RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
नैनीताल के सफर में निम्मी और मैरी
मैं फिर दोनों के बीच में लेटा था और इस तरह हम तीनो नंगे ही एक दूसरे के साथ चिपक कर सो गए।
अगले दिन मुझको कालेज में जल्दी पहुंचना था, मैं जल्दी से नाश्ता करके चला गया, दोनों बहनों को उनके कमरे के बाहर से बाय कर गया.
कालेज में पता चला कि अगले दिन सुबह 6 बजे पहुंचना है क्यूंकि बस 7 बजे रवाना हो जायेगी।
जाने वाले सब छात्रों को 1 बजे दोपहर छुट्टी दे दी गई ताकि वो घर में जाने की तैयारी कर सकें।
मैं भी घर आ गया और कम्मो के साथ मिल कर एक चमड़े के सूटकेस में जो ज़रूरी कपडे थे, पैक कर दिए। कम्मो ने काफी सारा खाने-पीने का सामान एक और बैग में डाल दिया था।
रात को मैंने दोनों बहनों को बैठक में बुलाया और उनको अपना प्रोग्राम भी बताया और यह भी कहा- मेरी गैर हाज़री में कम्मो आंटी घर की इंचार्ज होगी, जैसा वो कहेगी तुम सबको मानना पड़ेगा। पारो आंटी तुम सबके लिए जो खाना तुम पसंद करो, वो बना दिया करेगी। और कालेज से वक्त पर आ जाया करना, दोपहर मैं थोड़ा आराम भी कर लिया करना।
तब विनी ने पूछा- आपकी टीम जा कहाँ रही है?
मैं बोला- नैनीताल, क्यों कोई ख़ास बात है?
विनी बोली- नहीं नहीं, मेरी एक सहेली भी कल आपकी बस में जा रही है। उसका नाम है निम्मी। मैं अभी उसको फ़ोन कर देती हूँ आप के बारे में?
मैं बोला- ठीक है फ़ोन कर दो और उसको कह देना कि किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझसे मांग ले बिना झिझक के।
उस रात मैंने सिर्फ एक एक बार कम्मो और पारो को चोदा और फिर हम सो गए।
सवेरे कम्मो ने मुझको टाइम पर जगा दिया और मैं तैयार हो कर सामान लेकर कालेज चला गया।
बस खड़ी थी, सामान रख कर बैठ गया, थोड़ी देर बाद एक बड़ी ही स्मार्ट लड़की मेरे पास आई और साथ वाली सीट पर बैठ गई।
बस चलने से पहले एक और लड़की जो सलवार सूट पहने थी, मेरी सीट के पास आई और बोली- हेलो सोमू, मैं निम्मी हूँ. विनी ने मेरे बारे में बताया होगा।
मैं बोला- हां हां, बताया था।
निम्मी बोली- मैं तुम्हारे साथ वाली सीट पर बैठ सकती हूँ क्या?
मैं बोला- हाँ हाँ, क्यों नहीं।
तब मेरे बायें हाथ वाली सीट पर बैठी हुई लड़की उठी और मैं भी उठ कर बाहर आ गया और तब वो निम्मी खिड़की वाली सीट पर बैठ गई।
अब मैंने स्मार्ट लड़की को कहा कि वो चाहे तो बीच वाली सीट पर बैठ सकती है।
वो बोली- नहीं मुझे किनारे वाली सीट ही पसंद है।
इस तरह मैं दो सुन्दर लड़कियों के बीच में बैठा था।
जल्दी ही बस चल दी।
कालेज के एक पुरुष प्रोफेसर ने ज़रूरी अनाऊंसमेंट्स की और फिर एक महिला प्रोफेसर के साथ बैठ गया। वो दोनों बस के एकदम आगे वाले भाग में बैठे थे।
फिर मैंने साथ बैठी स्मार्ट लड़की को अपना परिचय दिया, उसका नाम मैरी था। अब मैंने उस लड़की को ध्यान से देखा, वो एक लम्बी स्कर्ट पहने हुए थी और लगता था कि वो क्रिस्चियन है। उसका शरीर काफी सुडौल था लेकिन रंग थोड़ा सांवला था, खूब पाउडर लिपस्टिक लगाये हुए थी।
निम्मी एक सुंदर लड़की थी लेकिन साधारण सलवार सूट में थी, उसका शरीर भी भरा हुआ था और रंग काफी साफ़ था। शक्ल सूरत से वो पंजाबी लग रही थी।
निम्मी से मैं बातें करता रहा क्यूंकि वो विनी के बारे में काफी कुछ जानती थी।
बस एक छोटे से शहर में नाश्ते के लिए रुकी और हम सब नीचे उतर कर एक साफ़ सुथरे रेस्टोरेंट में नाश्ता करने लगे।
वो दोनों लड़कियाँ भी मेरे साथ ही रहीं और हमने मिल कर अण्डों का आमलेट और टोस्ट खाया और चाय पी!
जब बस दोबारा चली तो निम्मी ने अपने थैले में से एक हलकी सी चुन्नी निकाल ली और अपने ऊपर और थोड़ी से मेरे ऊपर डाल दी।
निम्मी को नींद आने लगी और वो ऊँघने लगी और उसका सर मेरे कंधे पर आ गया। मैंने कोई ख़ास ध्यान नहीं दिया लेकिन थोड़ी देर बाद मुझको लगा कि निम्मी का हाथ मेरी जांघ पर आ गया था।
अब मैं काफी सतर्क हो गया।
धीरे धीरे निम्मी का हाथ सरकता हुआ मेरे लंड के ऊपर आ गया और मेरी पैंट के आगे के बटन खोलने शुरू किये। मैंने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया और धीरे धीरे उसकी जांघ पर दोनों हाथ रख दिये- उसका और अपना भी!
!
फिर हल्के हल्के मैंने हाथ उसकी सलवार में छुपी उसकी चूत पर रख दिया। उसने अपना हाथ मेरे हाथ के ऊपर रख दिया और उस पर ज़ोर डालने लगी। मेरा हाथ उसकी कमीज से ढकी सलवार के ऊपर था।
उधर मैरी शायद छुपी नज़रों से हम दोनों का कार्य कलाप भांप रही थी, अब उसने भी अपने थैले से एक सुंदर सी पतली शाल निकाली और उसको अपने शरीर के ऊपर डाल लिया लेकिन काफी सारी शाल मेरे ऊपर आ गई थी।
अब थोड़ी देर बाद मैरी का भी हाथ मेरी जांघों के ऊपर दौरा कर रहा था। पैंट के ऊपर चलते हुए वो दो हाथ आपस में मिले और चौंक कर अलग हट गए।
पहले मैंने निम्मी को देखा और थोड़ा मुस्करा दिया और फिर मैरी की तरफ देखा और ज़रा मुस्करा दिया।
दोनों मेरी मुस्कराहट देख कर संयत हो गई।
मैंने दोनों से कहा- लगी रहो गर्ल्स और पकड़न पकड़ाई खेलते रहो दोनों। मुझको भी कुछ पकड़ने के लिए दे दो ना!वो दोनों भी मुस्करा दी।
फिर मैंने हाथ चुन्नी के नीचे करके अपने लंड को पैंट के बाहर निकाल लिया और निम्मी और मैरी का हाथ शाल और चुन्नी के अंदर से सीधा अपने खड़े लंड पर रख दिया।
दोनों को खड़े लंड पर हाथ रखने से एक हल्का सा करंट लगा और उनकी आँखें अचरज में फ़ैल गई और दोनों ने झट से अपना हाथ हटा लिया।
लेकिन मैंने फिर दुबारा उनका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया।
मैं बोला- अब तुम दोनों घबराओ नहीं, मैं ज़रा भी बुरा नहीं मान रहा, अगर इजाज़त दो तो मेरे भी हाथ आप दोनों के ख़ज़ाने की सैर कर लें।
दोनों ने हँसते हुए हाँ में सर हिला दिया।
अब शाल हम तीनों के ऊपर आ गया था, सबसे पहले मैंने निम्मी की सलवार के ऊपर चूत वाली जगह पर हाथ रख दिया और मैरी की भी स्कर्ट के ऊपर हाथ रख दिया।
वो दोनों एक एक हाथ से मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मैं भी सलवार के अंदर हाथ डालने की कोशिश कर रहा था पर उसकी सलवार का नाड़ा सख्त बंद था।
उधर मैरी की स्कर्ट को एक कोने से पकड़ कर ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था. दोनों ने मेरी मुश्कल को समझा और खुद ही निम्मी ने नाड़ा ढीला कर दिया और मैरी ने अपनी स्कर्ट एक साइड से थोड़ी ऊपर कर दी।
अब मेरा हाथ भी निम्मी की पैंटी के अंदर चूत पर था और उसकी घनी झांटों से खेल रहा था, मेरा बायां हाथ जो मैरी की तरफ था, वो भी मैरी की पैंटी के ऊपर चक्कर लगा रहा था।
मैरी की तरफ वाले हाथ ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी भग को ढूंढ लिया था और उसको मसलना शुरू कर दिया और निम्मी की चूत पर हाथ फेरते हुए उसकी भी भग को तलाश लिया था।
दोनों की ही चूत हल्की गीली लगी और दोनों ही बहुत गरमा रही थी, मैं सर उठा कर बस मैं बैठे अन्य छात्र छात्रों की तरफ देखा। सब थोड़ा ऊंघ रहे थे और किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था।
एक बात जो अजीब लगी, वो थी कि बस में ज्यादा लड़कियाँ थी और लड़के बहुत ही कम थे। इसी लिए तकरीबन ज़्यादा सीटों पर लड़कियाँ एक साथ बैठी थी और लड़के अलग बैठे थे।
निम्मी और मैरी एक एक हाथ से मेरे लंड की मुठी मारने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे लंड पर ठण्ड थी क्यूंकि निम्मी की चूत पर मेरा हाथ पहुँच चुका था, उसको मेरे हाथ से ज्यादा आनंद आ रहा था और उधर मैरी की चूत को मैं पैंटी के ऊपर से छेड़ रहा था।
फ़िर मैरी ने ज़रा चूतड़ ऊपर उठा कर अपनी पैंटी को नीचे कर दिया जिससे उसकी चूत भी आधी नंगी हो गई।
अब दोनों चूतें मेरे हाथ में थी।
निम्मी की चूत का पानी पहले छूटा और ढेर सारा छूटा। उसने झट से अपना पर्स निकाला और उसमें से एक रूमाल निकाल कर अपनी सलवार के अंदर डाल दिया।
लेकिन मैरी की चूत पर बाल नहीं थे और वो सफाचट थी, उसकी चूत की चमड़ी काफी मुलायम थी और उस पर हाथ फेरते हुए काफी मज़ा आ रहा था।
उसकी भग काफी उभरी हुई थी और मोटी थी।
हाथ लगाते ही वो एकदम सख्त हो गई जैसे कि छोटा लंड हो।
धीरे धीरे मैरी की भग को रगड़ा तो वो अपने हाथ को मेरे हाथ के ऊपर रख रख देती थी और ज़ोर डालती थी कि यहीं करूँ।
फिर मैंने हाथ की ऊँगली को उसकी चूत के अंदर डाला और गोल गोल घुमाया।
मैरी ने झट अपनी जांघें बंद करके मेरे हाथ को कैद कर दिया।
वो थोड़ी सा कांपी और उसकी चूत में से भी थोड़ा सा पानी निकला और फिर उसने अपनी जांघें खोल दी लेकिन मेरे हाथ को भग के ऊपर ही रखा और साथ ही उसने मेरे लंड को भी सहलाना जारी रखा।
निम्मी भी अब अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसके साथ या फिर अंडकोष के साथ खेल रही थी। मैं दोबारा से निम्मी की चूत के साथ खेल रहा था और वो अब पूरी तरह सी सूखी थी।
इतने में प्रोफेसर साहब उठे और घोषणा की- अगला शहर आने वाला है, यहाँ हम लंच करेंगे।
हम तीनों एकदम संयत हो गए और अपने कपड़े भी ठीक कर लिए।
मैं बोला- निम्मी और मैरी, आप दोनों मेरे साथ लंच करना प्लीज, तीनों एक साथ खाना खायेंगे। क्यों ठीक है?
दोनों बोली- हाँ सोमू, ठीक है।
लंच एक बहुत शानदार रेस्टोरेंट में था, खाना बहुत ही स्वादिष्ट बना था, हम तीनों ने चिकन करी और परांठे खाए।
खाना खाते समय मैंने मैरी और निम्मी को कहा- आप दोनों रात को कैसे सोना पसंद करेंगी? अलग अलग कमरे में दूसरी फ्रेंड्स के साथ या फिर दोनों एक ही कमरे को शेयर करेंगी?
निम्मी बोली- एक ही कमरे में सोयेंगी हम दोनों अगर तुम वायदा करो कि रात को तुम हमारे कमरे में आओगे। क्यों मैरी, तुमको मंज़ूर है क्या?
मैरी बोली- हाँ हाँ, बिल्कुल मंज़ूर है।
मैं बोला- तुम दोनों ऐसा करना कि सर को बोल देना कि तुम दोनों एक ही कमरे में ही सोयेंगी। तो वो तुम दोनों को एक कमरा दे देगा। मैं देखूंगा मेरा साथ कैसे बनता है।
खाना खाने के बाद हम अपनी सीटों पर बैठ गए और जल्दी ही बस फिर चल पड़ी।
पेट भरे होने के कारण हम सब ही जल्दी झपकी लेने लगे और शाम होते ही हम नैनीताल की सुन्दर पहाड़ियों में पहुँच गए।
जैसा हम चाहते थे, निम्मी और मैरी को एक कमरा मिल गया और मुझको भी उनसे दो कमरे के बाद अलग कमरा मिल गया। प्रोफेसर सर बोले- मुझको थोड़े पैसे ज़्यादा देने पड़ेगे।
मैंने कहा- कोई बात नहीं सर में दे दूंगा।
फिर हम सब नैनीताल के माल रोड पर घूमने के लिए निकल गए, मैरी और निम्मी मेरे साथ ही थी।
नैनीताल की लेक अति सुन्दर लग रही थी रात को… वहाँ मैंने दोनों लड़कियों को गोलगप्पे और चाट खिलाई, कोकाकोला पीकर सब वापस आ गए।
रात का डिनर बहुत ही सुन्दर था। कई प्रकार के व्यंजन बने थे और हम सबने बड़े ही आनन्द से रात को भोजन किया और उसके बाद होटल के हाल में खूब गाना बजाना हुआ, कई लड़कों और लड़कियों ने बड़ा ही सुन्दर डांस और संगीत का प्रोग्राम दिया।
उसके बाद जल्दी ही हम सब सो गए।
जैसा कि मेरा अनुमान था, सर और मैडम ने ठीक रात के 11 बजे सब कमरों को चेक किया कि सब विद्यार्थी अपने अपने कमरों में मौजूद हैं या नहीं।
उसके बाद वो भी सो गए।
जैसा हमने तय किया था, मैं 12 बजे रात को निम्मी और मैरी के कमरे को 3 बार हल्के से खटखटाऊंगा और तभी मैरी या निम्मी कमरे का दरवाज़ा खोल देंगी।
नैनीताल में मैरी और निम्मी के साथ
जैसा हमने तय किया था, मैं 12 बजे रात को निम्मी और मैरी के कमरे को 3 बार हल्के से खटखटाऊंगा और तभी मैरी या निम्मी कमरे का दरवाज़ा खोल देंगी।
मैंने निर्धारित समय पर उनके कमरे पर पहुँच कर 3 बार हल्के से खटखटाया और तभी मैरी ने दरवाज़ा खोल दिया।
मैंने इधर उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा और जल्दी से अंदर कमरे में चला गया।
कमरे में हल्की लाइट में देखा कि निम्मी तो गहरी नींद में सोई है और मैरी एक रेशमी चोगे में लिपटी मेरे सामने खड़ी है। उसने दरवाज़ा बंद करके झट से मुझको अपनी बाँहों में ले लिया और ज़ोरदार किस मेरे होटों पर दे दी।
मैंने भी एक हॉट किस उसके होटों पर दी और उसको कस कर अपने आगोश में ले लिया।
इस तरह हम काफी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे।
जब चुम्बन से फारिग हुए तो मैरी जल्दी से मेरे कपड़ों को उतारने के लिए उकसाने लगी। मैंने भी जल्दी से अपना कुरता और पजामा उतार दिया और तब तक मैरी भी सिल्की चोगा उतार चुकी थी।
हम दोनों ने एकटक एक दूसरे को देखा। मैरी वाकयी में एक सुंदर लड़की थी, उसके नयन नक्श के अलावा उसका शरीर भी बहुत ही सेक्सी था।
खूब मोटे और उन्नत उरोज और गोल और काफी उभरे हुए चूतड़… कुल मिला कर बहुत ही सेक्सी बना रहा था यह सारा दृश्य।
मैंने भी आगे बढ़ कर उसके उन्नत उरोजों को दोनों हाथो में ले लिया और उनके कड़ेपन को परखने लगा। एक हाथ उसके चूतड़ों पर रख दिया और उनकी गोलाई और मोटेपन को जांचने लगा।
फिर मैंने उसका दायाँ मुम्मा अपने मुँह में ले लिया और उसके मोटे काले निप्पल जो एकदम खड़े थे, अपने मुंह में डाल कर चूसने लगा।
मैरी ने जल्दी दूसरे मम्मे को भी मेरे मुंह में डाल दिया।
मैरी भी मेरे लोहे के समान खड़े लंड को ध्यान से देख रही थी, शायद उसने पहले इतना बड़ा और मोटा लंड कभी नहीं देखा था।
उसने मुझको मम्मे चूसने से रोकते हुए नीचे बैठ कर मेरे लंड को अपने मुंह में रख लिया और उसको लॉली पॉप की तरह चूसने लगी और साथ ही मेरे अंडकोष के साथ हाथ से खेलने लगी।
मेरे अंडकोष एकदम टाइट हुए थे।
अब मैंने उसको खड़ा किया और उसकी चूत में ऊँगली डाली तो वो बहुत ही पनिया रही थी, उसके भग को हल्के से रगड़ा तो वो और भी उन्मुक्त हो गई।
अब मैं उसको किस करते हुए एक सिंगल बेड की तरफ ले जा रहा था जिसमें वो पहले लेटी थी, दूसरे में तो निम्मी सोई हुई थी।
मैरी को बेड पर लिटा कर मैंने उसकी टांगों को चौड़ा किया और उसकी सफाचट चूत को चाटने लगा। जैसे ही जीभ उसकी भग पर लगी, वो एकदम चौंक गई।
फिर जब मैं हल्के से जीभ उसकी भग के ऊपर रख कर गोल गोल घुमाने लगा तो उसने अपनी कमर ऊपर उठा कर मेरे मुंह के साथ जोड़ दी।
मैं भी अपने हाथ उसकी कमर के नीचे रख कर उसकी चूत की सेवा करने लगा, चुसाई और चटाई दोनों काम साथ साथ चल रहे थे।
उसके हाथ मेरे सर को और भी अपनी चूत में घुसेड़ने की कोशिश करने लगे और उसके चूतड़ थोड़ी देर बाद हल्के हल्के कांपने लगे और मैं समझ गया कि लोहा पूरी तरह से गर्म है।
मैंने उसकी जाँघों के बीच बैठ कर अपना लौड़ा उसकी चूत पर रखा और एक हल्का झटका मारा कि वो हल्के से चिल्ला पड़ी- मर गई उफ्फ्फ!
मेरा लंड बिना किसी रुकावट के पूरा अंदर चला गया। मैंने धीरे से उसको निकाला और फिर धीरे से अंदर धकेल दिया।
3-4 बार ऐसा करने के बाद मैरी ने अपनी टांगें पूरी खोल दी और उसको मेरी कमर की चारों ओर लपेट दिया।
अब मैं एक लय से उसको मज़े मज़े से चोदने लगा, कभी तेज़ और कभी आहिस्ता!
थोड़ी देर बाद मैंने महसूस किया कि किसी का हाथ मेरे चूतड़ों पर थपकी दे रहा है।
मुड़ कर देखा तो निम्मी अपनी सिल्क के पयज़ामे कुर्ते में मेरे चूतड़ों को थपकी दे रही थी।
मैं बोला- आ जाओ मैदान में निम्मी, खेल अभी शुरू हुआ है।
निम्मी ने झट से अपने कपड़े उतार दिए और चारपाई की साइड से वो मैरी के मम्मों के साथ खेलने लगी और फिर मेरे लौड़े को हाथ से अंदर बाहर जाते फील करने लगी।
मैंने बिना निम्मी को देखे ही अपना काम जारी रखा और फुल स्पीड से मैरी को चोदता रहा। निम्मी हाथों से मैरी को उकसा रही थी और मैरी भी समझ कर नीचे से चूतड़ उठा उठा कर मेरे लंड का जवाब दे रही थी।
थोड़ी देर में ही मैरी एक बार फिर झड़ गई और मैंने उसको उठा कर घोड़ी बना दिया और अपना तना हुआ लौड़ा उसकी चूत में पीछे से पेल दिया।
अब लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में जड़ तक जा रहा था।
निम्मी कभी मेरे लौड़े को छूती थी और कभी मैरी की झाग वाली चूत पर हाथ रख रही थी। निम्मी ने वहीं खड़े हुए अपना मुंह मेरे मुंह के साथ जोड़ दिया और मुझको किस करने लगी।
मैं भी मैरी को धक्के मार रहा था लेकिन किस निम्मी को कर रहा था।
इस तरह चोदते हुए मुझ को 7-8 मिन्ट हुए होंगे कि मैरी अबकी बारी बुरी तरह से झड़ गई, उसके झड़ते हुए चूतड़ों की कंपकम्पाहट को निम्मी भी फील कर रही थी।
मैंने आखिरी बार थोड़े से धक्के और मारे और अपना मैरी की चूत से लंड निकाल लिया।
मैरी आँखें बंद किये लेटी हुई थी और निम्मी होटल के तौलिये से मैरी की चूत और मेरे लंड को साफ़ कर रही थी। मैरी की सांसें अभी भी धौंकनी की तरह चल रही थी।
निम्मी मुझको उठा कर अपने बेड पर ले गई, मुझको लिटा कर उसने कोका कोला की 3 बोतलें खोली, एक मुझको दी और बाकी दो उसने मैरी और अपने लिए रख ली।
मैरी ने कोका कोला पीते हुए मुझको ‘थैंक यू सोमू डार्लिंग…’ कहा और मैंने भी जवाब में कहा- वेलकम मैरी डार्लिंग। आई लव यू एंड निम्मी।
मैं बैठ कर कोकाकोला पी रहा था, मेरा एक हाथ निम्मी के गोल मोल छोटे मम्मों के साथ खेल रहा था और निम्मी का एक हाथ मेरे लौड़े पर था।
मैंने यह नोट किया है अब तक अपनी सेक्स लाइफ में कि औरतों और लड़कियों की नज़र सीधे आदमी के लौड़े पर जाती है जबकि आदमी की नज़र पहले औरतों के मम्मों पर फिर उसके चूतड़ों पर और आखिर में उसकी चूत पर जाती है।
मैंने भी जब निम्मी की चूत देखी तो उसको बालों से ढका हुआ पाया जबकि मैरी की चूत बालों रहित थी यानि सफाचट थी। वो नियमित शेव करती थी चूत के बालों का और निम्मी बालों को नहीं शेव या नहीं काटती थी।
कोक पीते हुए निम्मी मुझको चूमने लगी, पहले मेरे लिप्स पर फिर वो मेरे सारे मुंह पर, मैं भी उसके मम्मों के साथ खेल रहा था और उंगली कभी उसकी चूत में भी डाल रहा था और कभी उसकी झांटों के साथ खेल रहा था।
निम्मी की चूत भी एकदम गीली हो चुकी थी, मैंने उसको कहा- निम्मी, अब तुम्हारी बारी है मुझको चोदने की, बोलो कैसे चोदना चाहती हो?
निम्मी बोली- मैं आदमी बन कर तुमको चोदना चाहती हूँ डार्लिंग सोमू। क्या चुदवाओगे मुझसे?
मैं बोला- जैसा हुक्म मालकिन या फिर मल्लिका-ए-आली। मैं क्या करूँ अभी आपके लिए?
निम्मी भी उसी लहजे में बोली- ऐ गुलाम, अब तुम लेट जाओ और अपने लंड को खड़ा रखो जब तक मलिका-ऐ- आलिया हुक्म न दें!
मैरी जो यह सब देख रही थी, वो भी इस ड्रामे का हिस्सा बनने को तैयार थी, वो बोली- ऐ मलिका-ए-आलिया यह कनीज़ भी आपकी खिदमत में हाज़िर है, हुक्म कीजिए।
निम्मी बोली- सबसे पहले इस ग़ुलाम के लंड को साफ़ करो और फिर इस पर सेंट लगा कर इसको खशबूदार करो!
मैरी बोली- जो हुक्म मलिका-ए-आली।
तौलिये से उसने मेरे लौड़े को साफ़ किया और फिर उस पर लेडीज परफ्यूम लगाया और फिर वो बोली- आपका वफ़ादार लंड तैयार है मलिका-ए-आली!
निम्मी बोली- हमको सहारा दो और इस ग़ुलाम के लौड़े पर बिठा दो, आज हम इस लंड की सवारी करना चाहती हैं।
मैरी ने उसको उठाया और मेरे लंड के ऊपर बिठा दिया और उसका निशाना भी निम्मी की चूत की तरफ कर दिया।
मैरी बोली- मलिका-ए-आली, आपके ग़ुलाम की तोप का निशाना ठीक आपके खज़ाने पर लगा दिया है, आप हुक्म दें तो आपके ख़ज़ाने पर तोप चढ़ा दें।
निम्मी बोली- ऐ कनीज़, हमारे को उठा कर तोप पर चढ़ा दो.
मैरी ने निम्मी को हल्का सा उठाया और घुप से लंड के ऊपर बिठा दिया और ऊपर से उसको ज़ोर से धक्का दिया तो मेरा पूरा का पूरा लौड़ा उसकी चूत में चला गया।
अब मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और मलिका भी ऊपर से धक्के पर धक्के मार रही थी।
मैरी उसके मम्मों को चूस रही थी और मैं उसके चूतड़ों को मसल रहा था, उसकी झांटें उसकी चूत में से निकल रहे गाढ़े रस से सरोबार हो रहीं थी, कुछ रस टपक कर मेरे पेट पर भी गिर रहा था।
निम्मी के चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से नीचे से पकड़ रखा था और उनको मैं ही ऊपर नीचे कर रहा था।
फिर मैं बैठ गया और निम्मी को गोद में लेकर चोदने लगा, उसके दोनों गोल मम्मे मेरी छाती से चिपके हुए थे।
मैंने अपने मुंह को निम्मी के मुंह के साथ जोड़ कर उसके अंदर जीभ घुमा रहा था और उसका रस पी रहा था।
निम्मी के चूतड़ों को मैंने अपने हाथों में लिया हुआ था, उनको अपनी स्पीड से आगे पीछे करने लगा।
तभी वो एक गहरी हाय के बाद झड़ गई और मुझको कस कर अपने से चिपका लिया।
थोड़ी देर बाद वो संयत हुई और उठ कर बिस्तर पर लेट गई। मैं भी उठा और जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगा और एक हॉट किस करके दोनों को थैंक्स बोला और चुपके से लड़कियों के कमरे से निकला और अपने कमरे की तरफ जाने लगा।
तभी एक कमरे का दरवाज़ा खुला और एक हाथ निकला और मुझ को खींच कर उस कमरे में घसीट लिया।
इससे पहले मैं समझ पाता कि क्या हो रहा है, मुझको अंदर लेकर दरवाज़ा बंद हो गया।
अंदर एकदम अँधेरा था।
थोड़ी देर में कमरे में एक हल्की लाइट जल उठी, उस लाइट में देखा कि दो लड़कियाँ मेरी दोनों तरफ खड़ी थी, रोशनी होते ही बोली- हेलो सोमू बाबा, कैसे हो तुम?
मैं हक्का बक्का हुआ आँखें फाड़ कर देख रहा था कि ये दोनों कौन हैं? इनको पहले कभी देखा तो नहीं?
फिर मैंने हिम्मत जुटा कर उनसे पूछा- आप कौन हैं और इस तरह मुझको क्यों इस कमरे में ले आई हैं?
उन दोनों लड़कियों में जो लम्बी थी, वो बोली- सॉरी सोमू बेबी, हमको यह करना पड़ा। क्यूंकि तुमने सारे रास्ते हमारी तरफ देखा तक नहीं। हम तुम्हारे पीछे वाली सीट पर बैठी थी और तुम्हारी सारी हरकतें देख रहीं थी।
मैं घबरा कर बोला- ओह तो तुम दोनों हमारी बातें भी सुन रही थी? तुम को कैसे पता चला कि हम यहाँ आज रात को मिलने वाले हैं?
लम्बी वाली फिर बोली- बताया तो, हमने तुम्हारी कई बातें अच्छी तरह से सुनी थी और हमारा अंदाजा था कि तुम आज रात मैरी और निम्मी को मिलने ज़रूर आओगे। जब तुम उन दोनों के कमरे की तरफ गए तो हमने थोड़े खुले दरवाज़े से देखा था।
मैं थोड़ा गुस्से में आया लेकिन फिर सोचा कि गुस्से से मेरा ही नुक्सान ज़यादा होगा, मैंने सुलह सफाई के लहजे में पूछा- अच्छा ठीक है, अब तुम बताओ कि तुम दोनों मुझसे क्या चाहती हो?
लम्बी फिर बोली- वही जो तुमने मैरी और निम्मी को दिया, वही मज़ा हम भी चाहती हैं।
मैं बोला- मैं तो सारा माल दे आया हूँ उन दोनों को, तो बोलो अब मैं क्या दूं तुम दोनों को?
लम्बी बोली- जो कुछ भी बचा है वो हमको दे दो।
मैं बोला- अभी तो कल की रात भी है, कल तुम अपनी बारी लगा लेना।
लम्बी बोली- नहीं नहीं, हमको भी थोड़ा मज़ा दे जाओ यार! सारी उम्र तुम्हारी अहसान मंद रहेगी हम दोनों।
मैं बोला- अच्छा ठीक है लेकिन पहले अपनी शक्ल तो दिखाओ दोनों।
तब दोनों ने कमरे में बड़ी लाइट ओन कर दी और मैंने देखा की लम्बी पतली और इकहरे बदन वाली है और छोटी थोड़ी मोटी और गोल बदन वाली है।
दोनों ही अपने रात वाले कॉटन के चोगे पहने हुए थी।
मैंने कहा- सच बोलूँ तो दिन भर के सफर ने थका मारा है और मेरी मानो कल का प्रोग्राम रख लो तो सबके लिए अच्छा रहेगा।
लम्बी बोली- चलो ठीक है लेकिन आज कुछ नमूना तो दिखा जाओ जिसके सहारे हम कल की इंतज़ार कर लेंगी दोनों, क्यों छोटी?
छोटी बोली- कुछ तो अपना जलवा दिखा जाओ न मेरे यार?
मैं बोला- रात बहुत हो चुकी है, तुम जल्दी करो जो कुछ भी करना है। अच्छा तुम दोनों अपने नाम तो बताओ या फिर मैं तुम को लम्बी और छोटी के नाम से ही बुलाऊँ?
लम्बी बोली- मेरा नाम शानू है, और इसुका नाम बानो है और हम दोनों इंटर फाइनल में हैं, और तुम सोमू, फर्स्ट ईयर में हो! है न?
मैं बोला- हाँ, तो शुरू हो जाओ, कपड़े उतारो अपने जल्दी से और मैं भी उतारता हूँ।
यह सुन कर दोनों खिल उठी और फिर जल्दी से दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए और मैंने भी अपन पजामा कुरता उतार कर साइड में रख दिया।
अब दोनों की नज़र मेरे खड़े लौड़े पर पड़ी और दोनों की नज़रें एकदम फट गई क्यूंकि उनको उम्मीद थी कि मेरा लंड थका हुआ होगा, उनको मेहनत करनी पड़ेगी उसको खड़ा करने के लिए।
लेकिन जब लहलाते लंड को देखा तो उनके मुंह से लार टपकने लगी और दोनों भाग कर लंड को अपने मुंह में लेने के लिए बड़ी बेकरारी से मेरे पास आई।
मैं बोला- इतनी जल्दी नहीं, पहले अपनी इंस्पेक्शन करवाओ?
दोनों के मुंह पर सवालिया निशान बना हुआ था।
मैंने उनको इशारे से अपने पास बुलाया और उनकी चूतों को ध्यान से देखने लगा।
शानू की चूत सफाचट थी और बानो की चूत पर घने बाल थे। मैं उन दोनों की चूत का निरीक्षण परीक्षण करने के लिए ऊँगली डालकर और फिर उसको सूंघ कर पूरा किया। दोनों ही खुली चूतें थी तो पहले से चुदी हुई थी।
यह काम ख़त्म करने के बाद मैंने कहा- देखो, मैं बहुत ही थका हुआ हूँ, मैं लेट जाता हूँ तुम दोनों बारी बारी से मुझको जितना चाहो चोद लो। जब तसल्ली हो जाए तो कह देना मैं अपने कमरे में चल जाऊँगा। मंज़ूर है?
दोनों ने कहा- जो हुक्म मेरे आका, हम बांदियां तो आपकी है, जैसा चाहो जब चाहो, कर लो!
फिर दोनों मेरी अगल बगल में लेट गई। मैं उन दोनों की चूतों को गर्म करने की कोशश करने लगा, भग को खूब मसला और जब उन दोनों की चूत गीली हो गई तो पहले पतली पर लम्बी शानू को चोदने के लिए बुलाया।
वो मेरे ऊपर पैरों के बल बैठ गई और मेरे लंड को अपनी सफाचट चूत में डाल लिया, बानो मेरी गोलियों के साथ खेलने लगी।
मैंने अपना एक हाथ उसके छोटे और गोल मम्मों के साथ खेलने के लिए छोड़ दिया और दूसरा हाथ बानो की चूत के बालों में डाल दिया।
शानू ऊपर से ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रही थी।
मैंने अब बानो को अपने मुंह के ऊपर खींच लिया और उसके मुंह और होटों पर ताबड़तोड़ चूमियों की बारिश कर दी और कभी उसका दायाँ मम्मा या फिर बायें मम्मे को चूसने लगा।
उधर मैं देख रहा था कि शानो को चुदाई में इतना आनन्द नहीं आ रहा था इसलिए मैंने उसको अपने ऊपर से हटा दिया और दोनों को एक साथ घोड़ी बना लिया और फिर मैंने पहले शानो को पीछे से चोदना शुरू कर दिया और 10 धक्के मारने के बाद मैंने चूत बदल दी यानी शानू की बजाये बानो की चूत में अपना लौड़ा डाला।
अब बारी बारी मैं दोनों लड़कियों को चोद रहा था, एक की चूत से निकाल कर दूसरी में डाल कर दोनों को मज़ा दे रहा था।
थोड़ी देर की मेहनत में पहले शानू छूटी और कुछ देर बाद ही बानो भी छूट गई।
अब दोनों लड़कियों के बीच में मैं लेटा था और दोनों ही मेरे खड़े लौड़े को देख कर अचरज कर रहीं थी और बार बार उसको चूम रही थी।
अब मैं उठा और अपने कपड़े पहनने लगा, वो दोनों मुझ को अभी भी हैरानी से देख रही थी, दोनों नंगी ही लेटी रहीं।
मैं उन दोनों को बाय करके बाहर आया और अपने कमरे में घुस गया और जाते ही थक कर गहरी नींद सो गया।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो सूरज काफी सर पर आ गया था, कालेज के छात्र ब्रेकफास्ट करने होटल के रेस्टोरेंट में गए हुए थे।
जब मैं वहां पहुंचा तो तकरीबन सभी नाश्ता कर के जा चुके थे. सिर्फ निम्मी और मैरी बैठी थी एक टेबल पर और दुसरे टेबल पर शानो और बानो विराजमान थी. दोनों आपस में बड़ी तन्मयता से बातें कर रही थी.
मुझ को देख कर दोनों ग्रुप चुप हो गए. निम्मी और मैरी मुझ को अपने टेबल पर बुला रही थी और शानो और बानो अपने टेबल पर बुला रहीं थी.
मैं समझ गया की दोनों ग्रुप आपस में मिले हुए थे.
मैं सीधे ही निम्मी और मैरी के टेबल पर बैठ गया और उन को आहिस्ता से कहा- मुझ को यह उम्मीद नहीं थी की तुम और शानो मिले हुए हो एक दुसरे से. रात को मुझ को उन दोनों ने भी पकड़ लिया और मुझ को चोदा यानी मेरा रेप किया।
मैं बहुत रुआंसा मुंह बना कर बैठा था.मैरी बोली- सो सॉरी सोमु हम से गलती हो गयी थी. हम को तुम को बता देना चाहीऐ था लेकिन इस शानो की बच्ची ने हम को मना किया था। इस लिए हम कुछ नहीं बोली। रियली वेरी सॉरी।
[color=#333333][size=large]शानो और बानो भी माफ़ी मांगने लगी. वैसे मै दिल ही दिल मैं बहुत खुश था की कल रात दो की जगह चार लड़कियों की चुदाई कर दी थी मैं ने। लेकिन मैं ने अपना रुख कठोर बनाई रखा.[/siz
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