Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:11 PM,
#39
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
परी की कुंवारी सुरीली चूत
परी को देखा वो अपना पेटीकोट पहन कर बैठी थी, उसके गोल मम्मे सफ़ेद संगमरमर की तरह लग रहे थे और उसका पेट भी एकदम सफ़ेद रंग का तराशा हुआ संगमरमर लग रहा था।
मेरा लौड़ा जो तकरीबन बैठ चुका था, अब फिर से तन रहा था।
मैंने झट से कपड़े उतार दिए और परी के पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया और जब वो पूरी तरह से नंगी हो गई तो उसको फिर ध्यान से देखा, उसकी काले बालों से ढकी चूत सफ़ेद पेट और जांघों के बीच चमक रही थी।
कम्मो ने परी को लाकर मेरे पास खड़ा कर दिया और मैं इस कुंवारी चूत को बड़ी हसरत भरी नज़र से देख रहा था। मैंने अपना मुंह उसकी चूत के काले बालों में डाल दिया और उसकी चूत की खुश्बू सूंघने लगा। उस दिन से पहले मैंने कभी कुंवारी चूत नहीं देखी थी तो मैं परी को पलंग पर लिटा कर उसकी चूत को अच्छी तरह देखने लगा।
फटी हुई चूत से कुंवारी चूत काफी भिन्न होती है यह मैंने उस दिन देखा। चूत में कोई भी खरोंच या दाग नहीं दिखा और पूरा खोलने पर उसका रंग एकदम गुलाबी दिखा जबकि फटी चूत थोड़ी लाली लिए होती है।
परी का एक हाथ मेरे लंड के साथ खेल रहा था और दूसरे से वो मेरी छाती के निप्पल को मसल रही थी। लंड की सख्ती और भी बड़ रही थी और वो परी के हाथ में उछाल भर रहा था, वास्तव में वो जल्दी ही गृहप्रवेश करना चाहता था लेकिन मैंने उसको अभी तक काबू रखा था।
उधर कम्मो भी अपने कपड़े उतार चुकी थी और वो परी के मम्मों को चूसने में लगी थी। फिर उसने एक मम्मा मेरे मुंह में डाल दिया और कहा- इसको खूब चूसो।
मैं भी जैसे छोटा बच्चा दूध के लिए चूसता है वैसे ही परी के एक मम्मे को चूस रहा था। फिर मैं उसके दूसरे सफ़ेद मम्मे पर आ गया और उसको भी पहले की तरह खूब चूसा।
कम्मो परी की चूत को तैयार कर रही थी बड़े हमले के लिए… उसकी जीभ उसकी भग को चूस रही थी और परी की कमर एकदम ऊपर उठी हुई थी और हाथ कम्मो के मुंह और बालों के साथ लगे हुए थे और उसको चूत में डालने की कोशिश कर रही थी। 
परी के मुख से हल्की से सिसकारी निकल रही थी और उसके चूत से पानी की अविरल धारा बह रही थी।
तब कम्मो ने मुझको इशारा किया कि अपनी तोप का मुंह परी के चूत वाले किले के मुंह पर रख दूँ। मैंने ऐसा ही किया और एक हल्का सा धक्का लंड को मारा और उसको मुंह चूत के अंदर थोड़ा सा चल गया और धक्का मारा तो अंदर कुछ रुकावट लगी।
लंड को फिर थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक हल्का धक्का मारा वो फिर वही रुकावट वाली जगह पर जा कर रुक गया। तब कम्मो उठी और पोंड्स क्रीम ले आई और उसको मेरे लंड और चूत पर बहुत सारा मल दिया और बोली- धक्का मारो ज़ोर का, छोटे मालिक। 
मैंने उसके कहे मुताबिक़ एक काफी ज़ोर का धक्का मारा लंड का और कुछ फटने की आवाज़ के साथ ही मेरा लंड पूरा परी की चूत में चला गया।
उधर कम्मो ने परी के मुंह में एक रुमाल डाल रखा था ताकि उसके मुंह से आवाज़ बाहर न जाए।
मैं अपने लंड को परी की चूत में डाल कर थोड़ी देर आराम करने लगा। फिर मैंने लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा और परी की चूत के गीलेपन के कारण लंड महाशय पूरी आज़ादी से अंदर बाहर होने लगे।
अब मैंने अपना मुंह परी के होटों से चिपका दिया और उसको बड़ी गहरी चूमाचाटी करने लगा, अपनी जीभ उसके मुंह में डाल कर गोल गोल घुमाने लगा, वो भी मेरे को पूरी गहराई से चूम रही थी।
ऐसा लगा कि वो अपने चूत के दर्द को भूल कर अब चूत चुदाई का आनन्द ले रही थी। उधर कम्मो परी के मुंह को तौलिये से पौंछ रही थी क्यूंकि उस पर पसीने की बूँदें आ गई थी। 
अब मैंने लंड की स्पीड तेज़ कर दी और काफी जल्दी से अंदर बाहर होने लगा और परी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी।
कम्मो ने मेरे चूतड़ों पर थपकी मारनी शुर कर दी और मैंने लंड की स्पीड बहुत ही तेज़ कर दी। तभी मुझको लगा कि परी का पानी छूटने वाला है और फिर मेरे धक्के गहरे और तेज़ हो गए और मैं फुल स्पीड पर जब आया तो परी का पानी छूट गया और मेरा भी फव्वारा चल पड़ा।
अब परी ने मुझको कस कर अपने से चिपका लिया, उसकी सांसें बड़ी तेज़ी से चल रही थी और उसका शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था। मैंने भी उसको पूरी ताकत से भींच रखा था।
जब वो थोड़ी सी संयत हुई तो मैंने उसको छोड़ दिया, उसकी आँखें बंद थी और उसके चेहरे पर एक बहुत प्यारी से मुस्कान थी जो यह जता रही थी कि वो पूरी तरह से आन्नदित हो गई थी।
कम्मो बहुत व्यस्त थी, वो परी के मुंह और शरीर को गीले तौलिये से ठंडा करने की कोशिश कर रही थी।
जब मैं परी के ऊपर से उठा और पलंग पर लेटा तो वो आ गई और मेरे शरीर को और लंड को तौलिये से साफ़ कर रही थी, मेरे लौड़े पर अभी भी परी की चूत के खून के दाग लगे थे।
!
फिर मैं और परी कुछ देर के लिए सो गए।
जब आधे घंटे बाद उठे तो कम्मो हमारे लिए स्पेशल दूध के गिलास लेकर खड़ी थी। दूध का पहला घूँट ही पिया तो एकदम आनन्द आ गया।
मैंने पूछा- क्या डाला है इसमें? बहुत ही स्वादिष्ट है और एकदम ठंडा है।
कम्मो बोली- तुम दोनों ने बहुत ही मेहनत की थी तो थकान कम करने के लिए है।
परी बोली- वाह कम्मो आंटी, आप तो कमाल की चीज़ हो। आपने मेरी बड़ी मदद की वरना बड़ा मुश्किल होता मेरे लिए!
कम्मो ने पूछा- तुमको आनन्द आया या नहीं?
परी बोली- बहुत मज़ा आया कम्मो आंटी।
यह कह कर परी ने मेरे खड़े लंड को पकड़ लिया और उसके साथ खेलने लगी, कम्मो ने परी से पूछा- क्या एक बार और चुदवाने की इच्छा है तुम्हारी?
परी ने फ़ौरन हाँ में सर हिला दिया और वो मेरी तरफ देखने लगी। मैंने भी उसकी चूत पर हाथ रखा और उंगली डाल कर चेक किया कि वो गीली हुई या नहीं।
उस वक्त वो फिर से काफी गीली हो चुकी थी, कम्मो ने क्रीम की शीशी से क्रीम लेकर उसकी चूत पर लगानी शुरू कर दी और थोड़ी सी मेरे लंड पर भी लगा दी।
फिर उसने परी को मेरे लंड पर बैठने के लिए कहा और अपने हाथ से मेरा लंड उसकी चूत के मुंह पर रख कर कहा कि वो ऊपर से ज़ोर लगाये।
परी ने ऐसा ही किया और लंड एक ही झटके में चूत के अंदर हो गया, तब वो धीरे धीरे लंड के ऊपर नीचे होने लगी।
मैं उसके गोल और सॉलिड मम्मों के साथ खेलता रहा और उसकी चूचियों को गोल गोल घुमाता रहा। परी ऊपर से मुझको चोद रही थी और मैं नीचे लेटे हुए आनन्द ले रहा था।
उसकी गोल गोल जांघों जो एकदम सफ़ेद संगमरमर की तरह थी, बहुत ही आकर्षक लग रही थी।
परी को चुदाई का बहुत आनन्द आ रहा था और वो कभी धीरे से या फिर तेज़ी पकड़ कर चुदाई का आनन्द ले रही थी।
एक बार फिर परी का चुदाई के दौरान पानी छूटा और वो कांपते शरीर के साथ मेरे ऊपर ही पसर गई। मेरा लंड अभी भी परी की चूत में ही था।
यह चुदाई का कार्यक्रम काफी देर चलता रहा। कम्मो ने मुझको इशारा किया कि बस अब और नहीं।
तब मैंने परी को हिलाया और वो उठी और अपने कपड़े पहनने लगी।
कम्मो उसको बाथरूम में ले गई और वो मुंह हाथ धो कर जब लौटी तो आते ही उसने मेरे लबों पर किसिंग करना शुरू कर दिया और फिर एक ज़ोरदार प्यार की जप्फी मुझ को मारी और मेरा थैंक्स करके घर जाने के लिए चलने लगी।
मैंने कम्मो को कहा कि वो उसको उसकी कोठी तक छोड़ आये।
परी ने कहा कि वो दोबारा आना चाहती है तो मैंने कहा कि फ़ोन कर लेना और कम्मो से या मुझसे प्रोग्राम तय कर लेना।
उन दोनों के जाने के बाद मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया। थोड़ी देर बाद कम्मो लौट आई और सीधे मेरे पास ही आ गई, आते ही पूछा उसने- कैसी लगी परी आपको?
मैंने कहा- बहुत अच्छी… लेकिन आप दोनों के साथ मज़ा ही कुछ और है, खासतौर पर तुम्हारे सामने कोई भी लड़की या औरत नहीं टिक सकती। तुम्हारा सेक्स का स्टाइल और चुदाई के दौरान और बाद में अपने पार्टनर का ख्याल रखना शायद दूसरे औरतों या लड़कियों के बस में नहीं।
कम्मो बोली- छोटे मालिक, कल कोई और भी लड़की थी आप लोगों के साथ?
मैं बोला- हाँ थी तो सही, शायद उसका नाम जस्सी है, क्यों पूछ रही हो?
कम्मो बोली- वो शायद परी की खास सहेली है क्यूंकि उसने दो बार कहा लो जस्सी का भी सोमू कल्याण कर दे तो उसको बड़ा मज़ा आएगा।
मैं बोला- उसने भी वही किया था जो परी ने किया था सिनेमा हाल में!
कम्मो बोली- दोनों ही काफी गरम स्वाभाव की हैं शायद। परी ने इशारा फेंका है कि अगर सोमू चाहे तो जस्सी को भी चोद सकता है, वो भी परी की तरह अभी कुंवारी है।
मैं बोला- तुम क्या कहती हो कम्मो?
कम्मो बोली- मेरा सोचना यह है कि अभी तो ये दोनों बहनें बीमार चल रहीं हैं तो कोई आये या जाये इनको फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब ये ठीक हो गई तो काफी मुश्किल कर देंगी दूसरी लड़कियों का आपके पास आना!
मैं बोला- ठीक कह रही हो कम्मो, तो तुम जस्सी के लिए मेरी तरफ से हाँ कर देती न!
कम्मो बोली- मैंने कह तो दिया है कि छोटे मालिक तैयार हो जाएंगे अगर आप कहें तो उससे पक्का कर लें।
मैं बोला- लेकिन हाँ करने से पहले यह भी तो सोचना पड़ेगा कि वो कब आ सकती है? मैं नहीं चाहता इन दो बहनों के सामने वो आये! ऐसा करो तुम परी को कहो कि कल वो कालेज के समय घर से निकले और जस्सी को लेकर सीधी हमारी कोठी में आ जाए। तब तक ये बहनें भी कालेज जा चुकी होंगी। क्यों यह प्लान कैसा रहेगा?
कम्मो बोली- तब तो आपको भी कालेज से छुट्टी लेनी पड़ेगी।
मैं बोला- नहीं, कल हमारे कालेज में इलेक्शन हैं, मैं बाद में चला जाऊंगा।
कम्मो बोली- ठीक है, मैं उस से अभी बात करती हूँ और कहूँगी कि दोनों साथ ही आयें।
मैं फिर अपने पलंग पर लेट गया और सोचने लगा कि एक और कुंवारी चूत के साथ मिलन होने जा रहा है।
थोड़ी देर बाद कम्मो आई और बोली- छोटे मालिक वो दोनों कल 10 बजे यहाँ पहुँच जाएंगी।
मैंने कम्मो को इशारा किया कि वो मेरे पास आये और जैसे ही वो आई मैंने उसको कस कर अपने सीने से लगा लिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसके होटों पर, जल्दी से अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाला और उसकी गीली चूत पर हाथ फेरा और चूत के बाल हल्के से खींचे।
उसने भी मुझको चूमा और फिर वो चली गई।
जस्सी अपनी कुंवारी चूत चुदवाने आई

मैं फिर अपने पलंग पर लेट गया और सोचने लगा कि एक और कुंवारी चूत के साथ मिलन होने जा रहा है।

थोड़ी देर बाद कम्मो आई और बोली- छोटे मालिक वो दोनों कल 10 बजे यहाँ पहुँच जाएंगी।

मैंने कम्मो को इशारा किया कि वो मेरे पास आये और जैसे ही वो आई मैंने उसको कस कर अपने सीने से लगा लिया और एक ज़ोरदार चुम्मा किया उसके होटों पर, जल्दी से अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाला और उसकी गीली चूत पर हाथ फेरा और चूत के बाल हल्के से खींचे।

उसने भी मुझको चूमा और फिर वो चली गई।

मैं भी बड़े ही प्रसन्न चित से बैठक में आकर बैठ गया और बार बार परी की कुंवारी चूत की चुदाई को याद करके आनन्द लेने लगा।

परी बड़ी सुंदर लड़की थी जो मेरे पास ख़ास तौर पर चुदवाने के लिए आई थी। शायद यह सिनेमा में हुई हमारी मुलाकात का नतीजा था जहाँ परी ने देखा कि उसकी कोशिश करने के बाद भी मेरा लौड़ा बैठा नहीं अपनी अकड़ पर डटा रहा था। शायद यही कारण था की परी इतनी जल्दी मुझसे चुदवाने के लिए तयार हो गई थी। 

कम्मो का भी यही मानना था कि जब उसने और उसकी सहेलियों ने मेरे खड़े लंड को देखा तो उनको विश्वास नहीं हुआ था कि मेरा लंड इतनी देर खड़ा रह सकता है और उनकी चूत को हरा सकता है बार बार।

कभी कभी मैं साफ़ महसूस करता था कि मेरे संपर्क में आई सारी स्त्रियाँ मेरे करामाती लंड का विश्वास नहीं करती थी इसीलिए वो बार बार मुझसे चुदवाती थी कि शायद अबकी बार सोमू का लंड खड़ा नहीं हो पायेगा इतनी जल्दी और वो इस प्यारी लड़ाई में जीत जाएंगी।

लेकिन हर बार उनको हार का मुंह देखना पड़ता था।

अगले दिन दोनों बहनें अपने समय पर कालेज चली गई थी। जैसे ही वो रिक्शा में बैठी तभी कम्मो ने परी को फ़ोन कर दिया कि बहनें चली गई हैं।

जल्दी ही मैंने देखा कि कम्मो परी और जस्सी को साथ लेकर आ रही थी।

उन दोनों को पहले बैठक में ही बिठाया, कम्मो फिर मेरे पास आई यह बताने कि वो दोनों आ गई हैं।

मैंने उस समय पैंट कमीज पहन रखी थी, मैं बैठक में आ गया।

दोनों के साथ हेलो हुआ और फिर कम्मो हम सबके लिए कोकाकोला ग्लासों में डाल कर ले आई।

औपचारिक बातचीत के बाद मैं ही उनको आज के असली मुद्दे पर ले आया, मैंने परी से पूछा- अब कैसी हो तुम परी? सब ठीक है न?

परी बोली- हाँ सोमू, सब ठीक है, ऊपर नीचे सब ठीक है।

उसने शरारत के लहजे में बोला। 

मैंने भी वैसे ही जवाब दिया- चलो अच्छा है जल्दी सब ठीक हो गया है। और सुनाओ, जस्सी को भी मिल कर बड़ी ख़ुशी हुई। कैसी हो जस्सी जी?

जस्सी थोड़ा शर्माते हुए बोली- मैं ठीक हूँ सोमू।

मैं बोला- जस्सी तुम्हारे नाम और पहनावे से लगता है कि तुम पंजाबी हो?

जस्सी बोली- हाँ जी, मैं सिखनी हूँ और आपकी कोठी से थोड़ी दूर हमारा मकान है।

मैं बोला- वेरी गुड… फिर क्या प्रोग्राम है?

परी बोली- वही जो कल वाला प्रोग्राम था, जस्सी उसके लिए तैयार होकर आई है।

कम्मो बोली- जस्सी, तुम मेरे साथ छोटे मालिक के कमरे में आओ।

वो दोनों चले गए तो परी ने पूछा- कहाँ गई हैं दोनों?

मैं बोला- वो कुछ नहीं, ज़रा जस्सी से कुछ बातें कर रही है।

थोड़ी देर में दोनों वापस आ गई और कम्मो बोली- सब ठीक है छोटे मालिक, आओ हम छोटे मालिक के कमरे में चलते हैं।

यह कह कर हम तीनो कम्मो के पीछे मेरे बैडरूम में चले गए। 

वहाँ पर और जस्सी को बिठा कर कम्मो बाहर चली गई और कह गई- मैं अभी आती हूँ।

तब परी ने आगे बढ़ कर मुझ को लबों पर चूम लिया और मैंने भी उसको एक बहुत ही गहरी चुम्मी दी।

फिर मैंने एक हाथ परी के चूतड़ पर रख दिया और उसको हल्के हल्के मसलने लगा।

परी बड़े ही प्यारे रंग की सिल्क की साड़ी पहने हुए थी और मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर नहीं टिक रहे थे। जस्सी यह सब बड़े ध्यान से देख रही थी।

अब मैं परी के मम्मों के साथ खेल रहा था और उसका हाथ मेरे अंडकोष पर था। फिर मैंने परी के मम्मों को उसके ब्लाउज के ऊपर से चूमना शुरू कर दिया।

यह देख कर परी अपने ब्लाउज के बटन खोलने लगी। मैं अपने लंड को उसकी चूत को साड़ी के ऊपर से रगड़ रहा था।

यह देख कर जस्सी का एक हाथ अपने आप ही अपनी चूत के ऊपर चला गया.

तब परी ने कहा- सोमू, क्यों न जस्सी को भी साथ ले लें, वो बेचारी यूँ ही गर्म हो रही है।

मैंने कहा- हाँ हाँ, आ जाओ जस्सी, तुम भी शामिल हो जाओ इस खेल में।

जस्सी झट से उठी और आकर हमारे बीच में खड़ी गई और हम दोनों को जफी डाली।

मैंने एक हाथ अब जस्सी के कूल्हों के ऊपर रख दिया और उसकी कमीज के ऊपर से उसके चूतड़ों को रगड़ने लगा।

फिर मैंने जस्सी के खुले हुए होटों के ऊपर एक चुम्मी दे दी और फिर मैंने दोनो हाथों से जस्सी और परी को पकड़ा और दोनों को अपने से पूरी तरह से लिपटा लिया, अपने हाथ मैंने दोनों के उरोजों पर रख दिए जो गोल और बहुत ही सॉलिड थे।

इतने में दरवाज़ा खुला और कम्मो एक ट्रे में हम तीनों के लिए खास दूध लेकर आई और बोली- चलो चलो, तुम सब यह दूध पहले पी लो फिर और कुछ करना।

हम भी गिलास पकड़ कर दूध पीने लगे तब मैंने देखा की परी और जस्सी की नज़र मेरी पैंट पर थी जिसमें मेरा लंड एकदम खड़ा और बाहर निकलने के लिए छटपटा रहा था।

परी ने एक हाथ से मेरी पैंट के बटन खोल दिए और लपक कर लंड को खींच कर बाहर निकाल लिया।

जस्सी एकटक मेरे लंड को देख रही थी और मुझको लगा कि उसने पहले खड़ा लंड नहीं देखा था हालांकि उसने सिनेमा हाल में इसके साथ खूब खिलवाड़ किया था लेकिन देख नहीं पाई थी।

दूध खत्म होने के बाद कम्मो ने हम सबका चार्ज अपने हाथों में ले लिया।

कम्मो बोली- सबसे पहले छोटे मालिक परी को चोदेंगे और जस्सी इस चुदाई के खेल को ध्यान से देखगी। क्यूंकि चुदाई के समय थोड़ी बहुत तकलीफ तो होगी न जस्सी को तो इन दोनों की गरम चुदाई देख कर थोड़ी गरम भी हो जायेगी, क्यों ठीक है न?

हम सबने हामी में सर हिला दिया, फिर हम सब अपने अपने कपड़े उतारने में लग गए।

परी को तो नंगी मैंने देखा ही था लेकिन जस्सी को पहली बार देख रहा था तो उसको मैं बड़ी उत्सुकता से देख रहा था।

जब दोनों नंगी हो गई तो मैंने देखा कि परी के मम्मी गोल और छोटे हैं लेकिन जस्सी के गोल और बहुत ही मोटे लगे। मैंने आगे बढ़ कर जस्सी के मम्मों को हाथ से तोलना शुरू किया।

वास्तव में वो काफी उम्दा किस्म के मम्मे थे और जस्सी के शरीर की शान थे। उसके चूतड़ भी गोल और ज़्यादा उभरे हुए थे और बार बार घोड़ी बना कर चोदने लायक थे।

उस की चूत भी कुछ ज़्यादा उभरी हुई थी हालांकि घने काले बालों के बीच छुपी हुई थी।

यह सारा नीरीक्षण करने के बाद मेरे लंड की अकड़ और अधिक हो गई और वो सीधा जस्सी की तरफ ही इशारा कर रहा था।

तब तक जस्सी को लेकर कम्मो पलंग के दूसरी तरफ चली गई और मुझको, परी को पलंग की ओर धकेल दिया।

मैंने परी को एक बहुत सख्त जफ़्फ़ी मारी और उसको चूमते हुए पलंग पर ले आया, उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो बेहद गीली हो चुकी थी।

अब मैंने परी को घोड़ी बनाया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और उस पर अपना लंड रख कर कम्मो की तरफ देखने लगा।

उसने हल्के से आँख का इशारा किया और मैंने झट से लंड पहले थोड़ा और फिर पूरा का पूरा परी की चूत में डाल दिया।

!

उसके मुंह से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी और वो स्वयं ही अपने चूतड़ आगे पीछे करने लगी।

यह देख कर मैं अपने घोड़े को सरपट दौड़ाने लगा और रेल के इंजिन की तरह अंदर बाहर करने लगा।

मेरे हाथ उसके मम्मों की सेवा में लग गए।

परी की चुदाई को जस्सी बड़े आनन्द से देख रही थी और कम्मो के हाथ की उंगली उसकी कुंवारी चूत पर चल रही थी और उसको मस्त कर रही थी।

जस्सी का मुंह खुला हुआ था और उसका एक हाथ अपने मम्मे को टीप रहा था और उसकी जांघें कम्मो को हाथ को कभी जकड़ रही थी और कभी उसको छोड़ रही थी।

कोई 6-7 मिन्ट में ही परी बड़ी तीव्रता से झड़ गई और पलंग पर पसर गई।

मैंने उसको सीधा किया और ताबड़तोड़ उसके होटों को चूमने लगा और उसके मम्मों को चूसने लगा। वो बुरी तरह से कसमसाने लगी लेकिन मैंने उसको सांस लेने के लिए भी समय नहीं दिया।

तब कम्मो आई और मुझको उठा कर जस्सी की तरफ ले गई और मेरे लौड़े को भी गीले कपड़े से साफ़ करती गई।

मैंने जाते ही जस्सी को अपनी बाहों में बाँध लिया और उसके लबों को चूसने लगा।

उसका हाथ अब मेरे लौड़े से खेल रहा था।

तब कम्मो ने जस्सी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत पर थोड़ी क्रीम लगाई और मेरे लंड को भी क्रीम लगा कर तैयार कर दिया।

मैं जस्सी के गोल और मोटे मम्मों को चूसने लगा, उसके खड़े निप्पलों को भी बारी बारी लोली पोप की तरह चूसने लगा।

कम्मो ने मेरे चूतड़ पर हल्की सी थपकी मारी और मैं समझ गया कि चूत में लंड के जाने का समय निकट आ गया है, मैंने लंड को हल्का से एक धक्का दिया और वो एक इंच अंदर चला गया और फिर एक और धक्का मारा तो आगे का रास्ता बंद मिला।

मैंने लंड को बाहर निकाला और उसको उसकी भग पर रगड़ा और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा तो लंड पूरा अंदर और जस्सी हल्के से चिल्लाई- मर गई रे!

अब मैं लंड को अंदर डाल कर आराम करने लगा। यह पहला प्रवेश चूत और लंड के पहले मिलाप की घड़ी होती है और एक दूसरे को पहचानने को और एडजस्ट करने का समय होता है। कम्मो के मुताबिक़ इस वक्त कभी भी जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिये और चूत और लंड को पूरा मौका देना चाहये कि वो आपस में हिलमिल सके और एक दूसरे को पहचान सकें।

मैं भी कम्मो की बताई हुई बातों का ध्यान रखते हुए जस्सी को होटों पर चुम्बन और मम्मों को चूसने में लग गया।

ऐसा करने से जस्सी अपनी चूत में हो रहे दर्द को भूलने लगी और नीचे से चूतड़ की थाप देकर मुझको लंड चलाने के लिए उकसाने लगी। 

मैं भी धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा। पूरा लौड़ा निकाल कर फिर धीरे से अंदर डालने में मुझको भी बहुत मज़ा आने लगा और जस्सी के भी आनन्द की सीमा नहीं रही।

कम्मो हमारे दोनों के पसीने पौंछ रही थी और परी एक हाथ से अपनी भग को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से मेरे लंड को अंदर बाहर होते महसूस कर रही थी।

जस्सी की चूत में से अब काफी रस निकल रहा था जो सफ़ेद झाग वाला था। उसके मम्मों के निप्पल एकदम खड़े थे और मैंने चूस चूस कर उनका दूध अपने अंदर कर लिया था।

कम्मो जो चुदाई की रेफरी बनी हुई थी, मुझको चूतड़ों पर बराबर थपकी दे रही थी और मैं उसकी थपकी के कारण अपनी स्पीड बढ़ाने लगा।

ऐसा करने के कुछ मिन्ट में ही जस्सी छूट गई और चूतड़ उठा कर मुझसे नीचे से लिपट गई और मुझको कस कर अपने बाहों में जकड़ लिया जबकि उसका शरीर ज़ोर से कांपने लगा।

हम दोनों कुछ क्षण इसी तरह एक दूसरे की बाहों में लिपटे रहे और जब सांस ठीक हुई तो जस्सी ने मेरे मुंह अपने मुंह के पास लाकर ज़ोरदार किस होटों पर किया और बोली- थैंक यू सोमू, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।

मैं बोला- तुम्हारा भी थैंक यू जस्सी, तुमने मुझको लाजवाब तोहफा दिया।

कम्मो ने दौड़ कर हम दोनों का बदन साफ़ कर दिया और जस्सी की चूत पर लगे खून के धब्बे भी अछी तरह से साफ़ कर दिए।

जस्सी अब बिस्तर पर पसर गई थी और कम्मो उसकी चूत पर क्रीम लगा रही थी ताकि उसको कम दर्द हो।

परी की नज़र अभी तक मेरे लौड़े पर अटकी थी क्यूंकि वो अभी भी खड़ा था। 

कम्मो ने मुझ को और जस्सी को स्पेशल दूध का गिलास दिया।

दूध पीने के बाद मैं काफी फ्रेश हो गया था और परी की चूत और मम्मों की तरफ देख रहा था।

परी धीरे से आई और मेरे लंड से खेलने लगी और हैरान होकर कम्मो से पूछने लगी- यह सोमू का लंड कभी बैठता भी है यह सारा दिन इसी तरह खड़ा रहता है।

कम्मो बोली- तुम जैसी खूबसूरत और कमसिन लड़की को देख कर मेरा भी अगर लंड होता तो वो भी ऐसे ही खड़ा रहता।

मैं बोला- तुम चीज़ ही बड़ी मस्त हो परी और तुम्हारी सहेली जस्सी भी कम नहीं यार!

परी मेरे लंड के साथ खेल रही थी और मुझको यकीन था कि वो भी चुदाई के मूड में है। मैंने कम्मो को इशारा किया कि वो परी को संभाल ले थोड़ी देर तक!

तब कम्मो ने अपना ब्लाउज उतारा और साड़ी और फिर पेटीकोट भी उतार दिया।

उसने परी की कमर में हाथ डाला और उसके मुंह पर ज़ोरदार चुम्मी की।

पहले तो परी हैरान होकर देख रही थी कि यह क्या हो रहा है और फिर उसको मज़ा आने लगा, उसने भी चुम्मी का जवाब चुम्मी से दिया।

तब कम्मो ने उसको ज़ोर से अपनी मोटी बाँहों में भींच लिया, फिर उसके मम्मों को चूसने लगी, पहले दायाँ और फिर बायाँ।

एक हाथ उसने उसकी बालों भरी चूत में डाल दिया और उसकी भग को मसलने लगी। फिर उसने परी की गोल मस्त गांड को गोल गोल मसलना शुरू कर दिया।

पारी को खूब मस्ती चढ़ गई, वो भी कम्मो की चूत को छेड़ने लगी।

इधर जस्सी की भी आँखें दोनों की तरफ ही थीं, वो यह अजीब तमाशा देख रही थी और अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी।

उसके हाथ को हटा कर अब मैं भी उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा।

तब तक कम्मो परी के साथ मेरे पास आई और आते ही बोली- छोटे सरकार आपका स्पेशल गिफ्ट तैयार है। इस गीले और चुदासे गिफ्ट को कबूल फरमायें।

मैंने भी उसी लहजे में कहा- शाबाश मलिका-ए-औरतजात, आपने पूरी मेहनत से यह तोहफा तैयार किया है, यह हमको कबूल है! 

यह कह कर मैंने परी को अपने आगोश में भर लिया और ताबड़तोड़ चूमने का दौर शुरू कर दिया।

उसकी चूत को हाथ लगाया तो वो एकदम तरबतर थी अपने सुगन्ध भरे पानी से।

मैंने परी को जस्सी की बगल में लिटा दिया और झट से उसकी खुली टांगों में बैठ कर अपनी तोप का निशाना साधने लगा।

परी ने जब अपनी टांगें बिलकुल फैला दी तो शाहे-ऐ-आलम समझ गए की भट्टी पूरी तरह से गर्म है, पहले धीरे से डाला लंड को और वो पानी की फिसलन से एकदम आधा अंदर चला गया, अगला धक्का लंड को उसकी चूत की गहराई तक ले गया, अंदर पहुंचा कर कुछ दम लेने लगे हम दोनों।

उधर जस्सी के साथ कम्मो छेड़छाड़ कर रही थी क्योंकि उसको अभी भी चूत में थोड़ा सा दर्द था लेकिन वो परी और मेरी चुदाई को बड़े ध्यान से देख रही थी।

अब धीरे धीरे मैंने परी को अपनी पूरी स्पीड से चोदना शुरू किया, पहले लेट कर फिर उसको अपने ऊपर लेकर पोजीशन बदल बदल कर चोदना शुरू किया।
अंतिम धक्के उसको घोड़ी बना कर लगाए, फिर जब वो छूटी तो उठ कर मेरे गले से लिपट गई।
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