खींच कर अपने ऊपर आने का न्योता देने लगी तो मैं भी उसके ऊपर चढ़ गया।
कम्मो के साथ चुदाई एक इंस्ट्रक्टर के साथ चुदाई के समान था क्यूंकि वो बड़े ध्यान से मेरी हर चेष्टा को देखती थी और जहाँ मैं गलती करता था वो मेरा कान पकड़ने में नहीं हिचकिचाती थी।
लेकिन मैं कम्मो को चोदते हुए ख़ास ख्याल रखता था कि उसके द्वारा बताये हुए तरीके का पूरी तरह से पालन हो क्यूंकि मैं उसके कमज़ोर पॉइंट अब जान गया था तो मुझको अपनी मर्ज़ी के मुताबिक उसको छुटाना आता था। अब भी वैसा ही हुआ, मैंने जल्दी से कम्मो रानी का छूटा दिया और उसके बाद एक मधुर चुम्बन और प्रगाढ़ आलिंगन के बाद हम दोनों सो गए।
सुबह उठा तो देखा कि कम्मो रानी तो नहीं थी लेकिन भाभी मस्त सोई थी। मैं उठा और टेबल पर रखी चाय पीकर अपने कपड़े पहनने लगा।
तब तक मैं नंगी लेटी भाभी के जिस्म को ही देखता रहा, एकदम लेटी औरत सदा ही काफी सेक्सी लगती है।
थोड़ी देर बाद भाभी को वैसे हो सोते छोड़ कर मैं कॉलेज की तैयारी में लग गया और जल्दी ही नहा धोकर तैयार होने लगा।
तब भाभी भी जाग गई और बड़ी ही मस्त अंगड़ाई लेती हुई उठी और मुझको एक बड़ी ही हॉट जफ़्फ़ी डाल दी और फिर मुझको बेतहाशा चूमने और मेरे लंड को पकड़ने लगी।
मैं बोला- क्या हुआ भाभी? इतनी मेहरबान क्यों हो रही हो?
भाभी मुझको कस कर फिर से जफ़्फ़ी डालने लगी और बोली- वाह सोमू राजा, यार तुमने तो कमाल कर दिया।
मैं हैरान होकर बोला- ऐसा क्या किया है मैंने भाभी जान?
भाभी बोली- रात को तुम सोये सोये ही मुझ पर 3 बार चढ़े हो और 2 बार कम्मो पर भी चढ़े, अपने आप चढ़ जाते हो और फिर जब मेरा छूट जाता था तुम अपने आप ही उतर जाते थे। यह कैसे होता है यार? तुम्हारी आँखें तो पूरी तरह से बंद थी।
मैं बोला- मैं खुद नहीं जानता यह कैसे होता है भाभी। अगर मैंने आपको सोये सोये चोद कर गलती की है तो मुझको माफ़ कर दीजिए।
भाभी एकदम प्यार से बोली- नहीं सोमू, मैं तो अपनी हैरानी बता रही थी तुमको!
मैं बोला- मैं अपनी इस कमज़ोरी को जानता हूँ लेकिन कम्मो कहती है कि मेरा शरीर बहुत अधिक यौन क्रिया करने में सक्षम है तो वो बगैर मेरे चाहे ही ऐसा हो जाता है।
इतने में कम्मो भी आ गई और भाभी को सुबह की चाय देते हुए बोली- मैंने सुन लिया है भाभी आप जो कह रही हैं वो बिल्कुल सही है, छोटे मालिक को रात को कुछ नहीं पता रहता कि वो क्या कर रहे हैं।
भाभी बोली- जो सोमू की पत्नी बनेगी, उसकी तो मौज ही मौज है।
कम्मो बोली- अच्छा भाभी, छोटे मालिक तो कॉलेज जा रहे हैं और वापस आकर फिर से आप को चोदेंगे ताकि गर्भ ठहरने की सम्भावना बढ़ जाए। ठीक है न? भैया तो शाम को को ही आएंगे ना?
भाभी ने कहा- वो कह रहे थे कि उनको लौटते हुए शाम हो जायेगी।
कॉलेज से लौटा तो जल्दी से खाना खाकर मैं तैयार हो गया और कम्मो भाभी को ले कर मेरे कमरे में आ गई।
कम्मो बोली- भाभी, जी आपको पूर्ण रूप से कामवासना से ओतप्रोत होना है तो मैं इस काम में आपकी मदद करती हूँ और छोटे मालिक भी यही काम करेंगे।
हम तीनों जल्दी ही वस्त्रहीन हो गए और कम्मो ने भाभी को पलंग पर लिटा दिया, फिर मैंने भाभी के गोल सॉलिड मम्मों को मुंह में ले लिया और उनको चूसने लगा।
काली गोल चूचियों को चूसना भाभी को बहुत अधिक मज़ा देता था, वो काम मैंने शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में भाभी गर्मी से उफन गई और उनकी चूत में उंगली डाली तो वो एकदम गीली हो रही थी।
तब कम्मो ने मुझको इशारा किया, मैंने भाभी को पलंग पर चिट लेटा दिया और उनकी चौड़ी संगममर जैसी टांगों में बैठ कर चुदाई का काम शुरू कर दिया।
भाभी जल्दी ही चुदाई में पूरी तरह से रंग गई और खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे धक्कों का जवाब देने लगी।
कोई 10-12 मिन्ट बाद मैंने महसूस किया कि भाभी के गर्भाशय का मुंह खुल रहा है और बंद हो रहा है। तभी भाभी का छूट गया और मेरे जांघों को भिगो गया।
अब मैंने फिर धीरे धीरे से और फिर जल्दी ही तेज़ तेज़ चुदाई करने दी।
इस बीच कम्मो भाभी के मम्मों को चूस रही थी और साथ ही उसके भग को भी मसल रही थी।
अब भाभी ने अपनी कमर को ऊपर को उठा कर झटका देना शुरू कर दिया और मैं समझ गया कि भाभी फिर स्खलित होने वाली हैं, मेरे धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज़ हो गई और मैंने अपने दोनों हाथ भाभी के चूतड़ों के नीचे रख कर उनको ऊपर उठा लिया और गहरे और तेज़ धक्के मारने लगा।
भाभी जोश में तड़फड़ा रही थी और अपने सर को इधर उधर कर रही थी, कम्मो ने इशारा किया और मैंने भी निशाना साध कर ठीक उनके गर्भाशय पर लंड को बिठा कर अपना तीव्र फव्वारा छोड़ दिया।
मैंने भाभी के चूतड़ों को ऊपर उठाये हुए ही अपने लंड के साथ जोड़ दिया।
कम्मो ने बाद में बताया कि मैं और भाभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए बुरी तरह से कांप रहे थे।
भाभी को नीचे पलंग पर लिटा कर कम्मो ने उनके चूतड़ों के नीचे मोटे तकिये को रख दिया और मुझको नीचे आने के लिए कहा।
मैं बगल में लेट गया और ज़ोर ज़ोर से हांफ़ने लगा, जब थोड़ा हांफ़ना कम हुआ तो कम्मो ने वहीं रखा खास शरबत का गिलास हम दोनों को पकड़ा दिया।
भाभी भी आँख मूंद कर लेटी हुई थी, जब शरबत दिया गया तो उन्होंने पहले मुझको होटों पर किस किया और साथ ही कस के जफ़्फ़ी डाली और कहा- थैंकयू सोमू यार! यू आर ग्रेट!
अब मैं जल्दी से उठा और अपने कपड़े पहन कर बैठक में आ गया क्यूंकि मुझको अंदेशा था कि भैया कभी भी वापस आ सकते हैं।
जब सब सामान्य हुए तो चाय का इंतज़ाम पारो ने कर दिया।
चाय पी कर मैं अपनी कोठी के बगीचे में टहलने लगा।
कोई 6 बजे भैया वापस आये और काफी थके हुए लगे, आते ही नहाये धोये और बैठक में आकर बोले- सोमू यार, मेरा काम यहाँ खत्म हो गया है, कल सवेरे हम निकल जाएंगे अपने गाँव के लिए!
मैंने कहा- अभी कुछ दिन और रुक जाते, बड़ा मज़ा आ रहा था आपके और भाभी के साथ!
भैया बोले- फिर आएंगे और फिर यह मज़ा दोबारा करेंगे।
उस रात हम सब अपने अपने कमरों में सोये और भाभी को कम्मो ने पहले ही कह रखा था कि आज की रात भैया से ज़रूर चुदवाना।
अगले दिन भैया और भाभी जाने के लिए तैयार हो गए थे, कम्मो थोड़ी देर के लिए भाभी को उनके कमरे में ले गई और थोड़ी देर में ही दोनों वापस भी आ गई और दोनों ही बड़ी खुश लग रही थी।
कम्मो ने मुझको आँख मारी और सर हिला दिया जिसका मतलब था कि काम हो गया था।
थोड़ी देर बाद नाश्ता करके वो दोनों अपनी कार में बैठ कर गाँव चले गए और मैं कॉलेज चला गया।
आज कॉलेज के मुख्य गेट पर मुझको शानू और बानो मिल गई।
पाठकों को याद होगा नैनीताल ट्रिप में ये लड़कियाँ उन चार लड़कियों का ग्रुप था जो मेरे संपर्क में आईं थी। और मेरे ही कॉलेज में पढ़ती थी।
शानू बोली- सोमु यार, तुम तो ईद का चाँद हो गए हो, कभी मिलते ही नहीं?
मैं बोला- सॉरी दोस्तो, पीछे कुछ दिन बहुत बिजी था, मेरे घर में बहुत मेहमान आये हुए थे। बोलो क्या सेवा करें आप दोनों की?
शानू बोली- अभी टाइम है कुछ मिन्ट का तुम्हारे पास?
मैं बोला- हाँ हाँ, है क्यों नहीं, आप जैसी हसीनों के लिए टाइम ही टाइम है, तुम अर्ज़ करो क्या काम है?
शानू बोली- चलो फिर थोड़ी देर के लिए कैंटीन चलते हैं अगर कोई पीरियड नहीं है तुम्हारा तो?
मैं बोला- ठीक है आओ!
कैंटीन पहुँच कर मैंने पूछा- क्या खाएंगी या पियेंगी दोनों?
बानो बोली- एक एक कोक मंगवा लो यार!
मैं काउंटर पर गया और 3 कोक का आर्डर दे आया और वापस आकर उन दोनों के साथ बैठ गया।
पाठकों को याद दिला दूँ कि ये दोनों वही लड़कियाँ थी जिन्होंने मेरा अपहरण किया था जब मैं निम्मी और मैरी के कमरे से निकला था नैनीताल के होटल में।
कोक पीते हुए मैं बोला- शानू और बानो, कैसे हो आप दोनों, बड़े अरसे के बाद आपको मेरी याद आई जब कि बहुत सेवा की थी मैंने आप दोनों की नैनीताल में!
शानू हँसते हुए बोली- वही सेवा तो करवाने के लिए आई हैं तुम्हारे पास सोमू राजा।
मैं बोला- बोलो, क्या करना है मुझको?
शानू बोली- तुमने नैनीताल में बताया था कि तुम्हारे पास एक कोठी है जिसमें तुम रहते हो?
मैं बोला- हाँ है तो सही, बोलो क्या काम है?
शानू बोली- नैनीताल वाला किस्सा दोहराना है यार बस, और क्या करना है!
मैं थोड़ी देर चुप रहा और फिर बोला- देखो शानू, वहाँ मेरी हाउसकीपर भी है और एक कुक भी है, वहाँ तुमको वैसी प्राइवेसी नहीं मिल पाएगी जैसा कि नैनीताल में थी। बोलो उनके रहने से तुम दोनों को कोई प्रॉब्लम नहीं तो फिर मैं बात कर लेता हूँ उन दोनों से?
शानू बोली- ठीक है कल सुबह बता देना।
मैं बोला- सिर्फ आप दोनों ही हैं या फिर कोई और भी है?
शानू बोली- अगर किसी और को बुलाएँ तो तुम को ऐतराज़ तो नहीं न?
मैं बोला- कोई और लड़का या लड़की?
बानो बोली- लड़की ही होगी। हम तुमको उससे मिलवा भी देंगे।
मैं बोला- अपने कॉलेज की है या कहीं और की?
शानू बोली- हमारी क्लास फेलो है यार, लंच टाइम में तुम को मिलवा देते हैं उसको!
मैं बोला- उफ़ मेरे मौला 3 तुम और एक मैं?
दोनों हंस पड़ी और शानू बोली- हमने देखा है कि कैसे तुम 4 को भी संभाल लेते हो!
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