RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
अब रह गयी कम्मो, वो भी आई और अपने कपड़े उतार कर चुदाई को सही ढंग से चलाने का काम करने लगी।
अब जब हम दोनों मर्दों ने कपड़े उतारे तो सब यह देख कर दंग रह गए कि भैया का लंड एकदम तना हुआ था, मेरा भी वैसे ही तना हुआ था।
कम्मो ने हम दोनों को लाइन में खड़ा कर दिया और पहले पारो को आवाज़ दी कि वो पहले भैया के खड़े लंड को चूसे और उसको चाटे और उसका छुटाने की कोशिश करे।
पारो झट से आई और भैया के खड़े लंड को चूसने लगी और उधर भाभी भी नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी।
लेकिन न पारो, न ही भाभी हम दोनों के लंड को छुटा पाये और वो वैसे के वैसे ही तने खड़े रहे।
अब कम्मो ने आदेश किया कि दोनों औरतें घोड़ी बन जाएँ और दोनों आदमी उनको पीछे से चोदेंगे।
मैं और भैया झट से अपने काम में लग गए।
भैया ने कम्मो के इशारों के मुताबिक पहले धीरे धीरे से चुदाई की पारो की और फिर आहिस्ता से स्पीड तेज़ कर दी।
वो ध्यान से मेरे चुदाई के तरीके को देख रहे थे।
मैं तो भाभी की चूत से लंड पूरा निकाल कर फिर धीरे से सारा लंड अंदर डाल देता था, ऐसा मैंने कई बार किया।
भैया भी ठीक वैसे ही करने लगे और थोड़े टाइम में ही पहले भाभी का छूट गया और जल्दी ही पारो भी चिल्लाती हुई छूट गई।
अब कम्मो ने पारो की जगह ले ली और भैया को खूब सताने लगी।
जैसे ही भैया मेरी तरह अपने को रोक कर धक्का मारते, कम्मो अपनी चूत को तेज़ी से आगे पीछे करने लगती।
और जैसे ही कम्मो को लगता कि भैया का छूटने वाला है, वो झट से रुक जाती और भैया एक गहरी सांस लेते और उनका वीर्य बाहर आते आते रुक जाता।
यह सिलसिला भैया और कम्मो के बीच काफी देर से चलता रहा और कम्मो भी कोई 3-4 बार छूट गई थी।
इस बीच मैं भी भाभी को 3-4 बार छूटा चुका था और जब भाभी बोली ‘सोमू, अब और नहीं…’ तो मैंने उनको छोड़ा।
फिर मैं पारो को साथ शुरू हो गया। मैं पलंग पर बैठ गया और पारो को अपनी गोद में बिठा लिया और उसको चूतड़ों के नीचे हाथ रख कर पारो को आगे पीछे करने लगा।
वो इतनी गर्म हो चुकी थी लो वो 5 मिन्ट में झड़ गई और उसकी चूत से निकला दूधिया पानी मेरे हाथ पर जमा हो गया।
मैं उठा और पारो का दूधिया पानी भाभी के मम्मों पर लगा दिया और फिर उसको चूसने लगा। भाभी में अब फिर से हरकत होने लगी और मैं अब उसकी टांगों में बैठ कर लंड को चूत में पेल कर उसकी टांगों को अपने कंधे पर रख दिया और पूरी स्पीड से भाभी की चुदाई करने लगा।
यह सिलसिला अभी और चलता लेकिन भाभी, कम्मो और पारो ने अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा- अब और नहीं।
भैया ने सब औरतों को इकट्ठा किया और एक तरफ मुझको खड़ा किया और दूसरी तरफ खुद खड़े हो गए और बीच में तीनों औरतों को खड़ा किया और सबको कहा कि एक दूसरे की बाँहों को पकड़ लें और फिर वो सबको लेकर कमरे का चक्कर लगाने लगे और ज़ोर ज़ोर से गाने लगे- हरा दिया भई सबको हरा दिया। सब चूतें हारी और यह लण्डों की जीत हुई है।
कम्मो बोली- यह सब कमाल है स्पेशल डिश का है, उसने जिताया इनको और हराया हमको।
भाभी बोली- वो कैसे?
कम्मो बोली- वो ऐसे कि यह डिश ख़ास तौर से आदमियों के लिए बनाई जाती है और यह बड़े बड़े नवाबों की ख़ास-उल-ख़ास डिश होती थी और इस हलवे को खाकर वो एक रात में दर्जनों औरतों को चोद देते थे।
लेकिन यह डिश अगर औरत खाए तो वो बड़ी ही कामवासना से भर जाती है और काम क्रीड़ा में ज़्यादा देर नहीं टिकती लेकिन कई बार चुदवाने के लिए तैयार रहती हैं, यही कारण है कि औरतें हार गई और आदमी अभी भी डटे हैं मैदान-ऐ-जंग में!
भैया बोले- क्यों कम्मो रानी, अब और क्या प्रोग्राम है?
कम्मो बोली- आप दोनों मर्दों ने तो खूब ऐश कर ली, अब हमारी बारी है क्यूंकि हमारी चूतें अभी तक भूखी प्यासी हैं।
भैया अपने लोहे के समान खड़े लौड़े को देखते हुए कहा- हाँ हाँ, आ जाओ फिर से मैदान में, एक एक की बजा कर रख देंगे हम दोनों।
कम्मो ने कहा- हमको नहीं बजवानी अपनी चूत, हमको तो चटवानी हैं अपनी अपनी, करोगे क्या?
मैं बोला- क्यों नहीं, ज़रूर करेंगे आपकी सेवा, क्यों भैया?
भैया सोच में पड़ गए।
भैया को सोचते देख कर भाभी बोली- अरे जाने दो कम्मो रानी, भैया ने यह काम कभी किया ही नहीं, क्यूंकि यह तो इनके लिए नीच काम है ना! क्यों जी?
भैया अगल बगल झाँकने लगे।
मैंने मौके की नज़ाकत को भांपा और कहा- अरे भाभी आप क्या बातें कर रही हैं, अगर भैया ने यह काम पहले नहीं किया तो क्या हुआ हम सिखा देंगे न भैया को और पूरा परफेक्ट बना देंगे उनको।
मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और उनको गद्दे पर लिटा दिया, पहले मैंने उन मोटे उरोजों को चूसा और फिर उनकी चूचियों को मुंह में डाल कर चूसा।
भाभी ने जोश में अपनी कमर उठा दी और मेरे मुंह को अपनी चूत में डाल दिया।
मैं बड़े मज़े से अब उनकी सफाचट चूत के होटों को चूसने लगा और फिर धीरे से अपनी जीभ का कमाल दिखाने लगा।
उधर कम्मो भैया को उठा कर भाभी और मेरे पास ले आई और भैया और कम्मो हमारी चूत चुसाई को बड़े ध्यान से देखने लगे।
पारो भी खाली नहीं बैठना चाहती थी तो वो भी भैया के पीछे खड़ी होकर उनके अंडकोष को हाथों में मसलने लगी।
भाभी ने बड़ी ज़ोर ज़ोर से अपने मज़े उजागर करने लगी, वो ज़ोर ज़ोर से आहें भरने लगी और अपनी कमर को उठा कर अपनी चूत मेरे मुंह के साथ जोड़ दी, और फिर वो थोड़ी देर और चुसाने के बाद एकदम झड़ना शुरू हुई और मेरे मुँह को अपनी संगमरमर वाली जाँघों में ज़ोर से दबा दिया।
पारो भी भैया के लंड को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगी, थोड़ी देर में भैया को भी मज़ा आने लगा और वो अपने लंड को पारो के मुंह में आगे पीछे करने लगे।
कम्मो ने भैया के मुंह के साथ अपना मुंह जोड़ दिया और उनके होटों को चूसने लगी, कभी जीभ भी मुंह के अंदर डाल देती।
भैया ने पारो के मुंह में अंदर बाहर हो रहे लंड को और तेज़ी से अंदर डालना शुरू कर दिया। पारो को कम्मो ने आँख मारी और इशारा किया- बस और नहीं, कहीं भैया का छूट न जाए!
अब कम्मो ने भैया को अलग किया और खुद नीचे लेट गई और अपनी टांगें पूरी तरह से चौड़ी कर दी और पारो ने भैया के हिचकिचाते हुए मुंह को बालों से भरी चूत में डाल दिया।
कम्मो ने भैया के सर को अपनी चूत में भग के ऊपर रख दिया और हाथ से उनको भग को चूसने के लिए प्रेरित करने लगी।
भैया भी जल्दी समझ गए और अब पूरी मुस्तैदी से कम्मो की चूत को चूसने लगे।
और जैसे जैसे भैया सीखते गए वो भी एक एक्सपर्ट की तरह कम्मो की चूत को चाटने और चूसने लगे।
भाभी और मैं एकदम मस्ती से चूत चटाई में व्यस्त थे।
फिर भैया भी अपने बड़प्पन को भूल गए और आम आदमियों की तरह ही औरतों की सेवा में लग गए।
जब कम्मो छूट गई तो उसने सबको कहा- ताली बजाओ… भैया सीख गए एक और चुदाई सबक!
अब हम सब थक कर आराम करने लगे।
कम्मो उठी और नंगी ही अपने मम्मे हिलाती हुई बाहर गई और जल्दी ही सबके लिए ग्लासों में कोक डाल कर ले आई।
कोक पीते ही हम सब काफी फ्रेश हो गए।
मेरा सर भाभी की नंगी गोद में पड़ा था और भैया पारो की गोद में सर रख कर आराम फरमा रहे थे। यह देख कर कम्मो बड़ी खुश हो रही थी कि उसका बनाया हुआ प्लान पूरा खरा उतर रहा था।
भैया अब पूरी तरह से चुदाई कार्य सीख गए थे और बड़ी मस्ती से सबको चोद रहे थे।
कम्मो बोली- क्यों देवियो और देवताओ, आपकी क्या मरजी है, अब खेल बंद करें या अभी और चुदाई करनी है?
सबने बोला- अभी कुछ देर और… लेकिन क्या करना है यह तुम ही बताओगी?
कम्मो ने कहा- आओ घोड़ियों की रेस खेलते हैं।
सब बोल पड़े- यह घोड़ियों की रेस क्या चीज़ है कम्मो रानी?
कम्मो बोली- हम में से दो औरतें घोड़ी बन जाएंगी और ये दोनों घोड़े हम पर पीछे से चढ़ेंगे। जो औरत बच जायेगी वो इस खेल की कप्तान होगी और वो यह देखेगी कि कौन सी घोड़ा-घोड़ी की जोड़ी आखरी टाइम तक टिकती है। जो घोड़ा या घोड़ी हार मान जायेगा उस की टीम हार गई मानी जायेगी। क्यों मंज़ूर है?
भैया कुछ थके हुए लग रहे थे लेकिन फिर भी इस नई गेम के लिए तैयार हो गए।
कम्मो ने कहा- भैया जी, आप अपने लिए सवारी पसंद कर लीजिये?
भैया ने कहा- पसंद क्या करना है, जो भी मेरे साथ पार्टनर बनाना चाहे वो आ जाए।
पारो बोली- कम्मो और भाभी यह गेम खेलेंगी और मैं रेफरी का काम करूंगी।
कम्मो बोली- भैया अब चुन लो अपना पार्टनर?
भैया ने भाभी की तरफ देखा तो वो थोड़ी सी मेरी तरफ देख रही थी और कम्मो ही थी जो उनकी तरफ देख रही थी।
भैया ने कम्मो को आँख मारी और कहा- मैं अपनी घोड़ी कम्मो को बनाऊँगा और उसकी सवारी करूंगा। क्यों सोमू ठीक है न? तुम भाभी को अपनी घोड़ी बना लो!
मैं बोला- जैसे आप कहें भैया, वैसे भाभी से भी पूछ लेते हैं कि उनकी क्या मर्ज़ी है? क्यों भाभी?
भाभी मुस्कराते हुए बोली- जैसा तेरे भैया कहें, वही ठीक है।
पारो बोली- दोनों घोड़ियाँ अपनी अपनी जगह पर घोड़ी बन जाएँ और घोड़ों का इंतज़ार करें। किसी घोड़ी या फिर घोड़े को कुछ पीने या खाने की इच्छा हो तो बता दे, नहीं तो फिर रेस शुरू होती है अब!
और यह कह कर उसने एक सीटी बजाई और कहा- चढ़ जाओ शहसवारो!
कम्मो और भाभी गद्दे पर घोड़ी बन कर तैयार हो गई और भैया घोड़े की तरह हिनहिनाते हुए आये और कम्मो की चूत और गांड को सूंघने लगे।
यह देख कर सब घोड़ियाँ और घोड़े ज़ोर से हंस पड़े।
मैंने भी भैया की तरह ही पहले भाभी की चूत और गांड को सूंघा और फिर हिनहिनाते हुए घोड़ी बनी भाभी पर पीछे से मोटे लंड को पेल दिया।
भाभी थोड़ी देर के लिए उचकी और फिर मेरा पूरा लंड अंदर ले गई और अपनी गांड को मेरी अंडकोष के साथ जोड़ दिया।
उधर भैया भी बिल्कुल मेरी नक़ल कर रहे थे, वो भी लंड अंदर डाल कर कम्मो को पीछे से हाथ डाल कर उसके मम्मों के साथ खेल रहे थे और साथ में धक्के भी काफी तेज़ मारने शुरू हो गए थे।
मैं धीरे धीरे घोड़ी को दौड़ा रहा था ताकि वो थक ना जाए। मैंने एक हाथ अंदर डाल कर भाभी की चूत के भग को सहला रहा था जिस से भाभी और भी गर्म हो रही थी।
लेकिन भाभी छिपी आँखों से भैया को भी देख रही थी कि वो कैसे चुदाई का खेल कर रहे थे और मेरा भी साथ निभा रही थी अपने चूतड़ों को आगे पीछे कर के!
कोई 10 मिन्ट गुज़र चुके थे, भाभी एक बार छूट चुकी थी लेकिन मैं अब घोड़ी को सरपट भगा रहा था।
उधर भैया भी अब घोड़ी को बेलगाम कर के उसके ऊपर लेट चुके थे।
लेकिन कम्मो भैया को हारने देना नहीं चाहती थी तो वो उनको संभाल रही थी, बार बार उसको अपने चूतड़ों के धक्के से इशारा भी कर रही थी कि घुड़सवार धीरे चलो!
मैंने महसूस किया कि भाभी भी यही चाहती थी कि भैया ही जीतें सो उन्होंने जानबूझ कर तीसरी बार जब उनका छूटा तो वो लेट गई और कहने लगी- मैं हार गई… बस और नहीं!
कम्मो और भैया अभी भी धक्काशाही में लगे हुए थे।
पारो ने ज़ोर से सिटी बजा कर कहा- भैया और कम्मो जीत गए यह घुड़दौड़!
भैया पसीने पसीने हो रहे थे और कम्मो भी थकी हुई लग रही थी लेकिन मैं और भाभी अभी भी फ्रेश लग रहे थे। हम दोनों उठे और भैया और कम्मो को जीत की बधाई दी और कहा- कम्मो का चेला कैसे हार जाता यारो!
फिर पारो ने हम चारों की सेवा शुरू कर दी, मीठा शरबत रूह अफ्ज़ा बनाया हुआ रखा था, वो सबने पीया और कुछ थकावट कम होने लगी।
फिर भाभी ने कम्मो और पारो को 100-100 रूपए का इनाम दिया और उन दोनों को बड़ा धन्यवाद दिया कि बड़ा अच्छा प्रोग्राम हो गया।
फिर वो दोनों नंगे ही अपने कमरे में चले गए।
अगले दिन मैं समय पर कॉलेज चला गया और जाने से पहले भैया को ‘हैप्पी टूर’ बोल गया क्योंकि वो 2 दिन और एक रात के लिए दूसरे शहर जाने वाले थे।
कॉलेज से लौटने पर कम्मो ने मेरा स्वागत किया और ठन्डे पानी का गिलास मुझ को दे गई।
मैंने भाभी के बारे में पूछा तो वो बोली- भाभी और पारो कुछ खरीदना था, वो शहर गई हैं।
फिर वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन रुक रही थी जैसे कुछ झिझक महसूस कर रही हो।
मैं बोला- क्यों कम्मो डार्लिंग, कुछ ख़ास बात है क्या? कह दो बेझिझक!
कम्मो बोली- आज वो दोनों सेठानियाँ आई थी और आपका पूछ रही थी।
मैं बोला- वो मेरे बारे में क्या पूछ रही थी?
कम्मो मुस्कराते हुए बोली- उनकी चूतों में खुजली हो रही थी, तो वो मिटवाना चाहती थी।
मैं भी ज़ोर से हंस दिया- यूँ कहो न कि वो चुदवाना चाहती थी… तो तुमने क्या कहा उनको?
कम्मो बोली- मैंने तो पहले उनका चेकअप किया, दोनों को माहवारी आये दो दो महीने हो चुके थे यानि वो पूरी तरह से गर्भवती हो चुकी थी और बड़ी खुश थी, बता रही थी कि उनके परिवार में सब बड़े खुश थे खासतौर पर उनके सेठ लोग!
मैं हँसते हुए बोला- कम्मो रानी, तुमने मुझको इतनी छोटी उम्र में ही बाप बना दिया है। उधर गाँव में 4-5 औरतें भी गर्भवती हो गई थी और उनका बाप भी मुझको बनाया जा रहा है, उफ्फ्फ, क्या समय आ गया है। यह सब किया कराया उन के पतियों का है और तुम नाम मेरा जड़ रही हो।
कम्मो भी हँसते हुए बोली- वो पड़ोस वाली आंटी भी आई थी और वो भी पूरी तरह से गर्भवती है और तुमको चूमना और चोदना चाहती थी।
मैं बोला- चूमना और चोदना तो ठीक है लेकिन खामखाह में मुझको बाप ना बनाओ यारो।
कम्मो बहुत हंस रही थी और कह रही थी- मुझ को भी अगर शामिल किया जाए तो आप कम से कम एक दर्जन बच्चों के बाप बन चुके हो छोटे मालिक।
मैं बोला- कम्मो रानी, यह हंसने वाली बात नहीं है लेकिन यह सब मुझ को सोचने पर मजबूर कर रहा है कि मैं एक दिन बहुत ही बड़ी मुसीबत में फंसने वाला हूँ।
कम्मो बोली- आप भाभी का गर्भाधान कर दो फिर हम सोचेंगे कि इस बारे में क्या किया जाए। मैं थोड़े टाइम बाद आपके वीर्य का टेस्ट करवाना चाहती हूँ, क्या कारण है कि जिस औरत को भी आप सही समय में चोदते हो, वो गर्भवती कैसे हो जाती है?
मैं बोला- हाँ कम्मो रानी, यह टेस्ट करवा लेते हैं, यह करना बहुत ज़रूरी है। तुमने उन सेठानियों और पड़ोस वाली आंटी को क्या कहा फिर?
कम्मो बोली- क्या कहना था, सब को डरा दिया कि इस समय गर्भ पूरी तरह से ठीक नहीं है तो से चुदाई से परहेज़ करना चाहिए आप सबको, अपने पतियों से भी!
मैं उदास हो कर बोला- उफ़्फ़, दो दो संगमरमर के बने बुतों को मुझ को चोदने नहीं दिया। कितनी मुश्किल से तो इतनी खूबसूरत औरतें हाथ लगी थीं और तुमने जल्दी से उनको गर्भवती बना दिया।
कम्मो हँसते हुए बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, ऐसे कई और ग्राहक आएंगे जैसे सेठानियों की खबर उनकी जानकार सहेलियों में फैलेगी और इनसे ज़्यादा खूबसूरत औरतें तुम्हारे पीछे भागेंगी।
मैं खुश होते हुए बोला- अगर यह खबर मम्मी पापा को पता चल जाती है तो मेरे तो मुंह में कालिख पुत जायेगी।
कम्मो बोली- आप घबराएं नहीं छोटे मालिक, वो दोनों बड़े ही खुश होंगे कि गांव और शहर के आधे से ज़्यादा बच्चों के वो दादा और दादी बने बैठे हैं।
यह सुन कर मैं और कम्मो तो हंसी के मारे लोट पोट हो गए।
फिर मैं सीरियस होते हुए बोला- कम्मो रानी, सच बताना यह गर्भाधान वाली बात तुमने पारो को बताई है कभी?
कम्मो बोली- कसम से छोटे मालिकम गर्भाधान वाली बात मैंने पारो को कभी नहीं बताई। मैं जानती हूँ कि यह बात अगर फ़ैल जाती है तो अनर्थ हो जाएगा। पारो यही जानती है कि ये सेठानियाँ और पड़ोस वाली भाभी सिर्फ चुदाने आती हैं और कुछ नहीं।
मैंने कम्मो को आलिंगनबद्ध किया और उसके होटों पर चूम लिया और कम्मो ने मेरे लौड़े को हाथ लगाया तो वो बैठा हुआ एकदम टन्न से खड़ा हो गया।
तब मैं बोला- लौड़ा हो तो सोमू जैसा, नहीं तो ना हो!
फिर हम दोनों खूब हँसे।
कम्मो कुछ संजीदा होते हुए बोली- भाभी का गर्भाधान ज़रूरी है और हमारे पास सिर्फ 3 दिन हैं फिर वो दोनों चले जाएंगे। वैसे भाभी के गर्भ वाले दिन आज से शुरू होंगे तो हमारे पास समय है कि भाभी की इच्छा पूरी की जा सके।
इतनी देर से चूत चुदाई और गर्भाधान की बातें चल रही थी तो मेरा लंड तो अब खड़ा क्या हुआ, बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
मैंने कम्मो को कहा- थोड़ी से दे दे यार!
वो बोली- कोई आ न जाए ना!
फिर भी मैंने उसकी साड़ी को उसकी कमर के ऊपर में कर दी और पीछे से खड़े खड़े ही चोदने लगा।
वास्तव में उसकी चूत भी पनिया गई थी और वो भी आनन्द ले रही थी इस अचानक चुदाई का!
दस मिन्ट की अंदर बाहर की जंग में कम्मो कांपती हुई छूट गई और उसने मेरे एकदम गीले लंड को अपने पेटीकोट से साफ़ कर दिया।
हम जैसे ही कमरे के बाहर निकले तो पारो और भाभी कोठी के गेट पर पहुँच गई थी और रिक्शा वाले को पैसे दे रही थी।
मैंने कम्मो को शरारत में उसके चूतड़ों को दबा दिया।
भाभी और पारो जैसे ही अंदर आई तो कम्मो ने उन दोनों को घेर लिया और देखने लगी कि क्या शॉपिंग की दोनों ने।
मैं अपने कमरे में आकर लेट गया, फिर जब खाना लग गया तो हम दोनों बैठक में मिले और मैंने भाभी को ज़ोर की जफ़्फ़ी डाली और बाहर से ही उसकी चूत पर हाथ फेरा।
भाभी ने भी मेरे लंड को पैंट के बाहर से छुआ और कहा- अरे वाह, यह तो अभी से खड़ा है, कहीं तुम दोनों बच्चों ने हमारे पीछे से कुछ गलत काम तो नहीं किया, बोलो?
मैंने कान को हाथ लगाते हुए कहा- नहीं मैडम जी, हमने कुछ भी गलत काम नहीं किया बल्कि सारे वही काम किये जो आप भी करती हैं।
यह सुन कर भाभी तो बेतहाशा हंसी।
खाना खाने के बाद मैं भाभी के साथ उनके कमरे में ही चला गया, वहीं हम दोनों लेट गए उनके पलंग पर!
भाभी मुझको बड़े गौर से देख रही थी और कुछ सोच रही थी।
कुछ देर ऐसे ही देखने के बाद भाभी बोली- सोमू यार, तुम शक्ल-ओ-सूरत से एक छोटी उम्र के मासूम लड़के लगते हो लेकिन जब मैं तुम्हारे लंडम को देखती हूँ तो तुम एक पूरे जवान मर्द की तरह लगते हो! यह कैसे मुमकिन है?
मैं बोला- यह सब कुदरत का खेल है, पिछले साल तक तो मेरी आवाज़ एक छोटे लड़के की तरह पतली थी लेकिन लंडम तब भी कई औरतों को खुश कर चुका था।
भाभी बोली- तुम्हारी तो मौज है सोमू।
मैं बोला- मौज क्या है भाभी, कॉलेज में जिस लड़की की तरफ देखता हूँ वो ही मुंह फेर लेती है कि यह तो अभी बच्चा है, बड़ी मुश्किल है भाभी कोई भी लड़की नहीं पटती।
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