RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
मैं और मेरा औज़ार
मेरा लौड़ा अभी भी खड़ा था। अब मैंने सोचना शुरू किया कि मेरे लौड़े का इस तरह हर समय और देर तक खड़े रहना शायद आम आदमियों जैसा नहीं है।
फिर मैं उन कारणों के बारे में सोचने लगा जिनके कारण ऐसा मेरे लंड के साथ होता था।
मैंने देखा अक्सर जब मैं किसी नौकरानी को देखता था तो मुझे ऐसा लगता था कि यह अपनी चूत मुझको आसानी से दे देगी और किसी ऊंचे घराने की औरत या लड़की को देखता था तो मेरे मन में ऐसा कोई विचार नहीं आता था।
शायद यही कारण रहा होगा कि मेरा आकर्षण हमेशा निर्धन औरतों की तरफ ज्यादा रहता था और उनके साथ ही मेरा लंड अपने पूरे जोबन पर रहता था।
किसी खूबसूरत लड़की को देख कर मेरे लंड में कभी कोई हरकत नहीं होती थी लेकिन उसके साथ चल रही भरी पूरी नौकरानी को देख कर मेरा लंड हिलोरें मारने लगता था।
इसका मुख्य कारण शायद यह था कि मुझको जन्म से ही नौकरानियों ने ही पाल पोस कर बड़ा किया था और मैं अपनी माँ या और भद्र महिलाओं के पास बहुत कम ही गया था।
लेकिन इसका अपवाद था चाची और उसकी बेटी को चोदना और अभी परी और जस्सी के साथ चुदाई।
रही बात मेरे लंड के देर तक खड़े रहने का रहस्य वो तो मेडिकल साइंस ही बता सकती है कि इसका क्या कारण था। कहानी में आगे चल कर जब यह समस्या डॉक्टरों को बताई तो इस पर कई मेडिकल टेस्ट्स हुए जिनके नतीजे के अनुसार यह एक किस्म का रोग होता है जो लाखों में किसी एक को होता देखा गया।
इस मीठे रोग के बारे में आगे चल कर काफी चर्चा की जायेगी ताकि मेरे इस अद्भुत रोग का पूरा खुलासा किया जा सके और आपके मन में उठ रही शंकाएं थोड़ी कम की जा सकें।
यह भी आज़माई हुई बात थी कि मैं अपने लंड को काफी देर तक खड़ा रख सकता था या वो एक बार झड़ने के बाद बिना विलम्ब दूसरी या तीसरी बार भी खड़ा हो जाता था।
कई कई बार मेरा फव्वारा छूटने के बाद लंड को चूत में ही पड़ा रहने देता था जहाँ वो बिना हिलाये अपने आप खड़ा रहता था और दुबारा चुदाई की हिम्मत रखता था।
मैं अभी भी इसको कुदरत की मेहर मानता था और कभी अहंकार नहीं करता था कि मुझमें कोई ऐसी अद्भुत शक्ति है।
लेकिन जो भी लड़की या औरत मेरे निकट आती थी वो मेरे लौड़े की मुरीद हो जाती थी लेकिन वो मेरी तरफ इसलिए भी खिंची चली आती थी क्यूंकि उनके अनुसार मेरा चेहरा और शरीर का गठन बड़ी ही मासूमियत भरा लगता था उन सबको।
शक्ल से मैं एक छोटी उम्र वाला लड़का लगता था लेकिन जब मेरे शरीर को देखा जाता था तो वो एक जवान मर्द वाला शरीर लगता था।
मैं समझता हूँ यह भी एक कारण हो सकता है जिसके कारण शादीशुदा औरतें भी मेरी पक्की मुरीद थीं और हर समय मुझसे चुदवाने के लिए तैयार रहती थी।
इस विचार को कम्मो, चम्पा, फुलवा और चंचल भी मानती थी।
अब आगे की कहानी…
परी और जस्सी नाश्ता करके अपने घर चली गई क्योंकि वो दोनों बहनों के आने से पहले वहाँ से जाना चाहती थी।
उनके जाने के बाद मैं भी कालेज चला गया और आने वाले इलेक्शन में अपना योगदान देता रहा।
वापस आते हुए काफी शाम हो गई थी, आते ही मैं अपने बिस्तर पर लेट गया।
कम्मो चाय लेकर आ गई और मैंने पारो को भी बैठा लिया और वो जो साड़ी और ब्रा इत्यादि लाई थी, मुझको दिखाने लगी।
मैंने कहा- रात को तुम दोनों इनको पहन कर दिखाना, देखें कैसे लगती हो तुम दोनों इन नए कपड़ों में!
थोड़ी देर बाद पारो आई और बोली- वो चंचल आई है, आपसे बात करना चाहती है।
मैं बोला- ले आओ उसको यहाँ ही, वो तो अपनी है न!
जब पारो चंचल को लेकर आई तो देख कर हैरान रह गई कि वो नई डिज़ाइन की साड़ी और हाथ में पर्स लेकर आई। चंचल के इस रूप से कम्मो बड़ी खुश हो रही थी और साथ में पारो भी उसको हैरानी से देख रही थी।
दोनों ने उससे पूछा- वाह चंचल, कमाल कर दिया तुमने, बड़ी सुन्दर साड़ी है, और यह पर्स भी एकदम फस्ट-क्लास है। बड़ी सुन्दर लग रही है चंचल… क्यों छोटे मालिक?
मैंने कहा- बहुत सुंदर लग रही हो, बोलो सब घर में कुशल मंगल है न?
चंचल मुस्कराते हुए बोली- छोटे मालिक, बस कमाल का जादू किया आपके लंड ने। चूत ने जब बहुत कहा तो मैं आपके पास चली आई!
मैं बोला- क्यों पति घर में नहीं है क्या?
वो हँसते हुए बोली- वही तो, वो आज सुबह बाहर गए हैं। मैंने सोचा चलो आज छोटे मालिक की सेवा ही कर देते हैं?
मैंने कम्मो की तरफ देखा, उसने मुझको आँख मारी और कहा- हाँ हाँ अच्छा किया, छोटे मालिक बेचारे उदास बैठे थे। तुम आ गई हो तो इनका दिल बहल जाएगा।
फिर वो तीनों बातें करती हुई रसोई में चली गई फिर वो चंचल को अपनी कोठरी ले गई।
मैं उठा और बैठक में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में गीति और विनी भी आ गई। दोनों का मूड एकदम खराब लग रहा था।
पूछने पर गीति ने बताया- हमारा दिल नहीं लग रहा है लखनऊ में, हम वापस जाना चाहती हैं।
मैंने कहा- ऐसी क्या बात हुई कि आप दोनों का मूड उखड़ गया लखनऊ से?
गीति बोली- कोई संगी साथी ही नहीं हमारा यहाँ!
मैं बोला- क्यों परी है, जस्सी है, दोनों ही तो तुम्हारी सहेलियाँ हैं न?
गीति बोली- हैं तो सही लेकिन वो हमसे ज़्यादा मिक्स नहीं हो पाई। मेरी और विनी की दूसरी सहेलियाँ हैं लेकिन हम उनको नहीं बुलाती यहाँ यही सोच कर कि तुमको शायद अच्छा नहीं लगेगा।
मैं बोला- नहीं नहीं, मेरी परवाह न किया करो। जिसको भी बुलाना हो, तुम बुला सकती हो लेकिन कम्मो आंटी को पहले बता दिया करना ताकि वो खाने पीने का इंतज़ाम कर दिया करे।
विनी बोली- सच्ची सोमू भैया, हम बुला सकती हैं क्या किसी भी सहेली को?
मैं बोला- हाँ हाँ, बेझिझक बुला लिया करो, जैसे तुमने परी को बुलाया था वैसे ही… और खूब मौज मस्ती करो!
यह सुन कर दोनों ही बहुत खुश हुई और जल्दी से आकर मुझको जफ़्फ़ी डाल दी, बड़ी मुश्किल से दोनों को अपने से अलग किया और वो ख़ुशी ख़ुशी अपने कमरे में चली गई।
मैंने कम्मो को बुलाया और कहा- दोनों बहनें अपनी सहेलियों को बुलाना चाहती हैं क्यूंकि वो काफी बोर हो रहीं हैं, ठीक है न कम्मो?
कम्मो बोली- ठीक है छोटे मालिक।
मैं बोला- वो तुमको बता दिया करेंगी जब भी कोई सहेली आने वाली होगी ताकि तुम खाने पीने का इंतज़ाम कर दो।
रात को जैसे होना था, हमारी चुदाई का दौर चंचल से शुरू हुआ। कम्मो पहले ही माहवारी की वजह से कुछ रातों के लिए छूट्टी ले गई थी सो हम तीनों ही थे मैदाने जंग में!
चंचल की साड़ी उतारने का हमने एक खेल बनाया, पहले मैंने उसका ब्लाउज उतारा और फिर पारो ने उसकी साड़ी उसके चारों ओर गोल घूम कर उतार दी।
फिर मैंने उसकी नई ब्रा को उतारने की कोशिश की लेकिन हम उसमें कामयाब नहीं हुए, उसको कैसे उतारा जाता है, हमें समझ नहीं आ रहा था।
चंचल ने खुद ही अपनी ब्रा खोल दी। फिर उसने बताया कि उसके हुक कहाँ होते हैं और उनको कैसे खोला जाता है।
अब पारो को नंगी करने का वक्त था, ब्लाउज चंचल ने उतारा और साड़ी मैंने और फिर पेटीकोट को भी चंचल ने उतारा और इस तरह हम तीनों नंगे थे।
चंचल पारो के मोटे चूतड़ों से बड़ी प्रभावित थी इसलिए वो उसके मोटे और चौड़े चूतड़ों पर हाथ फिरा रही थी।
फिर पारो ने कहा कि आज तो चंचल की चूत की खातिर करनी है क्यूंकि बहुत दिनों बाद आई है।
इसलिए उसने चंचल को बिस्तर पर लिटाया और एक उरोज को वो चूसने लगी और दूसरा मेरे मुंह में घुसेड़ दिया।
चंचल का एक हाथ मेरे खड़े लंड के साथ खेल रहा था और दूसरा उसने पारो की चूत में डाल रखा था और हम तीनों अपने काम में लगे पड़े थे।
जब चंचल बोली- शुरू करो छोटे मालिक!
तो मैंने उसकी टांगों को अपने कंधे के ऊपर रख दिया और एक धक्के में पूरा लंड अंदर कर दिया।
उसकी चूत एकदम बहुत गीली हो रही थी, लंड आज़ादी के साथ अंदर बाहर हो रहा था।
फिर मैंने पारो को इशारा किया कि वो भी हमारे साथ लेट जाए और चंचल के मम्मों को चूसे।
अब जब चंचल का छूटने वाला हुआ तो मैंने लंड निकाल कर पारो की मोटी चूत में डाल दिया और चंचल एकदम तड़फने लगी।फिर वो पारो की चुदाई में हमारे साथ हो गई। पारो का वैसे भी बहुत जल्दी छूट जाता था तो चंचल उसकी भग को रगड़ने लगी।
थोड़ी देर में पारो भी कमर उठा कर लंड को बीच में ले रही थी, मैं समझ गया कि पारो का छूटने के नज़दीक पहुँच गया है, मैंने लंड को वहाँ से निकाला और चंचल की नाजुक चूत में डाल दिया।
अब पारो सर हिला कर लंड को मांगने लगी।
मैंने कहा- रुको मेरी जान, आज मैं तुम दोनों का छूटने नहीं दूंगा।
यह कह कर चंचल की चूत में लंड की रेल गाड़ी चला दी।
वो चालाक थी, उसने अपनी टांगों को मेरी कमर के चारों और बाँध दिया और मुझको लंड निकालने का मौका ही नहीं दिया।
जब चंचल छूटी तो उसके शरीर में एक अजीब किस्म की तड़फड़ाहट हुई जो मैंने और पारो ने देखी और उसकी चूत से पानी की एक ज़ोरदार धारा बह निकली।
बाद में वो इस कदर ज़ोर से काम्पने लगी कि मैं जो उसके ऊपर था, भी हिलने लगा।
फिर मैंने और पारो ने उसको कस कर पकड़ा तब वो कुछ संयत हुई।
पारो बोली- वाह चंचल, क्या छूटी है री तू? कमाल कर दिया तूने तो!
अब मैं पारो के ऊपर फिर चढ़ गया और उसको ऐसे चोदना शुरू किया कि उसको कई बार छूटने के मुकाम पर लाकर फिर उसको छुटने से वंचित कर रहा था।
आखिर वो तंग आ गई और उसने मुखे नीचे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ बैठी, वो मुझ को चोदने लगी अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़।
थोड़ी देर में उसका पानी भी झड़ गया और वो थक कर मेरे ऊपर ही पसर गई।
रात भर हम जागते, चोदते और फिर हम तीनों थक कर सो गए।
सुबह कम्मो ने चंचल से पूछा- क्या हुआ तेरे गर्भ धारण करने का प्लान? कुछ हुआ या नहीं?
वो बोली- अभी तो 2 दिन ऊपर हैं, कह नहीं सकती कि है या नहीं।
कम्मो बोली- अरे वाह, दाई के होते हुए तुझको काहे का फ़िक्र है री? चल उठ अभी तुझको चैक करती हूँ।
चाय पीने के बाद कम्मो ने मेरे सामने ही चंचल को चेक किया।
कम्मो गंभीर मुंह बना कर बोली- चंचल तू कैसी है री, तुझको गर्भ ठहर गया है री!
चंचल एकदम चौंक कर बोली- अच्छा दीदी, तुम कैसे कह सकती हो? मुझको तो कुछ महसूस नहीं हो रहा है?
कम्मो बोली- अब जा घर अपने… और 15 दिन यहाँ नहीं आना! कच्चे दिनों में चुदवायेगी तो कुछ भी हो सकता है, जा भाग, तुझको गर्भ ठहर गया है।
हम सब ख़ुशी से उछल पड़े और चंचल को गले लगा लिया सबने बारी बारी।
छवि और सोनाली के दांव पेच
रात भर हम जागते, चोदते और सोते रहे। यही क्रम काफी रात चला और फिर हम तीनों थक कर सो गए।
अगले दिन कॉलेज से आया तो कम्मो मेरे कमरे में आई और बोली- छोटे मालिक दोनों बहनों ने अपनी चार सहेलियों को रात रहने के लिए बुला लिया है, अब क्या करें?
मैं हैरान हो गया, मैंने कम्मो से पूछा- रात रहने को क्यों बुलवाया उनको? और उनके माँ बाप ने इजाज़त दे दी थी क्या?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, यह तो मैं नहीं जानती लेकिन उनके परिजन उनको रिक्शा में छोड़ने आये थे। इसका मतलब है कि उनकी रजामंदी से वो आई हैं।
मैं बोला- कम्मो डार्लिंग, तुम जाकर बहनों को कहो कि मैं उन सब मेहमानों से मिलना चाहता हूँ बैठक में!
कम्मो ‘अच्छा’ कह कर चली गई।
थोड़ी देर में दोनों बहनें अपनी चारों सहेलियों के साथ बैठक में आ गई।
गीति ने सबसे परिचय करवाया। मैंने सबको ध्यान से देखा सभी काफी अच्छी दिख रही थी।
सबसे सुन्दर सोनाली दिख रही थी, साड़ी और ब्लाउज में कॅाफ़ी आकर्षक लग रही थ। दूसरी जो लड़की मुझको भाई, वो आशु थी।
बाकी की दोनों भी अच्छी थीं लेकिन उनमें से केवल छवि कुछ अलग लग रही थी, उसके नयन नक्श बहुत तीखे और शरीर काफी भरा पूरा था और वो सबसे सेक्सी लग रही थी।
वो भी मुझको घूर कर देख रही थी और मैं भी उसको एकटक देख रहा था। हमारी आँखें चार क्या हुईं अलग होने का नाम ही नहीं ले रहीं थी।
यह बात बाकी लड़कियों से छिपी नहीं रही और वो हंस हंस कर छवि को छेड़ने लगी।
मैं बोला- आप सबका स्वागत है, जो चीज़ भी चाहिए हो, आप बेझिझक कम्मो आंटी को बोल सकते हैं और गीति तुमने अपनी फ्रेंड्स को कैसे एंटरटेन करने का फैसला किया है?
गीति बोली- क्यों फ्रेंड्स, कैसे एंटरटेन होना चाहती हो तुम सब? बोलो बोलो? वैसे यह हम लड़कियों की पजामा पार्टी है। तुम बताओ कैसे आप सबको आनन्द प्रदान कर सकती हैं?
सबसे पहले छवि बोली- हम लड़कियाँ मिलजुल कर डांस करेंगी। यह जो ग्रामोफोन रखा है सोमू, क्या यह काम करता है?
मैं बोला- हाँ हाँ, बिल्कुल करता है। मैंने बिल्कुल नई फिल्मों के गानों के रिकार्ड्स भी रखे हैं, आप उस दराज़ में देखिए सब मिल जाएंगे।
छवि लपक कर दराज़ से रिकार्ड्स निकाल लाई और उनको पढ़ने लगी। जो नई फिल्मों के थे, उनको एक तरफ कर दिया और बाकी उस ने दराज़ में वापस डाल दिए।
तब छवि बोली- केवल लड़कियों का आपस में डांस का क्या मज़ा आएगा? अगर सोमू बुरा न माने तो वो हम सबके साथ डांस करे तो बड़ा मज़ा आएगा।
सब चिल्ला पड़ी- हाँ हाँ सोमू, तुम हमारे साथ डांस करना प्लीज!
मैं बोला- लड़कियो, मुझको डांस करना नहीं आता, सॉरी प्लीज।
छवि बोली- हमको कहाँ डांस करना आता है, यूँ ही हाथ पैर हिला लेती हैं बस, वही हमारे लिए डांस है। तुम भी ऐसा ही करना, वही डांस हो जाएगा।
मैं बोला- ठीक है, देखेंगे और तुम अब क्या करने वाली हो अब?
कम्मो जो सारी बात सुन रही थी, बोली- चलो पहले तुम सब खाना खा लो, फिर करना जो भी करना है।
थोड़ी देर में खाना शुरू हो गया। कम्मो मेरे हाव भाव से समझ गई थी कि मुझको छवि भा गई है, उसने खाने के टेबल पर मुझको हेड चेयर पर बैठाया और छवि को मेरे दायें वाली कुर्सी पर बैठा दिया और बाएं तरफ उसने सोनाली को बैठा दिया।
खाना शुरू होते ही मुझको लगा कि छवि टेबल के नीचे से छुप कर मुझको नंगे पैर से छू रही थी। धीरे धीरे उसका पैर बढ़ते हुए मेरे लंड की साइड में छूने लगा।
मैंने भी अपना बायाँ हाथ उसकी सलवार से ढकी जांघ पर रख दिया।
हम खाना भी खा रहे थे और छुप कर एक दूसरे को परख भी रहे थे। फिर मैं धीरे से हाथ उसकी जांघ के आगे बढ़ाता रहा और उसने अपनी जांघें भी थोड़ी खोल दी।
कम्मो मेरे पीछे ही खड़ी थी, वो सारा नाटक देख रही थी।
इतने में छवि की चम्मच टेबल के नीचे गिर गई और टेबल के नीचे झुक कर चम्मच उठाने के बहाने उसने मेरे लंड को पैंट के बाहर से छुआ।
जब वो उठी तो अपनी कुर्सी मेरे और निकट ले आई और कम्मो ने भी आगे बढ़ कर इस काम में उसकी मदद की। अब उसकी कुर्सी मेरे बिल्कुल साथ जुड़ी हुई थी।
बाकी लड़कियाँ खाना खाने में मग्न थी, किसी ने इस खेल को नहीं देखा। मेरे साथ बैठी सोनाली भी खाने में मग्न थी, उसको भी पता नहीं चला।
अब मैं आराम से अपना हाथ छवि के गोल गुदाज़ जांघ पर फेरने लगा जो धीरे धीरे बढ़ता हुआ उसकी सलवार के उस हिस्से पर चला गया जो ठीक उसकी चूत पर था।
छवि भी अपना हाथ मेरे लौड़े के ऊपर रखे हुए थी और मेरा लंड भी टन से खड़ा हो गया था।
हम दोनों का ध्यान तो इस काम में लगा था तो खाना बहुत ही कम खा सके। मैं यदा कदा छवि से आँखें भी चार कर रहा था, मुझको यकीन हो गया था कि छवि चूत देने के लिए तैयार हो जायेगी।
मीठे में रबड़ी बहुत स्वादिष्ट बनी थी, वो सबने दो दो बार खाई।
फिर हम सोफे पर बैठ कर कोकाकोला पीने लगे। खाने को पारो और कम्मो ने मिल कर बनाया था, सब उन दोनों की तारीफ करने लगी।
अब डांस की बारी थी, छवि ने बाजे पर रिकॉर्ड लगा दिया और उसकी मधुर धुन पर सबसे पहले छवि ही नाचने लगी, उसका थिरक थिरक कर नाचना सबको बहुत अच्छा लगा और फिर सब लड़कियाँ उठ कर डांस करने लगी।
तभी छवि मेरे पास आई और मेरा हाथ खींचते हुए मुझको डांस करने के लिए ले गई।
मैं और छवि एक दूसरे का हाथ पकड़ कर डांस करने लगे।
कम्मो ने बैठक की सारी लाइट्स को ऑफ कर दिया और सिर्फ एक मद्धम सी नाईट लाइट का बल्ब जला दिया।
मैंने और छवि ने इस मौके का फायदा उठाते हुए एक दूसरे को आलिंगन कर लिया, उसके मोटे और सॉलिड मम्मों को मैंने बड़ी अच्छे से महसूस किया और उसके मोटे चूतड़ों पर हाथ भी फेरे।
छवि ने भी मेरे खड़े लंड को ज़रूर महसूस किया होगा।
अब छवि और मैं गले और कमर में हाथ डाल कर डांस करने लगे। डांस करते हुए मैं उसको एक अँधेरे कोने में ले गया और उसके होटों पर एक गर्म चुम्बन दे दिया और उसने भी उत्तर में मेरे होटों पर एक गहरा चुम्बन दे डाला।
चारों और देखने के बाद कि किसी का ध्यान हमारे तरफ नहीं है तो मैंने छवि के कान में कहा- रात को आना चाहोगी मेरे कमरे में?
उसने भी मेरे कान में कहा- क्या करेंगे वहाँ?
मैंने कहा- जो तुम चाहो, कर लेंगे।
वो बोली- कैसे आऊँगी मैं वहाँ?
मैं बोला- कम्मो आंटी ले आयेगी तुमको अगर तुम राज़ी हो तो!
वो बोली- ठीक है।
फिर हम डांस करते हुए थोड़ी लाइट की तरफ आ गए और वहाँ पहुँचते ही सब से पहले सोनाली ने छवि को हटा कर मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे साथ डांस करने लगी।
मैं बोला- सोनाली जी, आप बड़ा अच्छा डांस करती हैं।
सोनाली बोली- सोमू जी, आप मुझको सोनू बुलाया कीजिए, यही मेरे घर का प्यार का नाम है।
मैं बोला- अच्छा नाम है सोनू जी आपका, बड़ा प्यारा नाम और मुझको उम्मीद आपका सब कुछ भी बड़ा प्यारा होगा!
सोनू मुझको धकेलते हुए उसी अँधेरे कोने की तरफ ले जा रही थी जिस तरफ मैं छवि को ले गया था।
सोनू बोली- सोमू जी, आप बड़े अच्छे लग रहे हैं।
मैं बोला- एक बात बोलूँ, आप बुरा तो नहीं मानेंगी?
सोनू बोली- नहीं नहीं, आपका क्या बुरा मानना जी, बोलिए आप क्या कहना चाहते हैं?
मैं बोला- सच कहूँ, आप यहाँ सबसे सुन्दर लग रही हैं।
वो बोली- अच्छा जी, मुझको क्यों मक्खन लगा रहे हो आप?
मैं बोला- नहीं, सच कह रहा हूँ।
सोनू बोली- वैसे मैंने आपका और छवि का सारा कार्यकलाप देख लिया था।
मैं घबरा कर बोला- उफ़्फ़…
वो बोली- घबरायें नहीं, मैं भी आपके प्रोग्राम में हिस्सा लेना चाहती हूँ।
मैं डर कर बोला- कौन सा हिस्सा?
सोनू- वही जो आप छवि को देना चाहते है उस स्पेशल प्रोग्राम में जो आपके कमरे में होने वाला है रात को!
मैं बोला- ओह्ह, अच्छा ऐसा करें आप कम्मो आंटी से बात कर लें इस बारे में, वो बताएगी कि यह संभव है या नहीं। वो ही सारा इंतज़ाम कर देगी।
सोनू ने अँधेरे का फायदा उठाते हुए मेरे होटों को चूम लिया और जबरन मुझको उसको किस करना पड़ा होटों पर!
फिर उसने भी सीधा हाथ मेरे लंड पर रखा दिया। मैंने भी उसकी चूत को बाहर से छुआ और उसकी साड़ी वाले चूतड़ों पर हाथ फेरा। फिर हम लाइट वाले हिस्से में आ गए और सम्भल कर डांस करते रहे।
एक एक करके बाकी चारों लड़कियों के साथ डांस करना पड़ा लेकिन वो सब बड़े संयम से डांस कर रही थी, मैं भी पूरी तरह से संयमित रहा।
जब डांस खत्म हुआ तो मैंने कम्मो को बुलाया और उसके लेकर मैं अपने कमरे में आ गया।
मैंने कम्मो से पूछा- इन लड़कियों के सोने का क्या प्रबंध किया है?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, चार लड़कियाँ ही नई हैं, मैंने दो कमरे उनके लिए तैयार कर दिए हैं।
मैं बोला- ठीक किया। वो ऐसा है कि डांस के दौरान मुझको छवि और सोनाली ने चोदने के लिए उकसाया है, तुम ऐसा करो, उन दोनों को बेस्ट कमरे में इकट्ठे ही ठहरा देना बाकी दोनों को एक साथ दूसरे कमरे में ठहरा देना।
कम्मो मुस्कराते हुए बोली- आपने अपना जादू फिर से चला दिया उन दोनों पर! अच्छा किया, मैं भी यही सोच रही थी की छवि और सोनू आप के लिए बेस्ट हैं।
मैं बोला- आज पारो को मना कर देना और तुम स्वयं उन दोनों को मेरे कमरे में ले आना, जब सब सो जाएँ तो! ठीक है न?
कम्मो बोली- ठीक है छोटे मालिक।
हम दोनों फिर बैठक में आ गए जहाँ अब लड़कियों ने गाने गाने शुरू कर दिए थे और उसमें आशु की आवाज़ बहुत ही अच्छी और सधी हुई गायिका की तरह लगी, उसका गला बहुत ही सुरीला था।
मैंने उसकी बहुत तारीफ की और कहा कि आगे चल कर वो बहुत अच्छी गायिका बन सकती है।
गाने और फिर कव्वाली के बाद प्रोग्राम खत्म हुआ और सबसे मैं ने गुड नाईट की और फिर अपने कमरे में आ गया।
सब सोने वाले कमरों में चली गई।
कम्मो उन लड़कियों के साथ रही जब तक वो सब सो नहीं गई।
लड़कियों के सो जाने की बात कन्फर्म करने के बाद वो छवि और सोनू को अपने साथ लेकर आ गई।
दोनों ने रात में सोने वाले चोगे पहन रखे थे।
वो दोनों चुपचाप मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई।
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