Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र Sex
05-17-2018, 01:09 PM,
#35
RE: Porn Hindi Kahani मेरा चुदाई का सफ़र
पारो का सेक्स जीवन
चाची और उषा के जाने के बाद हम तीनों फिर एक साथ हो गये यानि कम्मो और पारो फिर मेरे कमरे की हर रात को शोभा बढ़ाने लगी।
सबसे पहले दोनों ने चाची और उषा की कहानी सुननी चाही।
जैसे कैसी थी दोनों? उनके मम्मे कैसे थे और चूत कैसी थी?
मैंने भी खूब मज़े ले ले कर उनको बताई सारी बातें।
चाची की और उषा की सफाचट चूत से वे बड़ी हैरान थी, कहने लगी- यह कैसे हो सकता है?
मैंने उनको बताया- चाची बता रही थी कि वो दोनों दाड़ी बनाने वाला रेजर और चाचा के शेविंग करने वाले साबुन से एक दूसरी की चूत की सफाई करती हैं। बिल्कुल साफ़ कर देती हैं चूत और बगलों के बाल, उन दोनों की चूत बहुत ही मुलायम और चमकदार लग रही थी।
दोनों बहुत ही हैरान हो रहीं थी, कम्मो बोली- ऐसा करने से उन का पति नाराज़ नहीं होता क्योंकि ऐसा तो सिर्फ रंडियाँ ही करती हैं। घरेलू औरत ऐसा करे ना तो उस का पति उसको घर से निकाल दे!
मैं बोला- अच्छा, पर ऐसा क्यों है? बाल सफा करने से क्या बिगड़ जाता है औरत का?
कम्मो बोली- रंडियाँ इसलिए साफ़ करती हैं बालों को ताकि कोई ग्राहक उनको बीमारी न दे जाए! और फिर ग्राहक के जाने के बाद वो अच्छी तरह चूत को साफ़ कर लेती हैं ताकि जितना भी वीर्य ग्राहक का अंदर छूटा होता है वो सब बहार निकल जाता है और उनके गर्भवती होने की संभावना काफी कम हो जाती है।
मैं बोला- फिर तो तुम को भी ऐसा ही करना चाहिए न?
कम्मो बोली- छोटे मालिक हमारे चोदनहार तो सिर्फ आप ही हैं और आप किसी बाहर वाली औरत के पास तो जाते नहीं तो हमें काहे का फ़िक्र?
‘लेकिन बच्चा ठहरने की सम्भावना तो होती है न?’
‘अरे बच्चे की बात से याद आया कि आप का कब हो रहा है?’
‘मेरा कब क्या हो रहा है?’
‘वही, जिसकी बात हम कर रही हैं?’
‘बच्चा? मेरे कैसे हो सकता है?’
‘वाह, आप भूल गए क्या? इतने खेतों में बीज डाला है आपने?’
‘अरे कौन से खेत? कब बीज डाला मैंने?’
‘हा हा… भूल गए क्या ? पहला खेत तो मेरा था जिसमें आपने हल चलाया और फिर चम्पा, फिर बिन्दू, फुलवा और फिर निर्मला और ना जाने और किनका खेत आपने जोता?
मैं बड़े ज़ोर से हंस दिया और बोला- अरे तुम चूत वाले खेतों की बात कर रही हो!
वो भी मुस्कराते हुए बोली- हाँ वही तो!
मैंने पारो की तरफ देखा और पूछा- पारो, तुम बताओ कि क्या तुम्हारी चूत खेत की तरह है और मेरा लंड हल की तरह?
वो भी हँसते हुए बोली- हाँ छोटे मालिक, अगर देखा जाए तो चूत एक धरती का टुकड़ा है जिस पर पुरुष अपने लंड का हल चलाता है और एक निश्चत समय के बाद उसमें फसल उग आती है जो धरती के पेट से निकलने के बाद एक प्यारे बच्चे का रूप ले लेती है।
कोठी का मुख्यद्वार बंद करके हम तीनों मेरे कमरे में बातें कर रहे थे, आज कोई मेहमान नहीं था तो हम आजाद थे।
मैंने कहा- ऐसा करो, कम्मो और पारो हम तीनो नंगे हो जाते हैं, फिर बात करेंगे। ठीक है न?
हम तीनों जल्दी ही निर्वस्त्र हो गए और पलंग पर लेट गए। मैं बीच में और मेरी दाईं तरफ कम्मो और बाएं तरफ पारो।
कम्मो ने मेरे लौड़े पर हाथ रखा और वो टन से खड़ा हो गया। सबसे पहले कम्मो ने मेरे लंड को पकड़ा और मैं अपना दायाँ हाथ उस की बालों भरी चूत में फेरने लगा और दूसरा पारो की चूत में डाल कर उसकी गीली चूत में भगनासा को हल्के हल्के दबाने लगा।
फिर मैंने कहा- अच्छा पारो, आज तुम सुनाओ अपनी कहानी। कैसे शादी की पहली रात में तुम चुदी थी?
वो पहले थोड़ी शरमाई और फिर बोली- छोटे मालिक, आप यकीन नहीं मानोगे, शादी से पहले मैंने लंड देखा ही नहीं था. कुत्ता कुत्ती को करते हुए देखा ज़रूर था लेकिन इसका मतलब तब मैं नहीं जानती थी।
कम्मो बोली- अच्छा? ऐसा कैसे हो सकता है? किसी छोटे लड़के को तो देखा होगा तुमने और उसके छोटे लंड को भी देखा होगा न?
पारो बोली- हाँ वो देखा था लेकि लड़के के लंड और किसी मर्द के लंड में बहुत अंतर होता है कम्मो। और जब मेरे पति ने सुहागरात को अपना खड़े लंड को निकाला तो मैं एकदम डर गई और फिर उसने मुझको लिटा दिया और मेरी साड़ी ऊपर करके टांगों के बीच बैठ कर लंड को चूत में डालने की कोशिश करने लगा। लेकिन मेरी चूत बहुत टाइट थी तो उसकी हर कोशिश नाकामयाब हो रही थी, लंड अंदर जा ही नहीं रहा था।
फिर वो थक कर लेट गया और सो गया। अगली रात फिर उसने कोशिश की लेकिन फिर उसको कोई सफलता नहीं मिली। इस तरह दो रात कोशिश करने के बाद वो जब कुछ नहीं कर सका तो वो काफी शर्मिंदा हो गया मेरे सामने। लेकिन मुझको तो कुछ मालूम ही नहीं था। फिर ना जाने किसने उसको कोई तरीका समझाया और अगली रात वो तेल की शीशी ले कर आया और ढेर सा तेल मेरी चूत पर मल कर उसने फिर कोशिश की और वो इस बार चूत में लंड डालने में सफल हो गया। हालांकि मुझको बेहद दर्द हुआ। और फिर मेरा पति रोज़ रात को मुझको चोद देता था लेकिन मुझको कोई आनन्द नहीं आता था।
मैं और कम्मो एक साथ बोल उठे- फिर क्या हुआ?
पारो थोड़ी देर चुप रही और फिर मुस्कराते हुए बोली- मेरे पति का एक छोटा भाई भी था जो मेरे चारों तरफ बड़े प्यार से घूमता रहता। वो बहुत ही शरारती था और हर वक्त कोशिश करता था कि मेरे शरीर के किसी अंग को छू ले। पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन एक दिन उसने मेरे मम्मों पर हाथ रख दिया तो मैंने उसकी ध्यान से देखा और पाया कि वो 19-20 साल का जवान लड़का है, दिखने में भी ठीक ही लग रहा था तो मैंने उसको धीरे धीरे छूट देनी शुरू कर दी।
एक दिन मेरा पति बाहर गया हुआ था और सास भी किसी काम से घर पर नहीं थी, मैं और मेरा देवर किशन ही घर में था, मैं अपने बिस्तर पर आकर लेट गई, तभी मुझको लगा कि कोई मेरे कमरे में कोई आया है।
मैंने ध्यान से देखा, वो किशन ही आया था।
!
उसने आते ही मुझको बाँहों में भर लिया और ताबड़तोड़ चूमना शुरू कर दिया।
मैंने उसको रोका- कोई आ जाएगा, जाओ यहाँ से!
पर वो नहीं माना और मेरे को चूमते हुए उसने मेरे मम्मे भी दबाने शुरू कर दिए जिससे मुझको बड़ा आनन्द आना शुरू हो गया।
जब उसने देखा कि मैं उसको ज्यादा रोक टोक नहीं रही तो उसने मेरी धोती ऊपर उठा दी और अपना मोटा खड़ा लंड मेरी चूत में डालने लगा।
मैं चिल्ला उठी- यह क्या कर रहा है रे किशना?
उसने सब अनसुनी कर दी और अपने लंड से चूत में धक्के मारने लगा।
मैं बोली- बस कर किशना, नहीं तो मैं शोर मचा दूंगी।
यह सुन कर किशना ने मेरा मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया और ज़ोर से धक्के जारी रखे। 
अब मुझ को मज़ा आने लगा था, मेरा बोलना बंद हो गया और मैं चुदाई का जीवन में पहली बार आनन्द लेने लगी।
थोड़ी देर बाद मुझको ऐसा लगा कि मेरी चूत में कुछ खलबली हो रही है और फिर मेरी चूत अंदर ही अंदर खुलने और बंद होना शुरू हो गई और फिर मुझको लगा कि मेरी चूत से कुछ पानी की माफिक निकला और मेरे बिस्तर पर फैल गया है।
कुछ देर बाद किशना का एक गर्म फव्वारा छूटा और मेरी चूत में फैल गया और मैं आनन्द विभोर हो गई। इस पहली चुदाई के बाद हर मौके पर हम दोनों चोदना नहीं छोड़ते थे।
आज तक समझ नहीं आया कि हम चुदाई करते हुए कभी पकड़े नहीं गए। ईश्वर का लाख शुक्र है कि वह हमको बचाते रहे हर घड़ी में!
मैं बोला- तुमको कभी बच्चा नहीं ठहरा पारो?
पारो बोली- नहीं, कभी नहीं, न अपने मर्दवा से और न ही देवर से… मालूम नहीं ऐसा क्यों हुआ?
यह कहानी सुनते हुए मेरा लंड तो खड़ा ही था लेकिन उधर कम्मो की हालत भी ठीक नहीं थी।
मैंने फ़ौरन दोनों को घोड़ी बनाया और ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया, पहले कम्मो को और फिर पारो को!
कुछ धक्के एक चूत में मार कर मैं अपना लंड दूसरी में डाल देता था। इस तरह दोनों को जल्दी ही चोद चोद कर पूर्ण चरमसीमा पर पहुंचा दिया।
दोनों ही थक कर लेट गई और मैं उन दोनों के बीच में था।
फिर रात भर हम तीनों चुदाई में मग्न रहे।
कम्मो की कहानी उसी की जुबानी

अभी तक आपने पारो की कहानी पढ़ी, अब आपको कम्मो की कहानी सुनाने की कोशिश करता हूँ।
कम्मो मेरे जीवन में मेरी यौन गुरु बन कर आई थी, उसी ने मुझको यौन ज्ञान के ढाई अक्षर सिखाये थे। उसका ढंग ख़ास था क्यूंकि वो सब काम स्वयं करके दिखाती थी ताकि मुझको शक की कोई गुंजायश न रहे, इलिए मैं यह मानता हूँ कि जो मैं आज कामक्रीड़ा में माहिर बना बैठा हूँ, वो सब कम्मो की वजह से ही है, न वो मेरे जीवन में आती, न मैं काम-कला का इतना ज्ञान अर्जित करता।
कम्मो जब मेरे जीवन में आई थी, उस समय मैं केवल गाँव का एक भोला भाला लड़का ही था, यह तो कम्मो ही है जिसने मुझ में छिपी हुई अपार यौन शक्ति को पहचाना और उस शक्ति को एक दिशा दी।
अगली रात कम्मो की कहानी सुनने के लिए हम दोनों बड़े बेताब थे।
रात को हमने ढेर सारा बकरे का मांस पारो से बनवाया और नान इत्यादि बाजार से मंगवा लिए। कुछ खाने का सामान पारो मेरे कहने पर राम लाल चौकीदार को दे आई ताकि वो और उसका परिवार भी ढंग से खाना खा सके।
खाना खाकर हम तीनों मेरे कमरे में इकट्ठे हुए, तीनों ने धीरे धीरे अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। कपड़े उतारने का क्रम ऐसा रखा कि हर एक कपड़ा उतारने के बाद हम देखते थे कि कितने कपड़े बचे हैं शरीर पर!
एक एक कपड़ा उतारते हुए हम देखते जा रहे थे कि किसके कपड़े ज्यादा बचे हैं शरीर पर… हम तीनों के शरीर पर केवल 3-3 कपड़े थे जो हम रेडियो पर चल रहे एक फ़िल्मी गाने के मुताबिक़ उतार रहे थे।
सबसे पहले मैंने अपने तीन कपड़े उतार दिए और उसके बाद कम्मो ने उतारे और पारो सब से आखिर में उतार पाई। उन दोनों की चूतों पर उगी हुई काली झांटें ख़ास चमक रही थी और दोनों ने शरीर पर हल्का सा सेंट लगा रहा था जिसकी खुश्बू अलग अलग थी।
हम तीनों मेरे बड़े पलंग पर लेट गए।
फिर कम्मो ने कहा- आज हम एक नए तरीके से चोदते हैं। छोटे मालिक पारो की चूत को चूसेंगे, पारो मेरी चूत को चूसेगी और मैं छोटे मालिक के लंड को चूसूंगी, यह एक गोल चक्र बना लेते हैं इस काम के लिए!
हमने एक गोल चक्र बना लिया, मैंने अपना मुंह पारो की बालों भरी चूत में डाल दिया और पारो ने अपना मुंह कम्मो की चूत में और कम्मो मेरे लंड को चूसने लगी।
पारो की चूत एकदम फूली हुई थी और खूब पनिया रही थी क्यूंकि आज के नए खेल ने उसको काफी उत्तेजित कर दिया था।
मैं धीरे धीरे अपनी जीभ को उसकी सुगन्धित चूत के होटों पर फेरने लगा, मैं जानबूझ कर उसके क्लिट यानी भगनासा को नहीं छू रहा था। जीभ को गोल गोल घुमाता हुआ उसकी चूत के अंदर का रस पीने लगा। मेरी जीभ करीब 1 इंच तक उसकी चूत में चली जाती थी।
फिर मैंने हाथ की ऊँगली भी चूत में डाल दी और उसको अंदर बाहर करने लगा।
अब पारो ने अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिए और मैं ऊँगली को उसकी भगनासा पर फेरने लगा.।
उधर कम्मो मेरे खड़े लंड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी जिससे मुझको बहुत आनन्द आ रहा था, कम्मो के चूतड़ भी ऊपर उठ बैठ रहे थे पारो की जीभ के कारण।
मैंने पारो के भगनासा को अब चूसना शुरू कर दिया और अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी चूत के काफी अंदर तक डाल दी।
अब पारो के मुंह से ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह जैसी आवाज़ें आने लगी और कुछ ही क्षण में उसकी जांघों ने मेरे मुंह को कैद कर लिया और वो ज़ोर ज़ोर से कांपने लगी।
थोड़ी देर में कम्मो भी इसी तरह झड़ गई, सिर्फ मेरा लंड अभी भी वैसे ही मस्त खड़ा था।
फिर ना जाने कम्मो ने जीभ से कोई खेल खेला और मेरा भी फव्वारा छूट गया।
हम तीनों वैसे ही लेटे रहे। फिर जब सांसें ठीक हुईं तो अपनी अपनी जगह पर लेट गए।
मैं बोला- कम्मो डार्लिंग, हमको बंटा बोतल तो पिलाओ बर्फ डाल के!
वो गई और जल्दी ही तीन ग्लासों में लेमन में बर्फ डाल कर ले आई। लेमन पी कर दिल खुश हो गया।
मैंने कम्मो को बोला- कम्मो डार्लिंग, तुम्हारा मम्मे का क्या साइज होगा?
वो बोली- मुझ को क्या मालूम छोटे मालिक!
‘अरे तो पता करो न? तुम्हारे पास वह नाप लेने वाला फीता है क्या?’
‘शायद है। लेकिन ढूंढना पड़ेगा?’
‘तो ढूंढिए न, और पारो को भी साथ ले लो, वो भी शायद जानती होगी।’
दोनों नंग धड़ंग फीता ढूंढने में लग गई।
मैं लेटे लेटे ही उन दोनों का सेक्सी नज़ारा देख रहा था, कम्मो के चूतड़ एकदम गोल और उभरे हुए थे जबकि पारो के थोड़े फैले हुए थे, उनमें गोलाई कम थी।
इसी तरह पारो के मम्मे ज्यादा बड़े और सॉलिड लग रहे थे जबकि कम्मो के मम्मे छोटे और गोल थे।
थोड़ी देर में कम्मो फीता ले आई, मैंने दोनों को सीधा खड़ा कर दिया और जैसे दर्ज़ी औरतों का नाप लेता है वैसे ही दोनों का नाप लेने लगा।
पहले पारो के मम्मों का नाप लिया, वो पूरे 38 इंच के निकले और उसकी कमर 30 इंच थी और हिप्स यानी चूतड़ 40 इंच थे।
अब कम्मो की बारी थी, उसके मम्मे 36 इंच कमर 28 इंच और चूतड़ 38 इंच के निकले।
मेरा अंदाजा सही निकला।
दोनों को मैंने बताया कि उनके नाप बड़े ही सेक्सी थे और अगर कोई जवान लड़का उनको नंगी देख ले तो वो फ़ौरन उनको चोद डालेगा जैसे मैं चोदता हूँ।
यह सुन कर दोनों खूब हंसी और बोली- छोटे मालिक, तुम कौन से बूढ़े हो गए हो? तुम भी अभी जवानी में कदम रख रहे हो और हम को देख कर रोज़ चोद देते हो।
इस बात पर हम तीनों खूब हँसे।
मैंने कम्मो को देख कर कहा- अच्छा कम्मो, अब तुम सुनाओ अपनी कहानी, देखें तुम्हारे साथ क्या हुआ तब?
कम्मो मुस्कराई और फिर बोली- छोटे मालिक, मैं बचपन से ही बड़ी नटखट और चुलबुली लड़की मानी जाती थी अपने गाँव में! खूब शरारत करना मेरा नियम था, मैं और मेरी एक सहेली चंचल सेक्स के मामले में काफी जानकारी रखते थे। मैं और मेरी सहेली चंचल बड़ी पक्की सहेलियाँ थी, हम कोशिश करते रहते थे कि गाँव में नए शादीशुदा जोड़ों को सुहागऱात वाली रात में किस प्रकार देखा जाए रात के अँधेरे में!
शुरू शुरू में तो हम को ज़्यादा सफलता नहीं मिलती थी लेकिन धीरे धीरे मुझको समझ आने लगा कि नए जोड़ों को रात को कैसे देखा जाए, खासतौर पर गर्मियों के दिनों में!
शादी होने से पहले हम दोनों उस घर की खूब अछी तरह जांच पड़ताल कर लेती थी, जैसे झोंपड़ी कैसे बनी और उसमें कौन कौन लोग रहते हैं, दूल्हा दुल्हन का कमरा कौन सा होगा यह भी जान लेते थे।
फिर जब दूल्हा डोली लेकर आ जाता था तो सब दुल्हन के स्वागत में लग जाते थे और हम मौका पा कर दूल्हा दुल्हन के कमरे में छोटे छोटे 2 छेद कर लेती थीं जिससे कमरे में होने वाले कार्य कलाप को देख सकें।
यह काम आसान होता था क्योंकि झोंपड़ी की दीवार तो मिटटी की बनी होती थी। इस तरह हम ने कई सुहागरातें देखी थी।
!
मैं बोला- अच्छा? यह तो बड़ा ही मुश्कल काम था जो तुम दोनों ने किया। तुम लोग सुहागरात में क्या क्या देखा करती थी?
कम्मो बोली- छोटे मालिक, बहुत कुछ देखा हमने! बहुत सारा नज़ारा तो खराब होता था लेकिन कुछ लड़के समझदार होते थे और अपनी दुल्हनिया को बड़े प्यार से चोदते थे।
‘अच्छा कुछ खोल कर बताओ न कि क्या देखा तुमने?’ मैं बोला।
सारे दूल्हे अक्सर देसी पौवा शराब का चढ़ा कर आते थे और कमरे में आते ही दुल्हन की साड़ी ऊपर उठाते थे और ज़ोर से अपना लंड उस कुंवारी कन्या की चूत में डाल देते थे और फिर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए कुछ ही मिनटों में ढेर हो जाते थे और दुल्हन बेचारी अपनी फटी हुई चूत को कपड़े से साफ़ करती और उसमें से बह रहे खून को भी साफ़ कर देती थी।
दस में से आठ दूल्हे ऐसा ही करते थे और बाकी दो जो थोड़ी बहुत चुदाई का ज्ञान रखते थे बड़े प्यार से अपनी दुल्हन को चोदते थे और हर चुदाई के बाद उसको खूब प्यार भी करते थे।
मैं बोला- तुम सुनाओ न, तुम्हारे साथ क्या हुआ था?
वो हँसते हुए बोली- मेरा दूल्हा तो निकला भोंदू… यानि उसको कुछ भी चुदाई के बारे में नहीं पता था, बिस्तर में लेटते ही गहरी नींद में सो गया। मैंने ही हिम्मत करके उसके लंड के साथ खेलना शुरू कर दिया। उसका लंड जब खड़ा हो गया तो मैं नंगी होकर उसके लंड के ऊपर चढ़ गई और धीरे धीरे धक्के मारने लगी। वह तब भी नहीं उठा क्यूंकि मैं पहले ही अपनी चूत को गाजर मूली से फड़वा चुकी थी तो मैंने पहली रात को घर वाले को 2 बार चोदा जिसका उसको बिल्कुल ही पता नहीं था।
हम तीनो बड़े ज़ोर से हंसने लगे- साला कैसा बुद्धू था तेरा घरवाला? फिर क्या किया तुमने?
‘करना क्या था, धीरे धीरे उसको सब कुछ सिखा दिया और वो रात में 2-3 बार चोदने लगा। मैंने उसको हर तरह से चुदाई का तरीका सिखा दिया और उसके साथ खूब मज़े लेने लगी।’
‘फिर क्या हुआ?’
एक रात मैंने उसको थोड़ी सी देसी शराब पिला दी और अपनी सहेली चंचल को बुला लिया। उस रात मेरी सास किसी काम से पड़ोस वाले गाँव गई हुई थी, बस शराब के नशे में दोनों ने मेरे घरवाले को खूब चोदा और उसको पता भी नहीं चला, वो बेहद शरीफ और सीधा था।
यह कहते हुए उसकी आँखों में आंसू भर आये और वो फूट फूट कर रोने लगी।
फिर उसने बताया कि एक शाम उसकी साइकिल का ट्रक के साथ हादसा हो गया और वो वहीं समाप्त हो गया।
मेरी और पारो की भी आँखें भर आई।
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