Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:17 PM,
#52
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
भैया भाभी का चूत चुदाई खेल
मैं भी मस्ती में था, कम्मो को एक मीठा सा चुम्बन दिया और कहा- कम्मो मेरी जान, आज इतवार है, कहीं भी नहीं जाना है। सिवाए तुम लोगों की चुदाई के और क्या काम है मेरे पास?
कम्मो अब हंसने लगी और मुझको आलिंगन में ले लिया और खूब मुंह चूमने लगी।
शाम होते ही भैया भी वापस आ गए, जब वो नहा धोकर फ्रेश हो गये तो मैं बैठक में जा कर बैठ गया।
भैया से उनका हाल चाल पूछा और ‘कैसा रहा उनका ट्रिप…’ ये बातें होती रहीं।
फिर कम्मो चाय ले आई हम सबके लिए, भाभी सबको चाय देने लगी और थोड़ा सा नाश्ता भी किया।
फिर भैया आराम करने की खातिर अपने कमरे में चले गए और भाभी फिर बैठक में आ कर बैठ गी।
तब कम्मो ने भाभी को कहा कि आज रात को भैया को नींद की गोली मत खाने देना वरना सारा प्लान चौपट ही जाएगा। 
रात को भैया और हम सबके लिए पारो ने पाये का शोरबा बनाया था और साथ में बटेर का मीट बनाया था और जाफरानी पुलाव के साथ मखनी दाल बनाई थी उसने!
भैया खाने के बाद बोले- मज़ा आ गया, आज से पहले कभी इतना स्वादिष्ट खाना नहीं खाया।
भाभी भी बोली- वाकयी इतना लज़ीज़ खाना आम तौर पर नहीं मिलता।
पारो को बुला कर भाभी भैया ने खाने की बड़ी तारीफ की। फिर कोकाकोला पी कर हम सब अपने कमरों में चले गए।
भाभी जाते हुए आँख मार गई कि सब प्लान के मुताबिक चल रहा है।
कम्मो दरवाज़े बंद करके मेरे कमरे में आ गई, उसने बताया कि आज खाना खाते वक्त भैया ने उसके चूतड़ पर हाथ फेरा था और हल्के से आँख भी मारी थी।
कम्मो ने यह भी बताया कि जब से वो आये हैं, उसको अजीब नज़रों से देख रहे हैं।
मैंने कहा- कम्मो रानी, भैया तुम पर आशिक हो गए हैं और वो आज रात तुमको चोदने की कोशिश करेंगे।
यह कह कर मैंने कम्मो को अपनी तरफ खींच लिया और उसके लबों पर एक प्रगाढ़ चुम्बन दे दिया।
कम्मो बहुत खुश हो रही थी कि चलो भैया की मदद हो जायेगी।
फिर हम दोनों ने धीरे धीरे एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये और मैंने कम्मो के मोटे मम्मों को चूसना शुरू किया। कम्मो के मम्मे मेरे द्वारा रोज़ चूसे जाने के बाद भी ज़रा भी ढीले नहीं पड़े थे और वैसे ही सख्त और सॉलिड बने हुए थे।
इसी तरह उसके मोटे और गोल चूतड़ भी सख्त और मोटे थे, उसको नंगी देख कर कोई भी मर्द जिसके लंड में दम है, उसके लिए पागल हो जाये।
वो ज़रूर अपने मम्मों की ख़ूबसूरती को बढ़ाने और क़ायम रखने के लिए जड़ी बूटियों का इस्तमाल करती होगी।
मैं उसकी टांगों के बीच बैठ गया और उसकी बालों से भरी चूत को चाटने लगा, उसके भग को जीभ से गोल गोल चूसने लगा।
कम्मो के चूतड़ अपने आप ही मेरे मुंह को घेर रहे थे और उसको दबा रहे थे।
मैंने एक ऊँगली उसकी गांड के अंदर भी डाल दी और ऊँगली को अंदर बाहर करने लगा।
जब कम्मो एकदम मस्त गीली और तड़फड़ाने लगी, तभी मैंने अपने हाथों को उसके चूतड़ों के नीचे रख दिया और उसको अपनी बाँहों में उठा लिया और अपने लंड को उसकी खुली चूत के अंदर धकेल दिया।
अब वो मेरे हाथों को झूला बना कर अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और खूब मस्ती से मुझको चोदने लगी, मैं भी उसको उठा कर कमरे के बाहर तक ले आया यह देखने के लिए कि भाभी भैया क्या कर रहे हैं।
तभी भाभी के कमरे का दरवाज़ा खुला और भाभी अचानक सामने आ गई, हमको इस तरह चुदाई करते देख के वो फिर कमरे में जल्दी चली गई और खूब हँसते हुए फिर आ गई, आते ही पूछा- यह क्या हो रहा है बच्चो?
मैंने कहा- भाभी, कम्मो कह रही थी कि झूला झूलना है तो मैं इस छोटे बच्चे को झूला झूला रहा था।
भाभी मेरे कमरे में आकर बहुत ज़ोर से हंसी और बोली- झूला छोड़ो और प्लान के मुताबिक ज़ोरदार चुदाई की आवाज़ों को निकालो नहीं तो मेरा मियां तो गहरी नींद में सो जायेगा।
मैंने कम्मो को बिस्तर पर पटक दिया और खुद उसकी टांगों में बैठ कर अपने लम्बे लंड को कम्मो की चूत में फिर से डाल दिया और ज़ोरदार चुदाई करने लगा।
कम्मो ने भी ‘हाय हाय मर गई रे… फाड़ देगा ससुरा हमार चुतऱिया को… ऊह्ह ओह्ह्ह… हाय हाय…’ थोड़ी देर ही ऐसे आवाज़ें निकाली।
भाभी भैया को हाथ से पकड़ कर ले आई हमारे कमरे में, हम दोनों ने चुदाई क्रम जारी रखा और मैं और भी ज़ोर ज़ोर के धक्के मारता रहा।
मैंने चोर आँखों से देखा कि भैया की नज़रें तो कम्मो के नंगे जिस्म पर अटकी हुई थी और उसकी चूत में जा रहे मेरे लंड को ही देख रहीं थी।
भाभी ने भैया का पायजामा नीचे खिसका दिया था और भैया के खड़े लंड को पकड़ रही थी।
भैया ने अपना लंड भाभी के हाथ से छुड़ा लिया और खुद ही उसकी मुट्ठी मारने लगे थे। यह देख कर मैं कम्मो के ऊपर से उठ गया और पलंग के नीचे आ गया।
भैया ने आव न देखा ताव और झट से कम्मो की खुली चूत में अपना लंड डाल दिया जो 5- 6 इंच लम्बा था और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगे।
कम्मो ने अपने टांगें बंद कर ली और भैया से कहा- धीरे धीरे करो आप!
और जब भैया थोड़ा आहिस्ता हुए तो उसने धीरे धीरे अपनी टांगें पूरी खोल दी।
भाभी ने भैया की कमर पकड़ ली और उनको स्पीड तेज़ नहीं करने दी।
उधर मैं अपना तना हुआ लंड भाभी की नाइटी को ऊपर उठा कर पीछे से उसकी उभरी हुई चूत में डाल दिया और धीरे से धक्के मारने लगा।
कम्मो ने भाभी को इशारा किया कि भैया की कमर को छोड़ दें।
अब कम्मो ने धीरे से अपनी चूत की पकड़ को तेज़ किया और भैया उस हिसाब से अभी भी धीरे धक्के मार रहे थे।
तब कम्मो नीचे से चूतड़ हिलाने लगी और भैया की हर धक्के का जवाब देने लगी।
मैंने भाभी को बाकायदा तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया। भाभी बेतहाशा गीली हो चुकी थी और वो भी घोड़ी बन गई थी, उन्होंने अपने दोनों हाथ पलंग पर रख दिए थे और पीछे से मैं खड़ा होकर उनकी ज़ोरदार चुदाई कर रहा था।
उधर देखा कि भैया अब काफी तेज़ी से कम्मो को चोद रहे थे और कम्मो भी झड़ने के करीब पहुँच गई थी। इधर भाभी एक बार झड़ चुकी थी और दूसरे झड़ाई की तैयारी में थी।
भाभी भैया की चुदाई को बड़े ध्यान से देख रही थी और काफी खुश लग रही थी कि भैया इतनी देर कम्मो की चूत में टिक गए थे।
फिर भैया एक ज़ोरदार हुंकार भर कर कम्मो की चूत के अंदर झड़ गए और उसके ऊपर पसर गए, उनकी आँखें बंद थी और वो ज़ोर ज़ोर से सांस ले रहे थे।
कम्मो उनके नीचे से उठी और उसकी जगह भाभी लेट गई।
जब भैया ने आँखें खोली तो बगल में भाभी को पाया।
यह देख कर कर वो थोड़ा चकराए फिर संयत होते हुए बोले- तुम कहाँ से आ गई सुमी डार्लिंग, मैं तो कम्मो को चोद रहा था ना?
!
भाभी बोली- हाँ वही तो, आप इतना बढ़िया चोद रहे थे उसको, कि बेचारी का दो बार छूट गया। ऐसा तो आपने कभी किया ही नहीं मेरे साथ?
यह कहते हुए भाभी भैया के लंड के साथ खेल रही थी और थोड़ा ही उसको छेड़ने पर ही भैया का लंड एकदम तन गया और भाभी एकदम से उस पर चढ़ बैठी और भैया को ऊपर से चोदने लगी।
भैया का आत्मविश्वास जागृत हो गया और वो अब मज़े से भाभी को चोदने लगे कभी धीरे और कभी तेज़, भाभी का जल्दी अपने पति के साथ भी छूट गया और भैया का भी उनके अंदर छूट गया।
दोनों बड़े प्रसन्न हो गए।
फिर कम्मो बोली- भैया को अब अगला कदम सिखाना है कि कैसे वो अपने पर पूरा कंट्रोल रख सकते हैं। भाभी और भैया आप मुझको और छोटे मालिक को चोदते हुए देखेंगे। जब भी भैया, आपका खड़ा हो जाये, छोटे मालिक मेरे ऊपर से हट जाएंगे और आप उनकी जगह ले लेना। ठीक है? कोई ऐतराज़ तो नहीं किसी को?
फिर मैंने और कम्मो ने बढ़िया चुदाई का खेल खेला और बीच में ही भैया अपने खड़े लंड को लेकर मुझ पर चढ़ गए और मैं भाभी पर चढ़ गया। कम्मो भैया को तेज़ और फिर आहिस्ता चोदने की कला सिखाने लगी और उनको जैसे ही उनका छूटने वाला होता तो एकदम रोक देती और फिर धीरे से फिर चुदाई का खेल शुरू कर देती।
कम्मो ने भैया के साथ यह खेल 3-4 बार किया और उनको छूटने से हर बार रोक दिया।
अब भैया को इतना आत्मविश्वास हो गया था कि वो जब चाहे तेज़ और जब चाहे आहिस्ता चुदाई कर सकते थे।
फिर कम्मो ने भैया को भाभी के साथ भिड़ा दिया और दोनों ‘रोको और फिर चलो’ का खेल बड़ी अच्छी तरह से खेलने लगे।
भैया हैरान थे कि उनका इतनी देर कैसे रुक गया।
अंत में कम्मो ने मुझको और भाभी के साथ यही खेल करने के लिए कहा, इस खेल की डायरेक्टर कम्मो ही थी, उसने कहा- छोटे मालिक भाभी को घोड़ी बना कर चोदेंगे क्योंकि इस अवस्था में चूत लंड को सख्ती से पकड़ कर रखती है और गाय की तरह दूध दोहती है लंड से!

मैंने भाभी को ऐसे ही चोदा और कम्मो ने भाभी को चूत को सिकोड़ना भी बताया और कैसे लंड से दूध निकालते हैं वो भी सिखाया।
भाभी इस सारे काण्ड में 4-5 बार झड़ गई थी।
कम्मो हम सबके लिए ख़ास तौर से बनाया हुआ दूध ले कर आई जिसको पीकर हम सब में एक नया जोश भर गया।
भैया ने ख़ास तौर पर कहा कि कल वो कम्मो के साथ यही सबक दोबारा खेलेंगे।
फिर हम सब काफी थक चुके थे तो वो हम सब फर्श पर गद्दे बिछा कर एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
अगले दिन हम सब उठे और रात की ग्रुप चुदाई से सभी काफी खुश थे, सबके दिलों के अरमान पूरे हो चुके थे।
कम्मो ने हम सबको मेरे कमरे में ही चाय-वाय पिलाई। 
भैया भाभी को चूम रहे थे और भाभी मेरे लौड़े से अठखेलियाँ कर रही थी और मैं भी उनके मोटे और मुलायम चूतड़ों के साथ खेल रहा था।
फिर हम सब चाय पीने के बाद उठे और भाभी और भैया अपने कमरे में नंगे ही चले गए।
मैं भी नाश्ता करने के बाद कॉलेज भाग गया।
दोपहर जब कॉलेज से वापस आया तो पता चला कि भैया और भाभी खाना खाने के बाद अपने कमरे में ही हैं।
मैंने खाना खाने के बाद सोचा कि चलो देखें भैया भाभी सच्ची में सो रहे हैं या फिर वो मस्ती कर रहे हैं।
दरवाज़ा थोड़ा भिड़ा हुआ था, मैंने चुपके से झाँक कर देखा, भैया और भाभी नंगे ही एक दूसरे की बाहों में सो रहे थे।
मैं भी वापस आ गया और अपने कमरे में आराम करने लगा।
तभी कम्मो भी आ गई और आगे का क्या प्रोग्राम यह पूछने लगी।
मैं बोला- तुम बताओ आगे क्या करना चाहिए?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, मेरी बात आज दिन को भाभी से हुई थी, वो चाहती हैं कि तुम भाभी को गर्भवती करो क्यूंकि भाभी ने बहुत पहले भैया के वीर्य का टेस्ट करवाया था तब उसमें कीड़े बहुत ही कमज़ोर पाये गए थे और डॉकटरो का कहना था की भैया बाप नहीं बन सकते।
मैं बोला- यह बात भाभी जब मुझ से कहेगी तो मैं जैसा तुम कहोगी, वैसा ही करूँगा लेकिन बगैर भाभी की मर्ज़ी के उनके साथ कुछ नहीं करूंगा सिवाए चुदाई के।
कम्मो बोली- ठीक है, मैं भाभी को कह देती हूँ, आगे भाभी जैसे ठीक समझे वो करे। वैसे आज भैया के साथ क्या प्रोग्राम रखेंगे हम?
मैं बोला- तुम बताओ कम्मो रानी, तुम इस खेल की डायरेक्टर हो?
कम्मो हँसते हुए बोली- ऐसा करते हैं, आज पारो को भी हमारे ग्रुप में शामिल कर लेते हैं अगर भाभी राज़ी हो तो? पारो को भी एक बार उनसे चुदवा देंगे तो उनका कॉन्फिडेंस शायद और भी बढ़ जाए।
मैं बोला- ठीक कह रही हो, कम्मो चूत की खिलाड़िन, कम्मो चूत की महराजिन और कम्मो चूत की डॉक्टर, ट्रेनर और चूत कंट्रोलर यह सब कुछ है तुम में!
कम्मो बोली- बस बस छोटे मालिक, बहुत तारीफ हो गई मेरी!
इतने में भाभी अपने कमरे से अपनी नाइटी पहने हुए निकली।
कम्मो ने सीधे से पूछा- भैया ने चोदा क्या?
भाभी मुस्कराते हुए बोली- हाँ दो बार चोद डाला उन्होंने।
हम सब बड़े खुश हुए लेकिन भाभी ने सिर्फ़ कम्मो की तारीफ करते हुए कहा- वाह कम्मो महारानी, तुमने जादू कर दिया। भैया मुझ को ऐसे चोद रहे हैं जैसे हमारा नया नया ब्याह हुआ है।
कम्मो भी खुश होकर बोली- चलो, यह ठीक हो गया है। अब आपकी क्या मर्ज़ी है बच्चे के बारे में? 
भाभी कुछ शर्माती हुई बोली- अगर सोमू दया कर दे और मुझको अपना वीर्य दान दे दे तो मैं धन्य हो जाऊँगी।
मैं बोला- अब तो भैया भी सक्षम हैं न, वो कर देंगे आपका कल्याण क्यों?
भाभी बोली- ऐसा संभव नहीं सोमू यार, तुम ही कर सकते हो मेरी मदद, बोलो क्या कहते हो?
मैं बोला- भैया के होते यह सम्भव नहीं, जब भैया फिर टूर पर जाएंगे तो कोशिश की जा सकती है।
कम्मो बोली- छोटे सरकार ठीक कह रहे हैं, कल कोशिश कर देखते हैं। आज क्या करने का इरादा है?
भाभी बोली- तुम बताओ क्या प्रोग्राम रखें रात के लिए?
कम्मो बोली- मैं सोच रही थी आज रात को पारो अपनी कुक को भी शामिल कर लेते हैं अपने ग्रुप में। तीन औरतों से भैया को भिड़ा देते हैं। उनका कॉन्फिडेंस बहुत बढ़ जाएगा, अगर आप बुरा ना मानें तो?
भाभी बोली- बहुत अच्छा प्लान है। पारो सब जानती है ना?
कम्मो बोली- बिल्कुल, वो हमारी साथिन है, क्यों छोटे मालिक?
मैं बोला- आप निश्चंत रहें भाभी जी!
कम्मो बोली- आज हम सब के लिए स्पेशल डाइट बना रही है और आशा है कि उससे आप सबको फायदा होगा, ख़ास तौर पर मर्दों को।
भैया अपने कमरे से निकले और हमें बातें करते देख कर हमारी तरफ ही आ गये, आते ही बोले- स्पेशल डाइट? वो क्या है कम्मो रानी बताओ तो सही?
कम्मो बोली- आप खुद ही देख लेना खाने के बाद, मैं अभी सबके लिए चाय लाती हूँ आप बैठक में बैठिये।
चाय पीने के बाद भैया हम सबको अपनी कार में लखनऊ शहर घुमाने ले गए।
1954 में लखनऊ एक बहुत ही छोटा शहर था, सिवाए 2 इमामबाड़े के लखनऊ में कुछ ख़ास नहीं था देखने को!
फिर भी भैया गोमती नदी की सैर करवा आये।
घर आकर भैया ने मुझको अपने कमरे में बुलवाया और कहा- सोमू यार, तुम हमारे लिए इतना कर रहे हो, कुछ हमारा भी फ़र्ज़ बनता है, आओ कुछ ड्रिंक वैगरह कर लेते हैं।
मैंने कहा- भैया मैं कुछ नहीं पीता हूँ सिवाए कोकाकोला के, आप शुरू करो, मैं कोक पीता हूँ।
भैया बोले- यार, यह कुछ नहीं है सिर्फ बियर ही है, इसमें कुछ नशा नहीं होता।
मैं बैठ गया और भैया ने एक गिलास में अपने लिए बियर डाली और दूसरे में मेरे लिए, मैंने थोड़ी सी पी, स्वाद कुछ बकबका लगा लेकिन मैं भैया की खातिर सारी पी गया।
भैया पूरी बोतल गटक गए।
कॉलेज में दूसरे लड़के बताते थे कि बियर में कोई ख़ास नशा नहीं होता फिर भी मैंने इसकी आदत नहीं डाली थी।
फिर कम्मो ने कहा- खाना लग गया है।
हम उठ कर बैठक में चले गए।
पारो ने आज खाने में ख़ास तौर पर गुरदे कपूरे सूखे बनाये और साथ में मटन चोप्स बनाई थी जो बहुत ही टेस्टी थी और साथ में नान थे।
बाद में कम्मो ने सबके लिए स्पेशल बनाई डिश देसी अण्डों का हलवा सबको दिया, जिसको सबने बहुत पसंद किया और कहा- पहले कभी नहीं खाया ऐसा हलवा!
खाना खाकर कोक पीया सबने और फिर सब मेरे कमरे में इकट्ठे हो गए।
तब तक कम्मो और पारो भी रसोई से फ़ारिग़ होकर हम सबके साथ आकर ग्रुप में शामिल हो गई।
मैंने कम्मो को कहा- कमरे में 3-4 मोटे गद्दे बिछा दो ताकि सारी कारवाई नीचे ही की जाए।
दोनों ने झट ऐसा ही किया।
पारो को देख कर भैया ने कहा- पारो भी अच्छी खासी औरत है यार सोमू, क्या यह भी शामिल होगी आज की चोदमचोद में?
मैं बोला- लगता तो है भैया, यह भी शामिल होगी हमारे साथ..
फिर कम्मो बोली- आप दोनों मर्द यहीं बैठो, हम सब औरतें तैयार होकर आती हैं। उसके बाद आपको इनमें से सही औरत को पहचानना होगा। अगर ठीक से पहचान लिया तो उसको आप चोद सकोगे अगर नहीं पहचान पाये तो दूसरी औरत को पहचानना होगा।
थोड़ी देर बाद तीनों औरतें अजीब अजीब कपड़े पहन कर कमरे में आई।
पहले भैया की बारी थी।
जब पहली औरत उनके आमने से निकली तो वो बोले- चाल ढाल से तो तुम्हारी रश्मि भाभी लग रही है, फिर भी मेरे ख्याल में यह तो शायद पारो है।
इतना सुनते ही उस औरत ने अपना घूँघट हटा दिया और वो सच में ही पारो ही थी।
घूँघट हटाते ही उसके सारे कपड़े अपने आप से उतर गए और वो सीधे ही भैया की गोद में बैठ गई।
अब दूसरी औरत आई और मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई थी।
मैं झट से पहचान गया कि वो भाभी हैं, मैंने ज़ोर से कहा- भाभी जी हैं यह!
और जैसे ही घूंघट हटा तो देखा वाकयी में वो भाभी ही थी। भाभी के भी सारे कपड़े अपने आप उतर गए थे और वो नंगी होकर मेरे सामने आ कर मेरी गोद में बैठ गई।
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