RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
गीति और विनी की चुदाई
तब तक मैं और कम्मो भी कपड़े उतार चुके थे। कम्मो के सामने दोनों लड़कियाँ बहुत ही कमसिन लग़ रही थी।
कम्मो ने पहले गीति के मम्मे छुए और फिर वो विनी के पास गई, दोनों को अपनी बाँहों में ले कर वो उनको गोल गोल घुमाने लगी और साथ ही कभी उनके मम्मे या फिर उनके चूतड़ को दबाने लगी।
ऐसा करते हुए वो उन दोनों को लेकर मेरे पास आ गई और गीति को मेरे को सौंपते हुए बोली- यह देसी माल तैयार है।
मैंने झट से गीति को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर उसके होटों पर एक बहुत ही गर्म चुम्मी दी, फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू किया और गीति के हाथ मेरे लौड़े को लेकर खेलने लगे।
मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो एकदम गीली थी और उसकी भग भी एकदम उभरी हुई और सख्त हो गई थी।
मैं बैठ गया और अपना मुंह खड़ी हुई गीति की बालों से भरी चूत में डाल दिया और उसकी मोटे भग को चूसने लगा।
गीति एकदम तड़फड़ाने लगी।
उधर कम्मो विनी के साथ लगी हुई थी और उसके मम्मों को चूस रही थी और एक ऊँगली से उसकी भग को रगड़ रही थी।
उन दोनों को बिजी देख कर मैंने हल्की फुल्की गीति को चूतड़ों से उठाया और अपने लौड़े के बराबर लाकर चूत के मुंह पर टिका दिया। थोड़ी देर में उसकी चूत को बाहर से लंड से रगड़ रहा था और फिर धीरे धीरे मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया।
जैसे ही लंड पूरा उसके अंदर चला गया, वो मुझ से एकदम चिपक गई, मैं उसको उसी दिशा में लेकर पलंग के पास घूम आया और फिर उसको बेड पर लिटा दिया और खुद उसकी टांगों में बैठ गया।
पहले हल्के धक्के और फिर तेज़ धक्के मार कर मैं उसकी कुंवारी चूत का आनन्द लेने लगा।
उसकी चूत गाजर मूली को डालने से थोड़ी खुली हुई थी लेकिन लौड़े को पहली बार अपने अंदर ले रही थी तो उसको लंड की गर्मी को पहली बार महसूस करने का मौका मिल रहा था।
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उसकी आँखें बंद थी और वो मस्त होकर अपने चूतड़ उठा उठा कर चुदवा रही थी। मैं भी लौड़ा उसकी चूत के पूरे आखिरी छोर तक डाल रहा था।
5 मिन्ट में वो बड़ी तीव्रता से स्खलित हो गई, उसके शरीर की कम्कम्पाहट काफी देर तक चलती रही।
मैं बिस्तर पर लेट गया और कम्मो को इशारा किया और वो विनी को उठा कर मेरे पास ले आई और मेरे साथ लिटा दिया।
विनी ने लेटते ही मुझ पर चढ़ाई कर दी, वो मेरे ऊपर आकर बैठ गई और अपने हाथ से मेरे खड़े लंड को अपनी चूत के द्वार पर रख दिया और झट से उसके ऊपर बैठ गई, बड़ी जल्दी ही लंड पूरा उसके अंदर चला गया।
कम्मो ने गीति के मुंह और चूत को तौलिये से साफ़ किया और वो उसके साथ ही लेट गई और अपनी टांगें उसके पेट पर रख दी और उसकी चूत को ऊँगली से रगड़ने लगी।
इधर विनी आँखें बंद किये मेरे ऊपर नीचे हो रही थी। जब उसका मेरे लौड़े पर नाचना बहुत तेज़ हो गया तो मैं समझ गया कि यह कुंवारी चूत भी झड़ने वाली है।
मैंने उसको पलट दिया और उसको अपने नीचे ले कर ज़ोरदार धक्के मारने लगा।
और जैसे ही विनी छूटी, वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई और उसकी चूत से एक ज़ोरदार पानी का फव्वारा छूटा जिसका रस सारा मेरे पेट पर गिरा।
दोनों बहनें बेजान सी पड़ी हुई थी और मेरा घोड़ा तो अभी भी हिनहिना रहा था।
मैंने देखा कि कम्मो बेचारी ऊँगली चूत में मार रही थी, मैंने उसको अपने पास लिटा लिया और उसकी चौड़ी टांगों के बीच चूत में अपना मोटा और लम्बा लंड डाल दिया, फिर मैंने उसको साइड में लिटा कर उसकी पीछे से लंड डाल दिया।
साइड चुदाई में मज़ा यह है कि कोई किसी के ऊपर या नीचे नहीं होता चमचा बना कर चोदना कहलाता है और किसी को भी जल्दी करने की ज़रूरत नहीं होती।
मैंने कम्मो की गांड अपनी तरफ कर रखी थी और मेरी दूसरी तरफ विनी लेटी थी और उसके साथ गीति थी। विनी ने अपनी मम्मे मुझ से पीछे से चिपका रखे थे और मैं कम्मो की मोटी और टाइट चूत में लंड डाल कर धीरे धीरे धक्के मार रहा था।
धक्के मारते हुए मेरी आँख भी लग रही थी तो कुछ मिन्ट बाद कम्मो अपनी गांड का झटका मार कर मुझको जगा देती थी और मैं फिर धक्के मारना शुरू हो जाता था।
यह सिलसिला कोई मेरे ख्याल में आधा घंटा चला होगा, फिर मैंने मेहसूस किया कि कम्मो को भी शरीर में कंपकंपी हुई और फिर उसने हिलना बंद कर दिया।
मैं समझ गया कि कम्मो की चूत को भी किनारा मिल गया और वो गहरी नींद में सो गई।
मैं कम्मो की चूत में ही खड़े लंड को डाले सो गया।
करीब आधी रात को मुझ को ऐसा लगा कि मेरे ऊपर कोई बैठा हुआ है।
मैंने आँखें खोली लेकिन मुझ को कोई दिखा नहीं और मैं फिर सो गया करवट बदल कर।
एक बार फिर मुझ को ऐसा महसूस हुआ कि कोई मेरे लंड के ऊपर बैठ हुआ है और ऊपर नीचे हो रहा है। मैंने उठ कर देखने की कोशिश की, मुझको कोई भी नहीं दिखा और फिर मैं जल्दी ही सो गया।
अब मैंने करवट बदल दी तो मेरा हाथ सीधा छोटे गोल मम्मों पर पड़ा, मैंने उनको आहिस्ता से दबाना शुरू किया और फिर सोये सोये ही मेरा हाथ न जाने कैसे किसी बालों भरी चूत पर जा पड़ा और मैं अनजाने में चूत के बालों को उँगलियों में लपेट रहा हूँ ऐसा मुझको लगा।
यह शायद सब सपना है, ऐसा मैंने सोचा और फिर करवट ली तो हाथ मोटे और गोल, मम्मों पर पड़ा।
अब मेरी नींद खुल गई।
मैं उठ कर बैठ गया और नाईट बल्ब की रोशनी में देखा की मेरे बाएं तरफ कम्मो लेटी है और दायें तरफ गीति लेटी है, कम्मो के गोल मम्मे मैंने हाथ में पकड़े हुए हैं और गीति की बालों भरी चूत भी खुली पड़ी है और मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत में है।
मैं मंद मंद हंसा और फिर लेट गया और जल्दी ही मेरी फिर से नींद लग गई।
सुबह जब मैं उठा तो सामने कम्मो खड़ी थी हाथों में चाय का कप लेकर!
उसने इशारा किया, मेरे बेड में दोनों लड़कियों की तरफ जो अल्फ नंगी बेखबर सोई थी। मेरे वाली साइड में विनी थी और उसकी दूसरी तरफ गीति।
मैंने आँखें मल कर फिर देखा तो यही देखा। मैं उठा और जल्दी से कपड़े पहन लिए और टेबल और कुर्सी पर बैठ गया।
चाय पीते हुए मैंने कम्मो से पूछा- कल रात तुम्हारा कितनी बार छूटा था।
वो बोली- यही कोई 3-4 बार क्यों?
मैं बोला- मुझ को ऐसा लगा कि रात भर मुझ को कोई चोदता रहा है।
कम्मो बोली- वाह छोटे मालिक, आपको पता ही नहीं चलता कि रात को कौन कौन आप के लंड का इस्तेमाल करता है।
मैं हैरान होकर बोला- किस किस ने किया मेरे लंड का इस्तेमाल सोने के बाद?
कम्मो बोली- दो बार तो मैं चढ़ी हूँ आपके ऊपर और हर बार मेरा छूटा है।
मैं हैरानी से बोला- और कौन चढ़ा था?
कम्मो बोली- दोनों बहनों ने दो दो बार आप को चोदा है।
मैं एकदम सकते में आ गया, उफ़ यह कैसी नींद थी जो मुझको पता ही नहीं चला कि कौन मुझको चोद गया।
मैं कम्मो से बोला- कल से मैं लंगोट पहन कर सोया करूंगा।
मैंने यह बात कुछ ज़ोर से कह दी और दोनों बहनें भी उठ कर बैठ गई और ज़ोर ज़ोर से हंसने लगी।
उसी वक़्त पारो भी बहनों की चाय लेकर आ गई थी और जब उसने बात सुनी तो वो भी बहुत हंसी।
मैं बुरी तरह से झेंप गया! मैं क्या करता, सारा कसूर तो साले मेरे लंड का था जो मानता ही नहीं।
मैंने हँसते हुए पारो को कहा- तुम क्यों बच गई, तुम भी आ जाती न?
पारो हँसते हुए बोली- मैं कैसे आती? मैं तो बाहर अपनी कोठरी में थी ना!
और फिर हम जल्दी जल्दी कॉलेज जाने की तैयारी में लग गए।
प्रेमा आंटी की चूत चुदाई
कालेज से वापस आया तो बैठक में कम्मो के साथ एक औरत बैठी थी, मुझको देखकर कम्मो ने मेरा परिचय करवाया कि मैं सोमू ज़मींदार साहिब का बेटा और आजकल यहाँ कॉलेज में पढ़ रहा हूँ और आप हैं प्रेमा भाभी, हमारे पड़ोस वाले मोहल्ले में रहती हैं और मुझ को रोज़ सब्ज़ी मार्किट में मिलती हैं।
मैंने भी नमस्ते की उनको और वहाँ शिष्टाचार के नाते थोड़ी देर के लिए बैठ गया।
मैंने उस महिला को ध्यान से देखा, वो काफी खूबसूरत लगी, रंग एकदम गोरा और शरीर भी गठा हुआ, काफी बड़े मम्मे और काफी मोटे चूतड़ भी, उम्र होगी कोई 24-25 साल की!
मैं उठा और जाते जाते कम्मो को बोल गया- आंटी को ठंडा गर्म पिलाओ न!
कम्मो ने हाँ में सर हिला दिया।
मैं अपने कमरे में आ गया और बूट उतार कर बिस्तर पर लेट गया। आज कॉलेज में वो सारी लड़कियाँ मिली जो नैनीताल में मेरे साथ थी। उनके साथ कुछ और लड़कियों के साथ भी परिचय हुआ जो मुझको बड़ी ही गर्म नज़रों से देख रहीं थी, उनकी आँखों में मैंने साफ़ तौर से पूरा निमंत्रण पढ़ा, उनमें से कई ने हिंट दिया कि कभी उनको भी मौका दूँ अपने जौहर दिखाने का!
मैंने किसी को कोई लिफ्ट नहीं दी लेकिन नैनीताल वाले ग्रुप को कैंटीन में ले जा कर हम सबने मिल कर खूब खाया और पिया।
इस मिनी पार्टी के पैसे मैंने ही दिए और चारों लड़कियों को खुश कर दिया।
नैनीताल ट्रिप के बाद मैं कॉलेज की सब लड़कियों में बहुत ही पॉपुलर हो गया था जिससे कई सीनियर लड़के जलने लगे।
हालात को काबू में रखने के लिए मैंने शानू को अकेले में बुला कर समझाया कि वो सब सहेलियों को बता दे कोई भी डींग या शेखी न बघारने लगे जो इन लड़कों के कान में पड़ जाने से हम सब को बहुत खतरा हो सकता है, ख़ास तौर से लड़कियों को।
थोड़ी देर बाद कम्मो आई और बोली- कैसा रहा कॉलेज आज?
मैंने कहा- बहुत अच्छा था! और कई और लड़कियों ने आँखों आँखों में अपने को समपर्ण करने के पेशकश की है। हम दोनों खूब हँसे।
फिर कम्मो बोली- देखा प्रेमा आंटी को?
मैंने कहा- हाँ देखा, अच्छी खूबसूरत औरत है यार कम्मो।
कम्मो बोली- रोज़ मार्किट में मिलती थी तो आज मैंने उसको घर बुला लिया, गलत तो नहीं किया ना?
मैं बोला- नहीं कम्मो बेगम, तुम तो घर की मालकिन हो। तुम्हारे सर तो घर चलता है। जब चाहो, जिसको चाहो तुम बुला सकती हो।
कम्मो बोली- यह रोज़ मुझ को अपनी मुसीबत के बारे में बताती रहती थी सो मैंने सोचा आज घर बुला कर इसकी सारी बात तो जानें। तो मैंने आज उससे कहा कि मुझको सब सच सच बता दो बिना किसी शर्म के।
और मैं इसको घर ले आई।
मैं बोला- अच्छा किया कम्मो तुमने जो कुछ मदद हो सकती है, वो करनी चाहिए न!
कम्मो बोली- यह बेचारी 6 साल से शादीशुदा है लेकिन इसके घर में बच्चा नहीं हो रहा, इसका पति थोड़ा मोटा है और चुदाई का शौक़ीन नहीं है, बस कभी कभी महीने में एक बार चोद देता है इसको, जिससे इसकी तसल्ली तो बिल्कुल नहीं होती और बच्चा भी नहीं हुआ अब तक। और ऊपर से इसकी सास रोज़ धमकी देती है कि अगर बच्चा नहीं हुआ एक साल के अंदर तो वो अपने बेटे की दूसरी शादी कर देगी।
मैं बोला – यह तो सरासर जुल्म है बेचारी पर!
कम्मो बोली – वही तो, आज मैंने उसका सारा चेकअप भी किया और यह पाया कि वो पूरी तरह से ठीक है और जो भी खराबी है वो उसके पति में है।
मैं बोला- अच्छा फिर क्या सोचा है उसके लिए?
कम्मो बोली- आपकी मदद की ज़रूरत है, अगर आप उसको हेल्प करो तो वह सो फीसदी माँ बन सकती है।
मैं घबरा गया और बोला- मैं क्या मदद कर सकता हूँ कम्मो डार्लिंग?
कम्मो बोली- वही मदद जो आपने फुलवा, चम्पा और बिंदु को दी।
मैं हैरान होकर बोला- तुम्हारा मतलब है प्रेमा आंटी की चुदाई?
कम्मो बोली- हाँ! अभी मैंने उससे खुल कर इस विषय में बात नहीं की लेकिन पहले यह ज़रूरी है कि आपकी मर्ज़ी जान ली जाए, तभी आगे बात की जाए।
मैं चुपचाप सोचने लगा कि काम तो भलाई का है लेकिन इस में खतरा भी बहुत है और फिर चुदाई का समय और स्थान भी तो देखना पड़ेगा ना!
मैं बोला- पहले तो प्रेमा आंटी इस काम के लिए तैयार नहीं होगी और अगर हो गई तो भी जगह और समय का भी तो बंधन है ना?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, आप सिर्फ हाँ कर दो, आगे मैं देख लूंगी, सारे प्रबंध मैं कर लूंगी।
मैं बोला- चलो मैं हाँ भी कर देता हूँ तो भी कब और कहाँ का फैसला मुश्किल है, वो कैसे करोगी मेरी जान?
कम्मो बोली- प्रेमा की सास सवेरे 10 से 4 बजे रोज़ अपनी बेटी के घर जाती है यहीं लखनऊ में! तभी प्रेमा सब्ज़ी वगैरह लेने मार्किट आती है और वो यहाँ दो घंटे सहेलियों के साथ गपशप करती है और फिर घर चली जाती है। वो हमारे पास कम से कम दो घंटे रह सकती है और यह समय चुदाई के काम के लिए काफी हैं।
मैं बोला- जगह कहाँ से आयेगी सरकार मेरी?
कम्मो बोली- अपनी कोठी और कहाँ?
मैं बोला- पारो और बहनों का क्या होगा?
कम्मो बोली- पारो तो अपनी है, उसकी फ़िक्र नहीं, और रह गई बहनें तो वो कॉलेज होंगी न उस समय।
मैं बोला- और सरकारी सांड कहाँ से आएगा? उसका भी तो कॉलेज होता है ना?
कम्मो हँसते हुए बोली- रहने दो छोटे मालिक, सरकारी सांड के आगे गोरी चिट्टी चूत लटका दो वो महीना भर कॉलेज नहीं जाएगा।
मैं बड़े ज़ोर से हंस दिया- चलो ठीक है, जल्दी से बात पक्की करो क्योंकि मेरा लौड़ा तो अभी सोच सोच कर हिलोरें मार रहा है।
कम्मो ने झट से मेरा लौड़ा पैंट से निकाला और उसको चूमते हुए कहा- यह सरकारी सांड बड़ा ही सीधा है, जब चाहो जहाँ चाहो किसी भी गाय के लिए तैयार रहता है। मैं अभी आई प्रेमा से फ़ोन पर बात करके!
कम्मो गई और मैं प्रेमा आंटी के ख्वाब देखने लगा, आंटी के संगमरमर जैसे मम्मे और मखमली जांघें उफ़्फ़… क्या चीज़ है यार प्रेमा आंटी।
थोड़ी देर में कम्मो खुश खुश आई और बोली- तय है कल का प्रोग्राम, आप कॉलेज नहीं जाओगे कल। और मैंने उससे पूछ भी लिया है कि मैं चुदाई के दौरान वहीं रहूंगी क्योंकि छोटे मालिक को मेरी ज़रूरत होती है। उसको कोई ऐतराज़ नहीं।
मैं बोला- तो फिर आज रात की चुदाई का प्रोग्राम भी कैंसिल कर देना क्योंकि मैं रात को भरपूर नींद सोना चाहता हूँ।
कम्मो बोली- वो तो ठीक है लेकिन सांड के एक बार चढ़ जाने से तो गाय हरी हो या न हो? उसका क्या करें?
मैं बोला- तुमको उसकी माहवारी का हिसाब लेना था न!
कम्मो बोली- छोटे मालिक आप महान हो। सारा ज्ञान अभी से अर्जित कर लिया है आपने। ठहरो, मैं यह भी पूछ लेती हूँ उससे फ़ोन पर!
थोड़ी देर बाद कम्मो ने कहा- कल ही उसका 10वाँ दिन होगा माहवारी के बाद… तो उत्तम समय है। और उसके दो दिन बाद भी अच्छा मुहूर्त है।
अगले दिन ठीक 10 बजे प्रेमा आंटी आ गई और कम्मो ने उसको बैठक में बिठाया। ठंडा पीने के बाद वो हम दोनों को मेरे बेडरूम में ले आई।
प्रेमा आंटी को बैठाया और फिर मुझसे बोली- क्यों छोटे मालिक, तैयार हैं आप?
मैं बोला- प्रेमा आंटी से पूछो?
प्रेमा बोली- मुझको आंटी न कहो सोमू, तुम मुझको प्रेमा बुला सकते हो।
मैं बोला- ठीक है प्रेमा जी, आपके मन में मेरे बारे में कोई संशय तो नहीं?
प्रेमा बोली- नहीं सोमू, तुम बड़े हैंडसम हो और अच्छा कद बुत है तुम्हारा। दिखने में ज़रा छोटे ज़रूर लगते हूँ लेकिन मुझको उम्मीद है जो कम्मो कह रही है तुम उसमें पूरा उतरोगे।
कम्मो समझ रही थी कि प्रेमा झिझक रही है, उसने उसकी झिझक दूर करने के लिए मुझको होटों पर एक चुम्मी कर दी, फिर उसने मेरी शर्ट उतार दी और मेरी पैंट के बटन खोलने लगी और फिर उसने पैंट को भी उतार कर एक साइड में रख दिया और मेरे इलास्टिक वाले अंडरवियर को भी उतार दिया।
मेरे खड़े लंड को प्रेमा हैरानी से देख रही थी।
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फिर कम्मो ने मेरे लंड के साथ खेलना शुरू कर दिया और मैं भी उसके मम्मों को ब्लाउज के बाहर से चूमने लगा।
कम्मो मेरे लंड के साथ खेल रही थी और वो मुझको धीरे से प्रेमा के पास ले गई और प्रेमा का हाथ उसने मेरे लौड़े पर रख दिया।
प्रेमा पहले तो शरमाई और फिर उसने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी सख्ती से काफी खुश लगी।
तभी कम्मो ने प्रेमा का ब्लाउज उतारना शुरू कर दिया और उसकी ब्रा के हुक खोल दिए।
प्रेम के उन्नत उरोज उछाल कर मेरे हाथ में आ गए और मैं उन सफ़ेद सफ़ेद संगेमरमर से बने मम्मों को चूसने लगा।
कम्मो प्रेमा की साड़ी उतारने में लगी हुई थी और फिर उसने उसका पेटीकोट भी उतार दिया। उसकी चूत पर बड़े घने काले बाल छाए हुए थे।
मेरा एक हाथ अब प्रेमा के चूतड़ों को हल्के हल्के मसल रहा था और उन रेशमी गोल गोल गुब्बारों को बड़े ही प्रेम से सहला रहा था।
प्रेमा भी अपनी शर्म के ऊपर उठ चुकी थी और मेरे सख्त लंड के साथ खेल रही थी।
मैंने भी अब उसके रस भरे होटों पर अपने होटों को रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा और अपनी जीभ को भी उसके मुंह में डाल कर गोल गोल घुमाने लगा।
कम्मो ने भी अपनी साड़ी उतार दी और पूरी नंगी होकर हमको मदद कर रही थी।
मैंने अब प्रेमा की चूत में हाथ डाला तो वो बेहद गीली हो चुकी थी।
कम्मो प्रेमा को धीरे से बेड पर ले गई और मुझको भी इशारा किया और मैं भी झट वहाँ पहुँच गया और उसकी संगमरमर जैसी जांघों के बीच में बैठ गया और अपने लौड़े को उसकी चूत के मुंह पर रख दिया।
फिर मैंने झुक कर उसके लबों पर एक गरम चुम्मी की और फिर लंड को हल्का धक्का दिया और लंड काफी सारा अंदर चला गया।एक और धक्का और लंड पूरा का पूरा अंदर था।
कम्मो प्रेमा के मम्मों के साथ पूरा इन्साफ कर रही थी और उनको खूब चूस रही थी, प्रेमा की आँखें बंद थी और वो चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थी।
हल्के धक्कों के बाद मैंने अब तेज़ी दिखानी शुरू कर दी और थोड़े ही तेज़ धक्कों के बाद प्रेमा छूटने लगी और वो ज़ोर ज़ोर से हाय हाय करने लगी और उसने मुझको कस कर अपनी बाहों में बाँध लिया।
ऐसा लगा कि वो बहुत दिनों से काम क्रीड़ा की इच्छुक थी और चूत की प्यास को मिटाने की पूरी कोशिश करने लगी।
जब वो कुछ संयत हुई तो मैंने अपने लंड के हमले जारी रखे, कभी तेज़ और कभी आहिस्ता, कभी लंड को पूरा निकाल कर फिर पूरा डालना यही मेरी ट्रम्प चाल होती थी।
कुछ मिनटों में प्रेमा फिर झड़ने की कगार पर पहुँच चुकी थी और इस बार उसका बहुत ही ज़ोर का छूटा और चूत में से बहुत सा रस भी बहा।
कम्मो ने इशारा किया और मैं उसकी चूत के ऊपर से उतर गया, मेरा लंड से प्रेमा का रस टपक रहा था।
मैं प्रेमा के साथ लेट गया और उसके सिल्की मम्मों के साथ खेलने लगा, उसका भी एक हाथ मेरे खड़े लौड़े के साथ खेल रहा था।
मेरे दूसरी तरफ तो कम्मो लेटी थी और वो मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी।
तभी प्रेमा उठी और मेरे ऊपर आकर बैठ गई और मेरे लंड को अपनी चूत में खुद ही डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगी।
मैं उसके मम्मों के चूचुकों को अपने मुंह में डाल कर चूसने लगा।
थोड़ी देर में ही प्रेमा फिर छूट गई।
अब कम्मो ने उसको घोड़ी बना दिया और मुझको इशारे से उस गोरी घोड़ी को चोदने के लिए उकसाने लगी।
मैं अब कम्मो के प्लान के मुताबिक़ अपना छुटाने वाली चुदाई की स्टेज में था और मैंने अब अपनी चुदाई का स्टाइल और स्पीड सिर्फ अपना छुटाने के लिए शुरू की, उस घोड़ी बनी हुई संगमरमर की मूर्त को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा।
अब मुझको प्रेमा के छुटाने की फ़िक्र नहीं थी बस अपना वीर्य उस की चूत की आखिरी गहराई तक पहुँचाने की कोशिश थी।
कोई 10 मिन्ट तेज़ धक्के मारने के बाद मुझको लगा कि मेरा वीर्य के छूटने के कगार पर पहुँच रहा है तो मैंने प्रेमा के मोटे चूतड़ों को अपने हाथों में उठा लिया और फिर ज़ोर ज़ोर से 4-5 धक्के मारे और अपने फव्वारे को छोड़ दिया।
ऐसा करते वक्त मेरा लौड़ा चूत की आखिरी गहराई में मैंने गाड़ दिया और प्रेमा की फुदकती गांड को कस कर अपने हाथ में पकड़ कर रखा जब तक मेरा पूरा वीर्य नहीं छूट गया।
कम्मो के इशारे से मैंने प्रेमा की गांड को ऊपर ही उठाये रखा जब तक कम्मो ने इशारा नहीं किया और मेरा लंड भी उसकी चूत में पड़ा रहने दिया।
जब कम्मो ने इशारा किया तब मैंने प्रेमा को नीचे लिटा दिया, तब वो चूतड़ ऊपर उठा कर ही लेटी रही।
मैं उठा और अपने खड़े लंड को कम्मो के पीछे से चूत में डाल दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा, वो प्रेमा की सेवा भी करती रही, चुदती भी रही, यही कमाल है कम्मो का!
क्योंकि उसने गर्म चुदाई देखी थी, इसलिए उसको छुटाना भी ज़रूरी था और इसको मैं अपनी ड्यूटी समझता था।
थोड़ी देर में जब वो छूट गई तो मैं उठा और प्रेमा की उसके लबों पर चूमा और फिर मैं कॉलेज जाने के लिए तैयार होने लगा।
उस दिन कॉलेज में दिल नहीं लगा किसी तरह क्लासें खत्म हुईं तो मैं घर के लिए चल ही रहा था कि शानू मिल गई और बोली- सोमू यार, फिर कोई प्रोग्राम रख लो न प्लीज, सिर्फ हम दोनों ही प्लीज।
मैं हँसते हुए बोला- शानू डार्लिंग, प्रोग्राम तो रख लेते हैं पर आजकल मेरे मम्मी पापा मेरे पास आये हुए हैं, वो 3-4 दिन में चले जाएंगे तो रख लेंगे प्रोग्राम। क्यों ठीक है न?
शानू बोली- ठीक है, जब कहोगे मैं तैयार हूँ! ओके, आई लव यू डार्लिंग।
मैं बोला- थैंक्स डार्लिंग, आई लव यू टू!
फिर हम दोनों ने हैंडशेक किया और मैं घर की ओर चल दिया।
घर पहुँचा तो कम्मो ने मेरा हंस कर स्वागत किया, वो मेरे लिए खाना मेरे कमरे में ही ले आई।
फिर उसने अपने आप ही बताना शुरू किया कि प्रेमा बड़ी खुश गई है और उसने माना कि उसकी ऐसी चुदाई आज से पहले नहीं हुई कभी भी। और वो आपकी पूरी तरह से आशिक हो गई है। अब उसको मैंने परसों बुलाया है ताकि तब तक माहवारी के बाद के 13 दिन हो जाएंगे और उसको गर्भवती करने का चांस ज़्यादा बढ़ जाएगा।
मैं बोला- कम्मो डार्लिंग, अब तुम मेरी मालिक हो, जैसे चाहो करो!
कम्मो बोली- जब से आप नैनीताल से आए हो न, डार्लिंग डार्लिंग बहुत करने लगे हो, क्या बात है?
मैं बोला- तुम हो ही इतनी प्यारी मेरी गुरु और मेरी रानी और मेरी डार्लिंग।
वो हँसते हुए बोली- क्या बात है, आज बड़ा प्यार आ रहा मुझ पर?
मैं बोला- कम्मो तुमने काम ही ऐसा किया है आज जब तुमने प्रेमा आंटी को मेरी झोली में डाल दिया तो मैं मान गया कि गुरु हो तो कम्मो जैसी। वैसे तुम को क्या लगता है प्रेमा चुदक्कड़ लंड की प्यासी है?
कम्मो हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, वो तो अब तुम्हारे लंड की प्यासी है, जब इशारा करोगे वो अपनी चूत खोल कर हाज़िर हो जायेगी।
मैं खुश होकर बोला- तब तो ठीक है, कल मैं उसके अंदर छुटाऊंगा ही नहीं तो वो फिर बार बार आएगी कम्मो के पास! क्यों?
कम्मो बोली- नहीं छोटे मालिक, ऐसा नहीं करना, वरना छोटी मछली की खातिर बड़ी मछली भी नहीं हाथ आएगी।
मैं बोला- वो कैसे?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, एक बार प्रेमा प्रेग्नेंट हो जाती है न तो हमारे पास इन सेठानियों की लाइन लग जाएंगी क्योंकि सब सेठ पैसे के चक्कर में सेक्स को बिल्कुल भूल जाते हैं और उनकी सेठानियों को चुदाई के लिए तरसना पड़ता है और उनको बच्चा नहीं हो पाता है, तब यह लंड की प्यासी औरतें यह साधू संतों के चक्क्र में पड़ जाती है और वहाँ से बच्चा ले आती हैं।
मैं बोला- आज तो मैं अपनी पुरानी चुदाई शुरू कर सकता हूँ न?
कम्मो बोली- मेरी मानो, जब तक प्रेमा की पूरी चुदाई नहीं हो जाती, तुम दूसरी चुदाई से दूर रहो।
मैं बोला- ठीक है, जैसे गुरु जी कहेंगे, वही ही ठीक है।
कम्मो बोली- आज रात मैं आपके लिए ख़ास दूध बना रही हूँ वो आपको आज और कल पीना पड़ेगा।
मैं बोला- आपका दूध या फिर ग्लासी वाला दूध?
कम्मो हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आप भी ना बच्चों से कम नहीं। मेरा दूध तो आप कई सालों से पी रहे हो, ऊपर नीचे का दूध आप पी लेते हो।
मैं बोला- कम्मो डार्लिंग, अब तुम मुझको छोटे मालिक मत बुलाया करो, मेरे नाम से बुलाओ ना?
कम्मो बोली- अगर मैं नाम से बुलाऊँगी तो बाकी नौकर भी वैसा करेंगे जो ठीक नहीं ना!
कम्मो के सबक को पूरी तरह से माना और जैसा वो कहती रही वैसा ही करता रहा मैं!
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