Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:15 PM,
#49
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
प्रेमा और रानी से गंधर्व विवाह

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए और हम सिर्फ कम्मो, पारो और मैं ही आपस में रोज़ मिल लेते थे रात को..
एक दिन कॉलेज से लौटा ही थी कि कम्मो आ गई और आते ही मुझको एक बहुत सख्त आलिंगन किया उसने, मैंने भी जफ़्फ़ी का जवाब जफ़्फ़ी से दिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसको लबों पर! 
मैंने पूछा- यह किस ख़ुशी में किस-विस कर रही हो कम्मो रानी? क्या कोई ख़ास बात है?
कम्मो मुस्कराते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, आपका तीर चल गया दोनों पर!
मैं बोला- कौन दोनों?
कम्मो बोली- वही ताजमहल-1 और ताजमहल-2 पर.
मैं बोला- कौन सा तीर यार? 
कम्मो बोली- अरे भूल गए क्या? वो प्रेमा और रानी का फ़ोन आया था, वो आज दोनों आई थी मुझसे मिलने। जानते हो क्या हुआ?
मैं बोला- जल्दी बताओ क्या हुआ उन दोनों को? ठीक तो हैं न?
कम्मो बोली- अरे वो ठीक हैं, आज पक्का हो गया कि दोनों ही गर्भवती हो गई हैं।
मैं बोला-अच्छा, वाह, कमाल कर दिया तुमने कम्मो रानी! तुम्हारा मतलब है कि रानी और प्रेमा दोनों ही हो गई हैं गर्भवती।
कम्मो बोली- हाँ, दोनों में आपका कीड़ा काम कर गया है। बड़ी खुश हैं दोनों, कल फिर आएँगी तुम्हारा थैंक्स करने और थोड़ा चुदवाने भी, क्यों कर सकोगे उनकी चुदाई को कल भी?
मैं बोला- आने दो ताजमहलों को, उनकी ख़ूबसूरती का नज़ारा करना है।
कम्मो बोली- मैं कल का टाइम फिक्स कर लेती हूँ उन दोनों से। एक और केस आया है।
मैं बोला- कौन है वह?
कम्मो बोली- अपने पड़ोस वाली आंटी है, न उसने आज शाम को मुझको और आपको चाय पर बुलाया है।
मैं बोला- कौन हैं वो?
कम्मो बोली- वो ठाकुर साहिब हैं, उनकी धर्म पत्नी है। ठाकुर साहिब बाहर गए है तो वो आज आई थी हमारी कोठी मैं। मैंने उसको चाय वगैरह पिलाई थी उनको, इसलिए आज शाम वो हमको चाय पिलाना चाहती है और आप से मिलना भी चाहती हैं।
मैं बोला- कैसे हैं वो?
कम्मो हँसते हुए बोली- ताजमहल 3 है, उसको भी बच्चा नहीं हो रहा है बहुत अरसे की शादी के बाद भी!
मैं हँसते हुए बोला- फिर सरकारी सांड वाली ड्यूटी?
कम्मो भी हंसने लगी और बोली- मैंने आज उसका भी चेकअप किया है, वो भी तो ठीक है लेकिन फिर भी माँ नहीं बन पा रही?
मैं बोला- ठीक है, जैसे तुम कहोगी वैसा ही कर लेंगे यार, चीज़ अच्छी होने चाहिये बस, उसकी कोठी में कितने लोग हैं?
कम्मो बोली- ठकुराइन कह रही थी कि एक उसकी नौकरानी है और बाहर चौकीदार है।
मैं बोला- तो शाम को उसको अपने घर में ही बुला लेती न?
कम्मो बोली- मैंने सोचा कि कभी पड़ोस वाली आंटी से भी बना कर रखनी चाहिये न!
शाम को हम दोनों पड़ोस वाली आंटी के घर गए, आंटी वाकयी में बेहद खूबसूरत थी और मुझको देख कर चहकने लगी, हमारा स्वागत करते हुए बोली- आओ सोमू जी, आपके मम्मी पापा से तो मैं मिल चुकी हूँ कई बार लेकिन आपको कॉलेज जाते हुए ज़रूर देखती हूँ कभी कभी, बड़े स्मार्ट लड़के हैं आप तो।
मैं शर्माते हुए बोला- नहीं आंटी कोई ख़ास स्मार्ट नहीं हैं हम, लखनऊ के लड़के और लड़कियाँ तो बहुत ही तेज़ और स्मार्ट हैं जी!
फिर औपचारिक बातचीत के बाद चाय का दौर चला, मैंने ध्यान से आंटी को देखा, वो भी एकदम सफ़ेद रंग और भरे हुए जिस्म वाली औरत थी, उम्र होगी 26-27 साल, उरोज और नितम्ब मोटे और गोल और चेहरे पर लाल रंगत बताती थी कि आंटी काफी सुन्दर हैं और उसका जिस्म भी किसी तरह से ताजमहल से कम नहीं होगा।
मैं चाय पी रहा था, तभी कम्मो और आंटी उठ कर दूसरे कमरे में चली गई। 10 मिन्ट बाद वो वापस आई तो दोनों बड़ी खुश लग रही थी।
फिर हम विदा लेकर घर वापस आ गए।
घर आकर कम्मो मेरे पीछे ही आ गई और दरवाज़ा बंद करके बोली- वो सुमिता आंटी कह रही थी कि आप उसको पसंद हैं। जब चाहो उसके साथ समय फिक्स कर लेते हैं।
मैं बोला- पर कम्मो, तुमने बताया था कि उसका पति आजकल बाहर गया हुआ है तो उसके आ जाने के बाद यह काम शुरू करें?
कम्मो बोली- हाँ वो तो सही है लेकिन एक दो बार उसकी आपसे चुदने की मर्ज़ी है, मैंने कह दिया है कि दो दिन बाद का टाइम रख लेते हैं, वो चाहती है कि उसके घर में आप उसकी चुदाई करो, क्यों ठीक है?
मैं घबरा कर बोला- नहीं, मैं उसके घर में नहीं जाऊँगा। चुदाई होगी तो इसी कोठी में होगी नहीं तो नहीं।
कम्मो बोली- ठीक है, यही करना उचित है, लेकिन वो बहनों की प्रॉब्लम है न? कॉलेज से आने के बाद वो घर में जमी रहित हैं न, मुश्किल होती है किसी को बुलाने में!
हम अभी बातें कर ही रहे थे कि बाहर से दरवाज़ा खटका, झट खोला कम्मो ने और सामने पारो को पाया।
वो बोली- छोटे मालिक का फ़ोन है घर से!
मैं जल्दी से फ़ोन सुनने के लिए बैठक में गया और हेलो किया तो उधर से गीति और विनी की मम्मी का फ़ोन था, बड़े प्यार से बोली- बेटा कैसे हो तुम सब?
मैंने जवाब में कहा- ठीक हैं हम सब!
फिर उन्होंने कहा- गीति को बुला दो, ज़रूरी बात करनी है।
मैंने अच्छा आंटी जी!
और गीति को उसके कमरे से बुलाया।
थोड़ी देर बाद गीति और विनी मेरे कमरे में आईं और बहुत ख़ुशी से बोली- पापा यहाँ आ रहे हैं हम दोनों को गाँव ले जाने के लिए आज ही क्योंकि गीति की सगाई फिक्स हो गई है।
हम सबने गीति को बधाई दी।
शाम को उसके पापा और मम्मी आये और दोनों बहनों को वापस ले गए।
जाने से पहले दोनों बहनें मेरे कमरे में आईं और मेरा शुक्रिया अदा करने लगी और जाते जाते मुझको लबों पर हॉट किस कर के गई और कम्मो और पारो का भी बहुत शुक्रिया अदा किया।
उनके जाने के बाद हम सबने चैन की सांस ली कि ‘चलो बहनों की प्रॉब्लम भी दूर हो गई, अब हम आज़ादी से कुछ भी कर सकते हैं कोठी में!
पारो और कम्मो दोनों बड़ी खुश थी।
कम्मो ने उसी समय प्रेमा और रानी को फ़ोन किया और कहा- आप जब चाहो आ सकती हो!
अगले दिन दोनों ने दो बजे का टाइम निश्चित किया।
अगले दिन मैं कॉलेज से टाइम पर आ गया और खान खाकर थोड़ी देर के लिए लेट गया।
तभी कम्मो तजमहलों को ले कर आ गई।
बड़ी हॉट चूमाचाटी हुई और फिर दोनों ने मुझको नंगा करके मेरे लंड को पहले तो टीका लगाया और फिर उसके गले में छोटा मोगरे का हार पहना दिया।
मैं कम्मो और पारो बड़े ही आनन्द से मेरे लंड की पूजा का नज़ारा देख रहे थे। दोनों ने मेरे माथे में टीका लगाया और फिर मेरे गले में फ़ूलगेंदे का हार डाला।
कम्मो बोली- आप दोनों छोटे मालिक से शादी कर लो अभी!
प्रेमा और रानी हैरानी से बोली- शादी कर लें सोमू से? वो क्यों?
कम्मो बोली- ऐसा है, आपके अंदर जन्म लेने वाले बालक का वास्तव पिता तो सोमू ही है न? अगर तुम दोनों उससे गंधर्व विवाह कर लोगी तो आप पर नाजायज़ औलाद की माँ होने का पाप नहीं चढ़ेगा।
दोनों एक दूसरी को देखने लगी।
पारो भी बोली- आप कहाँ कोई सचमुच में शादी कर रहे हो, यह तो केवल नकली शादी है जिसका नाम गन्धर्व विवाह डाल दिया गया है, आप हाँ कर दो बस!
दोनों ने हामी भर दी।
कम्मो बोली- चलो, आप सब नंगी हो जाओ।
यह कह कर वो रानी की साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी और कम्मो प्रेमा की साड़ी और पेटीकोट उतारने लगी।
थोड़ी देर में वो दोनों नंगी हो गई।
यह देख कर मैंने कहा- पंडित लोग भी तो कपड़े उतार दें तो शुभ होगा गन्धर्व विवाह के लिए!
यह सुन कर सब बड़े ज़ोर से हंस पड़े।
मेरा लौड़ा तो वैसे ही तना हुआ था यह नया तमाशा देख और झूम उठा!
अब चार चूतें मेरे लंड के सामने नंगी खड़ी थी।
तब कम्मो ने कार्यक्रम शुरू किया, सबसे पहले उसने प्रेमा और रानी के माथों पर सिंदूर का टीका लगाया और फिर वही उनके मम्मों और चूत पर लगाया गया।
फिर उसने मेरे माथे पर टीका लगाया और मेरी छाती के चुचूकों पर टीका लगाया और आखिर में उसने मेरे लंड पर टीका लगाया।
फिर कम्मो ने प्रेमा और रानी को साथ खड़ा किया और दोनों को हाथ मेरे लंड पर रख देने को कहा।
जब दोनों ने हाथ लंड पर रखा तो वो बोली- आप दोनों मेरे पीछे पीछे बोलो ‘हे हमारे स्वामी लंड जी महाराज जी, आपने कृपा करके हम दोनों को एक एक पुत्र का दान दिया है, इस लिए हम आपके आभारी हैं, हम आज से आपकी गन्धर्व पत्नी बन गई हैं, हमको आगे चल कर भी पुत्र दान देते रहें!
तथास्तु!!
कम्मो बोलती रही- अब रानी, यह माला लीजिये और सोमू के गले में डालिये और सोमू, आप यह माला लेकर रानी के गले में डालिये और इसी तरह प्रेमा जी आप भी इसी तरह माला का आदान प्रदान सोमू के साथ करो।
कम्मो बोल रही थी- अब यह विवाह सम्पन हुआ, अब सोमू जी आपकी ये दोनों सुन्दर पत्नियाँ हैं, इनका भोग आरम्भ कर सकते हैं।
यह सुनते ही पारो प्रेमा को पलंग पर ले आई और उसको लिटा दिया और मुझको उसकी चौड़ी जांघों में बिठा दिया और अपने हाथ से खड़ा लंड प्रेमा की गीली चूत में डाल दिया।
जैसे ही मेरा लंड प्रेमा की चूत में गया तो मैंने अपने पुराने ढंग से चुदाई शुरू कर दी और थोड़े समय में ही प्रेमा की चूत का पानी छुड़ा दिया।
तभी कम्मो रानी को तैयार करके ले आई और प्रेमा की जगह लिटा दिया और वैसे ही उसकी चूत में मेरा लंड डाल दिया।
उसको भी मैंने प्रेम से चोदा और कुछ ही मिनटों में वो भी झड़ गई।
तब मैं उठा और कहा- अब दोनों पंडितों की बारी है, उनको भी लंड देवता की पूजा कर लेनी चाहिए।
प्रेमा और रानी ने भी ज़ोर दे कर कहा- इन दोनों को भी लंड देवता का प्रसाद मिलना चाहिए।
और फिर मैंने पहले छोटे पंडित को लंड देवता का प्रसाद दिया और फिर बड़े पंडित साहिब को भी लंड का प्रसाद दिया गया।
यह काम हो जाने के बाद हम सब उठे और एक दूसरे को गले लगा लिया।
फिर मैं कमरे के मध्य में खड़ा हो गया और अपने लंड की और इशारा करते हुए बोला- हे अति सुन्दर देवियो, सबके साथ कामक्रीड़ा करके में बहुत भाग्यवान पुरुष बन गया हूँ, इसलिए मैं आप सबकी चूतों को प्रणाम करना चाहता हूँ।
यह कह के मैंने सब औरतों को लाइन में खड़ा कर दिया एक एक कर के सबकी चूतों को झुक कर नमस्कार करने लगा।
मुझको यह करते देख कर कम्मो तो हंसी के मारे लोटपोट हो गई और पारो भी मुंह में पल्लू डाल कर हंस रही थी।
मैं शांत भाव से अपने काम में मस्त रहा, प्रेमा की चूत को और फिर रानी की चूत को और उसके बाद कम्मो की और पारो की चूत को भी पूरा नमस्कार किया।
दोनों ताजमहल भी मेरे तरह से शांत भाव से मेरे नमस्कार का जवाब दे रहे थे।
कम्मो अब संयत हो चुकी थी और उसने प्रेमा और रानी को कहा- अब आपका गन्धर्व विवाह संपन्न हो चुका है और अब आप और आप के बच्चे पाप से मुक्त हैं।
मैं बोला- मेरे पति का रोल सिर्फ यहीं तक था और यह अब आपकी श्रद्धा के ऊपर है कि आप मुझको कभी कभी अपनी चूतों के दर्शन करवाती रहें।
मैंने आगे बढ़ कर प्रेमा के नग्न मम्मों को चूमा और रानी के चूतड़ों को भी सहलाया, फिर दोनों के लबों पर एक एक गर्म चुम्मी देकर कहा- अगर कभी आप को ज़रूरत हो तो मुझ गरीब को याद कर लिया कीजिये, मैं आपकी चूत की सेवा के लिए सदा तैयार रहूँगा।
कम्मो ने मुझको दिलासा दी और मुझको लेकर दूसरे कमरे में चली गई। वो हंस रही थी लेकिन मैं सीरियस हो गया था।
वो बोली- छोटे मालिक, आप तो सच मान बैठे, यह तो हम सब मज़ाक कर रहे थे, उन दोनों के साथ चुहलबाज़ी थी और कुछ नहीं।
थोड़ी देर बाद मैं संयत हो गया और कपड़े पहन कर प्रेमा और रानी के पास आ गया।
वो दोनों कोकाकोला पी रही थी और पारो मेरे लिए भी ले आई थी।
जाने से पहले कम्मो ने उनको काफी विस्तार से सब कुछ समझाया और जो कुछ भी दिक्कतें आ सकती थी, उनके बारे में भी बताया।
फिर वो दोनों अपने घर चली गई।
पड़ोस वाली आंटी और नौकरानी


रात को कम्मो से सोने से पहले मैंने बात की, मैंने उसको बताया कि यह हमारी कोठी में औरतों का बहुत आना जाना हमारे लिए शायद ठीक नहीं होगा आगे चल कर के… इसका कुछ उपाय सोचना चाहिये।
कम्मो बोली- आप ठीक कह रहे हो छोटे मालिक, आप बताओ क्या करें?
मैं बोला- पहला काम तो यह करो कि जो औरत तुमसे मिलने आये उसको समझा दो कि तुम कोई पैसा लेकर यह दाई वाला काम नहीं कर रही हो, तुम यह ज़रूर कहो कि तुम कुछ औरतों की तकलीफ दूर करने और उनकी भलाई करने की कोशिश कर रही हो। तुम जिस भी औरत की हेल्प करना चाहती हो, पहले उसको अपनी एक खाली कोठरी में बुला लो! क्यों ठीक है न?
कम्मो बोली- हाँ छोटे मालिक, ठीक कह रहे हैं आप!
मैं बोला- उस कोठरी को थोड़ा ठीक-ठाक कर लो जैसे चारपाई जिस पर अच्छी सी चादर, तकिए और कुर्सी टेबल स्टोर से ले कर वहाँ लगा लो, जिस भी औरत को बुलाओ, उसकी हैसियत देख लो, अगर वो सेठानी या ऊँचे घर की लगती है तो उसको अंदर बैठक में बुला लो बाकी को उस कोठरी में, क्यों ठीक है?
कम्मो बोली- बिल्कुल ठीक कह रहे हैं आप!
मैं बोला- और फिर अपने चौकीदार राम लाल को भी अपने साथ मिला कर रखो, उसको यदा कदा खाना वगैरह भेज दिया और अगर घर में मीट या चिकन इत्यादि बनता है तो उसको भी थोड़ा सा भिजवा दिया ताकि उसका परिवार भी खुश रहे, पैसे की मदद तो मैं करता ही रहूंगा ही।
कम्मो बोली- यह बिल्कुल ठीक है, इससे उसका मुंह भी बंद रहेगा।
मैं बोला- वो पड़ोसी आंटी का क्या नाम बताया था तुम ने?
कम्मो बोली- सुमित्रा जी, क्यों?
मैं बोला- तुम देख लो, अगर वो फ्री हों तो आज दोपहर में ही बुला लो।
कम्मो बोली- ठीक है छोटे मालिक, मैं फ़ोन पर उससे पूछ लूंगी लेकिन एक दिक्कत है।
मैं बोला- वो क्या?
कम्मो बोली- वो कह रही थी कि उनकी नौकरानी भी साथ आयेगी। परसों मैंने उसकी नौकरानी से भी बात की, दिखने में जवान और सुन्दर है, अच्छा जिस्म है, और वो नौकरानी लगती ही नहीं!
मैं बोला- तुमने आंटी से पूछ लिया था क्या? उसको सारी बातें मालूम है क्या? और वो अगर कमरे में रहेगी तो क्या वो चुदाई के लिए तैयार होगी?
कम्मो हंस दी और बोली- अरे छोटे मालिक, वो तो आपकी पक्की आशिक हुई पड़ी है! और किसी भी कीमत पर आपसे चुदवाना चाहती है, उसका नाम शान्ति है, उसकी उम्र 19 की है और ब्याहता है लेकिन पति मुंबई में काम करता है, साल में एक हफ्ते के लिए आता है और उसकी चुदाई करता है, बाकी सारा साल ऊँगली के सहारे रहती है।
मैं बोला- यह सब काम तुम्हारा है तुम अपनी पक्की तसल्ली कर लो, सब ठीक हो तभी बुलाना दोनों को, ठीक है?
कम्मो बोली- आप बेफिक्र रहे छोटे मालिक, मैं पूरा ध्यान रखूंगी।
मैं कालेज के लिए निकल पड़ा और जाते जाते राम लाल को 10 रूपए देता गया।
दोपहर को कॉलेज से आया तो कम्मो झट से ठंडा शर्बत ले आई और बोली- सब ठीक है, आप फ़िक्र न करें, दोनों से बात हो गई है और पड़ोसन कह रही थी शांति की वो ज़िम्मेदारी लेती है और वो उसके हर राज़ में शामिल है।
मैं बोला- तुमने आंटी को कह दिया है न कि कमरे में तुम भी रहोगी और तुम्हारे सामने ही सब कुछ होगा?
कम्मो बोली- हाँ हाँ, यह बात साफ़ है, आप थोड़ा सा आराम कर लो, वे 3 बजे के आस पास आएँगी।
मैं खाना खाकर थोड़ा लेट गया, न जाने कब मेरी आँख लग गई और फिर कम्मो ने मुझको जगाया और बताया कि आंटी आ गई हैं,
मैं उठा और मुँह हाथ धोए और थोड़ी खुशबू भी लगाई और फिर मैं बैठक में आ गया। आंटी को नमस्ते की और उसके साथ आई शांति को भी देखा, देखने में अच्छी खासी लड़की थी लेकिन आँखों में चंचलता ज़रूर झलक रही थी।
फिर कम्मो ने दोनों को ठंडा कोकाकोला पिलाया और उसके बाद हम सब मेरे कमरे में आ गए थे।
कम्मो ने आज वहाँ रेशमी चादर बिछा रखी थी और थोड़ा हट कर एक तख्तपोश डलवा दिया था जिस पर मोटा गद्दा और सुन्दर चादर डाल रखी थी।
मैंने कहा- आंटी जी, आपको कोई ऐतराज़ तो नहीं अगर कम्मो यहाँ रहे, वो काफी मदद कर देती है।
आंटी बोली- सोमू, तुम मुझको आंटी मत बुलाओ, मेरा नाम सुमित्रा है लेकिन तुम मुझको सुमी बुला सकते हो।
मैं बोला- ठीक सुमी जी, हम दोनों का घर का नाम एक दूसरे से बहुत मिल रहा है जैसे सोमु और सुमी… वाह क्या बात है! 
सुमी बोली- वोही तो, कम्मो बताओ अब क्या करना है?
कम्मो बोली- अब एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दो, सोमु आपके उतारेगा और आप सोमू के!
मैं बोला- यह तो ठीक नहीं है, पहले तो यह होना चाहये।
यह कह कर मैंने सुमी को बाँहों में भर लिया और उसके लबों पर एक गरमागरम चुम्मी कर दी और अपने हाथ उसके चौड़े चूतड़ों पर रख दिए। उसने एक खूबसूरत सिल्क साड़ी पहन रखी थी जिस पर हाथ रखते ही फिसल जाता था।
फिर मैं उसके मुंह से फिसल कर उसके गोल और मोटे उरोजों पर मुंह पर जमा दिए और उसके ब्लाउज के ऊपर से उसको चूमने लगा।
अब तक उसकी शर्म भी कम हो चुकी थी और उसने भी मेरे खड़े लौड़े को पकड़ लिया अपने हाथों में और धीरे धीरे मुट्ठी मारने लगी।
अब मैंने उसकी साड़ी उतारनी शुरू की और फिर उसके ब्लाउज में हाथ डाला, और उसके बाद उसकी ब्रा को भी उतार दिया।
तब तक वो भी मेरे कपड़ों के साथ लगी हुई थी और फिर हम दोनों एक साथ ही नंगे हुए।
मैं उसकी ख़ूबसूरती को देखने लगा और वो मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को नापने लगी। अब वो थोड़ा झुकी और मेरे लंड को मुँह में डाल लिया मैं भी उसके चुचूकों को चूसने लगा।
वो मेरे लंड को चूसते हुए मेरे अंडकोष को भी चूमने की कोशिश कर रही थी।
मैं भी आहिस्ता से अपना मुंह नीचे लाया और उसकी बालों से भरी चूत को एक गर्म चु्म्मी दे डाली। फिर उसके भग को मुंह में लेकर गोल गोल चूसने लगा, उसके शरीर में हल्की सी कम्पन्न हुई और उसने थोड़ी देर के लिए मेरे मुंह को अपनी मखमली जांघों में कैद कर लिया।
मैं उठा और बाकी लोगो को देखने लगा, शांति भी पूरी नंगी हो चुकी थी और कम्मो उसके मम्मे चूस रही थी। वो दिखने में काफी सेक्सी लग रही थी, उसके मम्मे कॅाफ़ी मोटे और जानदार लग रहे थे और चूतड़ भी गोल और तगड़े थे, पेट एकदम स्पाट और चूत गहरे काले बालों से ढकी हुई थी, सब प्रकार से वो भी एक सेक्सी लड़की लग रही थी।
अब मैं सुमी को लेकर अपने पलंग पर आ गया और उसको लिटा दिया और खुद उल्टा लेट कर उसकी जांघों में उसकी चूत पर अपना मुँह टिका दिया और अपना लंड उसके मुंह की तरफ कर दिया।
सुमी समझ गई और उसने मेरे लंड को मुंह में डाल लिया और लोलीपोप की तरह उसको चूसने लगी और मैं भी उसकी बालों से भरी सुगन्धित चूत को चूसने और चाटने लगा।
थोड़ी देर में ही वो काफी तेज़ी से टांगों को बंद और खोलने और बंद करने लगी, उसके शरीर से एक ज़ोरदार कंपकंपाहट उठी और उसकी चूत से भी सफ़ेद क्रीम जैसा पानी निकला जो मैं बिना किसी हिचक के चाट गया।
अब मैं उठा और अपना लंड उसकी चूत में पूरा डाल दिया, धीरे धीरे चोदने लगा और वो भी चूतड़ उठा उठा कर हर गहरे धक्के का जवाब देने लगी।
उसकी आँखें बंद थी और वो मुझको होटों पर कभी चुम्बन करती थी, कभी वो मुझको खींच कर अपनी छाती से लगाती थी और जब मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी तो उसके मुंह से हल्के से ‘हाय… उफ्फ्फ्फो… मर गई रे…’ जैसे शब्द निकल रहे थे।
उधर कम्मो को शांति को बड़े प्यार से चोद रही थी, कभी मुंह से कभी ऊँगली से और उसके मम्मों को भी कस कर चूस रही थी।
!
जब मैंने देखा कि सुमी छूटने की कगार पर है तो मैंने उसको बड़ी तेज़ी से चोदना चालू किया और 5-6 मिन्ट में ही वो छूट गई।
मैं उसके ऊपर से उतरा और उसके साथ ही लेट गया, उसने अपना सर मेरे कंधे पर डाल दिया और आराम करने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने उसको कहा- तुम ऊपर से आ जाओ मुझको चोदो।
वो एकदम खुश हो गई और झट ही ऊपर आकर बैठ गई और अपने हाथ से लंड चूत के अंदर डाला और पूरा अंदर ले कर फिर पूरा बाहर निकाला और इस तरह वो मुझको मज़े से चोदने लगी।
हल्की स्पीड के बाद वो एकदम तेज़ी में गई और मैं भी उसके मम्मों को चूसने लगा।
इस पोजीशन में उसको बहुत मज़ा आ रहा था और वो शीघ्र ही झड़ गई और मेरे ऊपर पसर गई।
वो उठी और बाथरूम में चली गई।
उधर कम्मो ने मुझको इशारा किया और मैं शांति के पास तख्तपोश पर चला गया, वहाँ जाते ही मैं उसके सारे जिस्म पर हाथ फेरने लगा और उसकी चूत में भी ऊँगली डाली तो वो एकदम से बहुत पनिया रही थी। उसने कमर में एक काला धागा भी बाँध रखा था।
मैंने उसको फ़ौरन घोड़ी बना कर चोदना शुरू किया, उसकी चूत एकदम टाइट और मस्त थी।
मेरे लंड को अंदर जाने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी क्यूंकि लगता था कि उसकी चूत बहुत ही कम इस्तेमाल हुई थी। फिर मैंने धीरे धीरे चुदाई तेज़ कर दी और उसकी चूत के गीलेपन के कारण चुदाई का आनन्द बहुत ही ज़्यादा आ रहा था और मैं पूरा मज़ा लेते हुए शांति को चोदने लगा।
वो भी हर धक्के का जवाब अपने चूतड़ों को आगे पीछे कर के दे रही थी।
फिर मैंने अपनी स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि वो अपने धक्कों पर टिक नहीं सकी और चुदाई का आनन्द लेने लगी और 10 मिन्ट की स्पीड चुदाई से उसका ज़बरदस्त छूट गया।
फिर उसको आधा बिस्तर पर और आधा नीचे रख कर चोदने लगा और उसकी टांगें अपने आप ही मेरे चूतड़ों को घेर कर लिपट गई। अब मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे के ऊपर रखा और ज़ोर ज़ोर से उसको लंड के अंदर बाहर का खेल शुरू कर दिया।
उधर देखा तो सुमी और कम्मो हमारे पास ही खड़े थे और सुमी मुझको बड़े ध्यान से देख रही थी कि यह लौंडा कैसे इतनी चुदाई कर पा रहा है। वैसे उम्र के हिसाब से तो मैं एक लौंडा ही था हालांकि मेरे कद बुत से कोई कह नहीं सकता था कि मैं एक एक लौंडे के समान हूँ।
थोड़े ही समय में शांति का बहुत ही जोरदार छूटा और कुछ समय वो मेरे से लिपट कर तिलमिलाती रही, फिर जब वो संयत हुई तो उस ने मुझको पकड़ कर मेरे मुंह पर चुम्मियों की बरखा लगा दी।
सुमी और कम्मो हैरान थी कि यह क्या कर रही है लेकिन मैं समझ गया था कि शांति लंड की भूखी है इस वजह से वो ज़्यादा ही भावुक हो गई थी।
जब वो उठी तो मैंने उससे पूछा कि उसका पति आखिरी बार कब आया था।
तो वो बोली- 3 साल हो गए हैं।
मैंने पूछा- तुम मुझसे क्यों चुदवाने के लिए राज़ी हो गई?
वो बोली- आप कोई मर्द थोड़े ही हैं, आप तो दिखने में एक लड़के ही लगते हैं और मुझको लगता ही नहीं था कि मुझको किसी मर्द ने चोदा है लेकिन मेरी चूत तो यही चिल्ला चिल्ला कर कह रही है कि मुझको किसी महामर्द ने चोदा है जिसकी चुदाई की शक्ति अपार है।
यही जवाब सुमी का भी था, उसने तो यहाँ तक कह दिया कि सोमु तुम बड़ी किस्मत वाले हो क्यूंकि तुम्हारा शरीर एक कम उम्र के लड़के की तरह है लेकिन तुम में एक पूरे जवान मर्द की ताकत है और शायद उस से भी ज़्यादा है।
फिर जल्दी से कपड़े पहन लिए हम सब ने और बाहर बैठक में आ गए।
वहीं पर सुमी ने कहा- कम्मो जी, मुझको सोमू से ही करवाना है गर्भाधान… अगर उसको ऐतराज़ न हो तो?
मैंने कहा- मुझको क्या ऐतराज़ हो सकता है, आप अपनी इज़्ज़त दाँव पर लगा रही हो और मेरी तरफ से पूरी कोशिश होगी कि यह सारा मामला गुप्त रखा जाएगा।
कम्मो ने बताया- सुमी जी की माहवारी 11 दिन पहले शुरू हुई थी सो यह 2- 3 बाद गर्भादान के लिए फिट हो जाएंगी। आप समय फिक्स कर लेना और सोमु को मैं स्पेशल डाइट देकर तैयार कर दूंगी। और आपको जो स्पेशल डाइट मैंने लिख कर दी है वो आप ज़रूर खाएँ। 
फिर वो सब चाय और नाश्ते में लग गए। नाश्ते के बाद वो दोनों जाने लगी तो कम्मो ने उनको कहा- आप परसों इसी वक्त आ जाना।
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